Wednesday 18 May 2016

सूर्य का अन्य ग्रहों से परस्पर संबंध

यह जगतपिता है, इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है, यह आत्मा कारक और पितृ कारक है, पुत्र, राज्य-सम्मान, पद, भाई, शक्ति, दायीं आंख, चिकित्सा, पितरों की आत्मा, शिव और राजनीति का कारक है. मेष राशि मेंं उच्च का एवं तुला मेंं नीच का होता है, चन्द्रमा देव ग्रह है, तथा सूर्य का मित्र है, मंगल भी सूर्य का मित्र है, गुरु सूर्य का परम मित्र है, बुध सूर्य के आसपास रहता है, और सूर्य का मित्र है, शनि सूर्य पुत्र है लेकिन सूर्य का शत्रु है, कारण सूर्य आत्मा है और आत्मा का कोई कार्य नहीं होता है, जबकि शनि कर्म का कारक है, शुक्र का सूर्य के साथ संयोग नहीं हो पाता है, सूर्य गर्मी है और शुक्र रज है, सूर्य की गर्मी से रज जल जाता है, और संतान होने की गुंजायस नहीं रहती है, इसी लिये सूर्य का शत्रु है। राहु विष्णु का विराट रूप है, जिसके अन्दर सम्पूर्ण विश्व खत्म हो रहा है, राहु, सूर्य और चन्द्र दोनों का दुश्मन है, सूर्य के साथ होने पर पिता और पुत्र के बीच धुंआ पैदा कर देता है, और एक दूसरे को समझ नहीं पाने के कारण दोनों ही एक दूसरे से दूर हो जाते है। केतु सूर्य का सम है, और इसे किसी प्रकार की शत्रु या मित्र भावना नहीं है, सूर्य से सम्बन्धित व्यक्ति, पिता, चाचा, पुत्र और ब्रहमा विष्णु महेश आदि को जाना जाता है, आत्मा राज्य, यश, पित्त, दायीं आंख, गुलाबी रंग और तेज का कारक है।
सूर्य और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य और चन्द्रमा अगर किसी भाव मेंं एक साथ होते है, तो कारकत्व के अनुसार फल देते है, सूर्य पिता है और चन्द्र यात्रा है, पुत्र को भी यात्रा हो सकती है, एक संतान की उन्नति बाहर होती है।
सूर्य और मंगल का आपसी सम्बन्ध:
मंगल के साथ एक साथ होने पर मंगल की गर्मी और पराक्रम के कारण अभिमान की मात्रा बढ़ जाती है, पिता प्रभावी और शक्ति मान बन जाता है, मन्गल भाई है, इसी लिये एक भाई सदा सहयोग में रहता है, मन्गल रक्त है, इसलिये ही पिता पुत्र को रक्त वाली बीमारिया होती है, एक दूसरे से एक सात और एक बारह मेंं भी यही प्रभाव होता है, स्त्री की कुन्डली मेंं पति प्रभावी होता है, लेकिन उसके ह्रदय मेंं प्रेम अधिक होता है।
सूर्य और बुध का आपसी सम्बन्ध
बुध के साथ होने पर पिता और पुत्र दोनों ही शिक्षित होते है, समाज मेंं प्रतिष्ठा होती है, जातक के अन्दर वासना अधिक होती है, पिता के पास भूमि भी होती है, और बहिन काफी प्रतिष्ठित परिवार से सम्बन्ध रखती है, व्यापारिक कार्यों के अन्दर पिता पुत्र दोनों ही निपुण होते है, पिता का सम्बन्ध किसी महिला से होता है।
सूर्य और गुरु का आपसी सम्बन्ध:
गुरु के साथ होने पर जीवात्मा का संयोग होता है, जातक का विश्वास ईश्व्वर मेंं अधिक होता है, जातक परिवार के किसी पूर्वज की आत्मा होती है, जातक के अन्दर परोपकार की भावना होती है, जातक के पास आभूषण आदि की अधिकता होती है, पद प्रतिष्ठा के अन्दर आदर मिलता रहता है।
सूर्य और शुक्र का आपसी सम्बन्ध
शुक्र के साथ होने पर मकान और धन की अधिकता होती है, दोनों की युति के चलते संतान की कमी होती है, स्त्री की कुन्डली मेंं यह युति होने पर स्वास्थ्य की कमी मिलती है, शुक्र अस्त हो तो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है।
