ज्योतिष में कुल 12 भाव, 12 राशियां, 9 ग्रह, 27 नक्षत्र होते है. इन सभी के मेल से बनी कुण्ड्ली से व्यक्ति का भविष्य निर्धारित होता है. व्यक्ति को इन में से जिन ग्रहों की दशा - अन्तर्दशा का प्रभाव व्यक्ति पर चल रहा होता है. उन्हीं भाव से संबन्धित घटना घटित होने की संभावनाएं बनती है. सभी 12 भावों के अपने कारकतत्व होते है. जो स्थिर प्रकृ्ति के है.
भाव व राशियों के तरह ग्रहों की भी विशेषताएं होती है. जिनसे ग्रह की शुभता व अशुभता का निर्धारण होता है. पर ग्रह भाव, राशियों में अपनी स्थिति के अनुसार अपने फलों को बदल लेते है. विशेष रुप से लग्नेश व महादशा स्वामी से ग्रह के संबन्ध फलों को प्रभावित करते है. मकर लग्न की कुण्डली के 12 भावों में शनि इस प्रकार के फल दे सकता है.
प्रथम भाव में शनि के फल - मकर लग्न के प्रथम भाव में शनि स्थित होने पर व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति स्वभाव से स्वाभिमानी होता है. स्वराशि का शनि व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि करने में सहयोग करता है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के व्यापार में परेशानियां आने की संभावना बनती है. वैवाहिक जीवन के आरम्भ में कष्ट प्राप्त हो सकते है. परन्तु बाद में स्थिति सामान्य होकर व्यक्ति को अपने जीवन साथी का सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. अधिनस्थों का सहयोग भी प्राप्त होता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल - व्यक्ति धन संचय करने में सफल होता है. व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों का सुख प्राप्त होता है. परन्तु माता के सुख में कमी की संभावनाएं बनती है. भूमि- भवन संबन्धी मामलों से भी समस्याएं आ सकती है. इस योग से आयु में कुछ कमी हो सकती है. पर आय वृ्द्धि को सहयोग प्राप्त होता है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल - पराक्रम भाव में मंगल की मेष राशि में शनि व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि करता है. पर इस योग के कारण व्यक्ति को अपने भाई -बहनों का सुख कम मिल सकता है. व्यक्ति के भाग्य व शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं बनी रहती है. व्यक्ति के व्यय भी बढ सकते है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल - व्यक्ति को अपनी माता का सुख कम मिल सकता है. तथा उसे घर से दूर रहना पड सकता है. शनि के इस भाव में होने से व्यक्ति के धन में कमी हो सकती है. शत्रु पक्ष भी व्यक्ति को हानि पहुंचा सकते है. व्यापार व आय के स्त्रोत ठीक रहने की संभावनाएं बनती है. योग के कारण व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है.
पंचम भाव में शनि के फल - शिक्षा, योग्यता, संतान आदि से सुख प्राप्त हो सकते है. विवाहित जीवन में अडचनें आ सकती है. यह योग होने पर व्यक्ति को साझेदारी व्यापार से बचना चाहिए. अन्यथा व्यापार में हानि हो सकती है. आय का स्तर मध्यम रहने के योग बनते है. पर व्यक्ति को धन से सुख की प्राप्ति होती है. इस योग के कारण व्यक्ति के द्वारा किये गये व्यय व्यर्थ विषयों पर नहीं होते है.
छठे भाव में शनि के फल - व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है. उसे शारीरिक परिश्रम अधिक करना पड सकता है. तथा व्ययों के भी अधिक होने की संभावनाएं बनती है. यह योग व्यक्ति को चिन्तित रहने का स्वभाव दे सकता है. व इसके कारण उसके धन में कमी हो सकती है.
सप्तम भाव में शनि के फल - जिस व्यक्ति की कुण्ड्ली में सप्तम भाव में शनि स्थित हों, उस व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को शत्रुओं द्वारा कष्ट प्राप्त हो सकते है. पर भाग्य का सहयोग व्यक्ति को प्राप्त होता है. जीवन साथी से व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है. पर साथ ही साथ व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्रों में परेशानियां बनी रह सकती है. व्यक्ति की आय बाधित हो सकती है. मेहनत व लगन से व्यक्ति अपने कार्यो को पूर्ण करने में सफल होता है.
अष्टम भाव में शनि के फल - मकर लग्न के अष्टम भाव में सिंह राशि में शनि व्यक्ति के पिता के स्वास्थ्य में कमी कर सकता है. इस योग के व्यक्ति को अपने पिता का सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके अतिरिक्त मतभेद भी हो सकते है. परिवार के अन्य सदस्यों के सहयोग में बढोतरी होती है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के संचय में भी वृ्द्धि को सहयोग प्राप्त होता है. आजिविका क्षेत्र के फल देर से प्राप्त होते है. इसके कारण संतान में कमी हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल - कन्या राशि नवम भाव में शनि की स्थिति व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं देती है. व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता है. व्यक्ति को आय क्षेत्र में परेशानियां आ सकती है. पराक्रम को बनाये रखने से व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र की बाधाओं को दूर करने में सफल होता है. व्यक्ति के अपने छोटे भाई बहनों से संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल - यह योग व्यक्ति को व्यापार क्षेत्र में सहयोगी रहता है. उसे अपने कार्यक्षेत्र में भी अच्छी सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. मान-सम्मान प्राप्ति के लिये भी यह योग व्यक्ति के अनुकुल रहता है. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. तथा उसे माता- भूमि का पूर्ण सुख न मिलें, इस प्रकार के संयोग भी बनते है. वैवाहिक जीवन में कुछ बाधाएं बनी रह सकती है.
एकादश भाव में शनि के फल - व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है. तथा व्यक्ति के आत्मबल में भी वृ्द्धि होती है. मान-सम्मान प्रपति की संम्भावनाएं बनती है. योग के कारण व्यक्ति के व्यय बढ सकते है. तथा व्यक्ति को धन संग्रह में अत्यधिक रुचि हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. यह योग होने पर व्यक्ति को दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए. आयु में कमी हो सकती है.
द्वादश भाव में शनि के फल - शनि द्वादश भाव में धनु राशि में होने पर व्यक्ति को सरकारी कार्यो से कष्ट प्राप्त हो सकते है. संचय करनें में भी परेशानियां हो सकती है. शत्रु पर व्यक्ति अपना प्रभाव बनाये रखता है. यह योग सामान्यत: व्यक्ति के भाग्य में वृ्द्धि करता है.
भाव व राशियों के तरह ग्रहों की भी विशेषताएं होती है. जिनसे ग्रह की शुभता व अशुभता का निर्धारण होता है. पर ग्रह भाव, राशियों में अपनी स्थिति के अनुसार अपने फलों को बदल लेते है. विशेष रुप से लग्नेश व महादशा स्वामी से ग्रह के संबन्ध फलों को प्रभावित करते है. मकर लग्न की कुण्डली के 12 भावों में शनि इस प्रकार के फल दे सकता है.
प्रथम भाव में शनि के फल - मकर लग्न के प्रथम भाव में शनि स्थित होने पर व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति स्वभाव से स्वाभिमानी होता है. स्वराशि का शनि व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि करने में सहयोग करता है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के व्यापार में परेशानियां आने की संभावना बनती है. वैवाहिक जीवन के आरम्भ में कष्ट प्राप्त हो सकते है. परन्तु बाद में स्थिति सामान्य होकर व्यक्ति को अपने जीवन साथी का सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. अधिनस्थों का सहयोग भी प्राप्त होता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल - व्यक्ति धन संचय करने में सफल होता है. व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों का सुख प्राप्त होता है. परन्तु माता के सुख में कमी की संभावनाएं बनती है. भूमि- भवन संबन्धी मामलों से भी समस्याएं आ सकती है. इस योग से आयु में कुछ कमी हो सकती है. पर आय वृ्द्धि को सहयोग प्राप्त होता है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल - पराक्रम भाव में मंगल की मेष राशि में शनि व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि करता है. पर इस योग के कारण व्यक्ति को अपने भाई -बहनों का सुख कम मिल सकता है. व्यक्ति के भाग्य व शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं बनी रहती है. व्यक्ति के व्यय भी बढ सकते है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल - व्यक्ति को अपनी माता का सुख कम मिल सकता है. तथा उसे घर से दूर रहना पड सकता है. शनि के इस भाव में होने से व्यक्ति के धन में कमी हो सकती है. शत्रु पक्ष भी व्यक्ति को हानि पहुंचा सकते है. व्यापार व आय के स्त्रोत ठीक रहने की संभावनाएं बनती है. योग के कारण व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है.
पंचम भाव में शनि के फल - शिक्षा, योग्यता, संतान आदि से सुख प्राप्त हो सकते है. विवाहित जीवन में अडचनें आ सकती है. यह योग होने पर व्यक्ति को साझेदारी व्यापार से बचना चाहिए. अन्यथा व्यापार में हानि हो सकती है. आय का स्तर मध्यम रहने के योग बनते है. पर व्यक्ति को धन से सुख की प्राप्ति होती है. इस योग के कारण व्यक्ति के द्वारा किये गये व्यय व्यर्थ विषयों पर नहीं होते है.
छठे भाव में शनि के फल - व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का हो सकता है. उसे शारीरिक परिश्रम अधिक करना पड सकता है. तथा व्ययों के भी अधिक होने की संभावनाएं बनती है. यह योग व्यक्ति को चिन्तित रहने का स्वभाव दे सकता है. व इसके कारण उसके धन में कमी हो सकती है.
सप्तम भाव में शनि के फल - जिस व्यक्ति की कुण्ड्ली में सप्तम भाव में शनि स्थित हों, उस व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को शत्रुओं द्वारा कष्ट प्राप्त हो सकते है. पर भाग्य का सहयोग व्यक्ति को प्राप्त होता है. जीवन साथी से व्यक्ति को सुख प्राप्त होता है. पर साथ ही साथ व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्रों में परेशानियां बनी रह सकती है. व्यक्ति की आय बाधित हो सकती है. मेहनत व लगन से व्यक्ति अपने कार्यो को पूर्ण करने में सफल होता है.
अष्टम भाव में शनि के फल - मकर लग्न के अष्टम भाव में सिंह राशि में शनि व्यक्ति के पिता के स्वास्थ्य में कमी कर सकता है. इस योग के व्यक्ति को अपने पिता का सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके अतिरिक्त मतभेद भी हो सकते है. परिवार के अन्य सदस्यों के सहयोग में बढोतरी होती है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के संचय में भी वृ्द्धि को सहयोग प्राप्त होता है. आजिविका क्षेत्र के फल देर से प्राप्त होते है. इसके कारण संतान में कमी हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल - कन्या राशि नवम भाव में शनि की स्थिति व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं देती है. व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता है. व्यक्ति को आय क्षेत्र में परेशानियां आ सकती है. पराक्रम को बनाये रखने से व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र की बाधाओं को दूर करने में सफल होता है. व्यक्ति के अपने छोटे भाई बहनों से संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल - यह योग व्यक्ति को व्यापार क्षेत्र में सहयोगी रहता है. उसे अपने कार्यक्षेत्र में भी अच्छी सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. मान-सम्मान प्राप्ति के लिये भी यह योग व्यक्ति के अनुकुल रहता है. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. तथा उसे माता- भूमि का पूर्ण सुख न मिलें, इस प्रकार के संयोग भी बनते है. वैवाहिक जीवन में कुछ बाधाएं बनी रह सकती है.
एकादश भाव में शनि के फल - व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है. तथा व्यक्ति के आत्मबल में भी वृ्द्धि होती है. मान-सम्मान प्रपति की संम्भावनाएं बनती है. योग के कारण व्यक्ति के व्यय बढ सकते है. तथा व्यक्ति को धन संग्रह में अत्यधिक रुचि हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. यह योग होने पर व्यक्ति को दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए. आयु में कमी हो सकती है.
द्वादश भाव में शनि के फल - शनि द्वादश भाव में धनु राशि में होने पर व्यक्ति को सरकारी कार्यो से कष्ट प्राप्त हो सकते है. संचय करनें में भी परेशानियां हो सकती है. शत्रु पर व्यक्ति अपना प्रभाव बनाये रखता है. यह योग सामान्यत: व्यक्ति के भाग्य में वृ्द्धि करता है.