Friday 21 August 2015

कोरबा एक धार्मिक स्थल

कोरबा छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी भी कहलाती है, क्योंकि यहां छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (पूर्ववर्ती छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल) और एनटीपीसी के अलावा कई निजी कंपनियों के विद्युत संयंत्र संचालित हैं। यहां की पहचान एशिया के सबसे बड़े खुले कोयला खदान (ओपन कास्ट माइन) गेवरा माइंस की वजह से भी है, जो साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स (एसईसीएल) द्वारा कोरबा कोयला क्षेत्र में संचालित कई अंडरग्राउंड और ओपनकास्ट माइन्स में से एक है। इसके अलावा यहां भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम संयंत्र भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) स्थित है, जिसे एनडीए शासनकाल में निजी हाथों में सौंप दिया गया था। छत्तीसगढ़ की शक्ति का केन्द्र कोरबा बहुत खूबसूरत स्थान है। इसकी स्थापना 25 मई 1998 ई. को की गई थी। शक्ति का केन्द्र होने के साथ यह प्राकृतिक रूप से भी बहुत आकर्षक है। पर्यटक यहां पर घने जंगलों, पहाड़ों और नदियों आदि के खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। प्राकृतिक रूप से आकर्षक होने के साथ-साथ यह प्राकृतिक संसाधनों से भी भरा पड़ा है। यहां पर कोयले और एल्युमिनियम की बड़ी-बड़ी खदानें हैं। इन खदानों से निकले कोयले और एल्यूयमिनियम का देश-विदेश में निर्यात किया जाता है। यह खदानें इसकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छत्तीसगढ़ की ऊर्जा राजधानी कोरबा अहिरन तथा हसदेव नाम की दो नदियों के संगम पर स्थित है। यह 252 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ की जनसंख्या का ज्यादातर भाग जनजातीय लोगों का है और आदिवासी, गोंड, कवर, बिंजवर, सतनामी, राज गोंड क्षेत्र में पाये जाने वाले कुछ जनजातीय समूह हैं। भारत के प्रमुख पर्वों के अलावा क्षेत्र में पोला, हरेली, कर्मा, देव उठनी आदि स्थानीय जनजातीय पर्व भी मनाये जाते हैं। पोला पर्व बैलों की पूजा के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान बैलों की दौड़ का आयोजन किया जाता है। हरेली सावन के महीने में किसानों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। किसान अपने कृषि सम्बन्धी औजारों की पूजा करते हैं।
कई सदी पहले चैतुरगढ़ की वादियों को न केवल सैर सपाटे, उपासना, वन्य प्राणियों के शिकार के लिए तत्कालीन शासको ने पसंद किया था बल्कि यह जगह उन्हें सामरिक दृष्टिकोण से भी काफी भा गयी थी। कालांतर में उन्होंने यहां ऊंची पहाड़ी पर प्राकृतिक किले का निर्माण अपने तरीके से कराया, जो अब भग्र स्थिति में मौजूद है। यही पर स्थित है देवी महिषासुर मर्दिनी का मंदिर, जो लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
कोरबा जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर स्थित यह स्थान तहसील मुख्यालय पाली से सीधे सडक़ मार्ग से जुड़ा हुआ है। मैकल पर्वत श्रेणी में 22.25 उत्तरीय अक्षांश और 82.15 पूर्व देशांस पर इस स्थान की स्थिति है, जहां महिषासुर मर्दिनी के मंदिर और पत्थरों के प्राचीन किले का निर्माण राजा पृथ्वीदेव प्रथम ने अपने काल में कराया था। वे ईश्वर के परम उपासक थे। अपने शासनकाल में किए गए प्रमुख कार्यों में उन्होंने एक काम चैतुरगढ़ में भी कराया था। समय और परिस्थितियों के साथ संघर्ष करते हुए उक्त स्थान यद्यपि अभी भी अपनी जगह पर बना हुआ है लेकिन उसका स्वरूप काफी हद तक बदल गया है। यह क्षेत्र सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता के मामले में धनी है। यह क्षेत्र उत्तम किस्म के रेशम कोसा के उत्पादन के लिये भी लोकप्रिय है जिसका उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले कपड़ों के निर्माण में किया जाता है जिनसे फिर वस्त्र और पर्दे बनाये जाते हैं। कोसा साडिय़ाँ विश्व प्रसिद्ध हैं। कोसा साडिय़ों को हाट या स्थानीय बाजारों में बेंचा जाता है।
कोरबा और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
छत्तीसगढ़ का कश्मीर : चैतुरगढ़
अलौकिक गुप्त गुफा, झरना, नदी, जलाशय, दिव्य जड़ी-बूटी और औषधीय वृक्ष कंदलओं से परिपूर्ण होने की वजह से चैतुरगढ़ को छत्तीसगढ़ का कश्मीर कहा जाता है। क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में भी यहां का तापमान 30 डिग्री सेन्टीग्रेट से ज्यादा नहीं रहता है। अनुपम अलौकिक, प्राकृतिक छटा का वह क्षेत्र दुर्गम भी है। बिलासपुर कोरबा रोड के 50 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक जगह पाली है जहां से करीब 125 किलोमीटर दूर लाफा है। लाफा से 30 किलोमीटर ऊंचाई पर है चैतुरगढ़। चैतुरगढ़ में आदिशक्ति मां महिषासुर मर्दिनी का मंदिर, शंकर खोल गुफा दर्शनीय एवं रमणीय स्थल है। इस पर्वत श्रृंखला में चामादहरा, तिनधारी और श्रृंगी झरना अद्वितीय सुंदर है। इस पर्वत श्रृंखला में जटाशंकरी नदी का उद्गम स्थल भी है। इसी नदी के आगे तट पर तुम्माण खोल प्राचीन नाम माणिपुर स्थिर है जो कलचुरी राजाओं की प्रथम राजधानी थी। पौराणिक कथा के अनुसार मातेश्वरी ने चामर चक्षुर, वाण्कल विड़ालक्ष एवं महाप्रतापी महिषासुर का संहार कर कुछ पल इस पर्वत शिखर पर विश्राम पर देवों को मनवांछित वर प्रदान कर माणिक द्वीप में अंतध्र्यान हो गई थी। दुर्गम पहाड़ी पर स्थित होने की वजह से कई वर्षों तक यह क्षेत्र उपेक्षित रहा। सातवीं शताब्दी में वाणवंशीय राजा मल्लदेव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके बाद जाज्वल्बदेव ने भी मंदिर और किले का जीर्णोद्धार करवाया था। चैतुरगढ़ किले के चार द्वार बताये जाते हैं जिसमें सिंहद्वार के पास महामाया महिषासुर मर्दिनी का मंदिर है तो मेनका द्वार के पास है शंकर खोल गुफा। मंदिर से तीन किलोमीटर दूर शंकर खोल गुफा का प्रवेश द्वार बेहद छोटा है और एक समय में एक ही व्यक्ति लेटकर जा सकता है। गुफा के अंदर शिवलिंग की स्थापना है। कहते हैं कि पर्वत के दक्षिण दिशा में किले का गुप्त द्वार है जो अगम्य है। किंवदंती के अनुसार आदि शक्ति मां महिषासुर मर्दिनी इसे गुप्त द्वार से ही गुप्त पुरी माणिक द्वीप में अंतध्र्यान हुई वहीं धनकुबेर का खजाना इसी द्वार से लाया जाता रहा है। अपने अलौकिक प्राकृतिक छटा के साथ ही चैतुरगढ़ ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक, स्थलों के रूप में प्रसिद्ध है। दुर्गम पहाड़ी पर पर्यटन का अपना अलग ही आनंद है। चैतुरगढ़ की तलहटी पर लाफा में प्राचीन महामाया मंदिर और बूढ़ारक्सादेव के दर्शन किए जा सकते हैं। पाली में नौकोनिया तालाब के तट पर प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर की स्थापत्य कला आबू के जैन मंदिरों की तरह अद्भूत है। जालीदार गुम्बज एवं स्तम्भों में उत्कीर्ण मूर्तियां कलात्मक एवं सुंदर है। पाली में पर्यटकों के विश्राम हेतु पर्यटन मंडल ने विश्राम गृह का निर्माण किया है।
चैतुरगढ़
चैतुरगढ़ को लाफागढ़ के नाम से भी जाना जाता है। कोरबा जिला मुख्यालय से 70 कि.मी. दूर पाली के पास 3060 मी. ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसका निर्माण राजा पृथ्वी देव ने कराया था। यह एक किले जैसा लगता है। इसमें तीन प्रवेश द्वार हैं। इन प्रवेश द्वारों के नाम मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार हैं। चैतुरगढ़ का क्षेत्रफल 5 वर्ग कि.मी. है और इसमें पांच तालाब हैं। इन पांच तालाबों में तीन तालाब सदाबहार हैं, जो पूरे वर्ष जल से भरे होते हैं। चैतुरगढ़ में महिषासुर मर्दिनी मन्दिर है। मन्दिर के गर्भ में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसके बारह हाथ हैं। नवरात्रों में यहां पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। स्थानीय निवासी इस पूजा में बड़ी श्रद्धा से भाग लेते हैं।
मन्दिर के पास खूबसूरत शंकर गुफा भी है, जो लगभग 25 फीट लंबी है। गुफा का प्रवेश द्वार बहुत छोटा है। इसलिए पर्यटकों को गुफा में प्रवेश करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। मन्दिर और गुफा देखने के अलावा पर्यटक इसकी प्राकृतिक सुन्दरता की झलकियां भी देख सकते हैं। वह यहां पर पर वन्य पशु-पक्षियों को देख सकते हैं।
कोसगाईगढ़
कोरबा-कटघोरा रोड पर फुटका पहाड़ की चोटी पर स्थित कोसगाईगढ़ बहुत खूबसूरत है। यह समुद्र तल से 1570 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। कोसागाईगढ़ में एक खूबसूरत किला है। इसका प्रवेश द्वार एक गुफा की भांति है और यह इतना संकरा है कि इसमें से एक बार में केवल एक व्यक्ति गुजर सकता है। किले के चारों तरफ घना जंगल है, जिसमें अनेक प्रजाति के वन्य पशु-पक्षियों को देखा जा सकता है। कोसगाईगढ़ में पर्यटक किले के अलावा भी अनेक ऐतिहासिक अवशेषों देख सकते हैं। यहां स्थित माता कोसगाई के मंदिर की अपनी महिमा है, मंदिर में माता की इच्छानुरुप छत नहीं बनाया गया है।
मड़वारानी
