Tuesday 17 October 2017

कन्या लग्न वाले होते हैं सलीकेदार



आकाश के 150 डिग्री से 180 डिग्री तक के भाग को कन्‍या राशि के नाम से जाना जाता है. जिस जातक के जन्‍म समय में यह भाग आकाश के पूर्वी क्षितिज पर उदित होता दिखाई देता है उस जातक का लग्‍न कन्‍या माना जाता है. कन्या लग्न उत्तराफाल्गुनी (द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ चरण), हस्त नक्षत्र (चारों चरण), तथा चित्रा (प्रथम, द्वितीय चरण) के संयोग से कन्या लग्न बनता है.
कन्‍या लग्‍न की कुंडली के अनुसार मन का स्‍वामी चंद्र एकादश भाव का स्‍वामी होता है. व्यक्ति बौद्धिक रुचि वाले होते हैं। बड़े ही व्यवहार कुशल, मेहनती और सलीकेदार होते हैं। बुध की प्रतिकूल स्थिति इन्हें वाचाल, वहमी, चिढ़चिढ़ा भी बना सकती है। शुभ ग्रह : शुक्र धनेश व नवमेश तथा बुध लग्नेश व दशमेश होकर प्रबल कारक बन जाते हैं। इनकी शुभ स्थिति दशा-महादशा में प्रबल सुखकारक होती है। यदि ये ग्रह अशुभ हों तो इनका उपाय करना चाहिए। इन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है अत: खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अशुभ ग्रह : बृहस्पति, चंद्रमा व मंगल इस लग्न के लिए अति अशु‍भ है। मंगल दशा में मारकेश है अत: इनकी दशा-महादशा में सावधानी रखते हुए योग्य उपाय करते रहना चाहिए। तटस्थ ग्रह : सूर्य और शनि इस लग्न के लिए तटस्थ (निष्क्रिय) ग्रहों का काम करते हैं।
इष्ट देव : गणपति, रत्न : पन्ना, रंग : हरा, सफेद
कन्‍या लग्‍न में बुध लग्‍न और दशवें भाव का स्‍वामी होता है। अत: इस लग्‍न के व्‍यक्तियों को पन्‍ना पहनने से लाभ होता है। बुध की शुभता बढाने के लिए बुधवार को हरे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे मूंग, पालक आदि बुध से उत्पन्न कष्टों में कमी लाने के लिए श्वेतार्क का टुकड़ा बाजू में धारण करें | बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें। बुध का नाम मंत्र – ऊँ बुं बुधाय नम: का मंत्र जाप करने चाहिए. सुबह अथवा शाम किसी भी समय में बुध के मंत्र जाप किए जा सकते हैं.

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