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Monday 18 May 2015

आपका घर और ज्योतिष

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खुद बदलें अपनी रसोई---

पहले के समय में महिलाओं के गुणों को उसकी रसोई से आँका जाता था क्योंकि ज्यादातर महिलाएँ घर पर रहती थीं। भले ही आज महिलाएँ कामकाजी हैं फिर भी यह विचार आज भी मौजूद है। इसीलिए महिलाओं और रसोई के संबंध से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता। हर महिला रसोई अपनी सुविधा अनुसार रखना चाहती है। पहले के मुकाबले आजकल ज्यादातर रसोइयाँ छोटी होती हैं इसलिए हर तरह का सामान लगाना इसमें बहुत मुश्किल है। कई बार ट्रांसफर की वजह से हमें शिफ्टिंग करनी पड़ती है। हर जगह अच्छी व बड़ी रसोई मिले यह जरूरी नहीं इसीलिए अपनी रसोई के लिए कुछ ऐसे कैबिनेट बनवाएँ जो आसानी से फिट हो जाते हैं और शिफ्ट करते समय जिन्हें निकालने में दिक्कत भी नहीं होती। इससे आप कहीं भी रहें रसोई फैली नहीं लगेगी। और सामान रखने की जगह भी रहती है। साथ ही अपने कैबिनेट का लुक बदलने के लिए इसे पेंट वगैरह करवाती रहें। इससे आपको नयापन महसूस होगा। ऐसे ही कुछ छोटी-छोटी चीजों से आप अपनी रसोई को न केवल काम की बल्कि आकर्षक भी बना सकती हैं।

पार्टी के इंतजाम में रखें इन्‍हें याद...

1. अगर आपने पार्टी का समय 7 बजे रखा है तो अपने डेकोरेटर, केटरिंग वाले को कहें कि वे 7 बजे से पहले ही सब रेडी रखें। 2. आपके घर का फंक्शन है। सो, जाहिर है कि आप ज्यादा व्यस्त होंगे। ऐसे में किसी भरोसेमंद करीबी पर यह जिम्मेदारी डाल दें कि वह सारे इंतजाम समय से पहले और सही ढंग से करवाए। 3. पार्टी का समय होने से पहले वेटरों को बुलाकर समझाएँ कि वे स्नैक्स, ड्रिंक्स आदि को हॉल-पंडाल में हर जगह, हर किसी के पास लेकर जाएँ। यह न हो कि आगे की कुर्सियों पर बैठे लोग तो मजे लेकर खाते-पीते रहें और दूर बैठे मेहमान मुंह ताकते रहें। 4. डेकोरेशन वाले या घर के किसी आदमी को कह कर समय से पहले पूरे पंडाल, हॉल में किसी सोंधी खुशबू वाले फ्रेशनर का छिड़काव माहौल को खुशनुमा बनाएगा। 5. अगर पनीर टिक्का, तंदूरी चाट जैसे आइटम रखे गए हैं तो बार-बे-क्यू वाले से कहें कि वह पहले ही तैयारी करके बैठे क्योंकि ऐसे आइटम बनते देर में हैं मगर इनकी माँग ज्यादा रहती है।

ऐसा हो लॉकर रूम---

1. उत्तर दि‍शा लॉकर रूम के लि‍ए सबसे उपयुक्त दि‍शा है। उत्तर में यदि‍ कि‍सी वजह से लॉकर रूम नहीं बनाया जा सकता है तो इसे पूर्व में रखें। 2. कि‍सी वजनदार चीज के नीचे ति‍जोरी नहीं रखनी चाहि‍ए। 3. ति‍जोरी को कमरे के कि‍सी भी कोने में नहीं रखना चाहि‍ए। 4. ति‍जोरी कक्ष में कचरा न होने दें। ति‍जोरी कक्ष को हमेशा साफ-सुथरा होना चाहि‍ए। 5. सोना और चाँदी जैसी चीजें लॉकर के पश्चि‍मी या दक्षि‍णी साइड में रखना चाहि‍ए। 6. ति‍जोरी के सामने एक शीशा रखना चाहि‍ए जि‍समें ति‍जोरी का प्रति‍बिंब दि‍खाई दे। ऐसा कहा जाता है कि‍ इससे पैसा दुगुना होता है। 7. ति‍जोरी कक्ष में बहते हुए पानी के झरने का चि‍त्र या कोई शोपीस होना चाहि‍ए। इससे कक्ष में सकारात्‍मक ऊर्जा फैलती है और लक्ष्मी आती है।

प्रदूषण मुक्त हो आपका घर---

अक्सर हम सोच लेते हैं कि प्रदूषण सिर्फ बाहर होता है और घर के भीतर का वातावरण बिलकुल स्वच्छ होता है तो यह सोचना बिलकुल गलत है। घर को पॉल्यूशन फ्री बनाने के लिए कुछ बातों पर गौर करें तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। घर के भीतर हवा में भी धूलकण, केमिकल्स और विषाणु मौजूद होते हैं, जिनकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। अपने लिविंग रूम में ज्यादा पौधे न रखें क्योंकि यहाँ पूरा परिवार सबसे ज्यादा वक्त-बिताता है, इसलिए फर्नीचर और सोफे की नियमित रूप से डस्टिंग करें। अक्सर पेट्स परिवार के सदस्यों के साथ लिविंग रूम में ही रहना पसंद करते हैं। ऐसी स्थिति में पालतू जानवर की सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें, क्योंकि उनसे सबसे ज्यादा एलर्जी फैलती है। लिविंग रूम में ज्यादा पौधे न रखें, क्योंकि रात में जब घर बंद होता है तो इन पौधों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होगा।