कोरबा जिला मुख्यालय से 22 कि.मी. की दूर कोरबा-चांपा रोड पर मड़वारानी मन्दिर स्थित है। यह मन्दिर एक चोटी पर बना हुआ है और मदवरानी देवी को समर्पित है। स्थानीय निवासी के अनुसार सितम्बर-अक्टूबर में नवरात्रों में यहां पर कल्मी के वृक्ष के नीचे ज्वार उगती है। नवरात्रों में यहां पर स्थानीय निवासियों द्वारा भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासियों के साथ पर्यटक भी बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
सर्वमंगला मंदिर
कोरबा शहर से लगा हुआ दुर्गा देवी को समर्पित सर्वमंगला मन्दिर कोरबा के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। इसका निर्माण कोरबा के जमींदर राजेश्वर दयाल के पूर्वजों ने कराया था। सर्वमंगला मन्दिर के पास त्रिलोकीनाथ मन्दिर, काली मन्दिर और ज्योति कलश भवन हैं। पर्यटक इन मन्दिरों के दर्शन भी कर सकते हैं। इन मन्दिरों के पास एक गुफा भी जो नदी के नीचे से होकर गुजरती है। कहा जाता है कि रानी धनराज कुंवर देवी इस गुफा का प्रयोग मन्दिरों तक जाने के लिए किया करती थी।
कोरबा और इसके आसपास के क्षेत्र के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में माडवा रानी, कनकी, कोसागईगढ़, केन्डई झरने और चित्तौडग़ढ़ का किला शामिल हैं। यहाँ के मन्दिर और किले देखने लायक हैं। इसके अलावा यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता भी कई पर्यटकों को आकर्षित करती है। सुन्दर केन्डई झरना भी पर्यटकों के लिये लुभावना दृश्य प्रस्तुत करता है। चित्तौडग़ढ़ का किला क्षेत्र का प्रसिद्ध किला है और नव रात्रि के दौरान यहाँ भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।
मदवरानी
कोरबा के मुख्यालय से 22 कि.मी. की दूर कोरबा-चम्पा रोड पर सुन्दर मदवरानी मन्दिर स्थित है। यह मन्दिर एक चोटी पर बना हुआ है और मदवरानी देवी को समर्पित है। स्थानीय निवासी के अनुसार सितम्बर-अक्टूबर में नवरात्रों में यहां पर कल्मी के वृक्ष के नीचे ज्वार उगती है। नवरात्रों में यहां पर स्थानीय निवासियों द्वारा भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासियों के साथ पर्यटक भी बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
पाली
बिलासपुर से कोरबा मार्ग पर 50 कि.मी. पर स्थित, प्राचीन नगर। राजा जाजल्यदेव और विक्रमादित्य की नगरी। मुख्य मार्ग पर 9वीं शताब्दी के राजा विक्रमादित्य द्वितीय द्वारा निर्मित खजुराहों कलाकृतियों पर आधारित शिवमंदिर।
चैतुरगढ़ का किला
पाली से 30 कि.मी. दूर विषम भौगोलिक संरचना के बीच चैतुरगढ़ का किला स्थित। कल्चुरी शासन काल के अतंर्गत राजा पृथ्वी देव प्रथम के समय में 821 ईस्वी तथा 1069 ईस्वी के आसपास निर्मित। यह कल्चुरी संरचनाये दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण अभेद्य। प्रख्यात पुरात्तविद बेगलर ने अपनी किताब में देश के अभेद्य किलों में इसकी गणना की। तीन हजार फीट की ऊँचाई पर गरगज सरोवर तालाब का होना ही पर्यटकों को आश्चर्य में डाल देता हैं चैतुरगढ़ किले की भौगोलिक संरचना ऐसी है कि वहां से सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों का मनोहर दृश्य देखा जा सकता है। दुर्गम पहाडिय़ों तथा सघन वनों से आच्छादित, वर्ष भर हरियाली और शीतल जलवायु के कारण ही इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर कहा जाता है।
केंदई जल प्रपात:
कोरबा जिले के साल के घने वन प्रदेश से घिरे केन्दई गांव में यह जल प्रपात स्थित है यहां एक पहाड़ी नदी करीब 200 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरकर इस जलप्रपात का निर्माण करती है। इस जलप्रपात को पास में स्थित विशाल शिलाखंड से इस जलप्रपात को देखना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है ।
कनकेश्वर महादेव मंदिर: भोले भंडारी का एक अनोखा धाम
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हसदेव नदी के तट पर कनकी नाम का एक छोटा सा गांव है. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कनकी का कनकेश्वर महादेव मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसे चक्रेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है. कनकी रायपुर से 197 किलोमीटर की दूरी पर कोरबा जिले में स्थित है.
यहां मान्यता है कि एक गाय रोज जाकर इस शिवलिंग पर दूध चढ़ाती थी. एक दिन गाय को ग्वाले ने ऐसा करते देख लिया. गुस्से में उसने जहां दूध गिर रहा था वहां डंडे से प्रहार कर दिया. जैसे ही उसने डंडा मारा कुछ टूटने की आवाज आई और कनकी (चावल के टुकड़े) के दाने वहां बिखर गए. उस जगह की सफाई करने पर वहां एक टूटा हुआ शिवलिंग मिला. बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया गया.Ó
उन्होंने बताया कि शिवलिंग के पास कनकी के दाने पड़े होने के कारण मंदिर का नाम कनकेश्वर महादेव रखा गया. मंदिर के स्थापित होने के बाद वहां पर गांव भी बस गया जिसका नाम कनकी रखा गया. हर साल सावन में यहां भोले के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है.
तुमान
यह पुरातात्विक स्थल कटघोरा से 15 किलोमीटर दूर पेण्डा रोड जटगा पसान मार्ग पर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित है। तुमान हैहयवंषी कलचुरी राजाओं की राजधानी रही है। इसे प्राचीन छत्तीसगढ़ की प्रथम राजधानी का गौरव भी प्राप्त है। कलचुरी शासक कोकल्लदेव के सबसे छोटे पुत्र कलिंगराज ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। इनके पुत्र कमलराज और कमलराज के पुत्र रत्नदेव प्रथम तक यह क्षेत्र (1050 ई.तक) राजधानी रही थी। फिर राजधानी रतनपुर चला गया, 1165 ई.में से 1170 ई.तक जाजल्लदेव द्वितीय के समय पुन: राजधानी रहा। इन समयों में यहां रत्नेष्वर, बंकेष्वर आदि मंदिर, राजप्रासाद, तालाब आदि बनवाये गये जिनके अवषेष आज भी है। यहां की मंदिरों में पाए गए मूर्तियों की तुलना भोरमदेव और खजुराहों से होती है। यह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मण्डल रायपुर द्वारा संरक्षित है।
छुरी
यह ऐतिहासिक धार्मिक और पर्यटन दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण गढ़ जिला मुख्यालय कोरबा से अजगरबहार-देवपहरी लेमरू मार्ग पर अजगर बहार से 6 किलोमीटर और कोरबा से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। प्यारेलाल गुप्त जी के अनुसार इस किले का निर्माण 12 वीं शताब्दी में सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखकर पहाड़ को काटकर कराया गया था जिसका जिर्णोध्दार 16 वीं शताब्दी में रतनपुर के शासक बाहर साय (बाहरेंद्र साय) के द्वारा कराया गया था। यहां से दो शिलालेख भी मिले हैं जो वर्तमान में नागपुर संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। पहाड़ के छत पर लगभग 2080 फीट की उंचाई पर कोसगाई देवी का मंदिर है। इसके अलावा भी यहां देखने योग्य गौमुखी झरना, बहराद्वार, उमा महेष्वर, ठाकुर देव मंदिर तोपखाना आदि है। पूर्व में यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मण्डल द्वारा संरक्षित घोषित किया गया था।
बांगो बांध
जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर बांगो नामक स्थान पर हसदेव नदी पर एक बांध बनाया गया है जिसे मिनीमाता बांगो बांध के नाम से जाना जाता है। इस बांध की जल ग्रहण क्षमता 3416 घनमीटर है।यहां पानी से 120 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है। प्राकृतिक सौंदर्य से यह स्थल परिपूर्ण है।
बुका
यह पर्यटन क्षेत्र कोरबा मुख्यालय से 95 किलोमीटर दूर पुराने अंबिकापुर मार्ग पर कटघोरा से गुरसिया से बुका पहुंच मार्ग पर है। यहां आरामगृह उद्यान और नौकायन की सुविधा है। पर्यटन के लिए बरसात को छोड़कर किसी भी महीने में घूमने लायक है। यहां का प्राकृतिक दृश्य और वातावरण मनोहारी है।
दर्री बराज
कोरबा जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर औद्योगिक नगरी कोरबा को जीवित रखने वाली 14 गेट युक्त एक बराज का निर्माण हसदेव नदी पर कियाा गया है और यहीं से सभी उद्योगों को जल प्रदाय किया जाता है। ये सभी प्लांट और ये बराज पर्यटन की दृष्टि से दर्षनीय है।
कुदुरमाल
कोरबा जिलान्तर्गत उरगा से दो कि.मी. पर कबीर पंथियों का तीर्थ स्थल कुदुरमाल है यहाँ कबीर पंथ के धर्म गुरूओं की समाधि है। प्रतिवर्ष यहाँ माघ पूर्णिमा को मेला लगता है और संत समागम होता है।
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग
मुम्बई, भोपाल, नागपुर और खजुराहो से रायपुर हवाई अड्डे तक प्रतिदिन वायु सेवा है। रायपुर से पर्यटक आसानी से कोरबा तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग
कोरबा सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुटा हुआ है।
कहां ठहरें
होटल सेन्टर प्वाइंट
लोकेशन: स्टेडियम रोड, ट्रांसपोर्ट नगर
एस.ई.सी.एल. गेस्ट हाऊस
लोकेशन: महिषासुर मर्दिनी मन्दिर के नजदीक
चेतूरागढ़, कोरबा
महिषासुर मर्दिनी मन्दिर
लोकेशन: चेतूरागढ़
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कुंडली में केमद्रुम योग!

