एक्जाम का तनाव एक सामान्य तनाव है जो सभी छात्रों को होता है किंतु कुछेक को यह तनाव ज्यादा होता है जो कि कभी-कभी खतरनाक और छात्र के भविष्य को गर्त में डालने वाला भी हो जाता है। इस तनाव को ज्योतिषीय नजरिये से देखें तो किसी भी जातक की कुंडली में तृतीयेश, पंचमेश या एकादशेश अनुकूल न हों और एक्जाम के समय में शनि, शुक्र या राहु की दशा चले साथ ही ठीक एक्जाम के दिन चंद्रमा गोचर में हो तो एक्जाम का तनाव अपने चरम पर होता है। इस तनाव से बचने के लिए तृतीयेश अर्थात मनोबल उच्च रखना चाहिए जिसका एक ही उपाय है कि विषय-विशेष की तैयारी पूर्ण होने के साथ तीसरे स्थान के स्वामी ग्रह की शांति करनी चाहिए। इसी प्रकार पंचमेश अर्थात एकाग्रता बनाये रखने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है साथ ही पंचम ग्रह के स्वामी ग्रह के उपाए अपनाने चाहिए। एकादश स्थान अर्थात दैनिक दिनचर्या में नियमित रहने से एकादश स्थान प्रबल होता है इसके अलावा एकादश स्थान के स्वामी ग्रह से संबंधित मंत्र जाप करना चाहिए। अत: एक्जाम के तनाव से बचने के लिए मनोबल मतलब कालपुरुष का स्वामी बुध, एकाग्रता के लिए सूर्य एवं नियमितता के लिए शनि, इन ग्रहों का उपाय लेना हर विद्यार्थी के लिए आवश्यक है।
एक्जाम के दिनों में तनाव का होना स्वाभाविक है. तनाव होना हमेशा बुरा नही होता, यदि तनाव आपको कुछ अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करे तो वो ठीक है. अगर आप स्कूल के दिनों में एक्जाम के दिनों को हटा दें तो पढऩे का मन बिलकुल नहीं करता. एक्जाम हमें पढऩे के लिए प्रेरित करते हैं, जो आत्मविश्वास देता है, जो किसी भी काम को करने के लिए जरूरी है. एक्जाम हमें दबाव में काम करना सीखाते हैं, हमें मजबूत बनाते हैं, वे हमें टाइम मैनेज करना सिखाते हैं, वे हमें बेहतर प्रदर्शन हेतु कम समय में प्रयास का गुण भी करना सीखते हैं, और ये सभी जीवन में सफल होने के लिए कहीं न कहीं चाहिए होती हैं. एक्जाम के दिनों में तनाव को सही दिशा में रखने से परीक्षा बुरा नहीं है किन्तु इसके लिए पूर्व तैयारी भी नितांत आवश्यक है किन्तु हम माने की:
एक्जाम अच्छे हैं :
भले ही आज आपको ये बुरे लगें, लेकिन यकीन जानिये ये आपको इंतना कुछ सिखा जाते हैं की आपकी बाकी की जिन्दगी को आसान बना देते हैं. एक्जाम को एक कड़वी दवा के रूप में देख सकते हैं, जिसे आप पीना तो नहीं चाहते पर इसे पीये बिना आपकी बीमारी भी नहीं जा सकती. खुद से बार -बार कहिये, मन में दोहराइए एक्जाम अच्छे हैं ज्और इसके लिए साल भर तैयार रहे... किसके लिए आप अपने जीवन में दैनिक दिनचर्या संतुलित रखें और इसे रखने के लिए अपनी किन्दाली के एकादश स्थान के गृह को अनुकूल बनाने का प्रयास करें... ये प्रयास आपको सालभर करना चाहिए.
तैयारी का अलग ही मजा है:
एक्जाम की तैयारी कुछ ख़ास होती है और बोर्ड हों तो बात ही कुछ और है. वो घंटों किताबों में उलझे रहना, अलार्म लगा कर सुबह उठना, TV serials, cricket matches की कुर्बानी देना, दोस्तों के साथ बैठना और पढऩा और पढऩे की ही बात ये ऐसे पल होते हैं जो बिलकुल अलग होते हैं, और इनका अपना ही मजा होता है. इन पल को तनाव के रूप में ना देखें, बल्कि आनंद लें... ये आप तभी कर सकते हैं जब आप पुरे साल जिन्दगी के मजे लेने के साथ पढ़ाई भी करें.
आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना है, बस!
अगर आप पहले के एक्जाम में मध्यम रहे हैं और पूरे साल आपने कुछ विशेष प्रयास नहीं किये हैं तो सिर्फ एक्जाम के वक़्त पढक़र चमत्कार की अपेक्षा न करें. क्या हुआ भूल जाएं, बस ये देखें की अब आपके पास कितना समय बचा है और उसमे अपने बेस्ट देने की कोशिश करें. ये सोचना बेकार है कि आपके साथ के और बच्चे क्या-क्या पढ़ चुके होंगे, कितना रिवीशन कर चुके होंगे, आपको किसी और को देखने की ज़रुरत नहीं है ज्किसी तुलना की ज़रुरत नहीं है ज्और फायदा भी क्या है ऐसा करने से? बस खुद को! इसलिए कुछ ऐसा न करिए कि बाद में अफ़सोस हो ‘‘काश मैंने पढ़ाई की होती!’’ अपना बेहतर दीजिये और ऐसा करते हुए आप अपने प्रयास करते रहिये और अगर सब प्रयास के बाद भी आपको समझने या याद रखने में कठिनाई हो तो अपनी कुंडली में दिखाएँ की कही आपका द्वितयेश या पंचमेश कमजोर तो नहीं..समय रहते इन ग्रहों की शांति करा लेने से आप की जो कमी आपके द्वारा दूर नहीं हो रही वह आपकी ग्रहों की शांति से दूर हो सकती है...
समय का हो उचित प्रबंधन:
समय सिमित है, इसे यूही खराब करना बेवकूफी है. एक्जाम के समय तो समय का प्रबंधन करना समझदारी का काम है ये नहीं की बस कोई भी विषय उठाया और पढऩा शुरू कर दिया. इसे एक रुपरेखा के साथ करिए और ये आपकी अपनी बनाई हुई होगी जो आप अपनी जरुरत के अनुसार अपने लिए तैयार करेंगे तो इससे आपकी कमि दूर होगी और आपका मजबूत पक्ष और मजबूत बनेगा. इत्मीनान से बैठिये, ये सोचिये की आपको कौन से विषय को कितना समय देना है. आप के समय और आपकी अपनी जरूरत को ध्यान में रखते हुए पढऩे का करिए. पिछले साल के पेपर्स करने के लिए जरूर वक़्त निकालिए. समय के सदुपयोग से आप अपने जीवन में सफलता आसानी से पा सकते हैं और इसके लिए आप को अपने मनोबल और आत्मविश्वास को बनाये रखना है और इसके लिए मंत्रो का नियमित कुछ समय जाप करें.
याद रखें आपके पैरेंट्स आपको प्यार करते हैं :
पढऩे के लिए किसे डांट नहीं पड़ती!! पढऩे के लिए डांट पडऩा तो आम सी बात है. हमारे पैरेंट्स इस बात को लेकर बहुत चिंतित होते हैं कि हम इस प्रतियोगिता के युग में ठीक से अपना स्थान बना पाएं. एक अच्छी नौकरी के लिए एक्जाम में मिले अच्छे अंक का जो गहरा नाता है वो उन्हें चिंतित कर देता है कि अगर उनका बच्चा अच्छे अंक नहीं ला पाया तो उसके भविष्य का क्या होगा और यही चिंता उन्हें आपको डांटने ज्और कभी कभी मारने के लिए मजबूर करती है. विशेषकर आम मध्यम वर्गी नौकरीपेशा परिवार, जिसके लिए नौकरी पाना अच्छे अंक माना जाता है पर वो आपको बहुत प्यार करते हैं इतना की आपको इस दुनिया में परेशान होते नहीं देख सकते इसलिए वो आपको पढऩे को कहते हैं, उनका सम्मान करिए ये बात गाँठ बांध लीजिये कि वो भले आपको अच्छे अंक लाने के लिए डांटे -फटकारें, आप उनकी जान हैं, किसी भी सूरत में वो मार्क से कहीं अधिक आपको प्यार करते हैं ! इसलिए भूलकर भी तनाव में आकर कोई गलत कदम न उठायें... साथ ही परिवार को चाहिए की बच्चे की कुंडली का विश्लेष्ण करा कर पता कर लें की कही बच्चा डिप्रेशन में तो नहीं. इसके लिए बच्चे की कुंडली का त्रितयेश अगर विपरीत हो जाए या क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत हो तो उन ग्रहों की शांति कराना चाहिए.
World is full of oppurtunities:
अगर आप गणित या विज्ञान में कमजोर हैं तो जरुरी नहीं की डॉक्टर या इंजिनिअर ही बने आज तो कुछ भी कर सकते है जिस दुनिया में हम जी रहे हैं आज आप interior decorator, fashion designer,chef actor,singer sportsman, blogger, choreographer, entrepreneur, networker और ना जाने क्या – क्या बन सकते हैं. क्या बन सकते हैं ये पता करने के लिए आप अपनी कुंडली को किसी विद्वान् ज्योतिष से दिखा कर पता करें की आप की किसमें सफलता के योग हैं उस दिशा में ही प्रयास करें.
जो होता है अच्छा होता है:
कई बार सफलता की शुरुआत असफलता के साथ होती है. इस बात में हमेशा यकीन करिए कि आपके साथ जो हो सकता है वही हो रहा है और अगर कुछ बुरा हुआ है तो वो भी आगे चल कर आपकी जिन्दगी से कुछ ऐसे जुड़ेगा जो उसे अच्छा साबित कर देगा. आगे बढ़ते हुए इन चीजों को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता पर जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तब समझ में आता है कि जो हुआ अच्छा हुआ.इसलिए दिल छोटा मत कीजिये. बस अपने प्रयास में इमानदार रहिये. और इसके लिए निरन्त प्रयास करते रहिये.
यह न देखें कि लोग क्या कहेंगे!!:
आप परीक्षा में कुछ कर पाएं या नहीं लेकिन ज़िन्दगी के इम्तहान में आप निश्चित रूप कुछ कर सकते हैं. इसलिए जीवन अनमोल है अपनी तैयारी करिए और आगे बढ़ते जाइये. लोग क्या कहते हैं उसे भूल जाईये क्योंकि लोगों का तो काम ही है कहना। असफल होकर जीवन से हार मानने की जगह अपनी कुंडली का विवेचन करिए और ईश्वर ने आपको जो करने भेजा है उस दिशा में आगे बढि़ए... प्रत्येक विद्यार्थी को प्रात:काल सूर्योदय के समय सूर्यनमस्कार करना चाहिए. सायंकाल को शनिमंत्र का जाप करना चाहिए एवं मनोबल बनाये रखने के लिए गणेश जी पूजा करनी चाहिए.
एक्जाम के दिनों में तनाव का होना स्वाभाविक है. तनाव होना हमेशा बुरा नही होता, यदि तनाव आपको कुछ अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करे तो वो ठीक है. अगर आप स्कूल के दिनों में एक्जाम के दिनों को हटा दें तो पढऩे का मन बिलकुल नहीं करता. एक्जाम हमें पढऩे के लिए प्रेरित करते हैं, जो आत्मविश्वास देता है, जो किसी भी काम को करने के लिए जरूरी है. एक्जाम हमें दबाव में काम करना सीखाते हैं, हमें मजबूत बनाते हैं, वे हमें टाइम मैनेज करना सिखाते हैं, वे हमें बेहतर प्रदर्शन हेतु कम समय में प्रयास का गुण भी करना सीखते हैं, और ये सभी जीवन में सफल होने के लिए कहीं न कहीं चाहिए होती हैं. एक्जाम के दिनों में तनाव को सही दिशा में रखने से परीक्षा बुरा नहीं है किन्तु इसके लिए पूर्व तैयारी भी नितांत आवश्यक है किन्तु हम माने की:
एक्जाम अच्छे हैं :
भले ही आज आपको ये बुरे लगें, लेकिन यकीन जानिये ये आपको इंतना कुछ सिखा जाते हैं की आपकी बाकी की जिन्दगी को आसान बना देते हैं. एक्जाम को एक कड़वी दवा के रूप में देख सकते हैं, जिसे आप पीना तो नहीं चाहते पर इसे पीये बिना आपकी बीमारी भी नहीं जा सकती. खुद से बार -बार कहिये, मन में दोहराइए एक्जाम अच्छे हैं ज्और इसके लिए साल भर तैयार रहे... किसके लिए आप अपने जीवन में दैनिक दिनचर्या संतुलित रखें और इसे रखने के लिए अपनी किन्दाली के एकादश स्थान के गृह को अनुकूल बनाने का प्रयास करें... ये प्रयास आपको सालभर करना चाहिए.
