Monday 13 April 2015

भारतीय राजनीती में शनि


बीते दिनों में लगभग 30 वर्ष पहले 1984 में तुला के शनि थे, जिसका परिणाम देश की आंतरिक स्थिति बहुत विपरीत हुई थी। 31 अक्टूबर, 1984 को इसी खराब परिस्थिति में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी और इसके बाद उनके पुत्र राजीव गांधी की ताजपोशी हुई थी। मानो देश में एक तरह के राजनैतिक सत्रावसान के बाद एक नये सत्र की शुरूआत होनी थी। यही वह समय था, जब भारत में कम्प्यूटर सूचना क्रांति का सपना लेकर राजीव गांधी ने अपनी राजनैतिक करियर की शुरूआत की थी। 30 वर्षों के बाद इसी तरह के विकास का नारा लेकर मोदीजी प्रगट हुए। मतलब बहुत साफ है कि तुला के शनि जब भी होंगे, तब समूचा विश्व परिवर्तन के रथ पर आसीन होगा। यह सच है कि तब भी वैश्विक स्थिति और देश की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी। पंजाब जल रहा था, आसाम और देश के अन्य क्षेत्रो की स्थितियॉ भी कोई अच्छी नहीं थी। श्रीलंका, पाकिस्तान और अन्य पडोसी देशों में भी काफी अशांति थी। यद्यपि भयानक मारकाट हुई, दुनिया ने क्या खोया क्या पाया? यह हिसाब लगाना कठिन है पर दुनिया की कुछ बुराईयॉ अच्छाई के निशाने पर थी। बुराई खत्म हुई और अच्छाई आ गई। या यूं कहें कि कुछ बदला कुछ अच्छा हुआ तो कुछ बुरा भी हुआ। यहीं पर यूएसएसआर यानि सोवियत संघ के देशों में भी तेल की कीमतो को लेकर उपजे विवाद के बाद प्रजातंत्र की बाते होने लगी। यही वह वक्त था जब चीन में भी राजनैतिक वैचारिक परिवर्तन की नींव रखी जा रही थी। मतलब साफ है कि इस बार भी पुरी दुनिया और देश में भी कुछ नया होगा। काल पुरूष की कुंडली में दशम और एकादश भाव के स्वामी शनि सप्तम यानि तुला राशि में हैं, और नवबंर के प्रथम सप्ताह में ही वृश्चिक राशि यानि अष्टम स्थान में जायेंगे। वृश्चिक राशि में शनि का प्रवेश पुरी दुनिया में जरूर मारकाट मचायेगा। मगर यह याद रहे कि भारत का लग्र वृषभ है अब भारत की राजनीति में, 1984 में चीन में आई आर्थिक बदलाव की तरह बडे आर्थिक परिवर्तन आने हैं। आने वाले 10 वर्षो में भारत विश्व की तीसरी महाशक्ति और नाटो का स्थाई सदस्य बन चुका होगा। इतिहास मोदी को एक स्वप्रदृष्टा की तरह विकास की सोच को आगे बढाने वाला बतायेगा। वर्ष 1955 के पश्चात् यानि 59 वर्षो के बाद उच्च के वृहस्पति और उच्च के शनि का योग आप देख रहे हैं। वह वक्त था जब गणतंत्र की नींव ताजी रखी गई थी नये कानून बने थे और आज यह समय है जिसमें बहुत से कानून को सरकार बदलने के मूड में है। और सफाई नारा है सरकार का। यानि वृश्चिक राशि के शनि पूरे देश ही नहीं पूरे विश्व मेंं भयानक हिंसा के साथ ही सही परंतु बदलाव की आंधी लेकर चल रहे हैं। देश के अंदर हरियाणा तथा महाराष्ट के चुनाव के परिणाम एवं स्थानीय निकायों के चुनाव के परिणाम इसी तरह के परिवर्तनों के संकेत हैं। देश राजनैतिक स्थिरता के माने समझ रहा है। इसलिए क्षेत्रीय दलों महत्व कम होगा। इससे दो बातें साफ है कि पहला सत्ताधारी दल लाभ की स्थिति में होगा और दूसरी बड़ी राजनैतिक पार्टियां भी अपने अंदर गुणात्मक सुधार करने की चेष्टा करेंगे। कुल मिलाकर देश में आर्थिक और राजनैतिक स्थिरता के योग हैं, जो देश को आगे ले जाएंगे। मगर आने वाले ढाई वर्ष देश के लिए आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तन की सोच का समय है। वस्तुत: यह राजनैतिक सामाजिक संक्रमण काल है इसमें भयानक अस्थिरता और अशांति के साथ हिंसा भी दिखाई पड सकती है। परंतु आने वाला समय निश्चित तौर पर बहुत अच्छा है। क्योंकि कई बार परिवर्तनों के लिए प्रकृति ऐसा कदम भी उठा लेती है। मेरी नजर में आने वाला समय विश्वनीयता का होगा, जिसके लिए पूरा विश्व प्रयासरत होगा। चाहे वह उद्योगपति या राजनेता हो या ज्ञानी हो, आध्यात्मिक व्यक्ति हों या नौकरीपेशा हों अथवा व्यापारी हो, चारों ओर प्रयास के केंद्र में विश्वनीयता होगी। जो इसे कायम रखेगा वह लाभ में रहेगा और जो इसे खो देगा, वह व्यवस्था से बाहर हो जायेगा इसलिए मुझे लगता है कि वृश्चिक के शनि देश का मिजाज बदल रहे हैं।


Pt.P.S Tripathi
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