केमद्रुम योग!
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बनने वाले विभिन्न प्रकार के अशुभ योगों में से केमद्रुम योग को बहुत अशुभ माना जाता है। केमद्रुम योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली में यदि चन्द्रमा के अगले और पिछले दोनों ही घरों में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली में केमद्रुम योग बन जाता है जिसके कारण जातक को निर्धनता अथवा अति निर्धनता, विभिन्न प्रकार के रोगों, मुसीबतों, व्यवसायिक तथा वैवाहिक जीवन में भीषण कठिनाईयों आदि का सामना करना पड़ता है। अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि केमद्रुम योग से पीडि़त जातक बहुत दयनीय जीवन व्यतीत करते हैं तथा इनमें से अनेक जातक अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाईयों तथा असफलतओं का सामना करते हैं तथा इन जातकों के जीवन का कोई एक क्षेत्र तो इस अशुभ योग के प्रभाव के कारण बिल्कुल ही नष्ट हो जाता है जैसे कि इस दोष से पीडि़त कुछ जातकों का जीवन भर विवाह नहीं हो पाता, कुछ जातकों को जीवन भर व्यवसाय ही नहीं मिल पाता तथा कुछ जातक जीवन भर निर्धन ही रहते हैं। केमद्रुम योग के प्रबल अशुभ प्रभाव में आने वाले कुछ जातकों को लंबे समय के लिए कारावास अथवा जेल में रहना पड़ सकता है तथा इस योग के प्रबल अशुभ प्रभाव में आने वाले कुछ अन्य जातकों को देश निकाला जैसे दण्ड भी दिये जा सकते हैं। केमद्रुम योग से पीडि़त जातकों का सामाजिक स्तर सदा सामान्य से नीचे अथवा बहुत नीचे रहता है तथा इन्हें जीवन भर समाज में सम्मान तथा प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती।
केमद्रुम योग के निर्माण संबंधित नियम का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि केमद्रुम योग बहुत सी कुंडलियों में बन जाता है तथा इसी के अनुसार संसार के बहुत से जातक केमद्रुम योग द्वारा दिये जाने वाले अशुभ फलों तथा मुसीबतों से पीडि़त होने चाहिए। केमद्रुम योग द्वारा प्रदान किए जाने वाले अशुभ फल बहुत चरम हैं तथा इसी कारण इस योग का निर्माण बहुत कम कुंडलियों में ही होना चाहिए क्योंकि संसार के बहुत से जातक इस प्रकार के चरम अशुभ फलों से पीडि़त नहीं पाये जाते। इस लिए इस अशुभ योग के किसी कुंडली में बनने के लिए कुछ अन्य नियम भी आवश्यक हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं किसी कुंडली में केमद्रुम योग के निर्माण के लिए कुंडली में चन्द्रमा के साथ कोई ग्रह स्थित नहीं होना चाहिए तथा कुंडली के केन्द्र के घरों अर्थात 1, 4, 7 तथा 10वें घर में भी राहु अथवा केतु के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह नहीं होना चाहिए तथा चन्द्रमा का कुंडली में राहु अथवा केतु के अतिरिक्त किसी भी अन्य ग्रह के साथ दृष्टि के माध्यम से भी संबंध नहीं होना चाहिए। हालांकि उपर बताए गए अतिरिक्त नियम अपने आप में ही केमद्रुम योग को दुर्लभ बनाने के लिए पर्याप्त हैं किन्तु इन नियमों के अतिरिक्त भी कुछ तथ्यों पर विचार करना चाहिए।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में चन्द्रमा को सबसे अधिक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जिसका निश्चय इन तथ्यों से किया जा सकता है कि आज भी बहुत से वैदिक ज्योतिषी चन्द्रमा की स्थिति वाले घर को ही कुंडली में लग्न मानते हैं, चन्द्र राशि को ही जातक की जन्म राशि कहा जाता है, चन्द्र नक्षत्र को ही जातक का जन्म नक्षत्र कहा जाता है, विंशोत्तरी जैसी महादशाओं की गणना भी चन्द्रमा के आधार पर ही की जाती है तथा विवाह कार्यों के लिए कुंडली मिलान में प्रयोग होने वाली गुण मिलान की प्रक्रिया भी केवल चन्दमा की स्थिति के आधार पर ही की जाती है जिससे यह सपष्ट हो जाता है कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा ही प्रत्येक कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं। किसी कुंडली में जब चन्द्रमा जैसा सबसे अधिक महत्वपूर्ण ग्रह किसी भी प्रकार के प्रभाव से रहित होकर अकेला पड़ जाता है तथा कुंडली के सबसे अधिक महत्वपूर्ण माने जाने वाले केन्द्र के घरों में भी कोई ग्रह स्थित न होने के कारण अकेलेपन की स्थिति ही बनती हो तो इसका अर्थ यह निकलता है कि ऐसी कुंडली में किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण तथा शुभ फलदायी परिणामों को जन्म देने की क्षमता बहुत कम है जिसके चलते जातक अपने जीवन में कुछ भी विशेष नहीं कर पाता। इस प्रकार कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण ग्रह तथा कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र के घरों के प्रभावहीन होने से कुंडली में केमद्रुम योग बन जाता है जिसके प्रभाव में आने वाला जातक कुछ विशेष उपलब्धियां प्राप्त नहीं कर पाता।
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हाथ की उंगलियां और मनुष्य के विचार एवं भावनाएं

हाथ की उंगलियां एवं हथेली में स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत व्यक्ति के विचारों एवं भावनाओं को दर्शाते हैं। मनुष्य के विचार एवं भावनाएं सत्व, राजस एवं तमस गुणों का मिश्रण होते हैं। सत्व गुण की मुख्य विशेषता ज्ञान एवं सहनशीलता है। अन्य विशेषताएं करुणा, विश्वास, प्रेम, आत्म-नियंत्रण, समझ, शुद्धता धैर्य, और स्मृति हैं। राजस की मुख्य विशेषता गतिविधि एवं प्रवृत्ति है। अन्य विशेषताएं महत्वाकांक्षा, गतिशीलता, बेचैनी, जल्दबाजी, क्रोध, इष्या, लालच और जुनून है। तमोगुण की मुख्य विशेषता है जड़ता या मूढ़ता। अन्य विशेषताएं सोच या व्यवहार, लापरवाही, आलस, भुलक्कड़पन, हिंसा और आपराधिक विचार हैं।
मनुष्य के विचारों में किस गुण की प्रधानता है इसका निर्धारण उस मनुष्य की हाथ के हथेलियों में स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत एवं उंगलियों को देखकर किया जा सकता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथ की हथेली को मुख्यत: तीन भागों मे विभाजित किया जाता है। ये तीन भाग सत्व, राजस एवं तमस गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हथेली के अग्र भाग में स्थित गुरु, शनि, सूर्य एवं बुध के पर्वत जो कि क्रमश: तर्जनी, मध्यमा, अनामिका एवं कनीष्टिका उंगलियों के ठीक नीचे स्थित होते हैं। मनुष्य के सात्विक गुणों को दर्शाते है। मंगल का उच्च पर्वत एवं मंगल का निम्न पर्वत जो हथेली के मध्य भाग में स्थित होते हैं राजसिक तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुक्र एवं चंद्रमा के पर्वत हथेली के निचले भाग मे स्थित होते हैं। ये मनुष्य के तामसिक गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस ग्रह का पर्वत जितना उभरा हुआ होगा व्यक्ति में उस ग्रह से संबन्धित गुण उतने ही अधिक होंगे।
हाथ की उंगलियों में सत्व, राजस एवं तमस गुण क्रमश उंगली के ऊर्ध्व, मध्य एवं निम्न भाग दर्शाते हैं। उंगलियों के ये भाग अंग्रेजी में फैलैंगक्स के नाम से जाने जाते हैं। व्यक्ति की हथेलियों एवं उंगलियां को देखकर उसके व्यक्तित्व, आचार, विचार एवं व्यवहार के बारे में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है। उंगलियों का निचला भाग जो कि हथेली से जुड़ा हुआ होता है व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। यह भाग व्यक्ति के भौतिक, आर्थिक स्तर, उसके खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक स्तर आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। उंगली के इस भाग से शरीर एवं बुद्धि के सामंजस्य का अध्ययन किया जाता है। उंगलियों का मध्य भाग व्यक्ति की व्यावहारिकता एवं उसके आस-पास के वातावरण से उसके सामंजस्य का आभास होता है। उंगली के इस भाग से व्यक्ति के कार्य क्षेत्र एवं व्यवसाय के बारे में भी जानकारी मिलती है। उंगलियों के ऊर्ध्व भाग से व्यक्ति की नियमबद्धता, दूरदर्शिता, कार्यकुशलता, सदाचरण एवं नैतिक मूल्यों का पता चलता है।
जिन व्यक्तियों की उंगलियों के तीनों भाग बराबर होते हैं उनका व्यक्तित्व आमतौर पर संतुलित होता है। जब एक व्यक्ति की उंगलियों के ऊर्ध्व एवं मध्य भाग बराबर होते हैं तब उस व्यक्ति की संकल्प शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता मे सामंजस्य होता है। यदि ऊर्ध्व भाग अन्य दो भागों से बड़ा होता है तो संकल्प शक्ति की कमी का कारण व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति में कमी पाता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है एवं व्यक्ति अपनी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है।
यदि उंगलियों का मध्य भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा है तो व्यक्ति की तार्किक क्षमता एवं बौद्धिक क्षमता प्रबल होती है। परंतु उसकी संकल्प शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता मे कमी कारण सफलता मिलने मे देरी हो सकती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या की भावना से भी ग्रस्त हो सकते हैं। क्योंकि बुद्दिमत्ता में अन्य व्यक्तियों से कम न होने पर भी वे उनके जीतने सफल नहीं होते हैं। परंतु इसका प्रमुख कारण यह है कि उनकी संकल्प शक्ति एवं इच्छा शक्ति मे कमी है और इसे केवल मेहनत एवं कठिन परिश्रम से ही जीता जा सकता है।
यदि उंगलियों का निम्न भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा होता है तो आप विवेक पूर्ण एवं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने में समर्थ हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक प्रकृति के होते हैं। वे अपना समय, पैसा एवं सलाह जरूरतमंदों के लिए खर्च करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसके लिए यदि उन्हे आलोचना भी सहनी पड़े तो वे उसके लिए तैयार रहते हैं।
हाथ की उंगलियों की स्थिति जिस व्यक्ति की पूर्ण रूप से व्यस्थित होती है वे व्यक्ति जीवन में बहुत सफल होते हैं। लंबी एवं पतली उंगलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं जबकि मोटी उंगलियों वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां कोण के आकार की होती हैं वे अत्यधिक संवदेनशील होते हैं तथा अपनी वेषभूषा एवं सौन्दर्य का विशेष ध्यान रखते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां ऊपर से नुकीली होती हैं वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं तथा इनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है। स्वभाव से ये नम्र होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलिया ऊपर से चौकोर होती हैं वे व्यावहारिक, तर्कसंगत एवं नम्र होते हैं। ये परम्पराओं एवं रूढि़वादिता में विश्वास रखते हैं। जिनकी उंगलियां स्पैचुल के आकार की होती हैं वे व्यक्ति साहसी, यथार्थवादी एवं घूमने के शौकीन होते हैं। ये कार्य करने के शौकीन होते है एवं अनेक विषयों के ज्ञाता होते हैं। इस तरह के व्यक्ति वैज्ञानिक, इंजिनियर या कार्य कुशल तकनीशियन होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां सीधी होती हैं वे व्यक्ति ईमानदार, शालीन एवं न्यायसंगत होते हैं। जीवन में अच्छी तरक्की करते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां गांठदार होती हैं वे बहुत व्यावहारिक एवं अच्छे नियोजक होते है। वे स्पष्टवक्ता होते है। लंबी उंगलियों वाले व्यक्ति शिक्षा में रुचि रखते हैं एवं अच्छे विश्लेषक होते हैं।
जिस हाथ में उंगलियों की स्थिति अव्यवस्थित होती है विशेष तौर पर जब कनिस्ठिका उंगली जो कि बुध की उंगली के नाम से जानी जाती है बहुत छोटी होती है तब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है। उंगलियों की आकृति धनुषाकार होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व संतुलित होता है तथा वह व्यक्ति बहुत विचारशील होता है।
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मीन राशिफल 2015

