मनुष्य के मन मस्तिष्क और शरीर पर मौसम ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव लगातार रहता है। कुछ लोग इन प्रभाव से बच जाते हैं तो कुछ इनकी चपेट में आ जाते हैं। बचने वाले लोगों की सुदृढ़ मानसिक स्थिति और प्रतिरोधक क्षमता का योगदान रहता है। लाल किताब अनुसार हम जानते हैं कि किस ग्रह से कौन.सा रोग उत्पन्न होता है।
कुंडली का खाना छह और आठ का विश्लेषण करने के साथ की ग्रहों की स्थिति और मिलान अनुसार ही रोग की स्थिति और निवारण को तय किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में यह स्थितियाँ अलग.अलग होती है। यहाँ प्रस्तुत है सामान्य जानकारी जिसका किसी की कुंडली से कोई संबंध है या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही तय किया जा सकता है।
ग्रहों से उत्पन्न बीमारी, पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
1 बृहस्पति पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
2 सूर्य मुँह में बार.बार थूक इकट्ठा होना झाग निकलना धड़कन का अनियंत्रित होना शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप।
3 चंद्र दिल और आँख की कमजोरी।
4 शुक्र त्वचा ,दाद खुजली का रोग।
5 मंगल रक्त और पेट संबंधी बीमारीए नासूरए जिगरए पित्त आमाशय भगंदर और फोड़े होना।
6 बुध चेचक नाड़ियों की कमजोरी जीभ और दाँत का रोग।
7 शनि नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
8 राहु बुखारदिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि।
9 केतु रीढ़,जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्नि,या, गुप्तांग संबंधी रोग आदि।
रोग का निवारण
1 बृहस्पति, केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ।
2 सूर्य बहते पानी में गुड़ बहाएँ।
3 चंद्र किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर.बर्फी का दान करें।
4 शुक्र गाय की सेवा करें और घर तथा शरीर को साफ.सुथरा रखें।
5 मंगल बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठा कच्चा दूध 43 दिन लगातार डालें। उस दूध से भिगी मिट्टी का तिलक लगाएँ।
6 बुध 96 घंटे के लिए नाक छिदवाकर उसमें चाँदी का तार या सफेद धागा डाल कर रखें। ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ।
7 शनि बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ।
8 राहु जौ सरसों या मूली का दान करें।
9 केतु मिट्टी के बने तंदूर में मीठी रोटी बनाकर 43 दिन कुत्तों को खिलाएँ।
2 सूर्य मुँह में बार.बार थूक इकट्ठा होना झाग निकलना धड़कन का अनियंत्रित होना शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप।
3 चंद्र दिल और आँख की कमजोरी।
4 शुक्र त्वचा ,दाद खुजली का रोग।
5 मंगल रक्त और पेट संबंधी बीमारीए नासूरए जिगरए पित्त आमाशय भगंदर और फोड़े होना।
6 बुध चेचक नाड़ियों की कमजोरी जीभ और दाँत का रोग।
7 शनि नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी।
8 राहु बुखारदिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि।
9 केतु रीढ़,जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्नि,या, गुप्तांग संबंधी रोग आदि।
रोग का निवारण
1 बृहस्पति, केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ।
2 सूर्य बहते पानी में गुड़ बहाएँ।
3 चंद्र किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर.बर्फी का दान करें।
4 शुक्र गाय की सेवा करें और घर तथा शरीर को साफ.सुथरा रखें।
5 मंगल बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठा कच्चा दूध 43 दिन लगातार डालें। उस दूध से भिगी मिट्टी का तिलक लगाएँ।
6 बुध 96 घंटे के लिए नाक छिदवाकर उसमें चाँदी का तार या सफेद धागा डाल कर रखें। ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ।
7 शनि बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ।
8 राहु जौ सरसों या मूली का दान करें।
9 केतु मिट्टी के बने तंदूर में मीठी रोटी बनाकर 43 दिन कुत्तों को खिलाएँ।
Pt.P.S Tripathi
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