कहाँ बनाएँ ओवरहैड टैंक---

1. घर में ओवरहैड टैंक का स्‍थान बहुत महत्‍वपूर्ण होता है इसलि‍ए जरूरी है कि‍ इसे वास्‍तु के अनुसार बनाया जाए। पानी की टंकी हमेशा पश्चि‍मी या दक्षि‍ण पश्चि‍म दि‍शा में होनी चाहि‍ए। 2. यदि‍ ओवरहैड टैंक दक्षि‍ण पश्चि‍म दि‍शा में बनाया गया है तो उसे दो फीट ऊँचे स्‍लैब या चबूतरे पर बनाना चाहि‍ए। 3. वैसे उत्तर पूर्व की दि‍शा पानी से संबंधि‍त है लेकि‍न फि‍र भी इस भाग में ओवरहैड टैंक नहीं बनाना चाहि‍ए क्‍योंकि‍ इस दि‍शा को वास्‍तु के अनुसार कि‍सी भी तरह भारी नहीं होना चाहि‍ए। हालाँकि‍ यहाँ एक छोटी पानी की टंकी रखी जा सकती है। 4. दक्षि‍ण पश्चि‍म दि‍शा में बनाया गया ओवरहैड टैंक अशुभ परि‍णाम देता है। इससे लक्ष्मी की हानि‍ और दुर्घटनाओं की संभावना बनती है। ओवरहैड टैंक का लीक करना भी अशुभफल देता है

नया मकान बनाने से पहले ध्यान रखें कुछ खास बातें

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नए भवन के निर्माण कराते समय आप अपने शहर के किसी अच्छे वास्तु के जानकार से सलाह अवश्य लें। वास्तु का प्रभाव भवन के रहने वाले व्यक्तियों पर अवश्य पढ़ता है। परंतु इसके साथ-साथ व्यक्ति विशेष के ग्रह योग भी वास्तु के प्रभाव को घटाते-बढ़ाते हैं। हो सकता है कि एक व्यक्ति को कोई विशेष स्थान तकलीफ न दे पर वही स्थान दूसरे व्यक्ति को अत्यंत तकलीफदायक हो।

नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें..

- भवन के लिए चयन किए जाने वाले प्लॉट की चारों भुजा राइट एगिंल (90 डिग्री अंश कोण) में हों। कम ज्यादा भुजा वाले प्लॉट अच्छे नहीं होते।

- प्लाट जहाँ तक संभव हो उत्तरमुखी या पूर्वमुखी ही लें। ये दिशाएँ शुभ होती हैं और यदि किसी प्लॉट पर ये दोनों दिशा (उत्तर और पूर्व) खुली हुई हों तो वह प्लॉट दिशा के हिसाब से सर्वोत्तम होता है।
- प्लॉट के पूर्व व उत्तर की ओर नीचा और पश्चिम तथा दक्षिण की ओर ऊँचा होना शुभ होता है।

- प्लाट के एकदम लगे हुए, नजदीक मंदिर, मस्जिद, चौराह, पीपल, वटवृक्ष, सचिव और धूर्त का निवास कष्टप्रद होता है।

- पूर्व से पश्चिम की ओर लंबा प्लॉट सूर्यवेधी होता है जो कि शुभ होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर लंबा प्लॉट चंद्र भेदी होता है जो ज्यादा शुभ होता है ओर धन वृद्धि करने वाला होता है।

- प्लॉट के दक्षिण दिशा की ओर जल स्रोत हो तो अशुभ माना गया है। इसी के विपरीत जिस प्लॉट के उत्तर दिशा की ओर जल स्रोत (नदी, तालाब, कुआँ, जलकुंड) हो तो शुभ होता है।

- जो प्लॉट त्रिकोण आकार का हो, उस पर निर्माण कराना हानिकारक होता है।

- भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए।

- भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्या काल और मध्य रात्रि में नींव न रखें।

- नए भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, मिट्टी ओर लकड़ी नई ही उपयोग करना। एक मकान की निकली सामग्री नए मकान में लगाना हानिकारक होता है।

- भवन का मुख्य द्वार सिर्फ एक होना चाहिए तो उत्तर मुखी सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्व मुखी भी अच्छा होता है। मुख्य द्वार की चौखट चार लकड़ी की एवं दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।

- भवन के दरवाजे अपने आप खुलने या अपने आप बंद न होते हों यह भी ध्यान रखना चाहिए। दरवाजों को खोलने या बंद करते समय आवाज होना अशुभ माना गया है।

- भवन में सीढ़ियाँ वास्तु नियम के अनुरूप बनानी चाहिए, सीढ़ियाँ विषम संख्या (5,7, 9) में होनी चाहिए।