Thursday 13 October 2016

शतभिषा नक्षत्र का जन्म और स्वाभाव

कहा जाता है कि ग्रह से बड़ा नक्षत्र होता है और नक्षत्र से भी बड़ा नक्षत्र का पाया होता है। हर नक्षत्र अपने अपने स्वभाव के जातक को इस संसार में भेजते हंै और नक्षत्र के पदानुसार ही जातक को कार्य और संसार संभालने की जिम्मेंदारी दी जाती है। आइये समझते है नक्षत्र के समय में जन्म और जातक का स्वभाव-
शतभिषा नक्षत्र का जन्म और स्वभाव:
शतभिषा नक्षत्र का मालिक शनि होता है और इस नक्षत्र का प्रभाव उत्तर दिशा की तरफ अधिक होता है, इस नक्षत्र का तत्व आकाश होता है। शरीर में दाहिनी जांघ पर इसका अधिकार होता है, पूरे दिन रात में इसका भोग काल तीन कला होता है। इस नक्षत्र के चार पायों मेंं गो सा सी और सू अक्षर से माने जाते है। चन्द्रमा के इस नक्षत्र में होने पर और जिस पाये में उसका स्थान होता है उसी पाये के अनुसार जातक का नामकरण किया जाता है। शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का स्वभाव सत्कार करने वाला होता है, वह किसी भी आदर देने वाले काम के पीछे अपना स्वार्थ जरूर देखता है। बिना किसी लाभ के अगर कोई शतभिषा नक्षत्र मेंं पैदा होने वाले जातक से मिलने की कोशिश करता है तो अधिकतर मामले में वह बगली काट कर निकलने वाला होता है। अक्सर देखा जाता है कि जातक बिना कारण ही दूसरे लोगों का ध्यान रखने की कोशिश करने लगता है, इस काम को लोग समाज सेवा या आदर के भाव से देखते है लेकिन लोगो की सोच तब बदल जाती है जब जातक अपने स्वार्थ को पूरा करने के बाद निकल जाता है और जिसका ध्यान रखा जाता था उसके साथ कुछ न कुछ घटना उसके कारण से हो जाती है। इस नक्षत्र का व्यक्ति चलायमान दिमाग का होता है वह कार्य भी ऐसे करता है जहां पर बहुत भीड़ हो और भीड़ के अन्दर अपनी औकात को दिखाकर काम करने से उसे अधिक से अधिक धन की प्राप्ति हो। अक्सर पहले पद में पैदा होने वाले जातक जिनका नाम गो से शुरु होता है वे आजीवन चलते ही दिखाई देते है। उनका भाग्य पैदा होने के स्थान से पश्चिम दिशा में होता है अक्सर तीन सन्तान का योग बनता है। जीवन साथी की प्राप्ति पूर्व दिशा से होती है लेकिन जातक जितना मेंहनत करने वाला होता है जितना भाग दौड़ करने वाला होता है। जातक का जीवन साथी उतना ही चालाक और तर्क करने वाला होता है, इस पाये में जन्म लेने वाले जातक के एक से अधिक सम्बन्ध भी बने देखे जाते है लेकिन सभी सम्बन्ध कार्य स्थान तक ही सीमित होते है। जातक खूबशूरती की तरफ अधिक भागने वाला होता है। जातक की कन्या सन्तान काफी पढ़ी लिखी होती है लेकिन पुत्र संतान अधिक चालाक और मौके का फायदा उठाने वाले होते हैं। इस पाये में जन्म लेने वाले जातक के पास अचल सम्पत्ति होती है। भाई बन्धुओं से जायदाद के पीछे मनमुटाव भी होता है। दूसरे पाये में जन्म लेने वाले जातक अक्सर बहुत ही उत्तेजित होते हैं, समाय और परिवार में नाम कमाने वाले होते हैं, वे अपने भाई बहिनों को तभी तक देखते हंै जब तक कि उनके लिये कोई साधन आजीवन की कार्य शैली के लिये नहीं मिल जाता है। इस पाये में जन्म लेने वाले जातक के जीवन साथी अगर पुरुष है तो वह अक्सर कमजोर होते हंै और किसी न किसी प्रकार के वाहन सम्बन्धित व्यवसाय में जुडे होते है या उन्हे गाड़ी आदि चलाने का अनुभव अच्छा होता है। हिम्मत मेंपक्के होते हैं, किसी भी जोखिम में जाने से नहींं डरते हैं। शतभिषा नक्षत्र के तीसरे पाये में जन्म लेने वाले व्यक्ति गहरी दोस्ती करते हैं और किसी भी समस्या की जड़ तक पहुंचना उनका काम होता है, इनके मन के अन्दर इतने रहस्य होते है कि इनके जीवन साथी भी नहीं जानते है बुद्धिमान भी होते हैं और किसी भी काम में कुशल भी होते हैं लेकिन मन हमेशा अस्थिर होता है जनता के लोगों से और नेता आदि से यह अपने आप ही मानसिक दुश्मनी पाल लेते हैं। जैसे ही बारी आती है किसी न किसी कारण से डुबाने से नहीं चूकते हैं। जनता के गुप्त धन पर इनका अधिक ध्यान रहता है। जीवन में कभी अस्थिरता नहीं आती है हमेशा अडिग होकर ही काम करने में अपना विश्वास रखते हैं, पिता के स्थान पर माता को अधिक मानते है। अक्सर शतभिषा नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगो को अधिक मिठाई खाने की आदत होती है और इसी कारण से डायबटीज और मूत्राशय वाले रोग इन्हे अधिक लगते है, पथरी और इसी प्रकार के रोग भी होते देखे जाते हैं। जब यह कठोरता पर आ जात हैं तो बहुत ही निर्दयी स्वभाव के हो जाते है। किसी भी प्रकार का मशीनी लाभ इन्हें अधिक होता है दूसरे के जीवन साथी से सम्पर्क अधिक कायम रखने के कारण भी इनका शरीर कमजोर होता रहता है।

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