मीन :
मीन राशिफल 2015- स्वभाव
                आप धार्मिक रिवाजों और प्रथाओं का पालन करने वाले हैं। आपकी रुचि अज्ञात और रहस्य की खोज में हो सकती है। आपमें जनकल्याण की भावना है।
मीन राशिफल 2015- परिवार
                पारिवारिक दृष्टिकोण से वर्ष का प्रथम भाग अनुकूल रहेगा। परिवार में सुख और शान्ति का वातावरण बनेगा। आप पारिवारिक सुख प्राप्त करेंगे। लेकिन वर्ष के दूसरे भाग में राहु का गोचर सप्तम भाव में हो जाने के कारण दाम्पत्य जीवन में कुछ उथल पुथल सम्भव है। कोशिश करें कि आपके भीतर अहंकार युक्त भावनाएं न पनपने पाएं। गुरूजनों और माता पिता से संबंधों को और बेहतर बनाने की कोशिश करें। बृहस्पति का गोचर इस मामले में आपकी सहायता करेगा। फलस्वरूप आप विपरीत परिस्थितियों से उबर के पारिवारिक सामंजस्य बनाने में कामयाब रहेंगें।
मीन राशिफल 2015- स्वास्थ्य
                वर्ष का प्रथम भाग आपके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल रहेगा। इस अवधि में साधारण या छोटी-मोटी बीमारियों को छोड दिया जाय तो लगभग जून के महीने तक स्वास्थ्य में अनुकूलता बनी रहेगी। यदि मौसम जनित किसी बीमारी से आपको कष्ट होता भी है तो वह जल्द ही दूर भी हो जाएगा। लेकिन जुलाई से गोचर का केतु प्रथम भाव में होने के कारण स्वास्थ्य में कुछ नरमी रह सकती है। इस अवधि का उपयोग आप मन को एकाग्र करने समाधि और योग क्रियाओं को करने के लिए भी कर सकते हैं। इससे आपमे उत्साह का संचार होगा। समय-समय पर आप जलवायु परिवर्तन करने जाते रहेंगे।
मीन राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
                दृष्टिकोण से कार्य-व्यवसाय के लिए यह वर्ष अच्छा रहेगा। व्यापार में बदलाव या नौकरी की पदोन्नति की संभावना है। पदोन्नति मनोनुकूल रहेगी। सरकारी अफसरों, वरिष्ठ लोगों का सहयोग भी आपको मिल सकता है जिससे आपके कामों में लाभ का इजाफा हो सकता है। कुछ व्यवसायिक और अनुभवी व्यक्तियों से मिलकर आप अपनी कार्यशैली को और अधिक सुधार पाएंगे। कुछ प्रतिस्पर्धी अडचने पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन आप उन पर नियंत्रण पा लेंगे। आप अपने लक्ष्य से भ्रमित नहीं होंगे और अपने काम को पूरा करके ही रहेंगे।
मीन राशिफल 2015- धन
                इस वर्ष आपकी आमदनी में निरंतरता बनी रहेगी। आमदनी के किसी नए श्रोत के मिलने की भी उम्मीद है। किसी व्यापार या व्यवसाय को शुरु करने में खर्चे हो सकते हैं। हालांकि कहीं से अचानक कोई बडा लाभ भी हो सकता है। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि इस वर्ष आप कोई बैंक बैलेंस न बना पाएं। इसके पीछे कारण यह हो सकते है कि आप कोई सम्पत्ति खरीद सकते हैं या कहीं पूंजी निवेश कर सकते हैं। यदि आपका पैसा कहीं रुका हुआ है तो थोडे से प्रयास से उसकी प्राप्ति हो सकती है। कुल मिलाकर यह साल आर्थिक मामलों के लिए अनुकूल रहेगा।
मीन राशिफल 2015- विद्या
                अध्ययन के लिए यह वर्ष मिलाजुला रहेगा। कडी मेनत करने वालों को उत्तम परिणामों की प्राप्ति होगी लेकिन अध्ययन में लापरवाही करने वालों को रुकावट का सामना करना पड सकता है। अपने अध्यापकों और प्राध्यापकों से उत्तम रिश्ते बनाए रखने का प्रयास करें। उनसे की गई बेवजह बहसबाजी आपको परेशानी में डाल सकती है। ऐसे विद्यार्थी जो तर्कशास्त्र से संबंध रखते हैं उनके लिए समय अनुकूल रहेगा। प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के लिए वर्ष का दूसरा भाग शुभ और अनुकूल है। विदेश जाकर शिक्षा लेने वालों के लिए समय मध्यम फलदायी है।
मीन राशिफल 2015- उपाय
1.            धर्म स्थान में जाकर पूजन करें।
2.            कुल पुरोहित का आशीर्वाद लें,
3.            किसी के सामने स्नान न करें।
4.            संतों की सेवा करें तथा धर्म स्थान की सफाई करें।
5.            कोई भी कार्य पत्नी या माता की सलाह से ही करें।
6.            किसी से मदद स्वीकार न करें, अपने भाग्य पर विश्वास करें।



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मकर राशिफल 2015

मकर :
मकर राशिफल 2015- स्वभाव
                आप उदार स्वभाव के दूसरों के प्रति सहानुभूति रखते हैं। आप हर किसी को प्रोत्साहित करने की योग्यता रखते हैं। आपका जीवन महान आकांक्षाओं से भरा हुआ होना चाहिए। सामन्यत: आप स्वयं को परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेते हैं। आप परिश्रमी व्यक्ति हैं लेकिन कुछ मामलों आप दिखावा पसंद भी हो सकते हैं।
मकर राशिफल 2015- परिवार
                पारिवारिक मामलों में यह वर्ष मिश्रित फलदायी रहेगा। वर्ष के पहले भाग में केतु और बृहस्पति दोनो का गोचर अनुकूल न होने के कारण घरेलू व पारिवारिक जीवन में कुछ विसंगतियां रह सकती हैं। अथवा परिवार के किसी सदस्य को लेकर मन में चिंता रह सकती है। अत: आपको चाहिए कि छोटी छोटी बातों पर झगड़ें और विवाद करने से बचें।लेकिन वर्ष के दूसरे भाग में परिवार में कोई मांगलिक कार्य होने के भी योग बनेंगे। परिवार के विरोध दूर होंगे और परिवार के लोगों का व्यवहार आपके प्रति बहुत अच्छा हो जाएगा। किसी निकट सम्बंधी के बारे में कुछ अच्छी खबर मिल सकती है।
मकर राशिफल 2015- स्वास्थ्य
साल की शुरुआत स्वास्थ्य के लिहाज से कम ठीक रह सकती है। सम्भवत: आपको ऐसा लगे कि आपकी शारीरिक ऊर्जा धीरे-धीरे करके कम हो रही है। कुछ पेट की तकलीफें भी परेशान कर सकती हैं, लेकिन खान-पान पर संयम रखकर इसे कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ बेवजह की यात्राएं आपको थका सकती हैं। लेकिन साल का दूसरा भाग आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है। इस समय आपका आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कुछ मौसम जनित बीमारियों को छोडकर कोई विशेष बीमारी होने के योग नहीं हैं।
मकर राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
                राहु का गोचर अनुकूल न होने के कारण छोटे कामों के लिये भी आपको बहुत मेहनत करनी पड़ सकती है। लेकिन शीघ्र ही आप इन पर नियंत्रण पा लेंगे। लेकिन नौकरीपेशा लोगों के लिए समय अशूभ रहेगा, उनकी अधिक मेहनत और लगन के बाद भी स्थिति खराब रह सकती है। लेकिन साल के दूसरे भाग में आप नए उद्यम शुरू करेंगे। भाग्यस्थ राहु के कारण इस समय बेहद सावधानी से निवेश करें।
मकर राशिफल 2015- धन
                राशिफल 2015के नज़रिए से आर्थिक मामलों के लिए यह साल कष्टकारी प्रतीत हो रहा है। यदि आप निष्ठा के साथ प्रयास करते हैं तो पैसों को लेकर परेशानी नहीं होगी। हांलाकि कि साल की शुरुआत में रुपए पैसों को लेकर कुछ मेहनत करने पड सकती है। आपकी आमदनी की अपेक्षा खर्च में बढोत्तरी के योग बने हुए हैं।
मकर राशिफल 2015- विद्या
                लग्रस्थ गुरू से विद्यार्थियों के लिए यह वर्ष सामान्यतय: अनुकूल रहेगा। हालांकि साल के पहले भाग में कुछ कठिनाइयां रहेंगी। किसी सफलता के लिए आपको अपेक्षाकृत अधिक प्रयास करना पड़ेगा तब प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलेगी। लग्रस्थ गुरू अनुकूल है किंतु भाग्य स्थान का राहु राह में रोडा डाल सकता है।
मकर राशिफल 2015- उपाय
1.            किसी धर्म स्थान में अखरोट चढ़ाएं और उसी में से थोड़ा बहुत घर में लाकर रख लें।
2.            चिटी, कौओं और मजदूरों को आहार का दान करें।
3.            गरीबो की सेवा करें।
4.            असत्य का पक्ष न लें न ही असत्य बोलें।
5.            घर के किसी हिस्से में अंधेरा न रखें।

