Tuesday, 14 April 2015

ज्योतिष सलाह से जमीन-जायदाद में पैसे लगाना


प्रॉपर्टी में निवेश करने की बात आये और ज्योतिष पंडित जी को याद न करें ये नहीं हो सकता। आप सभी ज्योतिष और ग्रहों की चाल को मानते हैं या न मन कर भी कहीं न कहीं प्रभावित रहते हैं। ज्योतिष जमीन-जायदाद निवेश का एक महत्वपूर्ण अंग हैं और निवेश करना ध्यान में आते ही आज के समय में फायदे का व्यापार ज्योतिष सलाह से ही सुचारू रूप से हो सकता है और रोज अनेकों उदहारण इसे साबित करने आगे आते रहते हैं ।
प्रॉपर्टी में निवेश के ग्रह नक्षत्रों का संबंध ज्योतिष से बहुत गहरा होता है। किस व्यक्ति को प्रॉपर्टी में निवेश से फायदा होगा,इसका निर्धारण उसकी जन्मपत्री में इस व्यापार से संबंधित ग्रह व भाव के अवलोकन से हो सकता है। प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले इन ग्रहों को जान लेना जरूरी होता है।
जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से जमीन-जायदाद तथा भू-सम्पत्ति के बारे में चार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव तथा उसका स्वामी ग्रह शुुभ राशि में, शुभ ग्रह या अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो, सी पाप ग्रह से युत या दृष्ट न हो तो, जमीन संबंधी व्यापार से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भूमि का कारक ग्रह मंगल है। अत: डली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश तथा मंगल की शुभ स्थिति से भूमि संबंधी व्यापार से फायदा होगा। भूमि के व्यापार में जमीन क्रय-विक्रय करना, प्रॉपर्टी में निवेश कर लाभ में बेचना, दलाली के रूप में काम करना तथा कॅालोनाइजर के रूप में स्कीम टकर बेचना इत्यादि शामिल है, ऐसे सभी व्यापार का उद्देेश्य आय बढ़ाकर धन कमाना होता है। अत: भूमि से संबंधित ग्रहों का शुभ संयोग कुंडली के धन (द्वितीय) तथा आय (एकादश) भाव से भी होना आवश्यक है। चतुर्थ भाव का स्वामी एवं मंगल उच्च,स्वग्रही अथवा मूल त्रिकोण का होकर शुभ युति में हो तथा धनेश, लाभेश से संबंध बनाए तो प्रॉपर्टी के कारोबार से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार चतुर्थ भाव का स्वामी धनेश, लाभेश, लग्न अथवा दशम भाव के स्वामी से राशि परिवर्तन करे तो,उस व्यक्ति को भूमि के क्रय-विक्रय से धन लाभ होता है
Pt.P.S Tripathi
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