भारत में पहले आम चुनाव सन् १९५१- ५२ में हुये थे। उसके बाद से लेकर अब तक निरंतर लोकतंत्र को परिपक्व करते हुये लोकसभा और विधानसभाओं के लिए चुनाव होते आये हैं। आपातकाल के बाद १९७७ में देश में एक परिवर्तनकारी निर्वाचन हुआ जिसमें लोकतंत्र के प्रति जनता की निष्ठा प्रमाणित हुई। फिर १९८० में जनता पार्टी के विघटन के साथ कांग्रेस की वापसी हुई थी। उसके बाद से ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ जिसके लिए समाज के सभी वर्गों में उत्सुकता और उत्कंठा रही हो। जिस देश का आम आदमी आज भी गरीबी के जद्दोजहद से बाहर निकलने के लिए दिन-रात मेहनत करता है, चंद रुपयों की कमी से अस्पताल में ईलाज करवाने से बचता फिरता है, जवान बच्चे की पढ़ाई रुकवाकर काम पर भेजने लगता है, जिंदगी भर कमाने के बाद भी किराये के ही घर में दम तोड़ता है उस देश का ''प्रधान सेवकÓÓ लाखों का कोट कैसे पहन सकता है? चूंकि जनता जवाब मांगती है, परिणाम देखना चाहती है, बदलाव की बयार देखना चाहती है, जो कहीं दिखाई ही नहीं पड़ी और उसने चुनाव में उचित परिणाम दिखा दिया।
देश में मंहगाई, भ्रष्टाचार, सामाजिक न्याय, सामाजिक सुरक्षा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा इत्यादि प्रासंगिक मुद्दों की घोर उपेक्षा हुई। कांग्रेस की इन्हीं मुद्दों पर मौन और संवेदनहीनता ने इन्हें इस पूरे परिदृश्य से बाहर कर दिया। लगभग पूरे देश में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का तिलस्म टूट गया है। अब बचे देश में समाजवादी, सो सैफ ई में समाजवाद का चेहरा लोग देख ही रहे हैं। पूरव और दक्खिन का कम्यूनिजम अपनी पुरानी भूलों से तकलीफ में है। वहीं उत्तर का अकाली दल भी पंजाब जैसे समृद्ध प्रदेश की तरक्की कायम नहीं रख सका। नतीजतन आने वाले दिनों में इन्हें भी तकलीफ तय है। महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे की कमी शिवसेना और मनसे का जनाधार कम कर सकती है।
दिल्ली में फरवरी २०१५ में हुये विधानसभा के चुनाव में सभी राजनैतिक दलों, आम आदमी पार्टी सहित को गलत साबित कर दिया। सभी ओपेनियन पोल एक तरफ धरे रह गये। और तो और एक्जि़ट पोल भी निर्वाचन का सही अनुमान नहीं लगा सके। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की ७० में से ६७ सीटें जीतकर जो सफलता हासिल की, वह भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी हार थी। इसी चुनाव में दिल्ली मेें पंद्रह वर्ष राज कर चुकी कांग्रेस को शून्य पर पहुंचा दिया। वास्तव में इस चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी को राज सत्ता-सौंपी तो, सत्ता के मद में चूर सभी राजनैतिक दलों को धूल-धूसरित कर दिया। आज के परिदृश्य में तीन पार्टियों का भविष्य दिखाई पड़ता है। वीजेपी, आप और कांग्रेस। यदि वीजेपी और आप ने जन अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया तो इन्हें भी तकलीफ तय है। वहीं कांग्रेस मजबूती के साथ मंहगाई, भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों पर अपनी गंभीरता दिखावे और अपने संगठन को मजबूत करे तो कांग्रेस भी भविष्य में बहुत अच्छा कर सकती है। पर आने वाले दिनों में पार्टियों से अलग दो प्रमुख चेहरों को देंखें तो नरेन्द्र मोदी और अरविंद केजरीवाल कुछ शर्तों के साथ अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकते हैं। आखिर ऐसा क्यों हुआ। आईये देश के पूरे राजनैतिक परिदृश्य पर एक ज्योतिषीय नज़र डालें। इसके लिए हमें भारत, भारत का गोचर, नरेन्द्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के जन्म कुंडलियों पर नजर रखनी होगी।