6.            पूर्व दिशा वाले मकान में निवास करें।


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वृश्चिक राशिफल 2015

वृश्चिक
वृश्चिक राशिफल 2015- स्वभाव
आप स्वतन्त्र रुप से कार्य करने की चाह होने के कारण आप अपने कार्यो में दूसरों का हस्तक्षेप पसन्द नहीं करते है। आप एक अच्छे वक्ता और लेखक हो सकते हैं। आप उदार स्वभाव के होने के साथ-साथ कुछ व्यंग्यात्मक और आवेगी भी हो सकते हैं। आप अत्यधिक चंचल प्रवृति के व्यक्ति हैं और इस कारण आप प्यार में उत्साहित रहते हैं। आप परम्पराओं में एक हद तक ही विश्वास रखते हैं।
वृश्चिक राशिफल 2015- परिवार
यह वर्ष आपके पारिवारिक मामलों के लिए मिलेजुले परिणाम देने वाला रहेगा। साल के पहले भाग में परिवार की किसी स्त्री से आपके मतभेद हो सकते हैं अथवा संबंध बिगड सकते हैं। परिवार के कुछ लोगो का बर्ताव आपके साथ प्रतिकूल भी रह सकता है। यहां तक कि मित्र और रिश्तेदार अपनी कही बातों से मुकर सकते हैं। अत: परिवार से जुडे हर मामले में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। हालांकि साल के दूसरे भाग में स्थितियां धीरे-धीरे आपके पक्ष में आने लगेंगी। आप किसी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करवा सकते हैं या कोई शुभ कार्य हो सकता है जिसमें परिवार के सभी लोग एकत्र होकर वैमनस्य को भूल जाएंगे।
वृश्चिक राशिफल 2015- स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के लिए यह वर्ष अनुकूल नहीं है। अत: स्वास्थ्य को लेकर किसी प्रकार की लापरवाही उचित नहीं होगी। एकादश भाव में राहु और लग्प का शनि आपको शारीरिक कष्ट देने का संकेत है। अत: साल के पहले भाग में कुछ न कुछ शारीरिक परेशानी रह सकती है। मानसिक चिन्ताओं के कारण तकलीफ सम्भव है या किसी पारिवारिक सदस्य को लेकर चिंता रह सकती है। हालांकि साल के दूसरे भाग में न केवल बृहस्पति से अनुकूलता जिससे अनुकूल फल प्राप्त होने लगेगा। परिणाम स्वरूप आप शुकून का अनुभव करेंगे।
वृश्चिक राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
साल की शुरुआत में कार्यक्षेत्र में कुछ व्यवधान रह सकते हैं। यदि आप कुछ नया करने जा रहे हैं तो उस क्षेत्र से जुडे अनुभवी लोगों की सलाह जरूर लें। यदि किसी ऐसे काम का प्रस्ताव आ रहा है जिसमें फटाफट पैसे बनने की बात कही जा रही हो तो सावधान हो जाएं यह धोखा भी हो सकता है। यदि आप का व्यापार भागीदारी में है तो सम्बंधों को बिगडऩे न दें। कुछ रुकावटे आने के बावजूद भी बीच-बीच में कुछ काम बनते रहेंगे। साल के दूसरे भाग में मेहनत का फल जरूर मिलेगा फिऱ भी जोखिम उठाने के लिये यह समय उपयुक्त नहीं है।
वृश्चिक राशिफल 2015- धन
साल की शुरुआत में धन को लेकर निरंतरता नहीं बन पाएगी। लिेकिन जोखिम उठाने के लिये समय ठीक नहीं है। इस समय पूंजी निवेश करने से मन चाहा परिणाम प्राप्त नहीं होगा। अत: शीघ्र पैसा बनाने के तरीकों पर अच्छी तरह सोच विचार कर अमल करें। यदि किसी को पैसे उधार दे रखे हैं तो उसे प्राप्त करने में कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। हालांकि साल के दूसरे भाग में स्थितियां बेहतर होंगी और भाग दौड़ रंग लाएगी।
वृश्चिक राशिफल 2015- विद्या
साल का पहला भाग विद्यार्थियों के लिए कडी मेहनत करने पर थोडी सफलता लेकर आया है। यदि शिक्षा के संदर्भ में कोई लुभावना प्रस्ताव मिल रहा है तो यह धोखा भी हो सकता है अत: इनसे सावधान रहें। साल के दूसरे भाग में दर्शन व साहित्य के विद्यार्थियों को अच्छी सफलता मिेलेगी। यदि आप दूर देश में जाकर शिक्षा लेना चाह रहे हैं तो उसके लिए भी समय अनुकूल रहेगा।
वृश्चिक राशिफल 2015- उपाय
1. प्रात:काल उठकर मंत्रजाप करें।
2. हनुमान जी को सिंदूर और चोला चढ़ाएं।
3. तंदूर की मीठी रोटी बनाकर गरीबों को खिलाएं।
4. पीपल और कीकर के वृक्ष को कभी न काटें।
5. किसी से कुछ भी मुफ्त में न लें।
6. बड़े भाई की अवहेलना न करें।
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कन्या राशिफल 2015

कन्या
कन्या राशिफल 2015- स्वभाव
आप मूल रूप से बौद्धिकता और ज्ञान से परिपूर्ण है। आपकी रुचि कला और साहित्य में हो सकती है। आप विवेकी, आर्थिक, कूटनीतिक और चतुर हैं। आपके व्यक्तित्व में आकर्षण का भाव है इस कारण लोग आपसे जल्द ही प्रभावित हो जाते हैं आपको भले-बुरे की पहचान है तथा स्वभाव से आप अन्तर्मुखी है। आप एक अच्छे लेखक, संगीत और ललित कला से प्यार करने वाले हो सकते हैं।
कन्या राशिफल 2015- परिवार
पारिवारिक दृष्टिकोण से यह वर्ष बहुत बढिय़ा रहेगा। आपको परिवारिक माहौल से सहारा मिलेगा। परिवार में सुख और शान्ति का वातावरण बनेगा। कोई मांगलिक कार्य सम्पन्न हो सकता है। भाई-बहनों से आपके सम्बंध और मधुर होंगे। उनकी उन्नति होगी। परिवार के सभी सदस्यों का वर्ताव आपके प्रति बहुत ही अच्छा रहेगा। लेकिन दूसरे भाव में शनि की उपस्थिति बीच-बीच में कुछ पारिवारिक मतभेद भी दे सकती है। हालांकि इस वर्ष यदि परिवार में कोई आदालती केश चल रहा होगा तो उससे छुटकारा मिलने की अच्छी उम्मीद है।
कन्या राशिफल 2015- स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के लिए भी यह वर्ष अनुकूलता लिए हुए है। यदि आप किसी पुरानी बीमारी से परेशान हैं तो इस वर्ष आपको उससे छुटकारा मिल सकता है। हां यदि किसी कारणवश आप बीमार भी होते हैं अथवा मौसम जनित बीमारियों से आपको परेशानी होती है तो आपकी सेहत शीघ्र ही सुधर जाएगी। लेकिन अपने माता पिता के स्वास्थ्य का खयाल रखना जरूरी होगा। बहुत सम्भव है कि समय-समय पर आप जलवायु परिवर्तन करने जाते रहेंगे। मन को एकाग्र करने के लिए आप समाधि और योग क्रियाओं का सहयोग भी ले सकते हैं।
कन्या राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
इस साल आप व्यापार नौकरी या धन्धे में कुछ विशेष करेंगे। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण विपरीत परिस्थिति में भी आपको मति भ्रम नहीं होगा और सही काम करेंगे। किसी अनुभवी व्यक्ति के मिलने के आपके काम धन्धे को एक नया अनुभव मिलेगा। व्यापार और नौकरी के सिलसिले में भ्रमण भी होगा। आपके कार्यक्षेत्र और व्यापार का विस्तार होगा और पद बढ़ेगा। नौकरी में भी तरक्की मिलने के मजबूत योगायोग हैं। इस वर्ष आप सफलता के साथ-साथ सम्मान भी प्राप्त करेंगे।
कन्या राशिफल 2015- धन
इस पूरे वर्ष आपकी आमदनी साधारण रूप से अच्छी रहेगी। यदि आपका पैसा कहीं रुका हुआ है तो थोडे से प्रयास से उसकी प्राप्ति हो सकती है। वहीं वर्ष के दूसरे भाग में आमदनी के किसी नए श्रोत के मिलने की भी उम्मीद है। इससे आपकी आर्थिक स्थिति और भी मजबूत होगी। विदेश के माध्यम से या किसी दूर की यात्रा के माध्यम से भी धनार्जन होने के योग बन रहे हैं।
कन्या राशिफल 2015- विद्या
अध्ययन के लिए यह वर्ष अनुकूल रहेगा। यदि आप कोई व्यसायिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो उसमें सफलता मिलने की अच्छी उम्मीद है। इस वर्ष आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कडी से कडी मेहनत करने को तैयार हैं। यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेना चाह रहे हैं उसके लिए भी समय अनुकूल है यदि आप किसी नए शिक्षण संस्थान की तलास में हैं तो इस वर्ष आपको एक अच्छे संस्थान की प्राप्ति होगी जहां से शिक्षा लेने के बाद आप को नई और सही दिशा की प्राप्ति होगी। जो लोग दूर देश में जाकर शिक्षा लेना चाह रहे हैं, उनके लिए भी समय अनुकूल है।
कन्या राशिफल 2015- उपाय
1. कभी भी अपशब्द न बोलें न क्रोध करें।
2. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
3. छोटी कन्याओं से आशीर्वाद लें।
4. सूक्ष्म जीवों की सेवा करें।
5. चांदी का छल्ला धारण करें।
6. शनि शांति का उपचार करें।



