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Monday 18 May 2015

आपका घर और ज्योतिष

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खुद बदलें अपनी रसोई---

पहले के समय में महिलाओं के गुणों को उसकी रसोई से आँका जाता था क्योंकि ज्यादातर महिलाएँ घर पर रहती थीं। भले ही आज महिलाएँ कामकाजी हैं फिर भी यह विचार आज भी मौजूद है। इसीलिए महिलाओं और रसोई के संबंध से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता। हर महिला रसोई अपनी सुविधा अनुसार रखना चाहती है। पहले के मुकाबले आजकल ज्यादातर रसोइयाँ छोटी होती हैं इसलिए हर तरह का सामान लगाना इसमें बहुत मुश्किल है। कई बार ट्रांसफर की वजह से हमें शिफ्टिंग करनी पड़ती है। हर जगह अच्छी व बड़ी रसोई मिले यह जरूरी नहीं इसीलिए अपनी रसोई के लिए कुछ ऐसे कैबिनेट बनवाएँ जो आसानी से फिट हो जाते हैं और शिफ्ट करते समय जिन्हें निकालने में दिक्कत भी नहीं होती। इससे आप कहीं भी रहें रसोई फैली नहीं लगेगी। और सामान रखने की जगह भी रहती है। साथ ही अपने कैबिनेट का लुक बदलने के लिए इसे पेंट वगैरह करवाती रहें। इससे आपको नयापन महसूस होगा। ऐसे ही कुछ छोटी-छोटी चीजों से आप अपनी रसोई को न केवल काम की बल्कि आकर्षक भी बना सकती हैं।

पार्टी के इंतजाम में रखें इन्‍हें याद...

1. अगर आपने पार्टी का समय 7 बजे रखा है तो अपने डेकोरेटर, केटरिंग वाले को कहें कि वे 7 बजे से पहले ही सब रेडी रखें। 2. आपके घर का फंक्शन है। सो, जाहिर है कि आप ज्यादा व्यस्त होंगे। ऐसे में किसी भरोसेमंद करीबी पर यह जिम्मेदारी डाल दें कि वह सारे इंतजाम समय से पहले और सही ढंग से करवाए। 3. पार्टी का समय होने से पहले वेटरों को बुलाकर समझाएँ कि वे स्नैक्स, ड्रिंक्स आदि को हॉल-पंडाल में हर जगह, हर किसी के पास लेकर जाएँ। यह न हो कि आगे की कुर्सियों पर बैठे लोग तो मजे लेकर खाते-पीते रहें और दूर बैठे मेहमान मुंह ताकते रहें। 4. डेकोरेशन वाले या घर के किसी आदमी को कह कर समय से पहले पूरे पंडाल, हॉल में किसी सोंधी खुशबू वाले फ्रेशनर का छिड़काव माहौल को खुशनुमा बनाएगा। 5. अगर पनीर टिक्का, तंदूरी चाट जैसे आइटम रखे गए हैं तो बार-बे-क्यू वाले से कहें कि वह पहले ही तैयारी करके बैठे क्योंकि ऐसे आइटम बनते देर में हैं मगर इनकी माँग ज्यादा रहती है।

ऐसा हो लॉकर रूम---

1. उत्तर दि‍शा लॉकर रूम के लि‍ए सबसे उपयुक्त दि‍शा है। उत्तर में यदि‍ कि‍सी वजह से लॉकर रूम नहीं बनाया जा सकता है तो इसे पूर्व में रखें। 2. कि‍सी वजनदार चीज के नीचे ति‍जोरी नहीं रखनी चाहि‍ए। 3. ति‍जोरी को कमरे के कि‍सी भी कोने में नहीं रखना चाहि‍ए। 4. ति‍जोरी कक्ष में कचरा न होने दें। ति‍जोरी कक्ष को हमेशा साफ-सुथरा होना चाहि‍ए। 5. सोना और चाँदी जैसी चीजें लॉकर के पश्चि‍मी या दक्षि‍णी साइड में रखना चाहि‍ए। 6. ति‍जोरी के सामने एक शीशा रखना चाहि‍ए जि‍समें ति‍जोरी का प्रति‍बिंब दि‍खाई दे। ऐसा कहा जाता है कि‍ इससे पैसा दुगुना होता है। 7. ति‍जोरी कक्ष में बहते हुए पानी के झरने का चि‍त्र या कोई शोपीस होना चाहि‍ए। इससे कक्ष में सकारात्‍मक ऊर्जा फैलती है और लक्ष्मी आती है।

प्रदूषण मुक्त हो आपका घर---

अक्सर हम सोच लेते हैं कि प्रदूषण सिर्फ बाहर होता है और घर के भीतर का वातावरण बिलकुल स्वच्छ होता है तो यह सोचना बिलकुल गलत है। घर को पॉल्यूशन फ्री बनाने के लिए कुछ बातों पर गौर करें तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। घर के भीतर हवा में भी धूलकण, केमिकल्स और विषाणु मौजूद होते हैं, जिनकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। अपने लिविंग रूम में ज्यादा पौधे न रखें क्योंकि यहाँ पूरा परिवार सबसे ज्यादा वक्त-बिताता है, इसलिए फर्नीचर और सोफे की नियमित रूप से डस्टिंग करें। अक्सर पेट्स परिवार के सदस्यों के साथ लिविंग रूम में ही रहना पसंद करते हैं। ऐसी स्थिति में पालतू जानवर की सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें, क्योंकि उनसे सबसे ज्यादा एलर्जी फैलती है। लिविंग रूम में ज्यादा पौधे न रखें, क्योंकि रात में जब घर बंद होता है तो इन पौधों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होगा।

