कडवी बात ....वैचारिक परिमार्जन जरुरी है ....खुद की समक्ष करो * समाज में फैल रहीं विभिन्न विकृतियों के संबंध में राष्ट्रीय संत कहते हैं कि पथ भ्रमित हो चुके समाज को आज संस्कार, चरित्र से ज्यादा नीति शिक्षा की जरूरत है। दरअसल व्यक्ति का भोजन ही नहीं विचार भी तामसिक हो चुके हैं, जिससे उसके दिलो-दिमाग में सिर्फ अपना स्वार्थ्य छाया रहता है। लिहाजा आज मंदिर नहीं बल्कि विचारों के जीर्णोद्धार की जरूरत है।
* पूरा देश ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण से बचने के उपाय खोजने में लगा है। जबकि इससे बड़ी समस्या मनोप्रदूषण की है। हंसते हुए मुनिश्री कहते हैं- गांधी जी ने तीन बंदर बनाए थे। उनको एक बंदर और बनाना था जो अपने हृदय पर हाथ रखे होता और संदेश देता कि बुरा मत सोचो। * आज मनुष्य के विचारों में आ रहे बदलाव में सुधार की आवश्यकता है। हमारा भोजन ही नहीं विचार भी तामसिक हो गए हैं। हमारी प्रार्थना भी तामसिक हो चुकी है। हम भगवान से केवल अपने और परिजनों का ही सुख चाहते हैं। दुनिया के बारे में कभी भला नहीं मांगते। ऐसी प्रार्थना ही तामसिक होती है।
* लोगों में करुणा का भाव कम होता जा रहा है। मानवीय संवेदनाएं कम हो चुकी हैं। बड़े से बड़े हादसे की खबर लोग चाय की चुस्की के साथ पढ़ या सुन लेते हैं। इन हादसों की खबरों से उनके हाथ की प्याली नहीं गिरती। दिल की संवेदनाएं मरना देश व समाज के लिए अच्छा नहीं है। जब हम एक-दूसरे के दुख-दर्द को समझेंगे तभी अमन-चैन की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।
Pt.P.S.Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
No comments:
Post a Comment