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सिंह राशिफल 2015

सिंह
सिंह राशिफल 2015- स्वभाव
                आप प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी हैं। आप स्वभाव से उत्साही, निडर और साहसी हैं। आप महत्वाकांक्षी हैं। आप पूरे जोश के साथ कार्य करते है। आप एक स्वतंत्र विचारक हैं। सिद्धान्तो व अनुशासित ढंग से कार्य करना आपकी प्रवृत्ति है। आप स्वभाव से दृढ़ निश्चयी है। आपमें नेतृत्व की अदभुत क्षमता है। आप दार्शनिक हैं आपको साहित्य और ललित कला से प्यार है। आप उदार प्रकृति के व्यक्तियों का सम्मान करने वाले हैं।
सिंह राशिफल 2015- परिवार
                पारिवारिक दृष्टिकोण से वर्ष का प्रथम भाग शुभ रहेगा। परिवार में सुख और शान्ति रहेगी। किसी मांगलिक कार्य के सम्पन्न होने के योग बन रहे हैं। आपके भाई और बहनों के जीवन में खुशहाली आएगी। लेकिन साल के दूसरे भाग में आप पारिवारिक सुख के अभाव का अनुभव करेंगे। कुछ पारिवारिक सदस्यों के बीच मतभेद भी हो सकता है या संतान को लेकर कुछ चिंताए रह सकती हैं। माता पिता को लेकर भी कुछ चिंताएं रह सकती हैं।
सिंह राशिफल 2015- स्वास्थ्य
                स्वास्थ्य के लिहाज़ से सामान्य तौर पर यह वर्ष अनुकूल रहेगा। कुछ मौसम जनित बीमारियों अथवा छोटी-मोटी बीमारियों को छोड़ दिया जाय तो लगभग पूरा साल ही आपके लिए शुभ रहेगा। अलबत्ता साल के दूसरे भाग में आपको अपनी दिनचर्या में संयम बरतने की सलाह मैं आपको देना चाहूंगा। किसी छोटी परेशानी को लेकर बड़ी चिंता करने से भी आपको बचना होगा अन्यथा यह चिंता आपको थका सकती है। विपरीत परिस्थितियों को बुद्धिमता से झेलने का विश्वास अपने अन्दर पैदा करेंगे तो आप स्वस्थ बने रहेंगे।
सिंह राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
                साल के पहले भाग में आप व्यापार नौकरी या धन्धे में कुछ विशेष कर सकते हैं। आपको नए उद्यमों या व्यवसायों से जुडऩे का मौका मिल सकता है। नौकरी के हालात में सुधार होंगे। नए परिवर्तन अथवा नए काम की शुरुआत होगी। विदेशियों या सुदूर स्थलों पर रहने वाले लोगों से आपके व्यवसायिक संबंध मजबूत होंगे। आप किसी नए काम की शुरुआत भी कर सकते हैं। लेकिन साल के दूसरे भाग में समझदारी से काम निकालने की सलाह मैं आपको देना चाहूंगा। अत: बहसों में न उलझें अन्यथा आप वरिष्ठ अधिकारियों के रोष के भाजन हो सकते हैं। कोशिश करें कि अपना काम सलीके से करें।
सिंह राशिफल 2015- धन
                2015राशिफल में संकेत है कि इस वर्ष की शुरुआत आपकी आमदनी के श्रोतों में इजाफा कराने वाली रहेगी। इस अवधि में आमदनी में निरंतरता बनी रहेगी अत: आय में निरंतरता के कारण आप बचत करने में भी सफल रहेंगे। यदि आपके पास कोई पुराना कर्ज है तो आप इस वर्ष उससे छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन साल के दूसरे भाग में कुछ नए कामों की शुरुआत करने के कारण आप अपने संचय किए हुए धन को खर्च करना चाहेंगे। किसी यात्रा के द्वारा भी धन खर्च हो सकता है। कम्प्यूटर या मोबाइल में आई खराबी भी कुछ धन खर्च करा सकती है। हालांकि विदेश के माध्यम से या किसी दूर की यात्रा के माध्यम से भी धनार्जन होने के योग बन रहे हैं।
सिंह राशिफल 2015- विद्या
                अध्ययन के लिए यह वर्ष सामान्यत:अनुकूल रहेगा। आपका आत्मविश्वास मजबूत बना रहेगा। यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेना चाह रहे हैं उसके लिए समय अनुकूल है। आपको उसमें सफलता मिलेगी। यदि आप किसी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में भाग ले रहें हैं तो अवश्य सफल होंगे। दर्शनशास्त्र या अन्य परम्परागत विषयों के विद्यार्थियों के लिए भी समय अनुकूल है। लेकिन वर्ष के दूसरे भाग में मेहनत की गति को बढ़ाने की सलाह मैं आपको देना चाहूंगा। इस समय शिक्षा सम्बंधी निर्णय सावधानी पूर्वक करें।
सिंह राशिफल 2015- उपाय
1.            कुछ मीठा खाकर ही कोई शुभ कार्य प्रारंभ करें।
2.            गरीब लाचार व्यक्ति को भोजन कराएं।
3.            सदा सत्य बोलें तथा किसी का अहित न करें।
4.            अखरोट व नारियल धर्म स्थान में चढ़ाएं।

5.            सूर्य को जल अर्पित करें।


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कर्क राशिफल 2015

कर्क
कर्क राशिफल 2015- स्वभाव
                कर्क राशि का स्वामी चन्द्रमा है अत: आप बेहद संवेदनशील और जिज्ञासु स्वभाव के व्यक्ति हैं। आप अपने परिवार और दोस्तों के लिए समर्पण का भाव रखते हैं। आपका अपने परिवार और बच्चों के साथ बहुत लगाव है। आपका लगाव चित्रकला, गाायन या सामाजिक क्षेत्र संबंधित क्षेत्रों में हो सकता है।
कर्क राशिफल 2015- परिवार
                राशिफल 2015 के अनुसार पारिवारिक मामलों के लिए यह वर्ष अधिक अनुकूल नहीं है। वर्ष के प्रथम भाग में कुछ विषम परिस्थियों से आपको रू-ब-रू होना पड़ सकता है। परिवार में बच्चों को लेकर आपकी भावनाएं आहत हो सकती हैं। ऐसे में बेहतर तो यही रहेगा कि विपरीत परिस्थितियों को झेलते समय आप अपने अन्दर प्रतिरोधात्मक शक्ति विकसित करें। कभी-कभी आपको ऐसा भी लग सकता है कि आपके इष्ट-मित्र अपने वादों से मुकर रहे हैं ऐसे में आत्मनिर्भर रहना उचित होगा। वर्ष के दूसरे भाग में सभी परेशानियां कम होने लगेंगी।
कर्क राशिफल 2015- स्वास्थ्य
                राशिफल 2015 इंगित करता है कि स्वास्थ्य के लिहाज़ से यह वर्ष अधिक अनुकूल नहीं है। तीसरे स्थान का राहु स्वास्थ्य का कमजोर होना स्वाभाविक है, अत: पूर्व से इस बात को जानकर अपने स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए कार्य-व्यवहार करें। खान-पान पर संयम रखें अन्यथा उदर विकार होने की सम्भावना है। बेवजह यात्राएं करना भी ठीक नहीं होगा। जोखिम उठाने वाली प्रवृतियों पर भी अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

कर्क राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
                साल के पहले भाग में आपकी सृजनात्मक क्षमता छुपी रहेगी। फलस्वरूप आप अपने कामों अंजाम तक पहुंचाने में कठिनाई का अनुभव करेंगे। कार्यक्षेत्र के कुछ प्रतिद्वंदियों के द्वारा भी रुकावट डाली जा सकती है। राहू का गोचर अनुकूल न होने से कुछ काम बिगड भी सकते हैं। किसी भी व्यसायिक यात्रा को करने से पहले भली भांति जांच कर लें कि वह यात्रा आपके लिए लाभकारी है या नहीं। साल के दूसरे भाग में स्थितियां बेहतर होने लगेंगी।
कर्क राशिफल 2015- धन
                आर्थिक मामलों के लिए वर्ष का पहला भाग अधिक अनुकूल नहीं है। पैसों के आने से पहले ही खर्चे तैयार मिलेंगे। किसी पारिवारिक व्यक्ति के स्वास्थ्य के बिगड जाने के कारण उसमे काफी पैसे खर्च करने पड सकते हैं। कुछ बेकार के कामों में भी आप पैसे बर्बाद कर सकते हैं। लेकिन साल के दूसरे भाग में आर्थिक स्थिति बेहतर होना शुरू हो होगी। यदि आपके पास कोई पुराना कर्ज है तो आप इस वर्ष उससे छुटकारा पाएंगे। कुछ व्यापारिक सौदों के माध्यम से आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
कर्क राशिफल 2015- विद्या
                भविष्यफल 2015 के अनुसार विद्यार्थियों के लिए भी यह वर्ष मिला जुला रहेगा। वर्ष का प्रथम भाग उनके लिए अधिक अनुकूल रहेगा। जो लोग विदेश या दूर जाकर पढाई करना चाह रहे हैं। अन्य विद्यार्थियों को उनकी मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिल पाएंगे। आपकी सृजनात्मक क्षमता के लिए यह वर्ष अनुकूल है। आप अपनी बुद्धि और विवेक का ह्रास होने का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन साल के दूसरे भाग में आपकी शिक्षा के स्तर में सुधार होना शुरू होगा। आपका आत्मविश्वास मजबूत होगा। दर्शनशास्त्र या अन्य परम्परागत विषयों के विद्यार्थियों शुभ परिणाम मिलेंगे।
कर्क राशिफल 2015- उपाय
1.            धर्म स्थान के दर्शन करने जाएं।
2.            सामाजिक कार्यो में भागीदारी करें।
3.            दुर्गा सप्तसती का पाठ करें।
4.            कन्या दान में सामान दें।

