Monday 13 April 2015

आई मुशिकिलों को टाल पाएंगें अमर अग्रवाल



पि छले दिनों बिलासपुर एंव प्रदेश के अलग-अलग जगहों में जो नसबंदी से मौत की खबरें आईं, उसने समूचे देश को हिला कर रख दिया। न सिर्फ देश, इस बात की गूंज तो विदेशी मीडिया गलियारों में भी खूब सुमार हुई। मीडिया ने तो छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के घटनास्थल पर हंस देने को इस तरह प्रचारित किया कि जैसे अमर अग्रवाल कोई मौत पर हंसने वाला यमदूत हो।
यहां रमन सिंह की खासी मुशीबत इस काण्ड के कारण शुरु हो गई है। केन्द्र जवाब मांग रही है, पूछती है कि आखिर ऐसी दवा कंपनी को सरकारी दवाओं का ठेका कैसे दे दिया गया, जिनकी गुणवत्ता की मापदण्ड इतनी ख़्ास्ताहाल हो कि एंटीबायोटिक में चूहे मारने की दवा की मिलावट हो जाए। आखिर ऐसी दवा कंपनी का लाइसेंस क्यों रद्द नहीं किया गया। किन पहुंच वाले लोगों का इन दवा कंपनी के साथ निजी या व्यवसायिक संबंध थे? केंद्र को इसका जवाब चाहिए।
जवाब में कहा गया है कि जाँच कमेटी बिठा दी गई है, किंतु जांच कमेटी ही संदेह के दायरे में है। बहरहाल राज्य सरकार के सामने अब बड़ा सवाल है जनस्वास्थ्य के मामले में जनता का विश्वास कैसे अर्जित किया जाए। सरकारी अस्पतालों में तमाम दुव्र्यवस्थाओं और लूट खसोट के बावजूद राज्य की गरीब जनता उन्हीं पर आश्रित है। इस सहारे को चुस्त-दुरुस्त बनाना राज्य सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। यह तभी संभव है जब स्वास्थ्य विभाग का प्रशासन जनोन्मुखी और ईमानदार हो। प्रदेश की सरकार क्या कुछ ऐसे नियम बनाने जा रही है जिससे इस तरह की गल्तियां ना दोहराई जा सके जिससे सरकार अपना विश्वास और प्रतिष्ठा को फिर से प्राप्त कर सके। आईये जानते हैं हमारे संपादक डेस्क से, क्या कहते हैं हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट अमर अग्रवाल के आगामी राजनैतिक जीवन के बारे में। क्या अमर हाले दिनों की मुश्किलातों से निजात पा सकेंगें या सत्तासीन पार्टी को मुसीबत में डाल देंगे।
अमर अगवाल का जन्म लग्र है मीन और राशि है तुला....अमर अग्रवाल (जन्म 22 सितंबर 1963) वर्तमान में छत्तीसगढ शासन में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, वाणिज्यिक कर एवं श्रम मंत्री के पद पर सुशोभित हैं। बुध की महादशा में मंगल की अंतरदशा से यानि 1998से अविरत रूप से बिलासपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हुये 2013 यानि की शुक्र की महादशा के प्रारंभ तक विधानसभा चुनाव में श्री अग्रवाल ने रिकार्ड मतों (लगभग 18,000) से जीत दर्ज की है। इस विजय के पश्चात छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में जनता के प्रति अपनी जवाबदेही का निर्वहन लगातार तीसरी बार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सूचकांक में सुधार एवं तकनीक का उपयोग जनता के हित के लिए जन-तकनीक के रूप में करना, उदाहरणार्थ 108संजीवनी एक्सप्रेस, 102 महतारी एक्सप्रेस, 104 चिकित्सकीय परामर्श एवं ऑन-लाईन जनशिकायत केंद्र श्री अग्रवाल की स्वास्थ्य मंत्री के रूप में विशेष उपलब्धि है जो कि छत्तीसगढ़ की दुर्गम भौगोलिक संरचना को देखते हुये अति आवश्यक भी है। इस पूरे कार्यकाल में जबरदस्त प्रसिद्धि तथा जनसमर्थन हासिल किया। मगर शुक्र की दशा के प्रारंभ से ही समय विपरीत होना शुरू हो गया। कुछ अपने पराये हुए तो कुछ को हमने पराया कर दिया। आबकारी नीति में परिवर्तन के कारण वे इस कार्यकाल के शुरूआत से ही ताकतवार लॉबी के निशाने पर रहे। और अब मित्रो की सिफारिश ने उन्हें विवादों में डाल दिया। असल