Wednesday 28 October 2015

माइग्रेन रोग: ज्योतिष्य तथ्य

मानव जीवन पर वर्तमान जीवनशैली से रोग प्रतिरोधक क्षमताओं का विकास अवरुद्ध हो रहा है, जिससे कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और कुछ रोगों का समूल समाप्त होना लगभग असंभव सा प्रतीत होता है। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों के अथक शोध, अनुसंधान के बावजूद भी उन रोगों का निदान निकालना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि ज्यादातर चिकित्सा पद्धति में जो दवाएं बनती हैं उनके कुछ न कुछ अलग असर होते हैं जिनका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। माईग्रेन पेन अर्थात् आधा शीशी का दर्द हमारे सिर में होने वाला असहनीय पीड़ाकारक दर्द है। ये आधे सिर में होने वाला ऐसा पीड़ा कारक दर्द है जो हर उम्र के लोगों को हो जाता है और जीवन पर्यंत लाईलाज रहता है। हमारा खान-पान भी इसमें अहम् भूमिका अदा करता है। आवश्यकता से अधिक, असमय मांसाहार, रात्रि भोजन नहीं करने से हम तकरीबन 200 प्रकार की विभिन्न बीमारियों से बचे रह सकते हैं। हमारा पाचन तंत्र दुरुस्त हो तो हम काफी हद तक स्वस्थ रह सकते हैं। किंतु माइग्रेन के ज्योतिष कारण भी होते हैं यदि किसी की जन्मकुंडली देखें तो उसके स्वास्थ्य की स्थिति क्या है, इसकी जानकारी ज्योतिष मेंं बहुत पहले ही जानी जा सकती है। प्राचीन समय मेंं प्रसिद्ध रोग विज्ञानी हिप्पोक्रेट्स सबसे पहले व्यक्ति की जन्मसंबंधी तालिका का अध्ययन करता था और फिर उपचार संबंधी कोई निर्णय लेता था! कोई व्यक्ति किस रोग से पीडि़त होता है, यह इस पर निर्भर करता है कि उसके भाव या राशि का संबंध जन्म कुंडली मेंं कौन से अनिष्टकर ग्रह से किस रूप मेंं है। ऐसा इसलिए है कि प्रत्येक राशि एक या एकाधिक शारीरिक अंगों से जुड़ी होती है। इसके साथ ही प्रत्येक ग्रह वायु, अग्नि, जल या आर्द्र प्रकृति वाला कोई एक प्रभुत्वकारी गुण लिए हुए होता है। आयुर्वेद मेंं इसे वात-पित्त-कफ के रूप मेंं बताया गया है। इस तरह राशि चक्र मेंं अंकित शारीरिक अंग और प्रभुत्वकारी ग्रह की विशेषता के मेंल से यह तय होता है कि किस व्यक्ति को कौन-सी बीमारी होगी। सिर, मस्तिष्क एवं आंखों, विशेष रूप से सर का अगला हिस्सा, आंखों से नीचे और सर के पीछे वाले हिस्से से लेकर खोपड़ी के आधार तक का हिस्सा मेष राशि द्वारा नियंत्रित होता है। यह मंगल को प्रतिबिंबित करता है जो दिमाग मेंं अग्निमय ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य, चंद्रमा या मेष का कोई अन्य उदीयमान ग्रह जिस व्यक्ति के साथ जुड़ा होगा उसके सरदर्द की संभावना अन्य लोगों की तुलना मेंं अधिक होगी।यदि सूर्य पहले, दूसरे या बारहवें घर मेंं विघ्नपूर्ण है या मंगल बहुत कमजोर है या नीच के चंद्रमा के साथ दाहक स्थिति मेंं है तब ऐसे लोग अधकपारी सरदर्द (माइग्रेन) से पीडि़त होंगे। साथ ही यदि अनिष्टकर सूर्य या मंगल छठे घर मेंं बैठा है (व्यक्ति की जन्म कुंडली मेंं रोगों का द्योतक) तो व्यक्ति सरदर्द का शिकार होगा।जन्मपत्री की कमजोरी और/या जन्मपत्री मेंं उच्च स्थान पर बैठे अनिष्टकर देव के कारण एक रोगकारी परिस्थिति निर्मित होती है। इससे सरदर्द की संभावना बनती है। मजबूत सूर्य और मंगल, जो कि क्रमश: प्राण क्षमता और ऊर्जा के प्रतीक हैं, सुरक्षात्मक कवच प्रदान करते हैं।
इस तरह माइग्रेन को दूर करने के चिकित्सकीय उपाय के साथ ज्योतिषीय उपाय सबसे बेहद प्रभावी उपायों मेंं से एक यह है कि सुबह उठकर सूर्य की ओर देखकर कम से कम 42 दिनों तक 3, 11, 21, 51 या 108बार ओम सूर्याय: नम: या ओम आदित्याय नम: या गायत्री मंत्र का जाप करें या सूर्य नमस्कार करें। धन्वंतरि होम और मंगल होम का आयोजन करने से भी प्रभावी तौर पर अनिष्टकर ग्रहों के प्रभाव दूर हो जाते हैं और इस प्रकार सरदर्द आपसे मीलों दूर चला जाता है। मंगलवार को सूर्योदय के समय किसी चौराहे पर जाएं और एक टुकड़ा गुड़ को दांत से दो भागों मेंं बांट कर दो अलग-अलग दिशाओं मेंं फेंक दें। 5 सप्ताह लगातार यह क्रिया करें, माईग्रेन मेंं लाभ होगा।रविवार के दिन 325 ग्राम दूध अपने सिरहाने रख कर सोएं। सोमवार को सुबह उठकर दूध को पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें, 5 रविवार यह क्रिया करें, निश्चित लाभ होगा। माइग्रेन (आधे सिर मेंं दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों मेंं ठीक हो जाता है।
Pt.P.S.Tripathi
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