Monday 13 April 2015

आप क्यूं चिंतित रहते हैं


आधुनिक भागदौड़ के इस जीवन में प्राय: सभी व्यक्तियों को चिंता सताती रहती है। हर आयुवर्ग तथा हर प्रकार के क्षेत्र से संबंधित अपनी-अपनी चिंता होती हैं। चिंता को भले ही हम आज रोग ना माने किंतु इसके कारण कई प्रकार के लक्षण ऐसे दिखाई देते हैं जोकि सामान्य रोग को प्रदर्शित करते हैं। अगर यह चिंता कारण विशेष या समय विशेष पर हो तो चिंता की बात नहीं होती किंतु कई बार व्यक्ति चिंता करने का आदि होता है, जिसके कारण उसे हर छोटी बात पर चिंता हो जाती है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसे रासायनिक स्त्राव का असंतुलन माना जाता है किंतु वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस चिंता का दाता मन को संचालित करने वाला ग्रह चंद्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में तृतीय स्थान को माना जाता है। चूंकि कालपुरूष का चतुर्थभाव चंद्रमा का भाव होता है अत: बहुत हद तक चतुर्थभाव का प्रतिकूल होना या चतुर्थेश का प्रतिकूल होना भी तनाव का कारण होता है। इसके अलावा अपने जीवन में लगातार चिंता के कारणों तथा उससे जुड़े लोग तथा स्थिति को बेहतर करने का प्रयास करने के अलावा चंद्रमा को मजबूत करने तथा राहु की शांति के अलावा तृतीयेश का उपयुक्त उपाय करने से व्यक्ति को चिंता से मुक्ति मिल सकती है।

Pt.P.S Tripathi
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