तैयारी का अलग ही मजा है:
एक्जाम की तैयारी कुछ ख़ास होती है और बोर्ड हों तो बात ही कुछ और है. वो घंटों किताबों में उलझे रहना, अलार्म लगा कर सुबह उठना, TV serials, cricket matches की कुर्बानी देना, दोस्तों के साथ बैठना और पढऩा और पढऩे की ही बात ये ऐसे पल होते हैं जो बिलकुल अलग होते हैं, और इनका अपना ही मजा होता है. इन पल को तनाव के रूप में ना देखें, बल्कि आनंद लें... ये आप तभी कर सकते हैं जब आप पुरे साल जिन्दगी के मजे लेने के साथ पढ़ाई भी करें.
आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना है, बस!
अगर आप पहले के एक्जाम में मध्यम रहे हैं और पूरे साल आपने कुछ विशेष प्रयास नहीं किये हैं तो सिर्फ एक्जाम के वक़्त पढक़र चमत्कार की अपेक्षा न करें. क्या हुआ भूल जाएं, बस ये देखें की अब आपके पास कितना समय बचा है और उसमे अपने बेस्ट देने की कोशिश करें. ये सोचना बेकार है कि आपके साथ के और बच्चे क्या-क्या पढ़ चुके होंगे, कितना रिवीशन कर चुके होंगे, आपको किसी और को देखने की ज़रुरत नहीं है ज्किसी तुलना की ज़रुरत नहीं है ज्और फायदा भी क्या है ऐसा करने से? बस खुद को! इसलिए कुछ ऐसा न करिए कि बाद में अफ़सोस हो ‘‘काश मैंने पढ़ाई की होती!’’ अपना बेहतर दीजिये और ऐसा करते हुए आप अपने प्रयास करते रहिये और अगर सब प्रयास के बाद भी आपको समझने या याद रखने में कठिनाई हो तो अपनी कुंडली में दिखाएँ की कही आपका द्वितयेश या पंचमेश कमजोर तो नहीं..समय रहते इन ग्रहों की शांति करा लेने से आप की जो कमी आपके द्वारा दूर नहीं हो रही वह आपकी ग्रहों की शांति से दूर हो सकती है...
समय का हो उचित प्रबंधन:
समय सिमित है, इसे यूही खराब करना बेवकूफी है. एक्जाम के समय तो समय का प्रबंधन करना समझदारी का काम है ये नहीं की बस कोई भी विषय उठाया और पढऩा शुरू कर दिया. इसे एक रुपरेखा के साथ करिए और ये आपकी अपनी बनाई हुई होगी जो आप अपनी जरुरत के अनुसार अपने लिए तैयार करेंगे तो इससे आपकी कमि दूर होगी और आपका मजबूत पक्ष और मजबूत बनेगा. इत्मीनान से बैठिये, ये सोचिये की आपको कौन से विषय को कितना समय देना है. आप के समय और आपकी अपनी जरूरत को ध्यान में रखते हुए पढऩे का करिए. पिछले साल के पेपर्स करने के लिए जरूर वक़्त निकालिए. समय के सदुपयोग से आप अपने जीवन में सफलता आसानी से पा सकते हैं और इसके लिए आप को अपने मनोबल और आत्मविश्वास को बनाये रखना है और इसके लिए मंत्रो का नियमित कुछ समय जाप करें.
याद रखें आपके पैरेंट्स आपको प्यार करते हैं :
पढऩे के लिए किसे डांट नहीं पड़ती!! पढऩे के लिए डांट पडऩा तो आम सी बात है. हमारे पैरेंट्स इस बात को लेकर बहुत चिंतित होते हैं कि हम इस प्रतियोगिता के युग में ठीक से अपना स्थान बना पाएं. एक अच्छी नौकरी के लिए एक्जाम में मिले अच्छे अंक का जो गहरा नाता है वो उन्हें चिंतित कर देता है कि अगर उनका बच्चा अच्छे अंक नहीं ला पाया तो उसके भविष्य का क्या होगा और यही चिंता उन्हें आपको डांटने ज्और कभी कभी मारने के लिए मजबूर करती है. विशेषकर आम मध्यम वर्गी नौकरीपेशा परिवार, जिसके लिए नौकरी पाना अच्छे अंक माना जाता है पर वो आपको बहुत प्यार करते हैं इतना की आपको इस दुनिया में परेशान होते नहीं देख सकते इसलिए वो आपको पढऩे को कहते हैं, उनका सम्मान करिए ये बात गाँठ बांध लीजिये कि वो भले आपको अच्छे अंक लाने के लिए डांटे -फटकारें, आप उनकी जान हैं, किसी भी सूरत में वो मार्क से कहीं अधिक आपको प्यार करते हैं ! इसलिए भूलकर भी तनाव में आकर कोई गलत कदम न उठायें... साथ ही परिवार को चाहिए की बच्चे की कुंडली का विश्लेष्ण करा कर पता कर लें की कही बच्चा डिप्रेशन में तो नहीं. इसके लिए बच्चे की कुंडली का त्रितयेश अगर विपरीत हो जाए या क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत हो तो उन ग्रहों की शांति कराना चाहिए.
World is full of oppurtunities:
अगर आप गणित या विज्ञान में कमजोर हैं तो जरुरी नहीं की डॉक्टर या इंजिनिअर ही बने आज तो कुछ भी कर सकते है जिस दुनिया में हम जी रहे हैं आज आप interior decorator, fashion designer,chef actor,singer sportsman, blogger, choreographer, entrepreneur, networker और ना जाने क्या – क्या बन सकते हैं. क्या बन सकते हैं ये पता करने के लिए आप अपनी कुंडली को किसी विद्वान् ज्योतिष से दिखा कर पता करें की आप की किसमें सफलता के योग हैं उस दिशा में ही प्रयास करें.
जो होता है अच्छा होता है:
कई बार सफलता की शुरुआत असफलता के साथ होती है. इस बात में हमेशा यकीन करिए कि आपके साथ जो हो सकता है वही हो रहा है और अगर कुछ बुरा हुआ है तो वो भी आगे चल कर आपकी जिन्दगी से कुछ ऐसे जुड़ेगा जो उसे अच्छा साबित कर देगा. आगे बढ़ते हुए इन चीजों को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता पर जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तब समझ में आता है कि जो हुआ अच्छा हुआ.इसलिए दिल छोटा मत कीजिये. बस अपने प्रयास में इमानदार रहिये. और इसके लिए निरन्त प्रयास करते रहिये.
यह न देखें कि लोग क्या कहेंगे!!:
आप परीक्षा में कुछ कर पाएं या नहीं लेकिन ज़िन्दगी के इम्तहान में आप निश्चित रूप कुछ कर सकते हैं. इसलिए जीवन अनमोल है अपनी तैयारी करिए और आगे बढ़ते जाइये. लोग क्या कहते हैं उसे भूल जाईये क्योंकि लोगों का तो काम ही है कहना। असफल होकर जीवन से हार मानने की जगह अपनी कुंडली का विवेचन करिए और ईश्वर ने आपको जो करने भेजा है उस दिशा में आगे बढि़ए... प्रत्येक विद्यार्थी को प्रात:काल सूर्योदय के समय सूर्यनमस्कार करना चाहिए. सायंकाल को शनिमंत्र का जाप करना चाहिए एवं मनोबल बनाये रखने के लिए गणेश जी पूजा करनी चाहिए.