सूर्य और शनि का आपसी सम्बन्ध:
शनि के साथ होने पर जातक या पिता के पास सरकार से सम्बन्धित कार्य होते है, पिता के जीवन मेंं जातक के जन्म के समय काफी परेशानी होती है, पिता के रहने तक पुत्र आलसी होता है, और पिता के बाद खुद जातक का पुत्र आलसी हो जाता है, पिता पुत्र के एक साथ रहने पर उन्नति नहीं होती है, वैदिक ज्योतिष मेंं इसे पितृ दोष माना जाता है, जातक को गायत्री के जाप के बाद सफलता मिलने लगती है।
सूर्य और राहु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे मेंं प्रतिष्ठित होने की बात मालुम होती है, एक पुत्र की पैदायस अनैतिक रूप से भी मानी जाती है, जातक के पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें चला करती है, पिता की मौत दुर्घटना मेंं होती है, या किसी दवाई के रियेक्सन या शराब के कारण होती है, जातक के जन्म के समय पिता को चोट लगती है, जातक को सन्तान भी कठिनाई से मिलती है, पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप से सन्तान को प्राप्त करने की लालसा रहती है, पिता के किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत जैसी स्थिति होती है।
सूर्य और केतु का आपसी सम्बन्ध:
केतु और सूर्य का साथ होने पर जातक और उसका पिता धार्मिक होता है, दोनों के कामों के अन्दर कठिनाई होती है, पिता के पास कुछ इस प्रकार की जमीन होती है, जहां पर खेती नहीं हो सकती है, नाना की लम्बाई अधिक होती है, और पिता के नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक का अधिक जीवन नाना के पास ही गुजरता है।
सूर्य चन्द्र और मन्गल का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य चन्द्र और मन्गल के एक साथ होने पर पिता के पास खेती होती है, और उसका काम बागवानी या कृषि से जुडा होता है, पिता का निवास स्थान बदला जाता है, जातक को रक्त विकार भी होता है, माता को पिता के भाई के द्वारा कठिनाई भी होती है, माता या सास को गुस्सा अधिक होता है, एक भाई पहले किसी कार्य से बाहर गया होता है।
सूर्य चन्द्र और बुध का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य चन्द्र बुध का साथ होने पर खेती वाले कामो की ओर इशारा करता है, पिता का सम्बन्ध किसी बाहरी महिला से होता है, एक पुत्र का मन देवी भक्ति मेंं लगा रहता है, और वह अक्सर देवी यात्रा किया करता है, एक पुत्र की विदेश यात्रा भी होती है, पिता जब भी भूमि को बेचता या खरीदता है, तो उसे धोखा ही दिया जाता है।
सूर्य चन्द्र और गुरु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ चन्द्र और गुरु के होने पर जातक का पिता यात्रा वाले कामो के अन्दर लगा रहता है, और अक्सर निवास स्थान का बदलाव हुआ करता है, जातक पिता का आज्ञाकारी होता है, और उसे बिना पिता की आज्ञा के किसी काम मेंं मन नहीं लगता है, जातक का सम्मान विदेशी लोग करते है।
सूर्य चन्द्र और शुक्र का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ चन्द्र और शुक्र के होने से भी पिता का जीवन दो स्त्रियों के चक्कर मेंं बरबाद होता रहता है, एक स्त्री के द्वारा वह छला जाता है, जातक की एक बहिन की शादी किसी अच्छे घर मेंं होती है, पिता पुत्र के द्वारा कमाया गया धन एक बार जरूर नाश होता है, किसी प्रकार से छला जाता है, जातक की माता के नाम से धन होता है, जमीन भी होती है, मकान भी होता है, मकान पानी के किनारे होता है, या फिर मकान मेंं पानी के फव्वारे आदि होते है, जातक के अन्दर या पिता के अन्दर मधुमेंह की बीमारी होती है।