कहाँ बनाएँ ओवरहैड टैंक---

1. घर में ओवरहैड टैंक का स्‍थान बहुत महत्‍वपूर्ण होता है इसलि‍ए जरूरी है कि‍ इसे वास्‍तु के अनुसार बनाया जाए। पानी की टंकी हमेशा पश्चि‍मी या दक्षि‍ण पश्चि‍म दि‍शा में होनी चाहि‍ए। 2. यदि‍ ओवरहैड टैंक दक्षि‍ण पश्चि‍म दि‍शा में बनाया गया है तो उसे दो फीट ऊँचे स्‍लैब या चबूतरे पर बनाना चाहि‍ए। 3. वैसे उत्तर पूर्व की दि‍शा पानी से संबंधि‍त है लेकि‍न फि‍र भी इस भाग में ओवरहैड टैंक नहीं बनाना चाहि‍ए क्‍योंकि‍ इस दि‍शा को वास्‍तु के अनुसार कि‍सी भी तरह भारी नहीं होना चाहि‍ए। हालाँकि‍ यहाँ एक छोटी पानी की टंकी रखी जा सकती है। 4. दक्षि‍ण पश्चि‍म दि‍शा में बनाया गया ओवरहैड टैंक अशुभ परि‍णाम देता है। इससे लक्ष्मी की हानि‍ और दुर्घटनाओं की संभावना बनती है। ओवरहैड टैंक का लीक करना भी अशुभफल देता है

आफिस बनाने से पहले ध्यान रखें वास्तुशास्त्र के नियम

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वास्तु सम्मत ऑफिस हो तो उसमें कार्य करने में मन लगता है और कार्य भी भली-भांति होता है। अपने ऑफिस को बनाते समय वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि वास्तु सम्मत ऑफिस में कार्य करने से सम्यक कार्य और सम्यक निर्णय लेने की शक्ति मिलती है जिससे उन्नति पथ प्रशस्त होता है। वास्तु सम्मत ऑफिस मे अधोलिखित नियमों का ध्यान रखना चाहिए- एक अच्छे आफिस में बैठते हुए यह ध्यान रखना आवश्यक हैं कि स्वामी की कुर्सी आफिस के दरवाजे के ठीक सामने ना हो। पीठ के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए। यह भी ध्यान रखे कि आफिस की कुर्सी पर बैठते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रहे। आपका टेलिफोन आपके सीधे हाथ की तरफ, दक्षिण या पूर्व दिशा में रहें तथा कम्प्यूटर भी आग्नेय कोण में (सीधे हाथ की तरफ) होना चाहिए। इसी प्रकार स्वागत कक्ष आग्नेय कोण मे होना चाहिए लेकिन स्वागतकर्ता (रिसेप्सनिष्ट) का मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए जिससे गलतियां कम होगी। ऑफिस में पूजा स्थल ईशान कोण में होना चाहिए परन्तु इस स्थान पर एक गमला अवश्‍य रखें जिससे ऑफिस की शोभा बढ़ेगी। फॉईल या किताबों की रेक वायव्य या पश्चिम में रखना हितकारी होगा। परन्तु पूरब की तरफ मुंह करके बैठते समय अपने उल्टे हाथ की तरफ कैश बॉक्स(धन रखने की जगह) बनाए इससे धनवृद्धि होगी। उत्तर दिशा में पानी का स्थान बनाए। पश्चिम दिशा में प्रमाण पत्र, शील्ड व मेडल तथा अन्य प्राप्त पुरस्कार को सजा कर रखें। ऐसा करने से आपका आफिस निश्चित रूप से वास्तु संम्मत कहलाएगा व आपको शांति व संमृद्धि देने के साथ साथ आपकी उन्नति में भी सहायक होगा। विभिन्न कार्यालयों हेतु शुभ रंग ऑफिस में इंटीरीयर कराते समय रंगों का भी ध्यान रखना चाहिए। रंग भी तन व मन पर विशेष प्रभाव डालते हैं। किसी डॉक्टर के क्लिनिक में स्वयं का चैम्बर सफेद या हल्के हरे रंग का होना चाहिए। किसी वकील का सलाह कक्ष काला, सफेद अथवा नीले रंग का होना चाहिए। किसी चार्टर्ड एकाउन्टेंट का चैम्बर सफेद एवं हल्के पीले रंग का हो सकता हैं। किसी ऐजन्ट का कार्यालय गहरे हरे रंग का हो सकता हैं। जीवन को समृद्धशाली बनाने के लिए व्यवसाय की सफलता महत्वपूर्ण हैं इसके लिए कार्यालय को वास्तु सम्मत बनाने के साथ साथ विभिन्न रंगों का उपयोग लाभदायक सिद्ध हो सकता हैं। वास्तु सम्मत ऑफिस उन्नतिकारी होता है। आप भी अपना ऑफिस वास्तु द्वारा निर्मित करके लाभ उठा सकते हैं।

हस्तरेखा और रिश्तों में प्यार

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अधिकतर लोगों के मुँह से यह सुनने में आता है कि हमारे तो गुण मिल गए थे परन्तु हमारे (पति-पत्नि) विचार नहीं मिल रहे हैं या हम लोगों ने एक-दूसरे को देखकर समझ-बूझकर शादी की थी। परन्तु बाद में दोनों में झगड़े बहुत होने लगे हैं। आप हस्तरेखा के द्वारा होने वाले धोखे, मंगेतर के बारे में या प्रेमी-प्रेमिका के बारे में जान सकते हैं।

किसी भी स्त्री या पुरुष के प्रेम के बारे में पता लगाने के लिए उस जातक के मुख्य रूप से शुक्र पर्वत, हृदय रेखा, विवाह रेखा को विशेष रूप से देखा जाता है। इन्हें देखकर किसी भी व्यक्ति या स्त्री का चरित्र या स्वभाव जाना जा सकता है।

शुक्र क्षेत्र की स्थिति अँगूठे के निचले भाग में होती है। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुक्र पर्वत अधिक उठा हुआ होता है। उन व्यक्तियों का स्वभाव विपरीत सेक्स के प्रति तीव्र आकर्षण रखने वाला तथा वासनात्मक प्रेम की ओर झुकाव वाला होता है। यदि किसी स्त्री या पुरुष के हाथ में पहला पोरू बहुत छोटा हो और मस्तिष्क रेखा न हो तो वह जातक बहुत वासनात्मक होता है। वह विपरीत सेक्स के देखते ही अपने मन पर काबू नहीं रख पाता है।

