Sunday 15 November 2015

ग्रहों को अनुकूल कर समाज में अपनी छवि बनायें -

जन्म से न कोई मनुष्य अच्छा होता है न बुरा, किन्तु उसका व्यवहार एवं कर्म ही उसे अच्छा-बुरा बनाते हैं। किसी की विशिष्टता तथा उसके सरल-विनम्र व्यवहार ही उस व्यक्ति को समाज या लोगो के बीच अच्छा या बुरा बनाती है। हम दूसरों के समान धनी, विद्वान, प्रतिष्ठित भले न बन पायें, किन्तु अपने कर्मों को एवं व्यवहार को सुधार कर अपनापन तथा प्रतिष्ठा पा सकते हैं। समाज में आपको लोगों के बीच आपकी छवि जैसी बनेगी उसका कारण आपकी कुंडली में देखा जा सकता है। यदि किसी की कुंडली में लग्न में राहु या लग्नेष राहु से आक्रांत होकर कहीं भी बैठा हो तो लोग आपको लापरवाह तथा झूठा समझ सकते हैं उसी प्रकार यदि लग्नेष या तृतीयेष सूर्य मंगल जैसे ग्रह हों और छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो गुस्सैल की छवि बनती है और लोग आपके बचना चाहते हैं। यदि द्वितीय या तृतीय भाव में गुरू हो या इस भाव का कारक गुरू होकर पंचम या भाग्य स्थान में हो तो लोगो का आपके प्रति आदर होता है। इसी प्रकार यदि आपको अपने व्यवहार के किसी पक्ष को उभारना हो तो अपने ग्रहो की स्थिति का पता लगाकर उन ग्रहों की शांति, मंत्रजाप तथा ग्रहदान कर अपने व्यवहार को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं।

Pt.P.S.Tripathi
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