Tuesday 14 April 2015

व्यावसायिक प्रतिष्ठान


पंचतत्वों से परिपूर्ण आपका व्यावसायिक प्रतिष्ठान आपके मान सम्मान में वृद्धि करने वाला, आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने वाला एवं उन्नति के चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने में मदद करने वाला होता है। अक्सर व्यवसायी ऊंची पगड़ी एवं किराया देकर दुकान लेता है और उस पर जी जान से श्रम और पुंजी लगाने के बावजूद दुकान उतना फायदा नही देती जितना वह चाहता है अथवा कभी भी वह नुकसान देना भी शुरु कर देती है। एक कुशल व्यवसायी को जब ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियां झेलनी पड़ती है तो वह अपने भाग्य को कोसा है जबकि उसने स्वयं दुकान में वास्तु संबंधी भूले की है।
दुकान का रंग, बैठने की स्थ्तिि एवं तिजोरी के स्थान जैसी गौण लगने वाली चीज़ों को वास्तु अनुसार अपना कर दुकान की बिक्री को बहुत शीघ्र बढ़ाया जा सकता है।यहां कुछ ऐसे ही अनुभूत वास्तु सुत्रों का वर्णन किया गया है जिनके प्रयोग से दुकानदार अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित कर सकता है।
दुकान सिंह मुंखी हो। दुकान की लम्बाई चैड़ाई से अधिक से अधिक दुगुनी हो सकती है, इससे अधिक लम्बी नही होनी चाहिए। टेढ़ी-मेढ़ी दुकाने नुकसान दायक होती है।
दुकान उत्तराभिमुखी एवं पूर्वाभिमुखी उत्तम मानी गई है। पश्चिम मुखी दुकान में बिक्री एवं मंदी का दौर चलता रहता है। दक्षिणाभिमुखी दुकाने केवल उन्ही व्यावसायियों के लिए ठीक है जिनकी कुण्डली में राहु कारक है। कुण्डली में प्रथम, द्वितीय, तृतीय चतुर्थ, पंचम, षष्टम, अष्टम, नवम और एकादश भाव को राहू कारक माना गया है। राशियों के अन्र्गत मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या वृश्चिक और मीन राशि के राहू को कारक समझना चाहिए।
दुकान के मुख्य द्वार पर मार्ग आकर समाप्त नही होना चाहिए। अगर मार्ग दुकान के मुख्य द्वार को छोड़कर अन्य हिस्सों पर समाप्त होता है तो ये प्रतिष्ठान के लिए बुरा नही है।
दुकान के उत्तर में वित्त संबंधी कार्यालय, वायव्य में या रिक्त स्थान, पश्चिम में बड़ी इमारतें, आग्नेय में बिजली का खम्भा, ट्रान्सफार्मर या भट्टी एवं इशान दिशा में प्याऊ या मन्दिर हो तो इसके फायदे भी आपके प्रतिष्ठान को मिलेंगे।
दुकान में तहखाना (बेसमेंट) नही हो तो अच्छा है। तहखाना बनाना आवश्यक हो तो ईशान कोण में बनाये एवं इसमेंसफेद रंग करें।
दुकान के दो पार्ट्स (खण्ड) किये जाने है तो आगे का भाग बड़ा होगा एवं पिछे का छोटा।
दुकान में दुछती का निर्माण दक्षिण, पश्चिम अथवा नैऋत्य में करें।
दुकान के फर्श एवं छत की ढाल उत्तर, पूर्व अथवा ईशान दिशा में रखनी चाहिए।
द्वार के ऊपर विज्ञापन बोर्ड अथवा ग्राहकों को आकर्षित करने वाली सामग्री इस प्रकार से लगाए कि आपके द्वार का कोई भी भाग उस सामग्री से छिपे नही। द्वार वेध होने से दुकान पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
जिन दुकानों के मुख्य द्वार उत्तर दिशा में होते है वे व्यावसायिक दृष्टि से अच्छे चलते है। पूर्व दिशा में खुलने वाली दुकान, पुस्तक भण्डार, कागज, विद्या एवं कपड़े के लिए उत्तम मानी गई है। वाहनों के शो-रुम पूर्व में वायव्य दिशा मुख वाली दुकानों में अच्छे चलते देखे गये है। दुकान का मुख्यद्वार पूर्व के आग्नेय कोण में हो तो वह होटल ढाबे, मिठाई की दुकान, बिजली के सामान के लिए श्रेष्ठ है। सर्राफा, सोना-चांदी की दुकान एवं महिलाओं से सम्बन्धित वस्तुओं के लिए दक्षिण या आग्नेय कोण में द्वार वाली दुकानें अच्छी चलती देखी गई है। मोटर पाटर््स के लिए दक्षिणाभिमुखी दुकान शुभ कारक होती है।
दुकान को नैऋत्य कोण में इस प्रकार बैठना चाहिए कि उसका मुख उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा में रहें।
दुकान के दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में ज्यादा एवं भारी सामान रखें। पूर्व व उत्तर दिशा खुली जगह रखने का प्रयास करें। जल्दी बिक्री का सामान वायव्य कोण में रखें। फायदा निश्चित रुप से होगा।
दुकान के ईशान दिशा में भगवान का आला बनायें। पूर्व या पश्चिम में भगवान का मुंह रखें। देवी की प्रतिमा को उत्तराभिमुखी नही रखनी चाहिए। हनुमानजी की प्रतिमा का मुंख नैऋत्य दिशा में सर्वोत्तम है। पानी की मटकी भी यहां रखी जा सकती है।
दुकान के दरवाजे के बाहर और अन्दर गणेश जी का स्टिकर लगाये। अन्दर वाले गणेश जी की दृष्टि दुकान मालिक पर एवं दूसरे की ग्राहक पर पड़नी चाहिए।
दुकान का फर्नीचर लकड़ी का बना होना चाहिए। आम एवं तेन्दूक की लकड़ी अथवा बहुत ज्यादा पुरानी लकड़ी का प्रयोग नही करें। अक्सर दुकानदार दुकान का सुन्दरता बढ़ानें के लिए गोल या तिरछा काउन्टर बनाते है, जो कि गलत है। काउन्टर हमेशा समकोण में होना चाहिए।
कैश काउन्टर दक्षिण की दीवार से सटा होना चाहिए। वह उत्तर दिशा की तरफ खुलना चाहिए अथवा कैश काउन्टर को पश्चिम की ओर इस प्रकार स्थापित करें कि पूर्व की
तरफ खुलें। कैश काउन्टर या तिजोरी कभी भी दक्षिण दिशा की ओर नही खुलनी चाहिए।
दुकान के मुख्य द्वार के बाहर दर्पण का प्रयोग वर्जित है।
दुकान के ग्राहको को बैठने के लिए गद्दा लगा हो तो उस पर सफेद रंग की चादर (छलनी) ही प्रयोग करें।
सफेद, गुलाबी, हल्का हरा, हल्का नीला, रंग प्रायः सभी किस्मों की दुकानों में किया जा सकता है।

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