Friday 14 October 2016

उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनने के ग्रह योग

जब तक किसी जातक की जन्म कुंडली में ग्रह योग उच्व प्रशासनिक कार्य करने हेतु न बनते हों, तब तक जातक अथक प्रयास करने के बावजूद भी उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनकर राज्य पद प्राप्त नहीं कर पाता । यदि पत्रिका में ग्रहयोग उच्च राजकीय प्रशासनिक पद पर कार्य करते की ओर इंगित कर रहे हों, तो जातक को थेमृड़े प्रयास से ही राजकीय पद दिलाने वाले ग्रहों की महादशा व अंर्तरदरुग़ में अवश्य ही सफलता मिलती है । यदि इस बात का ज्ञान पूर्व से हो जावे, कि जातक को बसे राजकीय प्रशासनिक या आई.ए.एस. जैसे पद मिलने की संभावना है, तो जातक अपना सम्पूर्ण ध्यान उस ओर लगाकर सफलता प्राप्त कर सकता है । सतत् शोध द्वारा पाये गये कुछ ग्रहयोग, जो उच्च पदों पर अधीन आई.ए.एस. व अन्य राजकीय प्रशासनिक अधिकारियों की जन्म पत्रिकाओं में बहुधा पाया गया है, को यहीं दिया जा रहा हैं। इसके अतिरिक्त कुछ वरिष्ठ पदासीन जाई-एमस व अन्य उच्व प्रशासनिक अधिकरियों के कुंडलियों का विश्लेषण पाठकों के ज्ञानवर्धन हेतु दिया गया है, जिन्हें देखकर पाठकगण स्वंय विश्लेषण करते हुए अनुभव प्राप्त कर सकते हैं-
आई.ए.एस. जैसे प्रतिष्ठित सेवा में चयन हेतु कुंडली में तूर्य,गुरु,मंगल,रब्वहु एवं चंद्रमा जैसे यहीं का बलिष्ठ होना अनिवार्य पाया गया है । है .यदि भाव 11 का स्वामी भाव 9 में हो व भाव 10 के स्वामी से युति या दृष्ट-करता हो तो जातक आई.ए.एस. बन सकता है। 3 यदि पत्रिका में लग्नेश लग्न को देखे, साथ ही भानंयेश केन्द्र 1,4,7, 10 भाव या त्रिकोंण 5,9 भाव में हो, तो भी इस सर्विस का योग बनता है । ३ 4.भाव 2 का स्वामी यदि भाव 11 लाभ स्थान में होकर भाव 10 के स्वामी से दुष्ट हो अथवा भाव 10 के स्वामी के साथ हो, तो भी इस सर्विस में सफल होन ५ की संभावना होती है। 'रुआब 9 में उच्च का गुरु या शुक्र हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, सूर्य अच्छी स्थिति का हो, तो जातक इन्हें ग्रहों की दशा या अंर्तदशा में उच्च पदाधिकारी आईएएस आफीसर बनता है ।.भाव 10 का स्वामी यदि केन्द्र या त्रिकोंण में शुभ दृष्ट पर हो, तो भी जातक को उच्च राजकीय पद दिलाता है |यदि लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर केन्द्र या त्रिकोण में हों और गुरु उच्च का या स्वग्रही हो, तो भी जातक की आईएएस अधिकारी बनने की प्रबल संभावना होती है । यदि तीन "या चार ग्रह उच्च या मूल त्रिकोंण में बलि हों, तो भी जातक को उच्च राजकीय पद मिलने की संभावना रहती है । .यदि केन्द्र में, विशेषकर लग्न में सूर्य और बुध हों और गुरु की शुभ दृष्टि इन पर हो, तो जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करता है। .यदि मेष लग्न हो क्या चंद्रमा, मंगल,गुरु तीनों अच्छे अंशों में हों, तो भी जातक को राजकीय सेवा में उच्च पद दिलाते हैं । यदि इन्हें पर कहीं सूर्य की दृष्टि हो या इससे युति हो रही हो, तो भी जातक उच्च राजकीय सेवा में जाकर काफी नाम कमाता है । प्रत्रिका में सूर्य यहि गुरू, राहू के साथ बलवान होकर केन्द्र या त्रिकोंण में की हों, तो भी उच्च प्रशासनिक पद दिलाते है । यदि पत्रिका में राहू उच्च या मूल त्रिफोंण का भाव 10 में हो और सूर्य व गुरु भी-केन्द्र या त्रिकोंण में युति होकर देते हों, तो भी उच्च प्रशासनिक राजकीय पद मिलने के योग बनाते हैं । यदि मेष लग्न हो और लग्न में मंगल व गुरू का किस भी रुप में संबंघं हो रहा हो, तब भी जातक उच्च राजनीतिक प्रद प्राप्त करता है । मेष लग्न में ही यदि भाव 11 में चंद्र और गुरु हों तथा उनपर शुभ यहा की दृष्टि हो,तो जातक उच्च शासनाघिकारी बन यश प्राप्त करता है । मेष लग्न से स्थित चंद्रमा पर यदि गुरु पूर्ण दृष्टि डालता हो, तो जातक राजकीय उच्च पद प्राप्त करता है | मेष लग्न की कुंडली में बुध भाव 4 में है गुरु भाव 7 में एवं शुक्र भाव 10 में हो, तो जातक उच्च राजकीय पद प्राप्त करता है । मेष लग्न में पाल अथवा सूर्य लग्न में हो और समस्त शुभ ग्रह यदि केन्द्र में हो, तो जातक शासन में जाते उच्च पद को प्राप्त करता है । मेष लया की कुडैली में लग्नेश मंगल लग्न में हो अथवा लग्न पर दृष्टि डालता हो, और भाग्येश गुरु केन्द्र या त्रिकोंण में हो, तो भी जातक राजकीय उच्चपद प्राप्त करता है । वृष लग्न की कुंडली में यदि शुक्र, गुरु, बुथ यदि केन्द्र में हों एवं मंगल भाव 10 में हो, तो जातक उच्च राजकीय पद प्राप्त करता है । वृष लया हो एवं मंगल-शुक्र युति कर भाव 5 या 9 में हों और योगकारक शनि लग्न से हो, तो जातक को राजकीय उच्च पद प्राप्त होता है। वृष लग्न हो एवं शुक्र भाव 6 में है मंगल भाव 12 में क्या गुरु भाव 3 या 4 में हो तो भी जातक को उब ज्ञासकीय पद प्राप्त होता है। वृष लग्न में गुरु हो, मिथुन में चंद्रमा, मकर में मंगल, सिह में शनि, कन्या में बुथ-सूर्य की युति एवं तुला में शुक्र हो, तो उच्च शासकीय पद देता है। मिथुन लग्न हो एवं भाव 10 में पंचमेश शुक्र, लग्नेश बुध हैं दशमेश गुरु एवं मंगल की की हो रही हो, तो जातक को राज्य में उच्च पद देता है । मिथुन लग्न के भाव 5 में शुक्र, भाव 11 में मेष का पाल, उच्च का गुरु भाव है में हो, तो जातक को अवश्य ही उच्च पद देता है । मियुन लग्न में ही यदि वुघ,गुरु,शुक्र,चंद्र की युति हो तथा उस पर किसी पाप ग्रह की छाया न पड़ती हो, तो जातक अवश्य ही शासन में उच्च पद प्राप्त कर प्रतिष्ठित होता है ।

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