सूर्य चन्द्र और शनि का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ चन्द्र और शनि होने के कारण एक पुत्र की सेवा विदेश मेंं होती है, पिता का कार्य यात्रा से जुडा होता है, सूर्य पिता है तो शनि कार्य और चन्द्र यात्रा से जुडा माना जाता है, शनि के कारण माता का स्वास्थ खराब रहता है, उसे ठंड या गठिया वाली बीमारिया होती है।
सूर्य चन्द्र और राहु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ चन्द्र और राहु होने से पिता और पुत्र दोनों को ही टीवी देखने और कम्प्यूटर पर चित्रण करने का शौक होता है, फोटोग्राफी का शौक भी होता है, दादा काफी विलासी रहे होते है, उनका जीवन शराब या लोगों की आदतों को समाप्त करने के अन्दर गया होता है, अथवा आयुर्वेद के इलाजो से उन्होने अपना समय ठीक बिताया होता है, एक पुत्र का अनिष्ट माना जाता है, चन्द्र गर्भ होता है, तो राहु मौत का नाम जाना जाता है, राहु चन्द्र मिलकर मुस्लिम महिला से भी लगाव रखते है, पिता का सम्बन्ध किसी विदेशी या मुस्लिम या विजातीय महिला से रहा होता है।
सूर्य चन्द्र और केतु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य चन्द्र केतु के साथ होने पर पितामह एक वैदिक जानकार रहे होते है, नानी भी धार्मिक और वैदिक किताबों के पठन पाठन और प्रवचनों से जुड़ी होती है, माता को कफ की परेशानी होती है, जातक के पास खेती करने वाले या पानी से जुडे अथवा चांदी का काम करने वाले हथियार होते है, वह इन हथियारो की सहायता से इनका काम करना जानता है, चन्द्रमा खेती भी है और आयुर्वेद भी है एक पुत्र को आयुर्वेद या खेती का ज्ञान भी माना जाता है. शहरों मेंं इस काम को पानी के नलों को फिट करने वाला और मीटर की रीडिंग लेने वाले से भी जोड़ा जाता है.सरकारी पाइपलाइन या पानी की टंकी का काम भी इसी ग्रह युति में जोड़ा जाता है।
सूर्य मंगल और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ मंगल और चन्द्र के होने से पिता पराक्रमी और जिद्दी स्वभाव का माना जाता है, जातक या पिता के पास पानी की मशीने और खेती करने वाली मशीने भी हो सकती है, जातक पानी का व्यवसाय कर सकता है, जातक के भाई के पास यात्रा वाले काम होते है, जातक या पिता का किसी न किसी प्रकार का सेना या पुलिस से लगाव होता है।
सूर्य मंगल और बुध का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ मन्गल और बुध के होने से तीन भाई का योग होता है, अगर तीनो ग्रह पुरुष राशि मेंं हो तो, सूर्य और मन्गल मित्र है, इसलिये जातक के दो भाई आज्ञाकारी होते है, बुध मन्गल के सामने एजेन्ट बन जाता है, अत: इस प्रकार के कार्य भी हो सकते है, मंगल कठोर और बुध मुलायम होता है, जातक के भाई के साथ किसी प्रकार का धोखा भी हो सकता है।
सूर्य मंगल और गुरु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य मन्गल और गुरु के साथ होने पर जातक का पिता प्रभावशाली होता है, जातक का समाज मेंं स्थान उच्च का होता है, जीवात्मा संयोग भी बन जाता है, सूर्य और गुरु मिलकर जातक को मंत्री वाले काम भी देते है, अगर किसी प्रकार से राज्य या राज्यपरक भाव का मालिक हो, जातक का भाग्योदय उम्र की चौबीसवें साल के बाद चालू हो जाता है, जातक के पिता को अधिकार मेंं काफी कुछ मिलता है, जमीन और जागीरी वाले ठाठ पूर्वजों के जमाने के होते है।
सूर्य मंगल और शुक्र का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य मन्गल और शुक्र से पिता के पास एक भाई और एक बहिन का संयोग होता है, पिता की सहायतायें एक स्त्री के लिये हुआ करती है, जातक का चाचा अपने बल से पिता का धन प्राप्त करता है, जातक की पत्नी के अन्दर अहम की भावना होती है, और वह अपने को दिखाने की कोशिश करती है, एक बहिन या जातक की पुत्री के पास अकूत धन की आवक होती है, जातक के एक भाई की उन्नति शादी के बाद होती है।
सूर्य मंगल और शनि का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ मंगल और शनि के होने से जातक की सन्तान को कष्ट होता है, पिता के कितने ही दुश्मन होते है, और पिता से हारते भी है, जातक की उन्नति उम्र की तीस साल के बाद होती है, जीवन के अन्दर संघर्ष होता है, और जितने भी अपने सम्बन्धी होते है वे ही हर काम का विरोध करते है, भाई को अनिष्ट होता है, स्थान परिवर्तन समस्याओं के चलते रहना होता रहता है, कार्य कभी भी उंची स्थिति के नहीं हो पाते है, कारण सूर्य दिन का राजा है और शनि रात का राजा है दोनों के मिलने से कार्य केवल सुबह या शाम के रह जाते है, केवल पराक्रम से ही जीवन की गाडी चलती रहती है।
सूर्य मंगल और राहु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य मन्गल के साथ राहु के होने से इन तीनो का योग पिता की कामों मेंं किसी प्रकार की इन्डस्ट्री की बात का इशारा देता है, जातक की एक भाई की दुर्घटना किसी तरह से होती है, जातक का अन्तिम जीवन परेशानी मेंं होता है, पुत्र से जातक को कष्ट होता है, कम्प्यूटर या फोटोग्राफी का काम भी जातक के पास होता है।
सूर्य मंगल और केतु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य मन्गल और केतु के साथ होने से जातक के परिवार मेंं हमेंंशा अनबन रहती है, जातक को कानून का ज्ञान होता है, और जातक का जीवन आनन्द मय नहीं होता है उसका स्वभाव रूखापन लिये होता है, नेतागीरी वाले काम होते है, एक पुत्र को परेशानी ही रहती है, जातक के शरीर मेंं रक्त विकार हुआ करते है।
सूर्य बुध और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ बुध और चन्द्रमा की युति होने से पिता का जीवन बुद्धि जीवी कामों मेंं गुजरता है, पिता कार्य के संचालन मेंं माहिर होता है, जातक या जातक का पिता दवाइयों वाले कामों के अन्दर माहिर होते है, चन्द्रमा फल फूल या आयुर्वेद की तरफ भी इशारा करता है, इसलिये बुध व्यापार की तरफ भी इशारा करता है, जातक की शिक्षा मेंं एक बार बाधा जरूर आती है लेकिन वह किसी न किसी प्रकार से अपनी बाधा को दूर कर देता है।
सूर्य बुध और मंगल का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ बुध और मन्गल के होने से जातक के पिता को भूमि का लाभ होता है, जातक की शिक्षा में अवरोध पैदा होता है, जातक के भाइयों के अन्दर आपसी मतभेद होते है, जो आगे चलकर शत्रुता मेंं बदल जाते है।
