पूजा करते समय आप भगवान को फल-फूल और अक्षत यानी अखंडित चावल अर्पित करते होंगे। लेकिन क्या कभी सोचा है कि भगवान को अक्षत क्यों चढ़ाते हैं आखिर इसके पीछे क्या कारण है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चावल अन्य अनाजों की अपेक्षा अधिक शुद्घ होता है क्योंकि यह धान के अंदर बंद रहता। इसलिए यह पशु-पक्षियों द्वारा जूठा नहीं किया जाता। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान को वही चावल अर्पित करना चाहिए जो खंडित नहीं हो यानी अक्षत हो ताकि हम भगवान को यह बताएं कि हमारी भक्ति और आस्था में कहीं भी कोई खोट और कमी नहीं है और आप हमारी भक्ति को इसी रुप में स्वीकार करें।
इस रुप में हम भगवान से यह भी कामना करते हैं कि हमारी भक्ति कभी खंडित नहीं हो बल्कि दिनानुदिन बढ़ती जाए। अक्षत चढ़ाने से यह भी भाव प्रकट होता है कि हम जिस प्रकार आप पर पूर्ण श्रद्घा रखते हैं आप भी हम पर पूर्ण श्रद्धा रखें।
चावल अर्पित करने का धार्मिक ही नहीं अन्य कारण भी है
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि जो मुझे अर्पित किए बिना अन्न और धन का भोग करता है उसे चोर मानना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को परलोक में चोरी के अपराध के लिए दंडित किया जाता है। इसलिए अक्षत के रुप में चावल अर्पित करके भगवान से यह प्रार्थना की जाती है कि हम जो भी अन्न धन कमाते हैं या हमारे पास जो कुछ भी है वह आपको अर्पित है। ऐसा करके हम चोरी के अपराध से मुक्त हो जाते हैं।
एक अन्य कारण यह भी है कि शास्त्रों और पुराणों में बताया गया है कि अन्न और हवन यह दो साधन है जिनसे ईश्वर संतुष्ट होते हैं। मानव की तरह अन्न से देवता और पितर भी तृप्त होते हैं। इनकी तृप्ति से ही घर में खुशहाली और अन्न धन की वृद्घि होती है। इसलिए भगवान को अक्षत के रुप में अन्न अर्पित किया जाता है। इन धार्मिक कारणों के अलावा एक व्यवहारिक कारण भी जिससे भगवान को अक्षत अर्पित किया है। यह कारण है प्रकृति में सबसे पहले मनुष्य द्वारा चावल की ही खेती की गई थी। चावल ही सबसे पहला अन्न था इसलिए यह पवित्र और देवताओं को अर्पित करने योग्य माना जाता है।
इस रुप में हम भगवान से यह भी कामना करते हैं कि हमारी भक्ति कभी खंडित नहीं हो बल्कि दिनानुदिन बढ़ती जाए। अक्षत चढ़ाने से यह भी भाव प्रकट होता है कि हम जिस प्रकार आप पर पूर्ण श्रद्घा रखते हैं आप भी हम पर पूर्ण श्रद्धा रखें।
चावल अर्पित करने का धार्मिक ही नहीं अन्य कारण भी है
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि जो मुझे अर्पित किए बिना अन्न और धन का भोग करता है उसे चोर मानना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को परलोक में चोरी के अपराध के लिए दंडित किया जाता है। इसलिए अक्षत के रुप में चावल अर्पित करके भगवान से यह प्रार्थना की जाती है कि हम जो भी अन्न धन कमाते हैं या हमारे पास जो कुछ भी है वह आपको अर्पित है। ऐसा करके हम चोरी के अपराध से मुक्त हो जाते हैं।
एक अन्य कारण यह भी है कि शास्त्रों और पुराणों में बताया गया है कि अन्न और हवन यह दो साधन है जिनसे ईश्वर संतुष्ट होते हैं। मानव की तरह अन्न से देवता और पितर भी तृप्त होते हैं। इनकी तृप्ति से ही घर में खुशहाली और अन्न धन की वृद्घि होती है। इसलिए भगवान को अक्षत के रुप में अन्न अर्पित किया जाता है। इन धार्मिक कारणों के अलावा एक व्यवहारिक कारण भी जिससे भगवान को अक्षत अर्पित किया है। यह कारण है प्रकृति में सबसे पहले मनुष्य द्वारा चावल की ही खेती की गई थी। चावल ही सबसे पहला अन्न था इसलिए यह पवित्र और देवताओं को अर्पित करने योग्य माना जाता है।
Pt.P.S.Tripathi
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