Tuesday, 14 April 2015

यात्रा मुहूर्त


यात्रा मुहूर्त के बारे में बता रहा हूँ ।जिसके अंतर्गत चंद्रमा ,योगिनी ,भद्रा तथा दिक्शूल का विचार प्रमुख रूप से किया जाता है ।आठ दिशाएं होती है पूर्व और दक्षिण के बीच के कोण को अग्नि कोण ,दक्षिण और पश्चिम के मध्य नैरित्य्य दिशा ,पश्चिम और उत्तर के मध्य वायव्य तथा उत्तर पूर्व के मध्य को ईशान दिशा कहते है ।सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में दिक्शूल होता है अर्थात यात्रा नहीं करनी चाहिए ,गुरुवार (वीरवार )को दक्षिण ,रवि तथा शुक्र को पश्चिम बुध और मंगल को उत्तर दिशा में यात्रा वर्जित है ।मेष ,सिंह ,धनु राशि का चन्द्रमा पूर्व में ,वृष कन्या मकर का चन्द्रमा दक्षिण में ,मिथुन तुला कुम्भ का चन्द्रमा पश्चिम में ,कर्क वृश्चिक मीन का चन्द्रमा उत्तर में निवास करता है ,सामने चन्द्र धन का लाभ ,पीछे चन्द्र धन का विनाश ,दाहिने सुख और सम्पत्ति, वाम (उलटे हाथ ) मृत्यु तुल्य कष्ट देता है ।चतुर्दशी को पूर्व ,अष्टमी को अग्नि कोण सप्तमी को दक्षिण ,पूर्णिमा को नैरित्य ,चतुर्थी को पश्चिम में,दशमी को वायव्य कोण ,एकादशी को उत्तर तथा तृतीया को इशान कोण में भद्रा का निवास होता है सामने भद्रा हो तो यात्रा नहीं करनी चाहिए 

Pt.P.S Tripathi
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