Saturday 23 May 2015

वास्तुशास्त्र में क्यों है दर्पण का महत्व

वास्तुशास्त्र में दर्पण को उत्प्रेरक बताया गया है, जिसके द्वारा भवन में तरंगित ऊर्जा की सृष्टि सुखद अहसास कराती है। इसके उचित उपयोग द्वारा हम अनेक लाभजनक उपलब्धियां अर्जित कर सकते हैं। कैसे, आइए जानें-
*भवन* भवन में छोटी और संकुचित जगह पर दर्पण रखना चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है।
* दर्पण कहीं भी लगा हो, उसमें शुभ वस्तुओं का प्रतिबिंब होना चाहिए।
के पूर्व और उत्तर दिशा व ईशान कोण में दर्पण की उपस्थिति लाभदायक है।* दर्पण को खिड़की या दरवाजे की ओर देखता हुआ न लगाएं।
* आपका ड्राइंग रूम छोटा हो तो चारों दीवारों पर दर्पण के टाइल्स लगाएं, लगेगा नहीं कि आप अतिथियों के साथ छोटे कमरे में बैठे हैं।* कमरे में दीवारों पर आमने-सामने दर्पण लगाने से घर के सदस्यों में बेचैनी और उलझन होती है।
* दर्पण को मनमाने आकार में कटवाकर उपयोग में न लाएं।
* मकान का कोई हिस्सा असामान्य शेप का या अंधकारयुक्त हो वहां गोल दर्पण रखें।
यदि घर के बाहर इलेक्ट्रिकल पोल, ऊंची इमारतें, अवांछित पेड़ या नुकीले उभार हैं और आप उनका दबाव महसूस कर रहे हैं तो उनकी तरफ उत्तल दर्पण रखें।
* किसी भी दीवार में आईना लगाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि वह न एकदम नीचे हो और न अधिक ऊपर। अन्यथा परिवार के सदस्यों को सिरदर्द हो सकता है।
* यदि बेडरूम में ठीक बिस्तर के सामने दर्पण लगा रखा हो उसे फौरन हटा दें। यहां दर्पण की उपस्थिति वैवाहिक और पारस्परिक प्रेम को तबाह कर सकती है।
* मकान के ईशान कोण में उत्तर या पूर्व की दीवार पर स्थित वॉशबेसिन के ऊपर दर्पण भी लगाएं। यह शुभ फलदायक है।
* यदि आपके घर के दरवाजे तक सीधी सड़क आने के कारण द्वार वेध हो रहा है और दरवाजा हटाना संभव नहीं है तो दरवाजे पर 'पा कुआ' दर्पण लगा दें। यह शक्तिशाली प्रतीक है। अत: इसे लगाने में सावधानी रखना चाहिए। इसे किसी पड़ोसी के घर की ओर केंद्रित करके न लगाएं।
...यदि आप भी अपना वास्तुचेक कराना चाहे तो संपर्क करे.


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