सूर्य बुध और गुरु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य बुध और गुरु का साथ होने से जातक जवान से ज्ञान वाली बातों का प्रवचन करता है, योग और उपासना का ज्ञानी होता है, पिता को उसके जीवन के आरम्भ में कठिनाइयों का सामना करना पडता है, लेकिन जातक के जन्म के बाद पिता का जीवन सफल होना चालू हो जाता है, जातक का एक भाई लोकप्रिय होता है, पिता को समाज का काम करने में आनन्द आता है और वह अपने को सन्यासी जैसा बना लेता है।
सूर्य बुध और शुक्र का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ बुध और शुक्र के होने से जातक की एक संतान बहुत ही शिक्षित होती है, उसके पास भूमि भवन और सवारी के अच्छे साधन होते है, पिता के जीवन मेंं दलाली बाले काम होते है, वह शेयर या भवन या भूमि की दलाली के बाद काफी धन कमाता है, जातक या जातक के पिता को दो स्त्री या दो पति का सुख होता है, जातक समाज सेवी और स्त्री प्रेमी होता है।
सूर्य बुध और शनि का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य बुध के साथ शनि के होने पर जातक के पिता के साथ सहयोग नहीं होता है, पिता के पास जो भी काम होते है वे सरकारी और बुद्धि से जुड़े होते है, बुद्धि के साथ कर्म का योग होता है, जातक को सरकार से किसी न किसी प्रकार की सहायता मिलती है, राजकीय सेवा मेंं जाने का पूरा पूरा योग होता है।
सूर्य बुध और राहु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य बुध के साथ राहु के होने से जातक एक पिता और पितामह दोनों ही प्रसिद्ध रहे होते है, पिता के पास धन और भूमि भी होती है, लेकिन वह जातक के जन्म के बाद धन को दवाइयों या आकस्मिक हादसों में अथवा शराब आदि मेंं उडाना चालू कर देता है, एयर लाइन्स वाले काम या उनसे सम्बन्धित एजेन्सी वाले काम भी मिलते है, यात्राओं को अरेन्ज करने वाले काम और सडक़ की नाप जोख के काम भी मिलते है, जातक को पैतृक सम्पत्ति कम ही मिल पाती है।
सूर्य बुध और केतु का आपसी सम्बन्ध:
सूर्य के साथ बुध और केतु होने से जातक के मामा का परिवार प्रभावी होता है, पिता या जातक को कोर्ट केशो से और बेकार के प्रत्यारोंपो से कष्ट होता है, पिता के अवैद्य संबन्धों के कारण परिवार मेंं तनाव रहता है, जातक को इन बातो से परेशानी होती है।
जन्म के सूर्य पर ग्रहों का गोचर से प्राप्त असर:
जन्म कुन्डली मेंं स्थापित सूर्य पर समय समय पर जब ग्रह गोचर से विचरण करते है, उसके बाद जो बाते सामने आती है, वे इस प्रकार से है।
* सूर्य का सूर्य के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के सूर्य के साथ गोचर करता है, तो जातक के पिता को बीमारी होती है, और जातक को भी बुखार आदि से परेशानी होती है, दिमाग मेंं उलझने होने से मन खुश नहीं रहता है।
* चन्द्रमा का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर जब चन्द्रमा गोचर करता है, तो पिता या खुद को अपमान सहन करना पडता है, कोई यात्रा भी हो सकती है।
* मंगल का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर जब मन्गल गोचर करता है, तो जातक को रक्त विकार वाली बीमारियां हो सकती है, पित्त वाले रोगों का जन्म हो सकता है, भाई को सरकार या समाज की तरफ से कोई न कोई कष्ट होता है।
* बुध का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर बुध जब गोचर करता है, तो पिता या खुद को भूमि का लाभ होता है, नये मित्रो से मिलना होता है, जो भी व्यापारिक कार्य चल रहे होते है उनमें सफलता मिलती है।