अच्छे शुक्र क्षेत्र वाले व्यक्ति के अँगूठे का पहला पोरू बलिष्ठ हो और मस्तक रेखा लम्बी हो तो ऐसा व्यक्ति संयमी होता है। यदि किसी स्त्री के हाथ में शुक्र का क्षेत्र अधिक उन्नत हो तथा मस्तक रेखा कमजोर और छोटी हो तथा अँगूठे का पहला पर्व छोटा, पतला और कमजोर हो, हृदय रेखा पर द्वीप के चिह्न हों तथा सूर्य और बृहस्पति का क्षेत्र दबा हुआ हो तो वह शीघ्र ही व्याकियारीणी हो जाती है।
यदि किसी पुरुष के दाएँ हाथ में हृदय रेखा गुरू पर्वत तक सीधी जा रही है तथा शुक्र पर्वत अच्छा उठा हुआ है तो वह पुरुष अच्छा व उदार प्रेमी साबित होता है। परन्तु यदि यही दशा स्त्री के हाथ में होती है तथा उसकी तर्जनी अँगुली अनामिका से बड़ी होती है तो वह प्रेम के मामले में वफादार नहीं होती है।

यदि हथेली में विवाह रेखा एवं कनिष्ठा अँगुली के मध्य में दो-तीन स्पष्ट रेखाएँ हो तो उस स्त्री या पुरुष के उतने ही प्रेम संबंध होते हैं।

यदि किसी पुरुष की केवल एक ही रेखा हो और वह स्पष्ट तथा अन्त तक गहरी हो तो ऐसा जातक एक पत्निव्रता होता है और वह अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम भी करता है। जैसा कि बताया गया है कि विवाह रेखा अपने उद्गम स्थान पर गहरी तथा चौड़ी हो, परन्तु आगे चलकर पतली हो गई हो तो यह समझना चाहिए कि जातक या जातिका प्रारम्भ में अपनी पत्नि या पति से अधिक प्रेम करती है, परन्तु बाद में चल कर उस प्रेम में कमी आ गई है।

नया मकान बनाने से पहले ध्यान रखें कुछ खास बातें

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नए भवन के निर्माण कराते समय आप अपने शहर के किसी अच्छे वास्तु के जानकार से सलाह अवश्य लें। वास्तु का प्रभाव भवन के रहने वाले व्यक्तियों पर अवश्य पढ़ता है। परंतु इसके साथ-साथ व्यक्ति विशेष के ग्रह योग भी वास्तु के प्रभाव को घटाते-बढ़ाते हैं। हो सकता है कि एक व्यक्ति को कोई विशेष स्थान तकलीफ न दे पर वही स्थान दूसरे व्यक्ति को अत्यंत तकलीफदायक हो।

नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें..

- भवन के लिए चयन किए जाने वाले प्लॉट की चारों भुजा राइट एगिंल (90 डिग्री अंश कोण) में हों। कम ज्यादा भुजा वाले प्लॉट अच्छे नहीं होते।

- प्लाट जहाँ तक संभव हो उत्तरमुखी या पूर्वमुखी ही लें। ये दिशाएँ शुभ होती हैं और यदि किसी प्लॉट पर ये दोनों दिशा (उत्तर और पूर्व) खुली हुई हों तो वह प्लॉट दिशा के हिसाब से सर्वोत्तम होता है।
- प्लॉट के पूर्व व उत्तर की ओर नीचा और पश्चिम तथा दक्षिण की ओर ऊँचा होना शुभ होता है।

- प्लाट के एकदम लगे हुए, नजदीक मंदिर, मस्जिद, चौराह, पीपल, वटवृक्ष, सचिव और धूर्त का निवास कष्टप्रद होता है।

- पूर्व से पश्चिम की ओर लंबा प्लॉट सूर्यवेधी होता है जो कि शुभ होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर लंबा प्लॉट चंद्र भेदी होता है जो ज्यादा शुभ होता है ओर धन वृद्धि करने वाला होता है।

- प्लॉट के दक्षिण दिशा की ओर जल स्रोत हो तो अशुभ माना गया है। इसी के विपरीत जिस प्लॉट के उत्तर दिशा की ओर जल स्रोत (नदी, तालाब, कुआँ, जलकुंड) हो तो शुभ होता है।

- जो प्लॉट त्रिकोण आकार का हो, उस पर निर्माण कराना हानिकारक होता है।

- भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए।

- भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्या काल और मध्य रात्रि में नींव न रखें।

- नए भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, मिट्टी ओर लकड़ी नई ही उपयोग करना। एक मकान की निकली सामग्री नए मकान में लगाना हानिकारक होता है।

- भवन का मुख्य द्वार सिर्फ एक होना चाहिए तो उत्तर मुखी सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्व मुखी भी अच्छा होता है। मुख्य द्वार की चौखट चार लकड़ी की एवं दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।

- भवन के दरवाजे अपने आप खुलने या अपने आप बंद न होते हों यह भी ध्यान रखना चाहिए। दरवाजों को खोलने या बंद करते समय आवाज होना अशुभ माना गया है।

- भवन में सीढ़ियाँ वास्तु नियम के अनुरूप बनानी चाहिए, सीढ़ियाँ विषम संख्या (5,7, 9) में होनी चाहिए।

नक्षत्रों का स्वाभाव और क्या करें


नक्षत्र संख्‍या में 27 हैं और एक राशि ढाई नक्षत्र से बनती है। नक्षत्र भी जातक का स्वभाव निर्धारित करते हैं-----------

1. अश्विनी : बौद्धिक प्रगल्भता, संचालन शक्ति, चंचलता व चपलता इस जातक की विशेषता होती है।
इस नक्षत्र में वाहन खरीदना,यात्रा,शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से सुख की प्राप्ति और शुभता में वृद्धि होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- गुड और बिल्वफल/ बिल्वपत्र ;
इसमें स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य और स्थिरता वाले कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- आलू,सीताफल, उड़द ,जो, गुड का मालपुआ,.....
इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे.......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए-मुली,मोगरी,इलायची,घी,हरे मुंग,कंदमूल,शक्करकंद,

2. भरणी : स्वार्थी वृत्ति, स्वकेंद्रित होना व स्वतंत्र निर्णय लेने में समर्थ न होना इस नक्षत्र के जातकों में दिखाई देता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से परेशानी में वृद्धि होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- अग्नि, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का
इसमें स्त्री और मित्र से सम्बंधित कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- तिल, तिल का तेल, चांवल .....
इस नक्षत्र में इलायची का सेवन लाभकारी होता हे.......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - दही, घी,आंवला, केसर,

