ज्योतिष शास्त्र में कष्ट निवारण हेतु अनेक उपाय सुझाये गये है, परन्तु उनका अनुसरण देश, काल एवं परिस्थिति को ध्यान में रखकर करना चाहिए। हमेशा किसी भी पूजा या जप से पहले गणेश स्मरण या जप अनिवार्य है। इष्टदेव का ध्यान कर निर्धारित विधि का अनुसरण करना चाहिए। नीचे कुछ उपाय का एकत्रीकरण कर एक साथ दिया जा रहा है -
1. हनुमान चालीसा - हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। भय,
बाधा एवं कष्टों में विशेष रुप से मंगल एवं शनि के अनिष्ट निवारण हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
1. हनुमान चालीसा - हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। भय,
बाधा एवं कष्टों में विशेष रुप से मंगल एवं शनि के अनिष्ट निवारण हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
2. हनुमान बाहुक - हनुमान बाहुक मानस रोग, मोह, काम , क्रोध एवं राग, द्वेष आदि
बाधाएं भी निवृत्त हो जाती है। पु़त्र लाभ भी होता है।
बाधाएं भी निवृत्त हो जाती है। पु़त्र लाभ भी होता है।
3. हनुमान बाण - हनुमान बाण के पाठ से शत्रुदमन एवं लौकिक बाधाएं दूर होती है।
4. सुन्दर काण्ड - मंगल एवं शनि के अनिष्ट निवारण एवं साढ़े साती में यह पाठ
लाभदायक है।
5. गायत्री मंत्र - गायत्री मंत्र एक महाशक्ति है। लगभग समस्त मुनियों ने इस मंत्र से
अलौकिक एवं अद्वुत शक्ति प्राप्त की है। इससे आशीर्वाद एवं शाप देने की शक्ति स्वतः आ जाती है। 108 बार जपने से सर्व पाप नष्ट हो जाते है व 1000 बार जपने से महादोष नष्ट होता है। 1 लाख जपने से सात जन्मों का पाप कटता है।
4. सुन्दर काण्ड - मंगल एवं शनि के अनिष्ट निवारण एवं साढ़े साती में यह पाठ
लाभदायक है।
5. गायत्री मंत्र - गायत्री मंत्र एक महाशक्ति है। लगभग समस्त मुनियों ने इस मंत्र से
अलौकिक एवं अद्वुत शक्ति प्राप्त की है। इससे आशीर्वाद एवं शाप देने की शक्ति स्वतः आ जाती है। 108 बार जपने से सर्व पाप नष्ट हो जाते है व 1000 बार जपने से महादोष नष्ट होता है। 1 लाख जपने से सात जन्मों का पाप कटता है।
ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमही।
धियो यो नः प्रचोदयात्।
धियो यो नः प्रचोदयात्।
6. मनोकामनापूर्ति - सफलता या मनोकामना के लिए स्वयं उपासना करना सर्वोत्तम उपाय है। शरीर की रक्षा हेतु शाबर मंत्र जो स्वयं सिध्द है प्रतिदिन जप करें। 108 बार गणपति मंत्र (ऊँ गं गणपतये नमः) का जप करें।
7. महामृत्युन्जय जाप - महामृत्युन्जय जाप मृतसंजीवनी मंत्र है। जो शक्ति को जागृत
करता है। इसी मंत्र से भार्गव शुक्र राक्षसों को जीवनदान दिया करते थे। पूरा मंत्र इस प्रकार है -
ऊँ हौम् ऊँ जूं ऊँ सः ऊँ भूः ऊँ भुवः ऊँ स्वः ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवध्र्दनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृताम्।।
ऊँ स्वः ऊँ भुवः ऊँ भूः ऊँ सः ऊँ जूं ऊँ हौम् ऊँ।।
करता है। इसी मंत्र से भार्गव शुक्र राक्षसों को जीवनदान दिया करते थे। पूरा मंत्र इस प्रकार है -
ऊँ हौम् ऊँ जूं ऊँ सः ऊँ भूः ऊँ भुवः ऊँ स्वः ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवध्र्दनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृताम्।।
ऊँ स्वः ऊँ भुवः ऊँ भूः ऊँ सः ऊँ जूं ऊँ हौम् ऊँ।।
8. पवित्र गौरीव्रत - माता सीता ने यह व्रत कर साक्षात् नारायण को प्राप्त कर लिया था। यह व्रत मार्गशीर्ष में ही किया जाता है। विधि विधान से मां पार्वती के सामने आसन में बैठ कर ध्यान लगाकर प्रतिदिन 11 माला का जप करना चाहिए। 6 माह में शादी हो जाएगी।
हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।
तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।
9. दुर्गा उपासना - जब कभी हम कठिनाई में हो या मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना हो तो शतचण्डी या नवचण्डी का पाठ करना चाहिए।
10. बगलामुखी - बगलामुखी एक शक्तिशाली मंत्र है। हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करने हेतु यह मंत्र उपयोगी है।
Pt.P.S Tripathi
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