शनि सभी ग्रहों में सबसे मन्द गति ग्रह है. इसलिये शनि के फल दीर्घकाल तक प्राप्त होते है. इसके अतिरिक्त व्यक्ति के जीवन में किसी भी घटना के घटित होने के लिये शनि के गोचर का विशेष विचार किया जाता है. यहीं कारण है कि शनि को काल कहा जाता है.
जन्म कुण्डली में शनि जिस भाव व जिस राशि में स्थित होता है. उसके अनुसार व्यक्ति को शनि के फल मिलने की संभावनाएं बनती है. शनि से मिलने वाले फलों को समझने के लिये सबसे पहले जन्म कुण्डली में शनि के लग्नेश से संबन्धों को देखा जाता है. उसके पश्चात शनि किस भाव में स्थित है यह देखा जाता है. तथा अन्त में भाव की राशि, अन्य ग्रहों से शनि के संबन्ध का विचार किया जाता है.
अन्त में शनि की दशा व गोचर का विश्लेषण किया जाता है. इन सभी विषयों का बारीकि से अध्ययन करने पर ही शनि के फल स्पष्ट हो सकते है. आईये देखे कि वृ्श्चिक लग्न की कुण्डली में शनि 12 भावों में किस प्रकार के फल दे सकता है.
प्रथम भाव में शनि के फल - वृ्श्चिक लग्न कि कुण्डली में शनि लग्न भाव में हों, तो व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता का भाव हो सकता है. इस योग का व्यक्ति स्वभाव से शान्त होता है. व्यक्ति का अपने शत्रुओं पर प्रभाव बना रहता है. उसके वैवाहिक जीवन में उतार-चढाव आने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के अपने पिआ के साथ मतभेद हो सकते है. तथा सरकारी क्षेत्रों से परेशानियां हो सकती है. व्यापार के क्षेत्र में आरम्भ में असफलता परन्तु धैर्य से काम लेने से, बाद में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल -वृ्श्चिक लग्न के दूसरे भाव में धनु राशि होती है. इस भाव में शनि हो तो व्यक्ति को शेयर बाजार से लाभ प्राप्त हो सकता है. अन्य अचानक से भी धन लाभ होने के योग बनते है. इस योग के कारण व्यक्ति की आय मध्यम स्तर की हो सकती है. व्यक्ति योग्य, कुशल व श्रेष्ठ कार्यो को करने में रुचि लेता है.
उसे अपने परिजनों के कारण कष्टों का सामना करना पड सकता है. इस भाव से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से माता के भाव में स्थित अपनी राशि से संम्बन्ध बनाने के कारण मातृ्भाव को बली कर रहा होता है. जिसके कारण व्यक्ति के मातृसुख में वृ्द्धि व सुख-सुविधाओं में भी बढोतरी होने की संभावनाएं बनती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल - व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी होती है. उसके शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. व्यापारिक क्षेत्र भी इसके कारण प्रभावित हो सकता है. व्यक्ति कठिनाईयों के साथ जीवन में आगे बढता है. यह योग व्यक्ति के भाग्य में कमी का कारण बन सकता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल - वृश्चिक लग्न के चतुर्थ भाव में शनि कुम्भ राशि में स्थित होता है. इस स्थिति में व्यक्ति को माता का पूर्ण सुख मिलने की संभावनाएं बनती है. भूमि-भवन के विषयों से भी लाभ प्राप्त हो सकते है. व्यक्ति का शत्रु बली हो सकते है. जिसके कारण व्यक्ति को हानि हो सकती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का होता है. तथा आजिविका क्षेत्र में मेहनत से उन्नती प्राप्त हो सकती है.
पंचम भाव में शनि के फल - व्यक्ति को शिक्षा के लिये घर से दूर जाना पड सकता है. यह योग व्यक्ति को विदेश में शिक्षा प्राप्ति की संभावनाएं देता है. व्यक्ति को अपनी माता से कम सुख प्राप्त हो सकता है. स्वास्थ्य में कुछ कमी हो सकती है. तथा आय के स्तोत्र उतम रहने की संभावनाएं बनती है.