3. कृतिका : अति साहस, आक्रामकता, स्वकेंद्रित, व अहंकारी होना इस नक्षत्र के जातकों का स्वभाव है। इन्हें शस्त्र, अग्नि और वाहन से भय होता है।
इस नक्षत्र में कुंवा, तालाब खुदवाना, गणित-ज्योतिष कार्य,वस्त्र सिलवाना, शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से उस वस्त्र के फटने या दाग लगने की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, द्वार, छत ,व्यापार,
दान करें- नमक का,
इसमें खुदाई, बिज रोपण (धान्य बुवाई ),जमीन,मकान(गृह) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे....... दही, खीर, घी,उड़द,मिश्री,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - निम्बू, खीर, चांवल,तिल, हरी सब्जी,

4. रोहिणी : प्रसन्न भाव, कलाप्रियता, मन की स्वच्छता व उच्च अभिरुचि इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में राज्याभिषेक,मकान बनवाना,प्रथम व्यापार, शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, सजावट, श्रंगार, लकड़ी, छत ,अग्नि,
दान करें- तिल का,
इसमें व्यापार और हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी, हरे मुंग का सेवन लाभकारी होता हे......सिंघाड़ा,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - खीर, आलू, आम, सीताफल,

5. मृगराशि : बु्द्धिवादी व भोगवादी का समन्वय, तीव्र बुद्धि होने पर भी उसका उपयोग सही स्थान पर न होना इस नक्षत्र की विशेषता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, वाहन,वस्त्र और गहने खरीदना,शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से वस्त्र फटने की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- पानी, गृह, सजावट, श्रंगार,
दान करें- तिल का,
इसमें हमेशा स्थिर रहने वाले ( कंट्रोल ) और कल्याणकारी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में इलायची और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -करेला, कंदमूल, मुंग की दाल ,शकरकंद,निम्बू, सुगन्धित जल,

6. आर्द्रा : ये जातक गुस्सैल होते हैं। निर्णय लेते समय द्विधा मन:स्थिति होती है, संशयी स्वभाव भी होता है
इस नक्षत्र में मकान बनवाना और राज्याभिषेक शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से स्वास्थ्य कमजोर संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,गृह,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें हमेशा मित्र और स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और आम का सेवन लाभकारी होता हे......
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आंवला,तुरई, सिंघाड़ा, स्वादिष्ट और भरपेट भोजन

7. पुनर्वसु : आदर्शवादी, सहयोग करने वाले व शांत स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। आध्‍यात्म में गहरी रुचि होती है।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,यात्रा, वाहन खरीदना,वस्त्र, सम्रद्धि के कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से धन-धान्य और कार्य में सफलता की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,
दान करें- तिल का,गुड का
इसमें जमीन खरीदना और बिज(धन्य) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मीठी खीर, घी और कस्तूरी का सेवन लाभकारी होता हे......हरी सब्जी भी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मोगरी, लहसुन, मुली, करेला

8. अश्लेषा : जिद्‍दी व एक हद तक‍ अविचारी भी होते हैं। सहज विश्वास नहीं करते व 'आ बैल मुझे मार' की तर्ज पर स्वयं संकट बुला लेते हैं।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- नमक और गुड का....
इसमें पूजा,दान,ब्राह्मन,भोजन सम्बन्धी और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;

नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर,गुड,कमलगट्टा, शक्कर का सेवन लाभकारी होता हे....कंदमूल-शक्करकंद....,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सीताफल,मिश्री,आम,सुगन्धित जल

9. मघा : स्वाभिमानी, स्वावलंबी, उच्च महत्वाकांक्षी व सहज नेतृत्व के गुण इन जातकों का स्वभाव होता है।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल और गुड का....
इसमें स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में केसर का सेवन लाभकारी होता हे....मुली, मोगरी,
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आलू, कमलगट्टा,सीताफल,खीर,चांवल,तिल

10. पूर्वा फाल्गुनी : श्रद्धालु, कलाप्रिय, रसिक वृत्ति व शौकीन होते हैं। ।
इस नक्षत्र में गणित,ज्योतिष,खुदाई के कार्य-कुंवा-तालाब-बावड़ी जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी ( स्वास्थ्य हानी )की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, पानी, द्वार,गृह,छत ,सजावट, अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,
दान करें- तिल,नमक और गुड का....
इसमें स्थिर( कंट्रोल), कल्याणकारक सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे;
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द, इलायची का सेवन लाभकारी होता हे....आंवला
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सीताफल,आलू,खीर,तिल,खीर..