में सप्तम स्थान का नीचस्थ शुक्र ही उनकी तबाही की मूल वजह है। शायद मुख्यमंत्रीजी भी यह समझते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम में दोष किनका है? मगर बतौर मंत्री वे अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते और हो भी क्यों ना, ये घटना है ही इतनी जबरदस्त कि पूरे विश्व में जिसकी धमक सुनाई पड़ रही हो, भ्रष्टाचार, असावधानी और गैर जिम्मेदारी की सारी हदें पार हो गई हों, ऐसे प्रकरण में जो कि नीचस्थ शुक्र की महादशा में ही संभव हो सका। ये बड़े संयोग की बात है कि इस तरह की हर एक बड़ी घटना के पीछे मित्रो की सिफारिशी कृपा का हाथ रहा। मगर सज्जनता कभी भी किसी अपराध का न्यायसंगत तर्क नहीं हो सकता। व्यवसायिक सावधानी फिर भी जरूरी थी, जो किसी कारण वश आप के द्वारा नहीं ली जा सकी। और ये भयंकर परिणाम पेश आया। पूरे प्रकरण को देखने के लिए धनु लग्र में जन्में छत्तीसगढ़ की गोचर स्थिति पर भी नजर डालनी होगी। इस समय लग्रेश और चतुर्थेश बृहस्पति अष्टम स्थान में तथा दसम स्थान में पड़े हुए राहु राजा तथा राजतंत्र को हर तरह से परेशान किए हुए है। ज्यादा विस्तार से जानने के लिए राजा की कुंडली पर भी नजर डालनी जरूरी है। कर्क लग्र में जन्में राजाजी की इस समय बुध में मंगल की अंतरदशा चल रही है, जो उन्हें सभी तरफ से हैरान किए हुए है। चाहें वह राज्य की आर्थिक स्थिति हो, या राजाजी की घरेलू परिस्थितियॉ हर तरफ परेशानी का ही आलम है। बड़ा सवाल जो आपके जेहन में है शायद सभी के जेहन में है आखिर आगे क्या होगा? क्या सरकार इन सभी परिस्थितियों से निपट पायेगी? क्या अमर अग्रवाल जी इस विपत्ति से बच पायेंगे? और क्या प्रदेश में नेतृत्व का कोई परिवर्तन संभव है या प्रदेश की बेकाबू प्रशासनिक अव्यवस्था पर कोई अंकुश लगेगा? या परिस्थितियॉ और भी बद से बदतर होंगी? इन सभी बातों का विस्तार से ज्योतिषीय विश£ेषण आपके समक्ष है यहॉ ध्यान रहे हमारा मकसद किसी की निन्दा करना नहीं साथ ही यह लेखक की व्यक्तिगत मति और अन्वेषण है जो उपलब्ध अपरिक्षित तथ्यों पर आश्रित है।
अमर अग्रवाल लगातार विवादों में रहें और अभी छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य मंत्रालय एक बार फिर विवाद और सुर्खियों में आ गया है। बिलासपुर के नसबंदी कांड के घटनाक्रम को लेकर प्रदेश व देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में सरकारी तंत्र की जानलेवा आपराधिक लापरवाही की चर्चा चल रही है। इस पूरे मामले को लेकर राज्य सरकार के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल भी आलोचना के निशाने पर हैं और पूरे मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठ रही हैं और कई सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे बहुत से सवालों पर स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य महकमे की हैं, जिनके जवाब आने अभी बाकी हैं।
स्वास्थ्य विभाग इस कदर बदनाम क्यों है? गर्भाशय कांड, दवा खरीदी, मशीन खरीदी की सीबीआई जांच का आरोप लगा है। आंखफोडवा में 87 जानें, सैकड़ों महिला का गर्भाशय निकाला गया, लेकिन डॉक्टर्स पर कार्रवाई नहीं हुई। अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले प्रदेश के मंत्री अमर अग्रवाल ने ने शराब पर दिया था, जिसमें प्रमुख रूप से शराब छत्तीसगढ़ की संस्कृति है। उनका कहना है, छत्तीसगढ़ी आदिवासी परंपरा में तीज-त्योहारों पर शराब सेवन छत्तीसगढ़ी संस्कृति है। मंत्री जी के इस बयान से जहां लोगों में भारी आक्रोश फैला, वहीं उन्होने अपने बयान से नये विवाद को जन्म दे दिया है। अब उनका बयान आया जब नसबंदी कांड हुआ। मैं इस्तीफा क्यों दूं। पार्टी ने मंत्री बनाया है, इस्तीफा तो क्या उसका ऑफर तक नहीं दूंगा। नसबंदी काण्ड में राजनैतिक प्रतिष्ठïा दांव पर लग गई है। महिलाओं की मौत मामले की आंच दिल्ली तक पहुंच जाने के कारण मामला अब स्वास्थ्य मंत्री के हाथों से निकल चुका है।