छठे भाव में शनि के फल - व्यक्ति के शत्रु अधिक शक्तिशाली होते है. इसलिये प्रतियोगियों से पराजय का सामना करना पड सकता है. रोग व ऋण संबन्धी विषय व्यक्ति को परेशान कर सकते है. धैर्य, हिम्मत व साहस को बनाये रखने से विजय व लाभ दोनों होने कि संभावनाएं बनती है.
सप्तम भाव में शनि के फल - भाई- बहनों के सुख में कमी, स्वास्थ्य मध्यम स्तर का होता है. धार्मिक कार्यो में रुचि कम होती है. जीवन साथी का सुख प्राप्त होता है. तथा व्यापार में भी लाभ प्राप्ति के संयोग बनते है. भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. व्यक्ति को शारीरिक मेहनत अधिक करनी पड सकती है. अधिक भाग-दौड के कारण स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल - व्यक्ति को दीर्घकालानी रोग होने की संभावनाएं रहती है. इस योग के कारण व्यक्ति की आय में बढोतरी हो सकती है. व्यक्ति की आय उतम स्तर कि हो सकती है. शिक्षा में कमी हो सकती है. संतान का सुख मतभेदों के साथ प्राप्त होता है.
नवम भाव में शनि के फल -भाग्य की उन्नति होती है. पर भाग्य में उतार-चढाव बने रहते है. व्यक्ति अपने शत्रुओं को परेशान करने में सफल होता है. आय बाधित होकर प्राप्त होती है.
दशम भाव में शनि के फल -पिता के साथ मतभेद, सरकारी नियमों से कष्ट, व्यापार में परेशानियां, तथा आय में बढोतरी होती है.
एकादश भाव में शनि के फल - विधा के क्षेत्र में अडचनें, आयु में वृ्द्धि, आय उतम स्तर कि होती है. व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है.
द्वादश भाव में शनि के फल -माता, भाई बहनों से कम सुख मिलने की संभावनाएं बनती है. आयु में बढोतरी होती है. ऎश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के अवसर प्राप्त हो सकते है.
जन्म कुण्डली में शनि जिस भाव व जिस राशि में स्थित होता है. उसके अनुसार व्यक्ति को शनि के फल मिलने की संभावनाएं बनती है. शनि से मिलने वाले फलों को समझने के लिये सबसे पहले जन्म कुण्डली में शनि के लग्नेश से संबन्धों को देखा जाता है. उसके पश्चात शनि किस भाव में स्थित है यह देखा जाता है. तथा अन्त में भाव की राशि, अन्य ग्रहों से शनि के संबन्ध का विचार किया जाता है.
अन्त में शनि की दशा व गोचर का विश्लेषण किया जाता है. इन सभी विषयों का बारीकि से अध्ययन करने पर ही शनि के फल स्पष्ट हो सकते है. आईये देखे कि वृ्श्चिक लग्न की कुण्डली में शनि 12 भावों में किस प्रकार के फल दे सकता है.
प्रथम भाव में शनि के फल - वृ्श्चिक लग्न कि कुण्डली में शनि लग्न भाव में हों, तो व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता का भाव हो सकता है. इस योग का व्यक्ति स्वभाव से शान्त होता है. व्यक्ति का अपने शत्रुओं पर प्रभाव बना रहता है. उसके वैवाहिक जीवन में उतार-चढाव आने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के अपने पिआ के साथ मतभेद हो सकते है. तथा सरकारी क्षेत्रों से परेशानियां हो सकती है. व्यापार के क्षेत्र में आरम्भ में असफलता परन्तु धैर्य से काम लेने से, बाद में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल -वृ्श्चिक लग्न के दूसरे भाव में धनु राशि होती है. इस भाव में शनि हो तो व्यक्ति को शेयर बाजार से लाभ प्राप्त हो सकता है. अन्य अचानक से भी धन लाभ होने के योग बनते है. इस योग के कारण व्यक्ति की आय मध्यम स्तर की हो सकती है. व्यक्ति योग्य, कुशल व श्रेष्ठ कार्यो को करने में रुचि लेता है.
उसे अपने परिजनों के कारण कष्टों का सामना करना पड सकता है. इस भाव से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से माता के भाव में स्थित अपनी राशि से संम्बन्ध बनाने के कारण मातृ्भाव को बली कर रहा होता है. जिसके कारण व्यक्ति के मातृसुख में वृ्द्धि व सुख-सुविधाओं में भी बढोतरी होने की संभावनाएं बनती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल - व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी होती है. उसके शिक्षा क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. व्यापारिक क्षेत्र भी इसके कारण प्रभावित हो सकता है. व्यक्ति कठिनाईयों के साथ जीवन में आगे बढता है. यह योग व्यक्ति के भाग्य में कमी का कारण बन सकता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल - वृश्चिक लग्न के चतुर्थ भाव में शनि कुम्भ राशि में स्थित होता है. इस स्थिति में व्यक्ति को माता का पूर्ण सुख मिलने की संभावनाएं बनती है. भूमि-भवन के विषयों से भी लाभ प्राप्त हो सकते है. व्यक्ति का शत्रु बली हो सकते है. जिसके कारण व्यक्ति को हानि हो सकती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का होता है. तथा आजिविका क्षेत्र में मेहनत से उन्नती प्राप्त हो सकती है.
पंचम भाव में शनि के फल - व्यक्ति को शिक्षा के लिये घर से दूर जाना पड सकता है. यह योग व्यक्ति को विदेश में शिक्षा प्राप्ति की संभावनाएं देता है. व्यक्ति को अपनी माता से कम सुख प्राप्त हो सकता है. स्वास्थ्य में कुछ कमी हो सकती है. तथा आय के स्तोत्र उतम रहने की संभावनाएं बनती है.
छठे भाव में शनि के फल - व्यक्ति के शत्रु अधिक शक्तिशाली होते है. इसलिये प्रतियोगियों से पराजय का सामना करना पड सकता है. रोग व ऋण संबन्धी विषय व्यक्ति को परेशान कर सकते है. धैर्य, हिम्मत व साहस को बनाये रखने से विजय व लाभ दोनों होने कि संभावनाएं बनती है.
सप्तम भाव में शनि के फल - भाई- बहनों के सुख में कमी, स्वास्थ्य मध्यम स्तर का होता है. धार्मिक कार्यो में रुचि कम होती है. जीवन साथी का सुख प्राप्त होता है. तथा व्यापार में भी लाभ प्राप्ति के संयोग बनते है. भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. व्यक्ति को शारीरिक मेहनत अधिक करनी पड सकती है. अधिक भाग-दौड के कारण स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल - व्यक्ति को दीर्घकालानी रोग होने की संभावनाएं रहती है. इस योग के कारण व्यक्ति की आय में बढोतरी हो सकती है. व्यक्ति की आय उतम स्तर कि हो सकती है. शिक्षा में कमी हो सकती है. संतान का सुख मतभेदों के साथ प्राप्त होता है.
नवम भाव में शनि के फल -भाग्य की उन्नति होती है. पर भाग्य में उतार-चढाव बने रहते है. व्यक्ति अपने शत्रुओं को परेशान करने में सफल होता है. आय बाधित होकर प्राप्त होती है.
दशम भाव में शनि के फल -पिता के साथ मतभेद, सरकारी नियमों से कष्ट, व्यापार में परेशानियां, तथा आय में बढोतरी होती है.
एकादश भाव में शनि के फल - विधा के क्षेत्र में अडचनें, आयु में वृ्द्धि, आय उतम स्तर कि होती है. व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है.
द्वादश भाव में शनि के फल -माता, भाई बहनों से कम सुख मिलने की संभावनाएं बनती है. आयु में बढोतरी होती है. ऎश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के अवसर प्राप्त हो सकते है.
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