5.            लोगों का तीर्थाटन में सहयोग करें।


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मिथुन राशिफल 2015

मिथुन
मिथुन राशिफल 2015- स्वभाव
आप मजबूत बौद्धिक क्षमता वाले हैं। आपके भीतर कठिन परिस्थियों से निबटने की योग्यता है। आपके स्वभाव व्यवहारिका की झलक सहजता से देखी जा सकती है। कई मौकों पर आपके स्वभाव में लचीलापन भी देखने को मिलता है। आप परिश्रमी व्यक्ति हैं और संघर्ष करने से नहीं घबराते। आप हमेशा आत्मनिर्भर रहना पसंद करते हैं। आप एक अच्छे सलाहकार और योजनाकार हैं। आपका विनोदी स्वभाव लोगो को आकर्षित करने में सहायक बनता है। किंतु नाकारात्मक विचार होना आपके लिए हानिकारक हो सकता है इससे आपको बचना चाहिए।
मिथुन राशिफल 2015- परिवार
पारिवारिक मामलों के लिए यह वर्ष काफ़ी अनुकूल है। पारिवारिक मामलों से प्रसन्नता मिलेगी। घर परिवार में कोई शुभ संस्कार हो सकता है यानी कि कोई मांगलिक कार्य या उत्सव सम्पन्न होने की सम्भावना है। अत: यदि कोई बड़ा पारिवारिक निर्णय लेना हो तो उसमें बड़े बुजुर्गों और अनुभवी लोगों से सलाह लेना ठीक रहेगा अन्यथा इसकी चिन्ता आपको पूरे वर्ष परेशान कर सकती है। हालांकि इन सबके बावजूद भी पारिवारिक वातावरण अच्छा बना रहेगा।
मिथुन राशिफल 2015- स्वास्थ्य
फलादेश 2015 की दृष्टि से स्वास्थ्य के लिहाज से यह साल मिला जुला रह सकता है। हालांकि कोई किसी गंभीर बीमारी होने के योग नही हैं अत: आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं, लेकिन मौसम जनित बीमारियों से कभी कभार स्वास्थ्य नरम रह सकता है। साथ ही खान-पान पर संयम रखें अन्यथा उदर विकार होने की सम्भावना है।
मिथुन राशिफल 2015- कार्यक्षेत्र
कार्यक्षेत्र के लिए यह वर्ष अच्छा रहेगा। आप अपने अच्छे कर्मों के कारण कामों में सफल रहेंगे। सरकार से जुडे किसी व्यक्ति की सहायता से भी आपके काम बनेंगे। नौकरी या व्यवसाय में अच्छा सुधार होगा। कुछ व्यवसायिक यात्राएं होंगी। व्यवसायिक विरोधियों पर विजय पाने में आप सफल रहेंगे। प्रभावशाली व्यक्तियों से आपके सम्पर्क बढेंगे। लेकिन कुछ कामों में आप अनुभवी लोगों की सलाह को भी नजरअंदाज कर सकते हैं और गलत निर्णय लेकर चिंताग्रस्त हो सकते हैं। कुछ विषम परिस्थियां भी सामने आ सकती हैं लेकिन आप उन पर विजय पा लेंगे और दैनिक कार्यों में स्फूर्तिवान बने रहेंगे।
मिथुन राशिफल 2015- धन
आर्थिक मामले के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा रहेगा। किसी लाटरी या बीमा के माध्यम से भी धन लाभ होने की उम्मीद है। किसी सरकारी आदमी के सहयोग से भी आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। धन संचय करने में आपको सफलता मिलेगी। कोई मुनाफे का बडा सौदा भी कर सकते हैं। कुछ अचल सम्पत्ति मिलने के भी योग हैं। यानी कि यदि आपने मेहनत की है तो इस वर्ष आर्थिक साधन व पैसा आप अवश्य प्राप्त करेंगे।
मिथुन राशिफल 2015- विद्या
आपका दिमाग पूरी तरह चैतन्य और अनुकूल रहेगा। फलस्वरूप अध्ययन में आपकी गहरी रुचि रहेगी। यदि आप बैंकिग, मैनेजमेंट या व्यवस्थापन से जुडे पाठ्यक्रम से जुडना चाह रहे हैं या उस क्षेत्र से जुडे हैं तो भी आपको उत्तम फलों की प्राप्ति होगी। यदि आपका विषय दर्शन एवम् तत्व मीमांसा से जुडा हुआ है तो यह वर्ष बहुत ही उत्तम फलदायी रहेगा। यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा या प्रतिस्पर्धा में भाग लेना चाह रहे हैं तो उसके लिहाज से भी समय अनुकूल है।
मिथुन राशिफल 2015- उपाय
1. तामसिक भोजन का परित्याग करें।
2. हरी वस्तुओं का दान करें।
3. रोगियों को मुफ्त में दवा बांटें।
4. माता का पूजन करें और 12 वर्ष से छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लें।
5. गणेशजी के दर्शन करें।
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वृश्चिक वार्षिक राशिफल 2015

वृश्चिक राशी
स्वभाव:
आपका राशि स्वामी शुक्र है अत: आपके व्यक्तित्त्व में स्वाभाविक रूप से आकर्षण रहेगा। आपकी कद काठी और शारीरिक बनावट लोगो को सहज आकर्षित कर सकती है। आप स्वभाव से हंसमुख होंगे आपकी वाणी प्रभावशाली होगी। आपमें किसी विषयवस्तु को सीखने की अद्भुद क्षमता होगी। आप किसी भी परिस्थिति को अपने प्रयासों द्वारा संभाल सकने में सक्षम हैं। आप पूर्ण ईमानदारी और लगन के साथ अपने परिवार का खयाल रखते हैं।
परिवार:
वृषभ राशिफल 2015 के अनुसार वर्ष के आरम्भ में परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है। यानी कि किसी का विवाह या बच्चे का जन्म होने के योग बन रहे हैं। साल के दूसरे भाग में यात्राओं के कारण आपको अपने परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। घर परिवार को लेकर इस वर्ष आपको कुछ खर्चे भी करने पड़ सकते हैं। हालांकि कुछ परेशानियां रहने के बावजूद यह वर्ष पारिवारिक मामलों के लिए अच्छा रहेगा।
स्वास्थ्य:
यदि आप पिछले दिनों से किसी बीमारी की वजह से परेशान हैं तो सातवे भाव में स्थित शनि आपके स्वास्थ्य को कुछ कमजोर कर सकते हैं। कोई पुरानी बीमारी नहीं है उनका स्वास्थ्य सामान्यत: ठीक रहेगा। फिर भी खान-पान पर संयम रखना बहुत जरूरी होगा गैर-जरूरी यात्राओं से बचाव भी जरूरी होगा।
कार्यक्षेत्र:
2015 में कार्यक्षेत्र के लिए सामान्य तौर पर यह वर्ष अच्छा रहेगा। दसमेश शनि सप्तम भाव में उच्चावस्था में है। जो भागीदारी के लिए एक सकारात्मक संदेश दे रहा है। नौकरी पेशा को लाभ का संकेत यह वर्ष कर रहा है। व्यवसायियों के व्यवसाय में भी सुधार होने के योग हैं लेकिन उन्हें लगातार मेहनत करते रहना होगा। हालांकि आप दैनिक कार्यों में स्फूर्तिवान बने रहेंगे और कार्यक्षेत्र में अच्छा करते रहेंगे।
धन:
इस साल आपकी आमदनी में बढ़ोत्तरी सम्भव है। स्वाभाविक है इससे आपकी आर्थिक समस्याएं तो कम होंगी ही साथ ही आपकी बचत करने की कोशिश में भी इजाफ़ा होगा। यह साल आपको किसी अप्रत्यासित जगह से भी लाभ करवा सकता है। हालांकि साल के पहले भाग में आप किसी धार्मिक कार्य में कुछ खर्चे कर सकते हैं अथवा परिवार के सदस्यों तथा अन्य लोगों के हित में भी आप कर सकते हैं। साल के दूसरे भाग में किसी बड़े निवेश विशेष कर जमीन जायदाद के निवेश में जुडऩे से पहले भली भांति मंथन कर लें।
वृष राशिफल 2015- विद्या
यह साल विद्यार्थियों के लिए सामान्य रहेगा। वर्ष के पहले भाग में तो विद्यार्थियों को काफी मेहनत करना पड सकता है चूंकि पंचम में राहु एकाग्रता में कमी से अच्छा परिणाम मिलने में परेशानी ला सकता है। इस समय आप बैंकिग या मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों की पढ़ाई के लिए समय काफ़ी मुश्किलभरा रहेगा। इस समय आपकों कुसंगति से बचना होगा अन्यथा आपकी पढाई प्रभावित हो सकती है।
वृष राशिफल 2015- उपाय
1. चावल, चीनी या दूध का दान करें।
2. झूठी गवाही न दें और धोखाधड़ी न करें।
3. घी का चिराग प्रतिदिन जलाएं।
4. शुक्रवार के दिन उपवास करें।
5. स्वच्छ कपड़े पहनें।
6. घर में मनी प्लांट लगाएं।
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मेष वार्षिक राशिफल 2015