11. उत्तरा फल्गुमी :---- ये संतुलित स्वभाव वाले होते हैं। व्यवहारशील व अत्यंत परिश्रमी होते हैं।
इस नक्षत्र में मकान बनवाना,मंदिर निर्माण,राज्याभिषेक जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से धन लाभ की संभावना होती हे...
इस नक्षत्र में ध्यान रखें- व्यापार, द्वार,गृह,छत,अग्नि, लकड़ी,श्रंगार,सजावट......
दान करें- नमक का....
इसमें दान, भोजन, पूजा, ब्रह्मण कार्यो को प्राथमिकता देवे; स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आलू,उड़द,लहसुन का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए -खीर, निम्बू, दही, घी, सुगन्धित जल........
12. चित्रा : लिखने-पढ़ने में रुचि, शौकीन मिजाजी, भिन्न लिंगी व्यक्तियों का आकर्षण इन जातकों में झलकता है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी--जेसे---मकान, गहने,वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण शुभ रहता हे..........
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट......
दान करें- तिल का....
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; व्यापार, जमीं खोदना, बीजारोपण सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मिंग की दल, कंदमूल, शक्करकंद...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - करेला, कस्तूरी, मुली, मोगरी, इलायची.........
.13. स्वा‍ति : समतोल प्रकृति, मन पर नियंत्रण, समाधानी वृत्ति व दुख सहने व पचाने की क्षमता इनका स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीददारी--जेसे---वाहन,वस्त्र खरीदना जेसे कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से अर्थ लाभ, और मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे.............
ध्यान रखें- द्वार,गृह,छत,लकड़ी,श्रंगार,सजावट......
दान करें- तिल का...गुड का.....
इसमें व्यापर, हमेशा स्थिर कार्यो को प्राथमिकता देवे; हेल्दी,कल्याणकारक... सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में आम,केला, तुरई ...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - हरे मुंग, मक्खन , कंदमूल ,घी,शक्करकंद...............
14. विशाखा : स्वार्थी, जिद्‍दी, हेकड़ीखोर व्यक्ति होते हैं। हर तरह से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं।।
इस नक्षत्र में गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-( कुवां, तालाब, ), हवन ,संग्रह, वस्त्र सम्बन्धी कार्य शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से मन-सम्मान और दबदबा बढ़ने की संभावना हे.............
ध्यान रखें- द्वार,गृह,श्रंगार,सजावट......
दान करें- ..गुड का.....
इस नक्षत्र में दान,पूजा, ब्राह्मन कर्म भोजन जेसे कार्यो को प्राथमिकता देवे; मित्र और स्त्री ...सम्बन्धी कार्य.......
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में हरी सब्जी , आंवले की सब्जी , करेला ...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - घी,शक्करकंद, दही, मिश्री, कंदमूल, मीठी खीर मिश्रित धान्य .........
15. अनुराधा : कुटुंबवत्सल, श्रृंगार प्रिय, मधुरवाणी, सन्मार्गी, शौकीन होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी सम्बन्धी कार्य जेसे- वाहन,वस्त्र, गहने की ...शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से मित्र से मुलाकात की संभावना हे.............
ध्यान रखें- --- द्वार,श्रंगार,सजावट...अग्नि......
दान करें- ..नमक का ....
इस नक्षत्र में मित्र और स्त्री ...सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दाख( किशमिश )मिश्रित धान्य, भरपेट स्वादिष्ट भोजन ..का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मीठी खीर,तिल, चांवल, कमलगट्टा की और हरी सब्जी ............
16. ज्येष्ठा : स्वभाव निर्मल, खुशमिजाज मगर शत्रुता को न भूलने वाले, छिपकर वार करने वाले होते हैं।
इस नक्षत्र में यात्रा, खरीद दरी जेसे- वाहन की ...शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से मन विचलित रहने की संभावना हे.............
ध्यान रखें- --- द्वार,श्रंगार,सजावट...अग्नि......
दान करें- ..नमक का ...गुड का......
इस नक्षत्र में स्थिरता .सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कंदमूल, शक्करकंद, कद्दू, मिश्री ..का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मीठी खीर,आम, आलू,सीताफल, कमलगट्टा .........
17. मूल : प्रारंभिक जीवन कष्टकर, परिवार से दुखी, राजकारण में यश, कलाप्रेमी-कलाकार होते हैं।
इस नक्षत्र में ...गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब....शुभ हे....
नए वस्त्र धारण से कलह रहने या पानी में डूबने की आशंका हे.............
ध्यान रखें- --- द्वार,.अग्नि......
दान करें- ..नमक का ...गुड का......तिल का...
इस नक्षत्र में दान,पूजा, भोजन, ब्राहम्ण सम्बन्धी और मित्र व् स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मुली, मोगरी, आलू, सीताफल, .का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मुंग की दाल, केसर, घी, मीठी खीर, सुगन्धित जल..........
18. पूर्वाषाढ़ा : शांत, धीमी गति वाले, समाधानी व ऐश्वर्य प्रिय व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में ...गणित, ज्योतिष, खुदाई कार्य-कुंवा,तालाब....शुभ हे....शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक बीमारी/ रोग की आशंका हे.............
ध्यान रखें- ---अग्नि......
दान करें- ..नमक का ...गुड का......तिल का...
इस नक्षत्र में जमीं खुदाई, गृह, कल्याण करक.. कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, आंवला, मिश्री....तिल, चांवल...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सिंघाड़ा, इलायची, मक्खन, भरपेट स्वादिष्ट भोजन .........
19 -. उत्तराषाढ़ा : विनयशील, बुद्धिमान, आध्यात्म में रूचि वाले होते हैं। सबको साथ लेकर चलते हैं।
इस नक्षत्र में ...मंदिर, मकान, बनाना ..शुभ हे...राज्याभिषेक और सर्प कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से मीठा भोजन प्राप्ति की संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी, राजपाट, श्रंगार का......
दान करें- ......तिल का...
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), जमीन खुदाई और व्यापारिक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में निम्बू, मिश्री..बिल्वपत्र ..घी, दहीं, खीर ...का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - करेला, इलायची, कस्तूरी, लहसुन ......
20. श्रवण : सन्मार्गी, श्रद्धालु, परोपकारी, कतृत्ववान होना इन जातकों का स्वभाव है।
इस नक्षत्र में ...मकान बनाना ..शुभ हे...विजय, राज्याभिषेक और शत्रु नाशक कार्य से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से नेत्र रोग की संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी का......
दान करें- ......तिल का...नमक का...
इस नक्षत्र में स्थिर ( कंट्रोल), कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दूध, खीर, खांड, घी, हरे मुंग .का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - सिंघाड़ा, शक्करकंद, कंदमूल,दहीं .......
21. धनिष्ठा : गुस्सैल, कटुभाषी व असंयमी होते हैं। हर वक्त अहंकार आड़े आता है।
इस नक्षत्र में ...मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से आर्थिक लाभ की संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का......
दान करें- ......नमक का...
इस नक्षत्र मेंदान, भोजन, पूजा ब्रह्मण कार्य और मित्र तथ स्त्री सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में कस्तूरी, इलायची, मुंग, चांवल. करेला, कंदमूल, शक्करकंद का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - हरी सब्जी, मुंग की दल, खीर ....
22. शतभिषा :- रसिक मिजाज, व्यसनाधीनता व कामवासना की ओर अधिक झुकाव होता है। समयानुसार आचरण नहीं करते।
इस नक्षत्र में ...मकान बनाना ..शुभ हे..राज्याभिषेक से .शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे...............
ध्यान रखें- ---पानी,श्रंगार, सजावट, लकड़ी , द्वार,का......
दान करें- ......नमक का..तिल का.....
इस नक्षत्र में जमीं खरीदना, गृह/ कल्याण करक कार्य और धान्य( बीजारोपण ) सम्बन्धी कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में मक्खन और तुरई , तुम्बे के बीज का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आम, खीर ...
23. पूर्व भाद्रपद : बुद्धिमान, जोड़-तोड़ में निपुण, संशोधक वृत्ति, समय के साथ चलने में कुशल होते हैं।
इस नक्षत्र में ...ज्योतिष, गणित, खुदाई कार्य- तालाब, कुंवा से शीघ्र लाभ
नए वस्त्र धारण से अशुभ सूचना की आशंका/संभावना हे...जल स्रोत से खतरा--- तालाब, कुंवा, नदी, ............
ध्यान रखें- ---व्यापर, द्वार, लकड़ी, ......
दान करें- ......नमक का....
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, गृह निर्माण / विकास, स्थिर और कल्याणकारी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, करेला, का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - हरी सब्जी, मुंग की दाल, नींबू, ..घी, मीठी खीर ,
24. उत्तरा भाद्रपद : मोहक चेहरा, बातचीत में कुशल, चंचल व दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।
इस नक्षत्र में ...मकान, मंदिर निर्माण, राज्याभिषेक, स्थिर और सर्वकार्य से लाभ
नए वस्त्र धारण से पुत्र लाभ .....
ध्यान रखें- ---व्यापर, द्वार, लकड़ी, ......
दान करें- ......नमक का....
इस नक्षत्र में पूजा पाठ, दान, भोजन ,ब्रह्मण कर्म. स्त्री और मित्र सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....कपूर का प्रयोग करें....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, उड़द का बड़ा, स्वादिष्ट भरपेट भोजन का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आंवला, सिंघाड़ा, मक्खन, मिश्रित धान्य , ..
25. रेवती : सत्यवादी, निरपेक्ष, विवेकवान होते हैं। सतत जन कल्याण करने का ध्यास इनमें होता है
इस नक्षत्र में ...यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ
नए वस्त्र धारण से अचानक धन / अर्थ लाभ ...
ध्यान रखें- ---व्यापार, द्वार, लकड़ी, ......
दान करें- ......गुड का....
इस नक्षत्र में व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में दही, कमलगट्टा और सुगन्धित जल का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - मुली, मोगरी, इलायची, लहसुन, कंदमूल, शक्करकंद, कस्तूरी...
26 --. हस्त : कल्पनाशील, संवेदनशील, सुखी, समाधानी व सन्मार्गी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेते हैं।
इस नक्षत्र में ...यात्रा, वाहन खरीद दरी से लाभ , मकान बनवाना, वस्त्र और सम्रद्धि के कार्य
नए वस्त्र धारण से ...कार्य में सफलता प्राप्त होती हे....
ध्यान रखें- ---अग्नि. द्वार., सजावट,..श्रंगार........
दान करें- ......गुड का....नमक का....
इस नक्षत्र में ------व्यापर, स्थिर कार्य , जमीन खुदाई और बीज रोपण सम्बन्धी कार्य को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में घी , हरे मुंग का, सिंघाड़ा का सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - आंवला, मक्खन, खीर, भरपेट स्वादिष्ट भोजन.....
27. पुष्य : सन्मर्गी, दानप्रिय, बुद्धिमान व दानी होते हैं। समाज में पहचान बनाते हैं।
इस नक्षत्र में ...मकान बनवाना, वस्त्र और गहने बनवाना, राज्याभिषेक करवाना..जेसे कार्य करवाना और सम्रद्धि के कार्य करवाना चाहिए...
नए वस्त्र धारण से ...इच्छाओ की पूर्ति और ..अर्थ लाभ की प्राप्ति होती हे.....
ध्यान रखें- ---जल, द्वार., व्यापर, लकड़ी, चोखट, छत ...
दान करें- ........नमक का....
इस नक्षत्र में ------व्यापर, स्थिर कार्य , कल्याण कारक कार्यो को प्राथमिकता देवे; ....
नक्षत्र भोजन- इस नक्षत्र में खीर, दूध ,मिश्र धन्य का भोजन / सेवन लाभकारी होता हे....
इस नक्षत्र में निम्न वस्तु नहीं खानी चाहिए - भरपेट स्वादिष्ट भोजन.., इलायची, कंदमूल, शक्करकंद, तुरई, ...

