Sunday 22 October 2017

शिक्षा को आजीविकापरक बनाने का ज्योतिषीय उपाय

जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही रोटी अर्थात रोजगार है, तब हम ऐसी शिक्षा को श्रेष्ठ कह सकते हैं जो इस पहले मोर्चे पर ही असफल साबित हो जाए। निःसंदेह इसका जवाब न में ही हो सकता है। इस आधार और कसौटी पर तौलें तो डिग्री प्राप्त करने से ईतर स्वावलंबन परक शिक्षा की दरकार है। जिस समय नवीन अन्वेषण का समय है। अतः शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ नया करते हुये ऐसी शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए जिससे डिग्री या ज्ञान के साथ-साथ समर्थवान बन सके...
इस वक्त की शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार का स्वरूप दिया जाए, जिससे हर मानव चाहे वह छोटा बच्चा हो, चाहे घरेलू महिला या कामकाजी कोई व्यक्ति, सभी को अपने हिस्से की सद्भावना और सहिष्णुता के साथ उसकी जरूरी आवश्यकता को आसानी से पूरा करने की योग्यता दी जा सके... इस समय हम सब को मिलकर एक नयी व्यवस्था की रचना करनी चाहिए। ये रचनात्मकता देश और दुनिया को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर किया जाए जिसमें सभी शामिल हों और सभी को इससे लाभ हो, बिना किसी नुकसान के, और इसके लिए सभी को इसमें शामिल होने की आवश्यता होगी। इसके लिए जब जन्मकुंडली पर नजर डालें तो तृतीयेश, पंचमेश भाग्येश, एकादशेश की स्थिति इसके साथ गुरू, सूर्य, बुध तथा शनि को अनुकूल करते हुए अनुशासन, दैनिकचर्या और नियमितता के साथ एकाग्रता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, इसके अलावा राहु जैसे काल्पनिक ग्रह जो कि आज के युग की मांग है को अनुकूल करते हुए डिग्री प्राप्त करने के अलावा व्यक्ति की रूचि और व्यक्तित्व को नजर में रखते हुए आजीविका के साधन तैयार करने का प्रयास करना चाहिए। हम सब मिलकर संकल्प करें कि ना सिर्फ सरकार बल्कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति इस दिशा में एक छोटा सा प्रयास जरूर करेगा। व्यवहारिक तथा आत्मनिर्भरता परक शिक्षा एवं बेरोजगारी को कम करने हेतु ना सिर्फ तकनीकी या स्वरोजगार की योजना अपितु ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लेते हुए एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था को आधार बनाते हुए रोटी तथा रोजगार मूलक शिक्षा को बढावा दिया जाए तो भविष्य में आने वाली पीढियों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालंब तो प्राप्त होगा ही उसके साथ मंहगाई तथा भ्रष्टाचार जैसे राक्षसों से भी निजात पाया जा सकता है।

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