Saturday 30 May 2015

हाथ की रेखाओं से जाने अपना भाग्य

हस्त रेखा से भाग्य निर्माण के रहस्य और लाक्षणिक विज्ञान की झलक आपके हथेली में ही होती है, बूझें और सटीक सफतलाता सुनिश्चित करें।
ऐसा क्यूं होता है कि कभी-कभी अपने काम में जान तक झोंक देने वाले को सफलता नहीं मिलती और किसी-किसी को छोटी कोशिश से ही बुलंदियां मिल जाती हैं। क्यूं कोई मुकद्दर का सिकंदर कहलाता है और क्यूं कोई किस्मत का गरीब कहलाता है। क्यूं लोग भाग्यशाली या दुर्भाग्यशाली कहे जाते हैं। दरअसल ये सब हमारे हाथ की लकीरों में पहले से लिखा रहता है बस हमें उन लकीरों को फलित करना होता है याने उसके अनूरूप पुरूषार्थ करना होता है, सफलता खुद ही मिल जाती है।
हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं। स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का प्रतीक है। यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी प्रकार की रुकावट नही आती। परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है। कुछ लोगों के हाथ में जीवन रेखा एवं भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है। इस स्थिति में वह व्यक्ति असाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है। भाग्य रेखा की बनावट पर निर्भर करता है कि व्यक्ति भाग्यशाली है या दुर्भाग्यशाली। हथेली में मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है इसे ही भाग्यस्थान माना जाता है। हथेली में कहीं से भी चलकर जो रेखा इस स्थान तक पहुंचती है उसे भाग्य रेखा कहते हैं।
जिनकी हथेली में कलाई के पास से कोई रेखा सीधी चलकर शनि पर्वत पर पहुंचती है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत महत्वाकांक्षी और लक्ष्य पर केन्द्रित रहने वाला होता है। शनि पर्वत पर पहुंचकर रेखा अगर बंट जाए और गुरू पर्वत यानी तर्जनी उंगली के नीचे पहुंच जाए तो व्यक्ति दानी एवं परोपकारी होता है। यह उच्च पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। लेकिन इस रेखा को कोई अन्य रेखा काटती नहीं हो। जिस स्थान पर भाग्य रेखा कटी होती है जीवन के उस पड़ाव में व्यक्ति को संघर्ष और कष्ट का सामना करना पड़ता है। भाग्य रेखा लंबी होकर मध्यमा के किसी पोर तक पहुंच जाए तो परीश्रम करने के बावजूद सफलता उससे कोसों दूर रहती है।
अंगूठे के नीचे जीवन रेखा से घिरा होता शुक्र पर्वत, अगर इस स्थान से कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत पर पहुंचता है तो विवाह के बाद व्यक्ति को भाग्य का सहयोग मिलता है। ऐसा व्यक्ति किसी कला के माध्यम से प्रगति करता है। लेकिन इनके जीवन पर कई बार संकट के बादल मंडराते हैं क्योंकि भाग्य रेखा जीवनरेखा को काटकर आगे बढ़ती है। हथेली के मध्यम में मस्तिष्क रेखा से निकलकर कोई रेखा शनि पर्वत तक जाना बहुत ही उत्तम होता है। ऐसा व्यक्ति सामान्य परिवार में जन्म लेकर भी अपनी योग्यता और लगन से सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है। शनि पर्वत पर जाकर रेखा दो भागों में बंट जाना और भी उत्तम फलदायी होता है।
मध्यमा अंगुली के नीचे शनि पर्वत का स्थान है। यह पर्वत बहुत भाग्यशाली मनुष्यों के हाथों में ही विकसित अवस्था में देखा गया है। इस पर्वत के अभाव होने से मनुष्य अपने जीवन में अधिक सफलता या सम्मान नहीं प्राप्त कर पाता। मध्यमा अंगुली भाग्य की देवी है। भाग्यरेखा की समाप्ति प्राय: इसी अंगुली की मूल में होती है। पूर्ण विकसित शनि पर्वत वाला मनुष्य प्रबल भाग्यवान होता है।
ऐसे मनुष्य जीवन में अपने प्रयत्नों से बहुत अधिक उन्नति प्राप्त करते हैं शनि के क्षेत्र पर भाग्य रेखा कही जाने वाली शनि रेखा समाप्त होती है। भाग्य रेखा मणिबंद्ध से लेकर शनि पर्वत तक जाती हो, सभी ग्रह उन्नत हो या जीवन रेखा से शनि रेखाएं निकलती हों, तो आप भाग्यशाली बहुत बड़ी संपत्ति के मालिक बन सकते हैं। इस पर शनि वलय भी पायी जाती है और शुक्र वलय इस पर्वत को घेरती हुई निकलती है। इसके अतिरिक्त हृदय रेखा इसकी निचली सीमा को छूती हैं।
इन महत्वपूर्ण रेखाओं के अतिरिक्त इस पर्वत पर एक रेखा जहां सौभाग्य सूचक है। यदि रेखायें गुरु की पर्वत की ओर जा रही हों तो भाग्यशाली मनुष्य को सार्वजनिक मान-सम्मान प्राप्त होता है।
हस्तरेखा ज्योतिष में जितना महत्व रेखाओं तथा पर्वतों का है। उतना ही महत्व हाथों में बनने वाले छोटे-छोटे चिन्हों का भी है। इन भाग्यशाली चिन्हों मे से ही एक चिन्ह त्रिभुज का है, जो भाग्य पर विशेष प्रभाव डालती है। त्रिभुज हाथ में सपष्ट रेखाओं से मिलकर बना हो तो वह शुभ व फलदायी कहा जाता है। साथ ही हथेली में जितना बड़ा त्रिभुज होगा उतना ही लाभदायक होगा। बड़ा त्रिभुज व्यक्ति के विशाल हृदय का परिचायक है। हाथ में एक बड़े त्रिभुज में छोटा त्रिभुज बनता है तो भाग्यशाली व्यक्ति को निश्चय ही जीवन मे उच्च पद प्राप्त होता है। हथेली के मध्य बड़ा त्रिभुज हो तो वह व्यक्ति समाज में खुद अपनी पहचान बनाता है। ऐसा व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखने वाला व उन्नतशील होता है।
मोटी से पतली होती भाग्य रेखा और जीवन रेखा से दूर हो तो 25 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति भरपूर सुख और वैभव प्राप्त करता है। लेकिन यदि हृदय रेखा टूट जाए या उसकी एक मोटी शाखा मस्तिष्क रेखा पर आ जाए तो बनी बनाई संपत्ति भी नष्ट हो जाती है। हाथ में यदि जीवन रेखा गोल हो, शुक्र पर तिल हो और अंगुलिया सीधी हों अथवा आधार बराबर हों तो भाग्यशाली मनुष्य के भाग्य में निश्चित रूप से अथाह धन-संपत्ति का मालिक बनना तय होता है। भाग्य रेखा जीवन रेखा से दूर हो, चंद्र पर्वत पर ज्ञान रेखा मिले एवं शनि ग्रह उन्नत हो तो मनुष्य को देश-विदेश दोनों ही स्थानों से लाभ एवं धन अर्जन की स्थिति बनती है।
जिनकी भाग्य रेखाएं एक से अधिक होती हैं और सभी ग्रह पूर्ण विकसित नजर आते हैं, कहा जाता है ऐसे लोग करोड़पति होते हैं। जिनकी उंगलियां सीधी और पतली होती हैं तथा हृदय रेखा बृहस्पति से नीचे जाकर समाप्त नजर आए तो समझिए उस व्यक्ति को धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं होती। भाग्यरेखा जीवन रेखा से निकलती प्रतीत होती है और हथेली सॉफ्ट तथा पिंक हो तो ऐसे लोगों के नसीब में अथाह संपत्ति होता है।
जिन भाग्यशाली व्यक्ति के हाथ नरम होने के साथ-साथ भारी और चौड़े हों उन्हें धन की कभी कोई कमी नहीं होती। भाग्य रेखा अधिक होने के साथ-साथ शनि उत्तम हो और जीवन रेखा घुमावदार हो तो ऐसे व्यक्ति के पास धन-समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं होती। जिनके दाएं हाथ में बुध से निकलने वाली रेखा चंद्र के पर्वत से मिलती हुई नजर आती हो और जिनकी जीवनरेखा भी चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती हो, ऐसे जातकों का भाग्य अचानक मोड़ ले लेता है और उन्हें धन की प्राप्ति होती है। जब जीवन रेखा के साथ-साथ मंगल रेखा अंत तक नजर आए तो पैतृक संपत्ति से धन-संपत्ति प्राप्त होना है।
भाग्य रेखाएं एक से अधिक नजर आती हैं और उंगलियों के आधार एक समान हो तो समझिए उन भाग्यशाली व्यक्ति को कहीं से अनायास ही धन मिलने वाला है। भाग्य रेखा जीवन रेखा से दूर हो और चंद्र से निकलकर कोई पतली रेखा भाग्य रेखा में मिलती नजर आती हो और इसके अलावा चंद्र, भाग्य और मस्तिष्क रेखाएं ऐसी दिखे जिससे त्रिकोण बना नजर आए और ये सारी रेखाएं दोष रहित हों, उंगलियां सीधी और सभी ग्रह पूर्ण रूप से विकसित हो तो ऐसे लोगों को अकस्मात धन मिलता है। चंद्र के उभरे हुए भाग पर तारे का चिह्न है और जिनकी अंत:करण रेखा शनि के ग्रह पर ठहरती है, ऐसे भाग्यशाली व्यक्तियों को आकस्मिक लाभ मिलता है।
जिनके दाहिने हाथ की बुध से निकलने वाली रेखा चंद्र के पर्वत से जा मिलती है और जिनकी जीवन रेखा भी चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती है, ऐसे भाग्यशाली व्यक्तियों को अचानक भारी लाभ होता है।

Pt.P.S Tripathi
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