कीजिए असंभव को संभव:कैसे जानें ज्योतिष से

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कीजिए असंभव को संभव:कैसे जानें ज्योतिष से
इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि 'असंभव' शब्द केवल शब्दकोश में पाया जाता है, वास्तविक जीवन में इसका कोई मतलब नहीं होता। कभी-कभी किसी व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि यह दिया गया कार्य उसके बूते से बाहर की बात है, लेकिन वही कार्य वह किसी दूसरे समय में जाकर आसानी से पूरा कर लेता है। यह इस बात की ओर इंगित करता है कि हमारी जरूरत और ईमानदारी से की गई कोशिश ने असंभव को संभव में बदल दिया। जिंदगी में इच्छा का होना ऐसा बल है जो हमें किसी भी चीज को हासिल करने में मदद करता है। केवल उस चीज की इच्छा का होना ही काफी नहीं, उसे पाने का जुनून हमारे भीतर होना चाहिए। हम जब कुछ पाना चाहते हैं, लेकिन उसमें सफल नहीं होते तो असफलता के लिए कई सारे बहाने ढूंढ निकालते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम अपनी असफलता का विश्लेषण करने में अक्षम हैं और विजेता की कोशिशों का सम्मान करते हैं। केवल यही नहीं, हम इसके लिए अपने भाग्य को भी कोसने से नहीं चूकते, परंतु हम यह भूल जाते हैं कि भाग्य और नियति उन्हीं की मदद करते हैं जिनमें कुछ करने की इच्छा है। 'मेट्रो मैन' के तौर पर पहचाने जाने वाले ई. श्रीधरन महज एक दिन, महीना या साल में इतनी बड़ी शख्सियत नहीं बने हैं। बल्कि 'कोंकण रेल परियोजना' के मास्टर माइंड यही हैं और इसके पूरा होने तक वह इसके साथ निष्ठा से जुड़े रहे थे। इसे उन्होंने एक चुनौती के रूप में लिया। उन्हें खुद को साबित करने का एक अवसर मिला था, जिसका उन्होंने बेहतर सदुपयोग किया। आपको यह याद होना चाहिए कि रेलवे के पास लाखों इंजीनियर हैं, लेकिन श्रीधरन ने खुद को औरों से अलग साबित किया। मौका मिलने पर आपको कुछ कर दिखाना होगा। श्रीधरन ने कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट पर ही अपनी दक्षता नहीं साबित की, बल्कि इससे पहले भी वह जिस पद पर थे, उसे उन्होंने निष्ठा से निभाया था। आपको किसी चमत्कार का इंतजार करने की बजाय परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाना होगा। ज्यादातर लोगों की सोच होती है कि वर्तमान में जो करने के लिए उनके सामने है, वह उनकी इच्छा और योग्यताओं के मुताबिक नहीं है और वह कुछ विशेष होने का इंतजार करते हैं, लेकिन वह दिन कभी नहीं आता। हमें बचपन से ही यह बताया गया है कि जीवन गुलाब के फूलों की सेज नहीं है। मुझे आज तक इस मुहावरे का मतलब समझ में नहीं आया, क्योंकि मैंने एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक से अपने कॅरियर की शुरुआत की और आज मैं एक नहीं, तकरीबन 15-16 बड़े संगठनों को एक साथ संचालित कर रहा हूं। जब मैं प्राइमरी शिक्षक था, तब भी लोग मुझे जानते थे और आज भी। बस फर्क पड़ा है तो महज इतना कि मुझे जानने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। मैं जहां भी होता हूं, सर्वोत्तम करने की चाहत रखता हूं। दूसरों के संदर्भ में आपको अपनी परिस्थिति में फर्क पैदा करना होगा, तब चीजें बेहतर होंगी। इसके लिए आप समय का इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि जिंदगी आपको ज्यादा समय नहीं देगी।
जब आप कुछ पाना शुरू कर देंगे तो आपको महसूस होगा कि आपने जिंदगी का बहुत सारा कीमती वक्त गंवा दिया, लेकिन तब पछताने के सिवा कुछ नहीं किया जा सकता। एक सफल व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति के बीच जो फर्क है वह शक्ति और ज्ञान का नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति का होता है। अगर आप विजेता बनना चाहते हैं तो कहीं से भी बस शुरुआत भर करने की जरूरत है। आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि जो लोग कुछ करते रहते हैं, वे स्वयं क्रियाशीलता से जिंदगी को पूर्ण आनंद के साथ जीते हैं। जहां से भी आपको उचित लगता हो, शुरू कर दीजिए और किसी इंतजार में मत रहिए कि अवसर मिलेगा, तब काम शुरू करेंगे। एक बार आपने सर्वोत्तम देना शुरू किया तो, सच मानिए कि आपकी चाहत आप से दूर नहीं। जिंदगी में उन्हीं को इनाम मिलता है जो अपना कार्य खुद करते हुए स्वयं पर यकीन करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि आपसे कमतर लोग आपसे आगे बढ़ जाते हैं, इससे दु:खी होने की जरूरत नहीं। बिना योग्यता और पूर्ण दक्षता के वे बहुत आगे तक नहीं जा सकते और अगर वे जाते हैं तो इसका मतलब है कि उनमें योग्यता है। आपको इन सब में नहीं उलझना चाहिए और बेहतर तरीके से अपना काम निबटाना चाहिए, जो आपको सफलता की ओर ले जाएगा। न्यूटन की गति के द्वितीय नियम को याद कीजिए, बिना किसी बाहरी बल के कोई वस्तु इधर-उधर नहीं हो सकती है। बाहरी बल लगाने पर कोई वस्तु क्रियाशील होती है, पर वह बल लगाना खत्म होने पर फिर से अपनी जगह वापस हो जाता है। ऐसा जड़त्व की वजह से होता है। हमारी जिंदगी में भी जड़त्व समा चुका है जो हमें आगे बढ़ने से रोकता है। अपने मूल्य को आप पहचानें, केवल खुद को जानिए और बाकी सब चीजों को भुला दीजिए। जिंदगी वास्तव में फूलों की सेज है, लेकिन इसके लिए गुलाब आपको खुद ही चुनने होंगे। संभवत: गुलाब के फूल को तोड़ते वक्त आपको उसका कांटा चुभ सकता है और खून भी निकल सकता है, लेकिन वह अस्थायी होगा और फूलों की सेज पर सोना उससे ज्यादा आनंददायक होगा। जिस तरह फूल चुनने में आप कांटों का सामना करते हैं, उसी तरह से जिंदगी में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। भौतिक सुख देने वाले साधन अस्थायी होते हैं, इसलिए हमेशा ऐसे साधनों की तलाश कीजिए जो आपको विजेता बना सकें। मेरा विश्वास है कि अगर आप जिंदगी में आने वाली मुश्किलों से निबटते जाएंगे तो आप मजबूत बनेंगे और विजय की ओर अग्रसर होंगे। ये मुश्किलें आपके जीवन का स्वाद भी बदलेंगी।
हमेशा सफलता पाने की योजना बनाइए और इन गुरुमंत्रों को दिल की गहराइयों में उतारिए :
* समाज आपको बताता है कि आप क्या हैं? लेकिन ज्ञान आपको बताता है कि आपको कैसा होना चाहिए?
* दुनिया में अब तक जितने भी बड़े लोग हुए हैं, वे सब भाग्य से नहीं, अपनी कोशिश, संघर्ष और योजनाओं से बड़े बने हैं।
* असफलताओं से निराश होने वाले व्यक्ति कायर होते हैं, क्योंकि असफलताएं ही सफलता प्राप्त करने का रास्ता बताती हैं।
* योग्यता, आत्मविश्वास, साहस, सार्थक संवाद, कठिन परिश्रम और काम के प्रति समर्पण, सफलता का सबसे प्रचलित फार्मूला है, जिसके द्वारा दुनिया के करोड़ों लोग सफलता प्राप्त कर चुके हैं।
* अपने अंदर आत्मविश्वास रखें कि आप दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण इंसान हैं। फिर पीछे मुड़कर मत देखें, हंसते हुए जीवन गुजारें, क्योंकि हृदय की विशालता से ही सफलता की नींव पड़ती है।
* सफल लोग खतरों की परवाह किए बिना भीड़ को चीरकर आगे निकल जाते हैं, क्योंकि उन्हें वह भीड़ दिखाई नहीं देती, सिर्फ लक्ष्य ही नजर आता है।
* एक आइडिया किसी को अमीर बना देता है, तो किसी को खाक में मिला देता है, जबकि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना पुराना है? बस आपको उस आइडिए को पेश करने का तरीका आना चाहिए।
* समस्या के अंदर ही समाधान छिपा होता है। इसलिए समस्या के बारे में रचनात्मक तरीके से सोचिए, फिर समाधान आपको खुद ही नजर आ जाएगा।
* पैसा आपका चोरी हो सकता है। सेहत और ताकत आपका साथ छोड़ सकती है, लेकिन जो आप पुस्तकों के अध्ययन से सीखते हैं वह हमेशा आपके साथ रहता है।
* साधारण लोग छोटी-छोटी परेशानियों में उलझ कर पूरा जीवन बर्बाद कर लेते हैं, जबकि अमीर लोग उन परेशानियों को एक मुस्कान में ही हल कर देते हैं।
* ईश्वर ने जब ब्रह्मांड की रचना की थी, तब समस्याएं जानबूझ कर छोड़ी गई थीं, ताकि मनुष्य शारीरिक रूप से मजबूत रहे और जीवन में आने वाले हर मुश्किल का मुकाबला डट कर करे।
हमेशा प्रगति के बारे में सोचिए और इन गुरुमंत्रों को बार-बार दोहराइए :
* यह मत सोचिए कि देश की अर्थव्यवस्था कब समृद्ध होगी, बल्कि यह सोचिए कि आप की अपनी अर्थव्यवस्था कैसे समृद्ध होगी?
* सफलता हमेशा असफलताओं के बाद ही मिलती है, क्योंकि सफलता का रास्ता असफलताओं के बीच से ही होकर गुजरता है।
* यदि आपके पास एक पेन और एक सपना है, तब आप पूरी दुनिया को जीत सकते हैं, क्योंकि बड़ा आदमी बनने के लिए सिर्फ इन दो ही चीजों की जरूरत होती है-लक्ष्य और जुनून।
* जब आपका मन प्रसन्न होता है, तब आपके अंदर ऊर्जा का उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है, जिसे आप सही दिशा में प्रयोग करके अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
* जिन्हें लगता है कि वह सफल हो सकते हैं और जो ये सोचते हैं कि वे सफल नहीं होंगे, वे दोनों ही सही हैं। क्योंकि मन में जो विचार ज्यादा प्रभावशाली होंगे, वही आपकी सोच को निर्धारित करेंगे।
* आपको सफलता नहीं मिलती, क्योंकि आप सफलता नहीं मांगते। आप मांगते हो, फिर भी नहीं मिलता, क्योंकि तुम श्रद्धा से नहीं मांगते। लेकिन यदि आपके भीतर राई के दाने के बराबर भी विश्वास है, तो आप किसी पर्वत से कहिए कि यहां से खिसक जाओ, तब वह अवश्य खिसक जाएगा।
* जीवन की तमाम विफलताएं आपको आपकी वास्तविक योग्यता और क्षमता का आभास कराती है और फिर वही विफलताएं आपको सफलता का रास्ता दिखाती हैं।
*जोखिम उठाए बिना आप जीवन में कभी कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, क्योंकि अंग्रेजी में एक कहावत है, नो रिस्क नो रिवार्ड।
* फूलों की महक सिर्फ उसी दिशा में फैलती है, जिधर हवा का रुख होता है, लेकिन व्यक्ति की उन्नति के चर्चे पूरे विश्व में फैलते हैं।
* जागने के बाद कचरा, कूड़ा-करकट चित्त से गिरना शुरू हो जाता है। फिर चित्त निर्मल होता चला जाता है और जब चित्त निर्मल हो जाता है, तब चित्त दर्पण बन जाता है

ग्रह और बीमारी

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ग्रह और बीमारी
मनुष्य के मन, मस्तिष्क और शरीर पर मौसम, ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव लगातार रहता है। कुछ लोग इन प्रभाव से बच जाते हैं तो कुछ इनकी चपेट में आ जाते हैं। बचने वाले लोगों की सुदृढ़ मानसिक स्थिति और प्रतिरोधक क्षमता का योगदान रहता है। लाल किताब अनुसार हम जानते हैं कि किस ग्रह से कौन-सा रोग उत्पन्न होता है।
कुंडली का खाना नं. छह और आठ का विश्लेषण करने के साथ की ग्रहों की स्थिति और मिलान अनुसार ही रोग की स्थिति और निवारण को तय किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में यह स्थितियाँ अलग-अलग होती है। यहाँ प्रस्तुत है सामान्य जानकारी, जिसका किसी की कुंडली से कोई संबंध है या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही तय किया जा सकता है।
ग्रहों से उत्पन्न बीमारी :-
1. बृहस्पति : पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
2. सूर्य : मुँह में बार-बार थूक इकट्ठा होना, झाग निकलना, धड़कन का अनियंत्रित होना, शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप।
3. चंद्र : दिल और आँख की कमजोरी।
4. शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग।
5. मंगल : रक्त और पेट संबंधी बीमारी, नासूर, जिगर, पित्त आमाशय, भगंदर और फोड़े होना।
6. बुध : चेचक, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँत का रोग।
7. शनि : नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
8. राहु : बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि।
9. केतु : रीढ़, जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्निया, गुप्तांग संबंधी रोग आदि।
रोग का निवारण :
1. बृहस्पति : केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ।
2. सूर्य : बहते पानी में गुड़ बहाएँ।
3. चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर-बर्फी का दान करें।
4. शुक्र : गाय की सेवा करें और घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें।
5. मंगल : बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठा कच्चा दूध 43 दिन लगातार डालें। उस दूध से भिगी मिट्टी का तिलक लगाएँ।
6. बुध : 96 घंटे के लिए नाक छिदवाकर उसमें चाँदी का तार या सफेद धागा डाल कर रखें। ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ।
7. शनि : बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ।
8. राहु : जौ, सरसों या मूली का दान करें।
9. केतु : मिट्टी के बने तंदूर में मीठी रोटी बनाकर 43 दिन कुत्तों को खिलाएँ।