* गुरु का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर जब गुरु गोचर से भ्रमण करता है, तो जातक को किसी महान आत्मा से साक्षात्कार होता है, जीवन की सोची गयी योजनाओं मेंं सफलता का आभास होने लगता है, किसी न किसी प्रकार से यश और पदोन्नति का असर मिलता है, प्रतिष्ठा मेंं भी बढ़ोत्तरी होती है।
* शुक्र का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर जब शुक्र गोचर करता है, तो जातक को धन की कमी अखरने लगती है, पत्नी की बीमारी या वाहन का खराब होना भी पाया जाता है।
* शनि का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर जब शनि गोचर करता है, कार्य और व्यापार मेंं असंतोष मिलना चालू हो जाता है, जो भी काम के अन्दर उच्चाधिकारी लोग होते वे अधिकतर अप्रसन्न रहने लगते है, धन का नाश होने लगता है, नाम के पीछे कार्य या किसी आक्षेप से धब्बा लगता है।
* राहु का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य पर जब राहु गोचर से भ्रमण करता है, तो पिता या जातक को माया मोह की भावना जाग्रत होती है, पिता को या पुत्र को चोट लगती है, बुखार या किसी प्रकार का वायरल शरीर मेंं प्रवेश करता है, किसी प्रकार से मीडिया या कम्प्यूटर मेंं अपना नाम कमाने की कोशिश करता है, किसी भी काम का भूत दिमाग मेंं सवार होता है, अक्सर शाम के समय सिर भारी होता है, पिता को या खुद को या तो शराब की लत लगती है, या फिर किसी प्रकार की दवाइयों को खाने का समय चलता है, किसी के प्रेम सम्बन्ध का भूत भी इसी समय मेंं चढता है।
* केतु का सूर्य के साथ गोचर: जन्म के सूर्य के साथ केतु का गोचर होने से जातक के अन्दर नकारात्मकता का प्रभाव बढऩे लगता है, वह काम धन्धा छोड कर बैठ सकता है, मन मेंं साधु बनने की भावना आने लगती है, घर द्वार और संसार से त्याग करने की भावना का उदय होना माना जाता है, हर बात में जातक को प्रवचन करने की आदत हो जाती दाढी और बाल बढ़ाने की आदत हो जाती है, यन्त्र मन्त्र और तन्त्र की तरफ उसका दिमाग आकर्षित होने लगता है।
* सूर्य का अन्य ग्रहों पर गोचर गोचर: इसी प्रकार से सूर्य जब जन्म के अन्य ग्रहों के साथ गोचर करता है, तो मिलने वाले प्रभाव एक माह के लिये माने जाते है।
* सूर्य का चन्द्रमा के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के समय के चन्द्रमा के ऊपर गोचर करता है, तो जातक या जातक के पिता की यात्रायें होती है, और धन की प्राप्तिया होने लगती है, जनता मेंं किसी न किसी प्रकार से नाम का उछाल आता है, और जातक का दिमाग घूमने में अधिक लगता है, सरकार और सरकारी कामो का भूत दिमाग में हमेंंशा घूमा करता है राजनीति वाली बातो से मन ही नहीं भरता है।
* सूर्य का मंगल के साथ गोचर: इसी तरह से सूर्य जब जन्म के मन्गल के ऊपर विचरता है तो जातक का दिमाग जिद्दी होने लगता है, कार्य के स्थान मेंं परेशानिया आने लगती है, पुत्र को चोट लगने की पूरी पूरी सम्भावना होती है, मानसिक तनाव के चलते कोई काम नहीं बन पाता है, स्त्री की राशि में पति को क्रोध की भावना बढऩे लगती है, और पति अपने ऊपर अधिक अभिमान करने लगता है, सरकारी लोगो से दादागीरी वाली बाते भी सामने आने लगती है, अगर जातक किसी प्रकार से पुलिस या मिलट्री के क्षेत्र मेंं है तो कोई सरकारी छापा या रिस्वत का मामला परेशान करता है।
