देवास से करीब 25 किमी दूर ग्राम नकलन में निष्कलंक महादेव विराजित हैं। यहां महाशिवरात्रि का मेला लगा हुआ है, जहां घरेलू जरूरतों तथा श्रृंगार प्रसाधन के साथ ही खेती-गृहस्थी से संबंधित दुकानें भी सजी हैं। मनोरंजन के लिए झूले भी लगे हैं। लोगों का कहना है कि यहां स्थित कुंड में नहाने से कुष्ठ की बीमारी से मुक्ति मिलती है।पहचान है। किंवदंती है कि किसी जमाने में इस गांव के आसमान से होकर एक मंदिर उड़ता हुआ जा रहा था, जिसे नकलन में तपस्या करने वाले एक महात्मा ने देख लिया और अपनी साधना की शक्तियों से उसे गांव में उतार लिया। बाद में यह मंदिर निष्कलंकेश्वर महादेव के नाम से जाना गया।
इस मंदिर में भगवान शिव की पंचमुखी प्रतिमा है। शुरू में यह एक मामूली सा मंदिर था। उस समय प्रजा के लिए भी मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित था। बाद में किसी नेपाली राजा ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया, जिसके बाद आम लोग भी मंदिर में आने-जाने लगे।
इस बात का कोई स्पष्ट उल्लेख यहां नहीं है कि मंदिर किस नेपाली राजा ने बनवाया था।
हर साल महाशिवरात्रि पर यहां शिव के भक्तों की भीड़ उमड़ती है और पांच दिनों तक मेला लगता है।
इस गांव और यहां आने वाले लोगों का विश्वास है कि मंदिर निर्माण के समय से ही बने इस कुंड में नहाने से सफेद दाग और कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। शायद इसीलिए यहां के शिव का नाम निष्कलंकेश्वर महादेव पड़ गया।नकलन में स्थित कुंड में नहाकर श्रद्धालु अपने कलंक मिटाते हैं और फिर निष्कलंकेश्वर महादेव के दर्शन कर घर लौट जाते हैं। लौटते वक्त मेले से अपनी जरूरतों का सामान भी खरीदते जाते हैं।
निष्कलंकेश्वर महादेव का मंदिर ही नकलन गांव की इकलौती और एक बड़ी संपत्ति है.
Pt.P.S.Tripathi
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