इन कुंडलियों से देंखें कि क्या भारत की वर्तमान स्थिति में परिवर्तन आयेगा? क्या मोदी अपने वादे पर खरे उतर पायेंगे? क्या केजरीवाल अपनी पुरानी गलतियां दोहराने से बच पायेंगे? इन सभी बातों को जानने के लिए हम देखते हैं कि भारत की वृषभ लग्र और कर्क राशि की कुंडली है। चूंकि चंद्रमा तीसरे स्थान पर है और वर्तमान गोचर के हिसाब से जिस समय मैं यह लिख रहा हूं तब तीसरे स्थान पर कर्क का गुरू और सप्तम स्थान पर वृश्चिक का शनि स्थित है। ग्रहों की इन स्थितियों को देखते हुये कहा जा सकता है कि अब जनतंत्र को परिपक्व होने से नहीं रोका जा सकता। अर्थात इसका सीधा सा मतलब है कि अब लोगों को खोखले वादों से नहीं लुभाया जा सकता। अब सरकार या सक्षम लोगों को सही मायने में काम करके दिखाना होगा। अब हम देखें कि जनता द्वारा दो बार, पहली बार मोदी और दूसरी बार केजरीवाल के ऊपर इस तरह का भरोसा दिखाया गया है, तो क्या ये दोनों इस भरोसे पर खरे उतर पायेंगे। आईये नजर डालते हैं पहला विश्वास जीतने वाले नरेन्द्र मोदी की कुंडली पर। मोदी की कुंडली में लग्र और राशि वृश्चिक है और जनवरी २०१६ तक चंद्रमा की महादशा में गुरू की अंतरदशा चल रही है तथा उसके बाद शनि की अंतरदशा शुरू होगी। चूंकि मोदी के चतुर्थ भाव में गुरू है अत: कहा जा सकता है कि चतुर्थ गुरू कलहकारी हो सकता है। यानि जनवरी २०१६ तक मोदी जी को आंतरिक और बाह्य कलह झेलना पड़ सकता है और आगे भी इनकी डगर आसान नहीं है।
अब देखें दूसरे विश्वास मत प्राप्त केजरीवाल, तो इनकी वृषभ लग्र एवं वृषभ राशि की कुंडली में इस समय गुरू की महादशा में सूर्य की अंतरदशा दिसंबर २०१५ तक चलेगी। उसके बाद चंद्रमा की अंतरदशा शुरू होगी। चूंकि इनकी कुंडली में चतुर्थेश सूर्य चतुर्थस्थ है अत: इनके लगातार किये गये प्रयास इन्हें जनता के बीच और भी भरोसेमंद बनायेंगे। अत: कहा जा सकता है कि केजरीवाल पूर्व की गलतियों को दोहराने से बचेंगे और अपना विश्वास बनाये रखेंगे। मोदी और केजरीवाल एकदम विपरीत प्रकृति के दो लोग हैं। एक का लग्र वृषभ तथा दूसरे का वृश्चिक, यानि एक महत्वाकांक्षी दूसरा अत्यंत आक्रामक। एक का तृतीयेश शनि और दूसरे का तृतीयेश चंद्रमा है। यानि एक अत्यंत अंहकारी और दूसरा अत्यंत भावुक। दिल्ली के चुनाव में इसी भाव का अंतर एक की हार और दूसरे की जीत की वजह बनी। यदि बहुत जल्द ही इस भाव पर काबू नहीं पाया गया तो तकलीफ हो सकती है। मोदी जी को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी। मूलत: वृषभ लग्र का सप्तमेश मंगल होता है और वृश्चिक लग्र का सप्तमेश शुक्र होता है। राजनीति में घोर विरोधी, असल में प्राकृतिक तौर पर मित्र होने चाहिए। यदि मोदी ने मित्रवत् आचरण करके देशहित में प्रयास किया तो निश्चित जानिये कि केजरीवाल को दिल्ली तक ही समेट कर रखने में मोदी सफल हो पायेंगे और राष्ट्र के एक बड़े नेता के रूप में पुनस्र्थापित हो पायेंगे। मगर धोखे से भी मोदी जी ने राजनैतिक द्वैष रखा और दिल्ली के हित में बड़े निर्णय तत्काल नहीं लिये तो इसके बहुत भयानक परिणाम इन्हें और इनकी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। वैसे भी जनवरी २०१६ के बाद जब शनि की अंतरदशा मोदी जी के जीवन में अग्रिपरीक्षा का समय होगा, मेरी समझ में मोदी बहुत जल्द ही चौतरफा आक्रमण के शिकार हो सकते हैं। एक तरफ अन्ना हजारे, भूमि अधिग्रहण कानून के मामले में हुंकार भरेंगे वहीं रामदेव अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को लेकर काले धन के मामले में आंदोलन पुन: शुरू कर सकते हैं। वहीं अरविंद केजरीवाल दिल्ली को संपूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा जन-लोकपाल पर बिजली के कीमतों के संबंध में कंपनियों के ऑडिट कराने संबंधी फैसले लेंगे। साथ ही भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक संगठन लामबद्ध होकर मोदी की खिलाफत कर सकते हैं। बहुत संभव है कि आर.एस.एस. भी खुलकर विरोध में आ जाए। ऐसी स्थिति में मोदी जी को भरोसेमंद लोगों को साथ लेकर जनता के हित में कार्य करना होगा।
केजरीवाल की जीत असल में प्रकृति का देश के हित में समाधान है। आने वाले दिनों में केजरीवाल और मोदी दोनों ही एक दूसरे को नियंत्रित करेंगे।
अंतिम में यह कहा जा सकता है कि सभी को अपने काम में ईमानदार प्रयास करना ही होगा। उच्चस्थ गुरू और वृश्चिक के शनि में जनतंत्र परिपक्व होगा और अवाम को न्यूनतम न्याय जरूर मिलेगा।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
No comments:
Post a Comment