मेष
स्वभाव:
मेष राशिफल के व्यक्ति में लग्रेश मंगल के कारण क्रोध की अधिकता देखने को मिल सकती है। आप प्रखर बुद्धि और समझदार व्यक्ति हैं। आर्थिक रूप से सम्पन्न होंगे और धार्मिक स्वभाव के भाग्यशाली व्यक्ति हैं। आप स्वभाव से स्पष्टवादी हैं। आप शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत रहेंगे। लेकिन अपनी उपलब्धियों से आप कुछ हद तक असंतुष्ट रह सकते हैं। यदि आप अपने धर्य को और अधिक मजबूत कर लें तो जीवन पथ और सुगम हो जाएगा।
परिवार:
2015 के ग्रह स्थिति के मुताबिक पारिवारिक मामलों के लिए यह साल मिला जुला रहेगा। साल के पहले भाग में अधिक भागदौड़ के कारण आप परिजनों को अधिक समय नहीं दे पाएंगे। साथ ही अष्टम भाव में स्थित शनि निजी जीवन में कुछ हद तक कटुता घोलने का प्रयास कर सकते हैं। ऐसे में संयम और समझदारी से काम लेकर आप परेशानियों को टाल सकते हैं। इस समय आत्म निर्भरता और आत्मसंयम जरूरी है। आप किसी पारिवारिक व्यक्ति के बर्ताव में कुछ अंतर महसूस करें।
स्वास्थ्य:
षष्ठम भाव में स्थित राहु आपके स्वास्थ्य को नरम-गरम रख सकता है अत: खान-पान पर संयम रखना बहुत जरूरी होगा क्योकि आपके स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा खतरा फूड पाइजनिंग के कारण होगा। फिर भी शनि की अष्टम में उपस्थिति को देखते हुए संयमित दिनचर्या जरूरी होगी और स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जहां तक सम्भव हो गैर जरूरी यात्राओं से बचें।
कार्यक्षेत्र:
राशिफल 2015 आपके कार्यक्षेत्र के लिए यह वर्ष अनुकूल रहेगा। इस अवधि में आपका अपने प्रति विश्वास आपको लगातार विजय दिलायेगा। आप सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। व्यापार/व्यवसाय में लाभ प्राप्त कर सकेंगे। भाग्य स्थान के स्वामी की बेहतर स्थिति के कारण बडे कामों के प्रस्ताव मिलेंगे। कई बड़े कामों में आपको सफलता मिलेगी। लेकिन वर्ष की शुरुआत में दशमेश शनि के अष्टम होने के कारण कुछ झूठे आरोप भी लग सकते हैं। अत: बड़े निर्णय लेने से पहले पूरी जांच परख आवश्यक होगी। आपके कार्यक्षेत्र में उन्नति होगी। किसी सोची हुई यात्रा पूरी करने से बड़ा लाभ होगा।
धन:
सामान्य तौर पर इस वर्ष आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहने वाली है। बचत करने में भी आप सफल रहेंगे। अप्रत्यासित ढंग से भी धन की प्राप्ति हो सकती है। लेकिन यदि आप जुआं, लाटरी आदि के माध्यम से कमाई करते हैं तो इनमें बडा निवेश करने से बचें। कुछ घरेलू सामानों जैसे कि वाशिंग मसीन और फ्ऱीज आदि की खरीददारी में भी धन खर्च हो सकता है। फिऱ भी आर्थिक मामलों के लिए वर्ष शुभ कहा जाएगा।
विद्या:
इस वर्ष का प्रथम भाग आपकी शिक्षा के लिए अधिक अनुकूल नहीं कहा जाएगा क्योंकि आपकी मेहनत के अनुसार आपको फल नहीं मिल पाएगा। लेकिन वर्ष का दूसरा भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा। जो लोग दूर देश में जाकर शिक्षा लेना चाह रहे हैं, उनके लिए भी वर्ष का दूसरा भाग अनुकूलता लाएगा।
उपाय:
1. गेहू दान करें।
2. मीठी रोटी गाय को खिलाएं। साधु-संतों, मां व गुरु की सेवा करें।
3. सूक्ष्म जीवों की सेवा करें।
4. किसी से कोई वस्तु लें या दें तो सावधानी रखें।
5. बुजूर्गो की सहायता करें और उनका आशीर्वाद लें।


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ल्यूकोडर्मा - ज्योतिषीय विश्लेषण

हमारी त्वचा की दो परते होती हैं बाहरी परत व भीतरी परत। भीतरी परत के नीचे के भाग मे मेलानोफोर नामक कोशिका मे एक तत्व मेलानिन होता हैं जिसका मुख्य कार्य हमारी त्वचा को प्राकतिक वर्ण अथवा रंग प्रदान करना होता है। जब यह तत्व किसी भी प्रकार से विकृत हो जाता हैं तब स्वित्र यानि ल्यूकोडर्मा नामक रोग हो जाता हैं जिसे आम बोलचाल की भाषा मे सफ़ेद दाग अथवा फुलेरी भी कहाँ जाता हैं।
मेलानिन नाम के तत्व त्वचा के भीतर नीचे की सतह मे उत्पन्न होकर ऊपर की ओर आकर त्वचा को प्राकतिक रंग प्रदान करते हैं। त्वचा के जिन भागो मे इस तत्व की कमी या अभाव किसी भी वजह से होता हैं तो वह भाग बाहरी त्वचा मे सफ़ेद दाग के रूप मे दिखाई देने लगता हैं। आयुर्वेद में इस रोग को अनुचित खान पान के कारण होने वाले रोगो की श्रेणी मे रखा गया हैं जिसके अनुसार कफ की अधिकता के कारण त्वचा की छोटी छोटी शिराओ मे अवरोध होने से मेलानिन तत्व उत्पन्न नहीं हो पाता हैं और यह रोग जन्म ले लेता है।
ज्योतिषीय दृष्टी से देखने पर हमें इस रोग को देखने हेतु निम्न भाव व ग्रहो का अध्ययन करना चाहिए -
भाव-लग्न, षष्ठ व अष्टम भाव
ग्रह-सूर्य, बुध, मंगल, शुक्र व लग्नेश
लग्न भाव हमारे शरीर को दर्शाता हैं हमारे शरीर मे होने वाले किसी भी प्रकार के विकार व बदलाव को हम लग्न पर पडऩे वाले प्रभाव से ही देखते हैं। इसी लग्न से हम सामान्य भौतिक स्वास्थ्य को देखते हैं।
षष्ठ भाव मुख्यत; किसी भी प्रकार के रोगो हेतु इस भाव को अवश्य देखा जाता हैं इसी भाव से बीमारी की अवधि का भी पता चलता हैं, बीमारी छोटी होगी या बड़ी यह भी इसी भाव द्वारा जाना जाता हैं।
अष्टम भाव यह बीमारी के दीर्घकालीन प्रभाव को बताता हैं इसी भाव से बड़ी बीमारी का भी पता चलता है।
सूर्य ग्रह- सूर्य को लग्न का व आरोग्य का कारक माना जाता हैं इसी सूर्य से हम व्यक्ति विशेष का तेज व आत्मविश्वास भी देखते हैं इस बीमारी के होने से व्यक्ति आत्महीनता महसूस करने के कारण आत्मविश्वास खोने लगता हैं। सूर्य का किसी भी रूप मे पाप प्रभाव मे होना या अशुभ होना इस बीमारी का एक कारण हो सकता है।
बुध ग्रह- यह ग्रह हमारी बाहरी अथवा ऊपरी त्वचा का कारक माना जाता हैं इसी ऊपरी त्वचा पर इस बीमारी के लक्षण अथवा सफ़ेद धब्बा आने पर बीमारी का पता चलता है। किसी भी प्रकार के बाहरी प्रभाव का पता भी इसी त्वचा कारक से चलता हैं इसलिए इस बीमारी मे इसका अशुभ होना अवश्यंभावी है।
लग्नेश - शरीर का प्रतिनिधित्व करता हैं इस ग्रह का किसी भी रूप से पीडि़त होना कोई भी बीमारी होने के लिए आवश्यक हैं जब तक लग्नेश पीडि़त नहीं होगा शरीर में बीमारी नहीं हो सकती।
मंगल शरीर में उन तत्वो का निर्माण करने मे सहायक होता हैं जो त्वचा को रंग प्रदान करते हैं। यही मंगल त्वचा में किसी भी प्रकार के दाग-धब्बो का कारक भी होता है। खुजली खारिश किसी भी प्रकार के फोड़े फुंसी व संक्रमण को इसी मंगल गृह से देखा जाता हैं अत: इसका भी किसी ना किसी पाप या अशुभ प्रभाव मे होना ज़रूरी है।
शुक्र ग्रह- यह ग्रह त्वचा की सुंदरता, चमक व निखार का कारक हैं जिस जातक का शुक्र जितना अच्छा होता हैं उसकी त्वचा मे उतनी ही चमक होती हैं इस बीमारी के कारण त्वचा की चमक नहीं रहती जिससे यह ज्ञात होता हैं की शुक्र ग्रह को भी अशुभ या पाप प्रभावित होना चाहिए।
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मन असीम ऊर्जा का कोष:

एक बार देवताओं में चर्चा हो रहो थी, चर्चा का विषय था मनुष्य की हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये। सभी देवताओं में इस पर बहुत वाद- विवाद हुआ। एक देवता ने अपना मत रखा और कहा कि इसे हम एक जंगल की गुफा में रख देते हैं। दूसरे देवता ने उसे टोकते हुए कहा नहीं- नहीं हम इसे पर्वत की चोटी पर छिपा देंगे। उस देवता की बात ठीक पूरी भी नहीं हुई थी कि कोई कहने लगा, न तो हम इसे कहीं गुफा में छिपाएंगे और न ही इसे पर्वत की चोटी पर हम इसे समुद्र की गहराइयों में छिपा देते हैं यही स्थान इसके लिए सबसे उपयुक्त रहेगा।
सबकी राय खत्म हो जाने के बाद एक बुद्धिमान देवता ने कहा क्यों न हम मानव की चमत्कारिक शक्तियों को मानव -मन की गहराइयों में छिपा दें। चूँकि बचपन से ही उसका मन इधर -उधर दौड़ता रहता है, मनुष्य कभी कल्पना भी नहीं कर सकेगा कि ऐसी अदभुत और विलक्षण शक्तियां उसके भीतर छिपी हो सकती हैं और वह इन्हें बाह्य जगत में खोजता रहेगा अत: इन बहुमूल्य शक्तियों को हम उसके मन की निचली तह में छिपा देंगे। बाकी सभी देवता भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए और ऐसा ही किया गया, मनुष्य के भीतर ही चमत्कारी शक्तियों का भण्डार छुपा दिया गया, इसलिए कहा जाता है मानव मवन में अद्भुत शक्तियां निहित हैं।
दोस्तों इस कहानी का सार यह है कि मानव मन असीम ऊर्जा का कोष है। इंसान जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। लेकिन बड़े दु:ख की बात है उसे स्वयं ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां विद्यमान हैं। अपने अंदर की शक्तियों को पहचानिये, उन्हें पर्वत, गुफा या समुद्र में मत ढूंढिए बल्कि अपने अंदर खोजिए और अपनी शक्तियों को निखारिए। हथेलियों से अपनी आँखों को ढंककर अंधकार होने का शिकायत मत कीजिये। आँखें खोलिए , अपने भीतर झांकिए और अपनी अपार शक्तियों का प्रयोग कर अपना हर एक सपना पूरा कर डालिये।
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