Monday 13 April 2015

नक्षत्र से जाने आपका दिन शुभ होगा या अशुभ


यजुर्वेद तथा भगवदगीता के अनुसार हमारा व्यवहार, विचार, भोजन और जीवनषैली तीन चीजों पर आधारित होती है वह है सत्व, तमस और राजस। सात्विक विचारों वाला व्यक्ति निष्चित स्वभाव का होता है जोकि उसे सृजनषील बनाता है वहीं राजसी विचारों वाला व्यक्ति महत्वाकांक्षी होता है जोकि स्वभाव में लालच भी देता है तथा तामसी व्यवहार वाला व्यक्ति नाकारात्मक विचारों वाला होने पर गलत कार्यो की ओर अग्रसर हो सकता है। मानव व्यवहार मूल रूप से राजसी और तामसी प्रवृत्ति का होता है, जिसके कारण जीवन में नाकारात्मक उर्जा बढ़ती है, जिससे साकारात्मक बनाने हेतु पुराणों में व्रत तथा उपवास पर जोर दिया गया है। ज्योतिषीय मान्यता है कि व्यक्ति की कुंडली में जो ग्रह प्रतिकूल होता है, उसके अनुसार व्यक्ति में उस क्षेत्र या स्थान से संबंधित नाकारात्तमता दिखाई देती है। जीवन में नाकारात्मक स्थिति को दूर करने तथा जीवन में साकारात्मक तथा सफलता प्राप्ति हेतु मानव जीवन में व्रत की उपयोगिता वैदिक काल से जारी है। जिसका आधार होता है कि उपवास पॉच ज्ञानेंद्रियों और पॉच कर्मेद्रिंयों पर नियंत्रण करता है। अनुशासित बनाने तथा मन को आध्यामिक प्रवृत्ति की ओर अग्रसर करने हेतु उपवास तथा मंत्र जीवन में साकारात्मक दिषा देता है। उपवास जीवन में मानसिक शुद्धिकरण के अलावा शारीरिक शुद्धि हेतु भी सहायक होता है चूॅकि उपवास के दौरान अनुष्ठान करने की परंपरा भी है अत: अनुष्ठान के दौरान किया जाना वाला जाप, ध्यान, सत्संग, दान शारीरिक शुद्धता के लिए भी कार्य करती है। भोग लगाने वाले पदार्थ जैसे फल, मेवा, दूध, धी आदि का सेवन भी सात्विक गुणों को बढ़ता है।
नक्षत्र संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है ''न क्षरति न सरति इति नक्षत्र: अर्थात् न हिलने वाला न चलने वाला, जो स्थिर हों, ग्रहों एवं नक्षत्रों में यहीं प्रमुख भेद है कि ग्रह तो भ्रमणशील हैं किंतु नक्षत्र स्थिर। भारतीय ज्योतिष में राशि-पथ एक स्थिर नक्षत्र से प्रारंभ होता है इसलिए नक्षत्रवृत कहलाता है। राशिपथ एक अंडाकार वृत जैसा है जो कि 360 डिग्री का है। इन 360 अंशों को 12 समान भागों में बांटा गया है और प्रत्येक 30 डिग्री के एक भाग को राशि कहा गया है। इन 12 राशियों के नाम हैं मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ तथा मीन तथा इन्हीं 360 डिग्री को 27 समान भागों में बांटा गया है एवं प्रत्येक 13.20 समान भागों को नक्षत्र कहा गया है। इन 27 नक्षत्रों को भी प्रत्येक 4 बराबर भागों में 3.20 के समान भागों में बांटा गया है इस प्रकार एक राशि में सवा दो नक्षत्र आते हैं। अर्थात् एक राशि में सवा दो नक्षत्र का समावेश होता है। इन 27 नक्षत्रों के नाम हैं क्रमश: अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आष्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती। जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है वहीं व्यक्ति के जन्मनक्षत्र कहलाता है।
सरल शब्दों में उसे जन्मतारा भी कहा जाता है। यह जन्मनक्षत्र व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय ज्योतिषशास्त्र जा सकता है।
में नक्षत्र के अनुसार ही जातक का नाम, नाड़ी, योनि, गोत्र एवं गण आदि की विवेचना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में इन्हीं नक्षत्रों के आधार पर मूहुर्त गणना का विधान है। अत: व्यक्ति के दैनिक जीवन में भी शुभ और अशुभ दिन का निर्धारण इन्हीं नक्षत्रों के आधार पर किया जा सकता है इसका वर्गीकरण जन्म नक्षत्र से प्रारंभ कर 27 नक्षत्रों को तीन-तीन के बराबर भाग में रखकर कुल 9 समूहों में विभाजित किया जाता है। इस प्रकार 9 समूहों के नक्षत्रों के आधार पर एक सारणी का निर्माण कर शुभ तथा अशुभ का विश्लेषण किया जा सकता है जिसमें 1. जन्मतारा 2. संपततारा 3. विपततारा 4. क्षेमतारा 5. प्रत्यरीतारा 6. साधकतारा 7. वधतारा 8. मैत्रतारा 9. अतिमैत्रतारा. अत: जब जन्मतारा का क्रम आता है तो व्यक्ति को कुछ कामों में शुभ तथा कुछ कार्यों में अशुभ फल की प्राप्ति हेाती है। वहीं तीसरातारा विपततारा, पांचवा प्रत्यरीतारा सांतवा वध तारा का क्रम आता है तो व्यक्ति को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। आठंवा तथा नवां तारा का क्रम अतिशुभ फल देने वाला होता है। इस प्रकार व्यक्ति का दिन शुभ होगा या अशुभ इसकी जानकारी उस तारासमूह के आधार पर व्यक्तिविशेष के जन्मतारा के आधार पर किया जा सकता है।

Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500

Feel Free to ask any questions in

No comments: