Showing posts with label yog. Show all posts
Showing posts with label yog. Show all posts

Monday 1 June 2015

केमद्रुम योग:भयानक दुखदायी योग ?????


केमद्रुम योग!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बनने वाले विभिन्न प्रकार के अशुभ योगों में से केमद्रुम योग को बहुत अशुभ माना जाता है। केमद्रुम योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली में यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा के अगले और पिछले दोनों ही घरों में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली में केमद्रुम योग बन जाता है जिसके कारण जातक को निर्धनता अथवा अति निर्धनता, विभिन्न प्रकार के रोगों, मुसीबतों, व्यवसायिक तथा वैवाहिक जीवन में भीषण कठिनाईयों आदि का सामना करना पड़ता है। अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि केमद्रुम योग से पीड़ित जातक बहुत दयनीय जीवन व्यतीत करते हैं तथा इनमें से अनेक जातक अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाईयों तथा असफलतओं का सामना करते हैं तथा इन जातकों के जीवन का कोई एक क्षेत्र तो इस अशुभ योग के प्रभाव के कारण बिल्कुल ही नष्ट हो जाता है जैसे कि इस दोष से पीड़ित कुछ जातकों का जीवन भर विवाह नहीं हो पाता, कुछ जातकों को जीवन भर व्यवसाय ही नहीं मिल पाता तथा कुछ जातक जीवन भर निर्धन ही रहते हैं। कुछ ज्योतिषी यह मानते हैं कि केमद्रुम योग के प्रबल अशुभ प्रभाव में आने वाले कुछ जातकों को लंबे समय के लिए कारावास अथवा जेल में रहना पड़ सकता है तथा इस योग के प्रबल अशुभ प्रभाव में आने वाले कुछ अन्य जातकों को देष निकाला जैसे दण्ड भी दिये जा सकते हैं। केमद्रुम योग से पीड़ित जातकों का सामाजिक स्तर सदा सामान्य से नीचे अथवा बहुत नीचे रहता है तथा इन्हें जीवन भर समाज में सम्मान तथा प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती।
केमद्रुम योग के निर्माण संबंधित नियम का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि केमद्रुम योग बहुत सी कुंडलियों में बन जाता है तथा इसी के अनुसार संसार के बहुत से जातक केमद्रुम योग द्वारा दिये जाने वाले अशुभ फलों तथा मुसीबतों से पीड़ित होने चाहिएं। केमद्रुम योग द्वारा प्रदान किए जाने वाले अशुभ फल बहुत चरम हैं तथा इसी कारण इस योग का निर्माण बहुत कम कुंडलियों में ही होना चाहिए क्योंकि संसार के बहुत से जातक इस प्रकार के चरम अशुभ फलों से पीड़ित नहीं पाये जाते। इस लिए इस अशुभ योग के किसी कुंडली में बनने के लिए कुछ अन्य नियम भी आवश्यक हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं किसी कुंडली में केमद्रुम योग के निर्माण के लिए कुंडली में चन्द्रमा के साथ कोई ग्रह स्थित नहीं होना चाहिए तथा कुंडली के केन्द्र के घरों अर्थात 1, 4, 7 तथा 10वें घर में भी राहु अथवा केतु के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह नहीं होना चाहिए तथा चन्द्रमा का कुंडली में राहु अथवा केतु के अतिरिक्त किसी भी अन्य ग्रह के साथ दृष्टि के माध्यम से भी संबंध नहीं होना चाहिए। हालांकि उपर बताए गए अतिरिक्त नियम अपने आप में ही केमद्रुम योग को दुर्लभ बनाने के लिए पर्याप्त हैं किन्तु मेरे शोध तथा अनुभव के अनुसार इन नियमों के अतिरिक्त भी कुछ तथ्यों पर विचार करना चाहिए। इन तथ्यों के बारे में जानने से पहले आइए हम केमद्रुम योग के निर्माण के पीछे छिपे तर्क को जानने का प्रयास करें।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में चन्द्रमा को सबसे अधिक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जिसका निश्चय इन तथ्यों से किया जा सकता है कि आज भी बहुत से वैदिक ज्योतिषी चन्द्रमा की स्थिति वाले घर को ही कुंडली में लग्न मानते हैं, चन्द्र राशि को ही जातक की जन्म राशि कहा जाता है, चन्द्र नक्षत्र को ही जातक का जन्म नक्षत्र कहा जाता है, विंशोत्तरी जैसी महादशाओं की गणना भी चन्द्रमा के आधार पर ही की जाती है तथा विवाह कार्यों के लिए कुंडली मिलान में प्रयोग होने वाली गुण मिलान की प्रक्रिया भी केवल चन्दमा की स्थिति के आधार पर ही की जाती है जिससे यह सपष्ट हो जाता है कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा ही प्रत्येक कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं। किसी कुंडली में जब चन्द्रमा जैसा सबसे अधिक महत्वपूर्ण ग्रह किसी भी प्रकार के प्रभाव से रहित होकर अकेला पड़ जाता है तथा कुंडली के सबसे अधिक महत्वपूर्ण माने जाने वाले केन्द्र के घरों में भी कोई ग्रह स्थित न होने के कारण अकेलेपन की स्थिति ही बनती हो तो इसका अर्थ यह निकलता है कि ऐसी कुंडली में किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण तथा शुभ फलदायी परिणामों को जन्म देने की क्षमता बहुत कम है जिसके चलते जातक अपने जीवन में कुछ भी विशेष नहीं कर पाता। इस प्रकार कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण ग्रह तथा कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र के घरों के प्रभावहीन होने से कुंडली में केमद्रुम योग बन जाता है जिसके प्रभाव में आने वाला जातक कुछ विशेष उपलब्धियां प्राप्त नहीं कर पाता।

Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in