बिलासपुर की राजनीति में बेताज बादशाह हो चुके स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ ऐसा माहौल न तो भदौरा जमीन घोटले के दौरान और न ही गर्भाशय काण्ड व नेत्र आपरेशन में लापरवाही के दौरान था। इन सारी खामियों से श्री अग्रवाल बेदाग बाहर निकल जाने में सफल रहे। नसबंदी शिविर को स्वास्थ्य विभाग वाले ने जिस तरह डेथ शिविर बना डाला है, उससे स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार से नहीं बच सकते हालांकि काफी दबाव के बाद उन्होंने हादसे की नैतिक जिम्मेदारी तो ले ली है मगर यह भी कह दिया है कि उनके इस्तीफे को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। सीवरेज खुदाई के मामले में तो उन्होंने हार ही मान ली थी लेकिन राजनैतिक दावपेंच में उन्होंने अपनी सफलता का झंडा गाड़ दिया। विरोधियों का मुंह कैसे बंद किया जाए वे अच्छी तरह जानते हैं। विरोधी भी तो आखिर अपने ही हैं और चुनाव के वक्त काम आते हैं लेकिन नसबंदी कांड ने सारे किए कराए पर पानी फेर दिया है। सरकार को विलुप्त होती जनजाति बैगा समुदाय की दो महिलाओं की नसबंदी एवं उनकी मौत का भी जवाब देना है। केंद्र ने वर्ष 1998से परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत बैगा, कमार, अबुझमाडिय़ा और बिरहीर जनजातियों के सदस्यों की नसबंदी पर प्रतिबंध लगा रखा है और ये जनजातियां संरक्षित घोषित है। ऐसी स्थिति में दो बैगा महिलाओं की नसबंदी और उनकी मृत्यु सवालों के घेरे में है और आपराधिक मामला बनता है।
इस प्रकार लगातार विवादों में घिरे रहने वाले अमर अगवाल का जन्म लग्र है मीन और राशि है तुला। उनकी अभी शुक्र की महादशा में शुक्र की ही अंतरदशा चल रही है जिसमें सितंबर, 2014 से मार्च 2015 तक राहु की प्रत्यंतर दशा चलेगी जो उनके बयानों पर विवाद पैदा कर रही है। वैसे भी उनका तृतीयेश शुक्र सूर्य से आक्रांत होकर सप्तम स्थान पर है जो उन्हें लगातार बयानो के कारण विवाद देता है और एकादश स्थान पर शनि स्वभाव से जिद्दी बनाता है। मार्च तक उनकी स्थिति खराब रहने वाली है क्योंकि शुक्र में राहु की दशा चल रही है जो उन्हें लगातार स्वास्थ्य और व्यवहार जन्य दोष देता रहेगा। विशेषकर शनि के वृश्चिक राशि में प्रवेश करते ही अमर अग्रवाल की विवादों से मुसीबत का समय शुरू हुआ। शनि और गुरू के गोचर की स्थिति अब सभी राजनेताओं और सामाजिक स्तर पर न्यायकारी हो रहा है अत: इस समय अमर अग्रवाल की राहु की दशा और नीच का शुक्र सूर्य से आक्रांत होकर बैठने के कारण उन्हें विवाद को तूल देने के स्थान पर शांति से इन विवादों से मुक्ति का रास्ता सोचना चाहिए। नहीं तो जिस तरह से देश और दुनिया में न्याय की बयार बहीं है वह कहीं अमर के ध्वज को भी ना उड़ा ले जाये। उन्हें अपनी साख बचाये रखने के लिए अपने स्तर पर नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्थिति को सुधारने का प्रयास करना चाहिए और साथ ही अपनी राहु और शुक्र की शांति कराते हुए अपनी साख को बचाने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे ना सिर्फ उनकी या भाजपा की साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार की साख भी दांव पर लग सकती है।

Pt.P.S Tripathi
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