* सूर्य का बुध के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के बुध के ऊपर गोचर करता है तो दोस्त सहायता मेंं आ जाते है, पिता या पुत्र को जमीनी कामो मेंं सफलता मिलने लगती है, पिता या पुत्र के काम बहिन बुआ या बेटी के प्रति होने शुरु होते हैं, दिमाग मेंं व्यापार के प्रति सरकारी विभागों के काम आने लगते है, और इसी बात के लिये सरकार से सम्पर्क वाले काम किये जाते है।
* सूर्य का गुरु के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के गुरु के ऊपर गोचर करता है, तो एक माह के लिये जातक के अन्दर धार्मिकता की भावना का उदय होता है, किसी न किसी प्रकार का यश मिलता है, किसी न किसी प्रकार के धर्म के प्रति राजनीति दिमाग में आने लगती है, परिस्थितियां अगर किसी प्रकार से अनुकूल होती है, तो काम के अन्दर बढ़ोत्तरी और पदोन्नति के आसार बनने लगते है, मित्रो और सरकारी लोगो का उच्च तरीके से मिलन होने लगता है।
* सूर्य का शुक्र के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के शुक्र के ऊपर गोचर करता है तो पिता को धन का लाभ होने लगता है, अविवाहितो के लिये पुरुष वर्ग के लिये सम्बन्धो की राजनीति चलने लगती है, स्त्री वर्ग के लिये आभूषण या जेवरात बनाने वाली बाते सामने आती है, सजावटी वस्तुओं को खरीदने और लोगो को दिखावा करने की बात भी होती है।
* सूर्य का शनि के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के शनि के साथ गोचर करता है, तो पिता के कार्य में किसी व्यक्ति के द्वारा बेकार की कठिनाई पैदा की जाती है, पिता और पुत्र के विचारों मेंं असमानता होने से दोनों के अन्दर तनाव होने लगता है, सरकार से जमीन मकान या कार्य के अन्दर कठिनाई मिलती है, लेबर वाले कामो के अन्दर सरकारी दखल आना चालू हो जाता है, लेबर डिपार्टमेंन्ट या उससे जुडे विभागों के द्वारा लेबरों के प्रति जांच पडताल होने लगती है, मकान का काम सरकारी हस्तक्षेप के कारण रुक जाता है।
* सूर्य का राहु के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के राहु पर विचरण करता है, तो पिता को अपने कामो के अन्दर आलस आना चालू हो जाता है, कार्य के अन्दर असावधानी होने लगती है, और परिणाम के अन्दर दुर्घटना का जन्म होता है, किसी न किसी के मौत या दुर्घटना के समाचार मिलते रहते है, स्वास्थ्य मेंं खराबी होने लगती है, किसी न किसी प्रकार से शमशानी या अस्पताली या किसी भोज में जाने की यात्रा करनी पडती है।
* सूर्य का केतु के साथ गोचर: सूर्य जब जन्म के केतु के साथ गोचर करता है तो जातक के अन्दर धार्मिकता आजाती है, वह जो भी काम करता है, या किसी की सहायता करता है तो उस काम में राजनीति आ जाती है.सूर्य के साथ जब कोई ग्रह बक्री हो जाता है तो इस प्रकार के फल मिलते है, मन्गल के बक्री होने पर उत्साह में कमी आजाती है, शक्ति मेंं निर्बलता मालुम चलने लगती है, पिता का चलता हुआ इलाज किसी न किसी कारण से रुक जाता है, बुध के बक्री होने से शिक्षा का काम रुक जाता है, चलता हुआ व्यापार ठप हो जाता है, किसी से किसी व्यापारिक समझौते पर चलने वाली बात बदल जाती है, गुरु के बक्री होने से अगर संतान पैदा होने वाली है, तो किसी न किसी प्रकार से गर्भपात हो जाता है, सन्तान की इच्छा के लिये यह समय बेकार सा हो जाता है, ह्रदय वाली बीमारियों का जन्म हो जाता है, शुक्र के बक्री होते ही कामवासना की अधिकता होती है।

No comments: