मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र 01 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहे हैं. इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन होंगे.
इस बार नवरात्रि में 18 साल बाद महासंयोग बन रहा है. 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है. नवरात्र व्रत की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है.
कलश स्थापना की जरूरी पूजन सामग्री
- जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र.
- जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी.
- पात्र में बोने के लिए जौ.
- कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल.
- मोली.
- इत्र.
- साबुत सुपारी.
- दूर्वा.
- कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के.
- पंचरत्न.
- अशोक या आम के 5 पत्ते.
- कलश ढकने के लिए मिटट् का दीया.
- ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल.
- पानी वाला नारियल.
- नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा.
शारदीय नवरात्र की तिथियां
- पहला दिन: 01 अक्टूबर, 2016 इस दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 मिनट तक का है. प्रथम नवरात्र को देवी शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है.
- दूसरा दिन: 02 अक्टूबर, 2016 इस वर्ष प्रतिपदा तिथि दो दिन होने की वजह से आज भी देवी शैलपुत्री की पूजा की जाएगी.
- तीसरा दिन: 03 अक्टूबर 2016 नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
- चौथा दिन: 04 अक्टूबर 2016 तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है.
- पांचवा दिन: 05 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है.
- छठा दिन: 06 अक्टूबर 2016 पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है.
- सातवां दिन: 07 अक्टूबर 2016 नारदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए.
- आठवां दिन: 08 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है.
- नौंवा दिन: 09 अक्टूबर 2016 अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं.
- दसवां दिन: 10 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है.
- 11 अक्टूबर 2016 बंगाल, कोलकाता आदि जगहों पर जहां काली पूजा और दुर्गा पूजा की जाती है. वहां दसवें दिन दुर्गा जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.
इस बार नवरात्रि में 18 साल बाद महासंयोग बन रहा है. 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है. नवरात्र व्रत की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है.
कलश स्थापना की जरूरी पूजन सामग्री
- जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र.
- जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी.
- पात्र में बोने के लिए जौ.
- कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल.
- मोली.
- इत्र.
- साबुत सुपारी.
- दूर्वा.
- कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के.
- पंचरत्न.
- अशोक या आम के 5 पत्ते.
- कलश ढकने के लिए मिटट् का दीया.
- ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल.
- पानी वाला नारियल.
- नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा.
शारदीय नवरात्र की तिथियां
- पहला दिन: 01 अक्टूबर, 2016 इस दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 मिनट तक का है. प्रथम नवरात्र को देवी शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है.
- दूसरा दिन: 02 अक्टूबर, 2016 इस वर्ष प्रतिपदा तिथि दो दिन होने की वजह से आज भी देवी शैलपुत्री की पूजा की जाएगी.
- तीसरा दिन: 03 अक्टूबर 2016 नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
- चौथा दिन: 04 अक्टूबर 2016 तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है.
- पांचवा दिन: 05 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है.
- छठा दिन: 06 अक्टूबर 2016 पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है.
- सातवां दिन: 07 अक्टूबर 2016 नारदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए.
- आठवां दिन: 08 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है.
- नौंवा दिन: 09 अक्टूबर 2016 अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं.
- दसवां दिन: 10 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है.
- 11 अक्टूबर 2016 बंगाल, कोलकाता आदि जगहों पर जहां काली पूजा और दुर्गा पूजा की जाती है. वहां दसवें दिन दुर्गा जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.
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