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Monday 1 June 2015

अंकशास्त्र में सूर्य का महत्व


अंकशास्त्र में सूर्य
ज्योतिष विद्याओं में अंक विद्या भी एक महत्वपूर्ण विद्या है.जिसके द्वारा हम थोडे समय में ही प्रश्न कर्ता के उत्तर दे सकते है.अंक विद्या में "१" का अंक सूर्य को प्राप्त हुआ है.जिस तारीख को आपका जन्म हुआ है,उन तारीखों में अगर आपकी जन्म तारीख १,१०,१९,२८, है तो आपका मूलांक सूर्य का नम्बर "१" ही माना जायेगा.इसके अलावा जो आपका पूर्णांक नम्बर होगा वह जन्म तारीख,महिना,और पूरा सन जोडने के बाद जो प्राप्त होगा,साथ ही कुल मिलाकर अकेले नम्बर को जब सामने लायेंगे,और वह नम्बर एक आता है तो कार्मिक नम्बर ही माना जायेगा.जिन लोगों के जन्म तारीख के हिसाब से "१" नम्बर ही आता है उनके नाम अधिकतर ब,म,ट,और द से ही चालू होते देखे गये है.
१ शुरुआती नम्बर है,इसके बिना कोई भी अंक चालू नही हो सकता है.इस अंक वाला जातक स्वाभिमानी होता है,उसके अन्दर केवल अपने ही अपने लिये सुनने की आदत होती है.जातक के अन्दर ईमानदारी भी होती है,और वह किसी के सामने झुकने के लिये कभी राजी नही होता है.वह किसी के अधीन नही रहना चाहता है और सभी को अपने अधीन रखना चाहता है.
अगर अंक १ वाला जातक अपने ही अंक के अधीन होकर यानी अपने ही अंक की तारीखों में काम करता है तो उसको सफ़लता मिलती चली जाती है.सूर्य प्रधान जातक बहुत तेजस्वी सदगुणी विद्वान उदार स्वभाव दयालु,और मनोबल में आत्मबल से पूर्ण होता है.वह अपने कार्य स्वत: ही करता है किसी के भरोसे रह कर काम करना उसे नही आता है.वह सरकारी नौकरी और सरकारी कामकाज के प्रति समर्पित होता है.वह अपने को अल्प समय में ही कुशल प्रसाशक बना लेता है.सूर्य प्रधान जातक मे कुछ बुराइयां भी होतीं हैं.जैसे
अभिमान,लोभ,अविनय,आलस्य,बाह्य दिखावा,जल्दबाजी,अहंकार,आदि दुर्गुण उसके जीवन में भरे होते हैं.इन दुर्गुणों के कारण उसका विकास सही तरीके से नही हो पाता है.साथ ही अपने दुश्मनो को नही पहिचान पाने के कारण उनसे परेशानी ही उठाता रहता है.हर काम में दखल देने की आदत भी जातक में होती है.और सब लोगों के काम के अन्दर टांग अडाने के कारण वह अधिक से अधिक दुश्मनी भी पैदा कर लेता है.

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मूलांक 4 की कुछ खास विशेषताएं


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मूलांक 4 का स्वामी ग्रह राहु है। कुछ अंकशास्त्री इसे यूरेनस या नकारात्मक सूर्य का अंक भी मानते हैं ये साहसी व्यवहार कुशल और चकित कर देने वाले कामों को करने में भी निपुण होते हैं।मूलांक ४ वाले महान क्रांतिकारी, वैज्ञानिक या राजनीतिज्ञ हो सकते है .लेकिन इस अंक वालों को घमंडी, उपद्रवी, अहंकारी और हठी के रूप में भी देखा गया है।
मूलांक ४ एक पेचीदा अंक है इससे सम्बंधित लोग सीधी बात नहीं करते वे लीक से हटकर चलते है टेटे-मेटे रास्तो से गुजरना इनकी फितरत होती है |अंक ४ वाले व्यक्ति प्रत्येक वस्तु या स्थिति को एक अलग दृष्टिकोण से देखते है और इसलिए उनका स्वभाव अपने आप में अन्य व्यक्तियों से अलग एवं विशिष्ट होता है वे समाज एवं सरकार के परम्परागत नियमों के विरुद्ध चलते है तथा उनमे सुधार का दृष्टिकोण अपनाकर समाज को एक नयी दिशा देना चाहते है
मूलांक ४ वाले घर बाहर समाज और राजनीति हर प्रकार की जानकारी रखते हैं। ये मनमौजी होते है यदि इन पर कुसंगति का प्रभाव पड़ जाता है तो धीरे-धीरे दूर होता है। आमतौर पर ये समय के पाबंद होते हैं। इन्हें कई बार संघर्ष करते हुए भी देखा जाता है।
यदि विवाह या प्रेम संबंधों की बात की जाय तो ये बडे से लेकर छोटे और अमीर से लेकर गरीब लोगों से घुल मिल जाते हैं। स्त्रियों की ओर इनका विशेष झुकाव होता है लेकिन इनके प्रेम संबंध अधिक समय तक नहीं चलते।
हम मूलांक ४ के कुछ लोगों को देखते है ---
किशोर कुमार
:४ ८ 1929
लीक से हटकर चले है किशोर कुमार ,जिनका मूलांक ४ है .इनके जीवन के उतर चढाव से तो सभी वाकिफ है
प्रेमचंद
31 ७ 1880
३१ = ३+१ =४
साहित्य को नयी दिशा देने वाले मुंशी प्रेमचंद को कौन नहीं जनता .
इस प्रकार मूलांक ४ के जातक कुशाग्र बुद्धि वाले, साहसी होते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अनेक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। जैसे तेज स्पीड से आती गाड़ी को अचानक ब्रेक लग जाए ऐसा उनका भाग्य होगा। लेकिन यह भी निश्चित है कि इस अंक वाले अधिकांश लोग कुलदीपक होते हैं। आपका जीवन संघर्षशील होता है। इनमें अभिमान भी होता है। ये लोग दिल के कोमल होते हैं किन्तु बाहर से कठोर दिखाई पड़ते हैं।

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Friday 29 May 2015

जाने संख्या 108 का महतवपूर्ण महत्व

संख्या 108 का महत्व.................

संख्या 108 का महत्व.................

संख्या 108 का महत्व: 108 का रहस्य ! (The Mystery of 108) वेदान्त में एक मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 का उल्लेख मिलता है जिसका हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों (वैज्ञानिकों) ने अविष्कार किया था l मेरी सुविधा के लिए मैं मान लेता हूँ कि, 108 = ॐ (जो पूर्णता का द्योतक है)
प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना :

1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास = 108 = 1 ॐ 150,000,000 km/1,391,000 km = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं)

2. सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास = 108 = 1 ॐ 1,391,000 km/12,742 km = 108 = 1 ॐ सूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं .

3. पृथ्वी और चन्द्र के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास = 108 = 1 ॐ 384403 km/3474.20 km = 108 = 1 ॐ पृथ्वी और चन्द्र के बीच १०८ चन्द्रमा आ सकते हैं .

4. मनुष्य की उम्र 108 वर्षों (1ॐ वर्ष) में पूर्णता प्राप्त करती है . वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य को अपने जीवन काल में विभिन्न ग्रहों की 108 वर्षों की अष्टोत्तरी महादशा से गुजरना पड़ता है .

5. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति 200 ॐ श्वास लेकर एक दिन पूरा करता है . 1 मिनट में 15 श्वास >> 12 घंटों में 10800 श्वास >> दिनभर में 100 ॐ श्वास, वैसे ही रातभर में 100 ॐ श्वास

6. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति एक मुहुर्त में 4 ॐ ह्रदय की धड़कन पूरी करता है . 1 मिनट में 72 धड़कन >> 6 मिनट में 432 धडकनें >> 1 मुहूर्त में 4 ॐ धडकनें ( 6 मिनट = 1 मुहूर्त)

7. सभी 9 ग्रह (वैदिक ज्योतिष में परिभाषित) भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और 12 x 9 = 108 = 1 ॐ

8. सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करते हैं और प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 27 x 4 = 108 = 1 ॐ

9. एक सौर दिन 200 ॐ विपल समय में पूरा होता है. (1 विपल = 2.5 सेकेण्ड) 1 सौर दिन (24 घंटे) = 1 अहोरात्र = 60 घटी = 3600 पल = 21600 विपल = 200 x 108 = 200 ॐ विपल *** 108 का आध्यात्मिक अर्थ *** 1 सूचित करता है ब्रह्म की अद्वितीयता/एकत्व/पूर्णता को 0 सूचित करता है वह शून्य की अवस्था को जो विश्व की अनुपस्थिति में उत्पन्न हुई होती 8 सूचित करता है उस विश्व की अनंतता को जिसका अविर्भाव उस शून्य में ब्रह्म की अनंत अभिव्यक्तियों से हुआ है . अतः ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है . जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजना प्रणव ( अ उ म् ) है और नादीय अभिव्यंजना ॐ की ध्वनि है उसी प्रकार ब्रह्म की गाणितिक अभिव्यंजना 108 है .!!

हिंदू देवताओं, 108 नाम हैं गौड़ीय वैष्णव , 108 रहे हैं गोपियों के वृंदावन . अक्सर एक 108 मनके की गिनती के साथ इन नामों का गायन, माला , धार्मिक समारोह के दौरान पवित्र और अक्सर किया जाता है. गायन namajapa कहा जाता है. तदनुसार, एक जप माला आमतौर पर एक के 108 repetitions के लिए मोती है मंत्र . सूर्य का व्यास और चंद्रमा का व्यास द्वारा विभाजित पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी से विभाजित पृथ्वी से सूर्य की दूरी 108 के लगभग बराबर है. उदाहरण के लिए, गूगल खोज 149,600,000 किलोमीटर और 1,391,000 किलोमीटर के रूप में "सूर्य का व्यास" के रूप में "सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी" प्रदान करता है. ऊपर गोलाई से 108 को approximated किया जा सकता है, १०७.५४८५२६२४०११५: तो, हम के रूप में अनुपात मिलता है. इसके अलावा, गूगल खोज 384,400 किमी और 3 474.8 किलोमीटर के रूप में "चंद्रमा का व्यास" के रूप में "चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी" प्रदान करता है. जो 111 approximated जब 3 से 108 के पास है 110.6250719465869,: तो, हम के रूप में अनुपात मिलता है. सूर्य और पृथ्वी: सूर्य का व्यास पृथ्वी से 108 गुना व्यास है.
संख्या 108 का महत्व मंत्र गिनती के भारतीय उपमहाद्वीप माला या सेट 108 मनकों से है. 108 एक बहुत लंबे समय के लिए भारतीय उपमहाद्वीप में एक पवित्र नंबर दिया गया है. यह संख्या कई अलग अलग तरीकों से समझाया गया है. प्राचीन भारतीयों उत्कृष्ट गणितज्ञों थे और 108 (1 उदा शक्ति 1 एक्स 2 बिजली 2 एक्स 3 शक्ति 3 = 108) विशेष numerological महत्व है सोचा था. एक सटीक गणितीय आपरेशन के उत्पाद हो सकता है 1 की शक्तियां, 2, और गणित में 3: 1 के लिए 1 शक्ति = 1, 2 से 2 शक्ति = 4 (2x2), 3 से 3 शक्ति = 27 (3x3x3). 1x4x27 = 108 संस्कृत वर्णमाला: संस्कृत वर्णमाला में 54 पत्र हैं. प्रत्येक पुरुष और स्त्री, शिव और शक्ति है. 54 गुना 2 108 है.

श्री यंत्र: श्री यंत्र पर तीन लाइनों काटना जहां marmas कर रहे हैं, और 54 ऐसे चौराहों हैं. प्रत्येक चौराहों पुरुष और स्त्री, शिव और शक्ति गुण हैं. 54 एक्स 2 108 बराबर होती है. इस प्रकार, श्री यंत्र के साथ ही मानव शरीर को परिभाषित है कि 108 अंक हैं.

9 बार 12: इन नंबरों के दोनों कई परंपराओं में आध्यात्मिक महत्व के लिए कहा गया है. 9 बार 12 108 है. इसके अलावा, 1 प्लस 8 9 बराबर होती है. 9 बार 12 108 के बराबर होती है. हार्ट चक्र: चक्रों ऊर्जा लाइनों के चौराहों हैं, और हृदय चक्र के लिए फार्म converging 108 ऊर्जा लाइनों की कुल वहाँ के लिए कहा जाता है. उनमें से एक, सुषुम्ना मुकुट चक्र की ओर जाता है, और आत्मज्ञान के लिए पथ होने के लिए कहा है. Marmas: उन्हें फार्म converging कम ऊर्जा लाइनों को छोड़कर marmas या marmastanas ऊर्जा चौराहों की तरह, चक्र कहा जाता है. सूक्ष्म शरीर में 108 marmas वहाँ के लिए कहा जाता है. समय: कुछ भविष्य से संबंधित वर्तमान, और 36 से संबंधित अतीत, 36 से संबंधित 36 के साथ, 108 भावनाओं रहे हैं कहते हैं.

ज्योतिष: वहाँ 12 तारामंडल हैं, और 9 चाप क्षेत्रों namshas या chandrakalas बुलाया. 9 बार 12 108 के बराबर होती है. चंद्र चाँद है, और Kalas एक पूरे के भीतर मतभेद हैं.

ग्रहों और मकान: ज्योतिष में, 12 घरों और 9 ग्रहों कर रहे हैं. 12 बार 9 108 बराबर होती है. कृष्ण की गोपियों: कृष्णा परंपरा में, 108 गोपियों या कृष्ण की नौकरानी सेवकों वहाँ के लिए कहा गया. 1, 0, और 8: 1 भगवान के लिए खड़ा है या उच्चतर सत्य, साधना में खालीपन या पूर्णता के लिए 0 खड़ा है, और अनंत या अनंत काल के लिए 8 खड़ा है. न्यूमेरिकल पैमाने: 108 में से 1, और 108 के 8, एक साथ जोड़ा जब संख्यात्मक पैमाने पर, यानी 1, 2, 3 की संख्या है, जो 9 के बराबर होती है ... 0 एक नंबर नहीं है जहां 10, आदि,. छोटे डिवीजनों: ऐसे छमाही में के रूप में संख्या 108 बांटा गया है, कुछ malas 54, 36, 27, या 9 मोती है ताकि तीसरी, तिमाही, या बारहवें,. इस्लाम: संख्या 108 भगवान का उल्लेख करने के लिए इस्लाम में प्रयोग किया जाता है. जैन: जैन धर्म में, 108 क्रमश: 12, 8, 36, 25, और 27 गुण सहित पवित्र लोगों की पांच श्रेणियों, के संयुक्त गुण हैं.

सिख: सिख परंपरा बल्कि मोतियों से ऊन की एक स्ट्रिंग, में बंधे 108 समुद्री मील की माला है. चीनी: चीनी बौद्ध और Taoists सु चू कहा जाता है जो एक 108 मनका माला, उपयोग और तीन विभाजित मोती, इसलिए माला 36 प्रत्येक के तीन भागों में बांटा गया है है. आत्मा के चरणों: आत्मा, मानव आत्मा या केंद्र की यात्रा पर 108 चरणों के माध्यम से चला जाता है कि ने कहा. मेरु: यह एक बड़ा मनका, नहीं 108 का हिस्सा है. यह अन्य मोती के अनुक्रम में बंधा नहीं है. यह Quiding मनका, माला की शुरुआत और अंत का प्रतीक है कि एक है.

नृत्य: भारतीय परंपराओं में नृत्य के 108 रूप हैं.

पाइथागोरस: नौ सभी नंबरों की सीमा है, अन्य सभी मौजूदा और उसी से आ रही है. यानी: 0 से 9 सभी एक संख्या की एक अनंत राशि अप करने की जरूरत है

. हम Muktikopanishad में निहित सूची के अनुसार 108 उपनिषदों नीचे सूचीबद्ध किया है. हम जो उनमें से प्रत्येक के सदस्य बनने के लिए विशेष रूप से वेद के अनुसार चार श्रेणियों में उन्हें व्यवस्था की है.

-------- 108 संख्या का महत्व 1 .जन्म पत्रिका में 12 राशियों के 12 घर होते हैं और इन घरों में 9 ग्रहों को स्थापित करते हैं | इस तरह से हर ग्रह 12 जगह स्थापित हो सकता है या फिर 12x9 =108 विभिन्न तरह से जन्म पत्रिका में ग्रह पाए जा सकते हैं |

जाने अंक और प्रेम


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मूंलाक 1 के जातकों के लिए अंक 4 मित्र अंक हैं तथा सम अंक 2, 3, 7, 9 हैं इन्हें प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं परन्तु अंक 1 के शत्रु 5 व 6 है इस मूंलाक के जातकों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव न रखें।
मूलांक2 के जातकों के लिए मित्र अंक 7, सम अंक 1, 3, 4, 6 है इन्हें प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं शत्रु अंक 5 व 8 हैं इन्हें प्रेम प्रस्ताव न रखें।
मूलांक 3 के जातकों के लिए मित्र अंक 6, 9 सम अंक 1, 2, 5, 7 हैं इन्हें प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं। शत्रु अंक 4 व 8 हैं।
मूंलाक 4 के जातकों के लिए मित्र अंक 1, व सम अंक 2, 6, 7, 9 है इन्हें प्रेम प्रस्ताव रख सकते हें तथा अंक 3 व 5 अंक शत्रु हैं इन्हों के सम्मुख प्रस्ताव न रखें।
मूंलाक 5 के जातकों के लिये मित्र अंक 3, 9, सम अंक 1, 6, 7, 8 वालों को प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं शत्रु अंक 2 व 4 है इन मूंलाक वालों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव न रखें।
मूंलाक 6 के जातकों के लिये मित्र अंक 3, 9 सम अंक 2, 4, 5, 6 वालों को प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं परन्तु 1 और 8 अकों के मूंलाक वालों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव न रखें।
मूंलाक 7 के जातकों के लिये मित्र अंक 2, 6 तथा सम अंक 3, 4, 5, 8 वालों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं परन्तु शत्रु अंक 1 और 9 के मूंलाक वालों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव न रखें।
मूंलाक 8 के जातकों के लिये मित्र अंक 4 सम अंक 2, 5, 7, 9 के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं परन्तु शत्रु अंक 3, 6 के मूंलाक वालों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव न रखें।
मूंलाक 9 के जातकों के लिये मित्र अंक 3, 6 हैं सम अंक 2, 4, 5, 8 हैं इन अंकों के जातकों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव रख सकते हैं परन्तु शत्रु अंक 1 और 7 अकों वालों के सम्मुख प्रेम प्रस्ताव न रखें।


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