प्रत्येक का निजी कक्ष उसका शयनकक्ष होता है और ज्यादातर समय शयनकक्ष में बीतता है। सभी व्यक्तिाओं का साने का ढंग भी अलग-अलग होता है। वास्तु अनुरुप सोया व्यक्ति गहरी नींद का आनन्द भोगता है वही गलत तरीके से सोने वाला कई प्रकार की मानसिक परेषानियों को झेलता है। मात्र सोने के ढंग को सही करके व्यक्ति अपने स्वभाव को बदल सकता है। शयन मुद्राओं की विविधता व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य को दर्षाती है-
1. पश्चिम की तरफ के नैऋत्य कोने में घर में स्वामी का शयनकक्ष होना चाहिए। घर के एक से अधिक तल्ले (मंजिलें) है तो घर के स्वामी या बड़े लड़के ऊपर वाली मंजिल पर पष्चिम की तरह के नैऋत्य कोने में अपना शयनकक्ष रखना चाहिए। नव दम्पत्तियों का शयनकक्ष उत्तर दिषा मध्य से थोड़ा वायव्य कोण की ओर होना चाहिए। इससे दम्पत्ति में प्यार की भावना बढे़गी और कभी भी तलाक जैसी नौबत नही आएगी। नव दम्पत्ति को पूर्वी दिषा एवं आग्नेय कोण में शयन नही करना चाहिए क्योंकि आग्नेय कोण में शयन करने से परस्पर विवाद बढ़ते है। वायव्य कोण भी नव दम्पत्तियों के लिए वर्जित है। पूर्वी दिषा वाले शयनकक्ष में बच्चे सो सकते है। घर की अविवाहित लड़िकयों एवं मेहमानों को हमेषा वायव्य कोण में सुलाए क्योंकि वायव्य कोण में उच्चाटन की प्रकृति होती है। लड़की अत्याधिक चंचल स्वभाव की होकर मां-बाप के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।
2. सदा पूर्व या दक्षिण दिषा की तरफ सिर करके सोना चाहिए। पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है। दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन तथा आयु की वृध्दि होती है। पष्चिम की तरफ सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता रहती है तथा उत्तर की तरफ सिर करके सोने से हानि तथा आयु क्षीण होती है।
3. दक्षिण की ओर सिराहना ऊंचा और ढाल उत्तर दिषा की ओर हो। बैड दीवार से सटा हुआ न हो।
4. दांई करवट सोने वाला व्यक्ति पित्त संबंधी बिमारियों से पीडि़त रहता है।
5. सदैव बांई करवट लेकर सोना चाहिए। कहावत भी है वाम करवट सोए, काल बैठ के रोए।
6. अपने हाथों को छाती पर रखकर सोने वाले व्यक्ति नींद में घबराहट महसूस करते है, डरावने स्वप्न देखते है और वे अनहोनी की आषंका से चिन्तित रहते है।
7. सोते समय जो व्यक्ति अपने मुंह को हाथों से ढक लें उनमें आत्मविष्वास की कमी झलकती है।
8. जो व्यक्ति हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों को पेट से मिलाकर सोता है उसमें अविष्वास की भावना पायी जाती है। ऐसे व्यक्ति डरपोक और शारीरिक दृष्टि से कमजोर होते है।
9. आसमान की ओर मुंह करके सोने वाली महिलाएं प्रायः स्वार्थी प्रवृत्ति की पाई जाती है। ऐसी महिलाएं ह्रदय रोग से ग्रसित होती है।
10. तकिए को बाहों में लेकर या बगल में तकिया रखकर उसपर हाथ रखकर सोने वाले व्यक्तियों में आत्मसम्मान की नितान्त अभाव व असुरक्षा की भावना होती है।
11. ऐसे व्यक्ति जो सोते समय सिर से पांव तक अपने आप को किसी चादर से ढक लेते है। वे अत्यन्त संकोची प्रवृत्ति के होते है।
12. कुछ महिलाएं या पुरुष बहुत कम या निर्वस्त्र सोना पसन्द करते है। ऐसे पुरुष स्वभाव से रसिक, कल्पनायषील व भावुक होते है। शारीरिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं स्वस्थ तथा निडरता इनका विषेष गुण होता है।
13. मुंह खुला रखकर सोने वाला व्यक्ति परिश्रमी होता है। शारीरिक दृष्टि से सामान्य किन्तु मानसिक दृष्टि से तनाव ग्रस्त होते है।
14. आधी आंखे खोलकर सोने वाले व्यक्ति भाग्यवान होते है। उनमें सहयोग की भावना होती है किन्तु कुछ अपवाद स्वरुप लालची प्रवृत्ति के भी होते है।
15. सोते समय बड़बड़ाने वाले व्यक्ति मानसिक तनाव का षिकार होते है। ऐसे व्यक्ति के पेट में किड़े होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
16. सोते समय पैर एवं हाथों को इधर-उधर पटकने वाले व्यक्ति असुरक्षा की भावना से घिरे होते है।
17. पांव के नीचे तकिया लगाकर सोने वाले कल्पनाषील होते है। वे यथार्थता से कोसो दूर होते है।
18. सिर के नीचे मोटा तकिया लगाकर सोने वाला व्यक्ति पीठ दर्द से पीडि़त रहता है।
19. ऐसा व्यक्ति जो अन्धेरे में सोना पसन्द करता है, वह डरपोक होता है।
20. अधोमुख होकर, नग्न होकर, दूसरे की शय्या पर, टूटी हुई खाट पर तथा जनषून्य घर पर नही सोना चाहिए। देवस्थान पर भी सोना वर्जित है।
21. भीगे पैर नही सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी प्राप्त होती है।
22. रात्रि में पगड़ी बांधकर नही सोना चाहिए। सिर को नीचे करके, झूठे मुंह सोना भी वर्जित है।
23. स्वस्थ मनूष्य को आयु रक्षा के लिए ब्रम्ह मुहूर्त में उठना चाहिए। दिन में सूर्योदय के बाद सोना आयु को क्षीण करने वाला है। प्रातःकाल और रात्रि के आरम्भ में भी नही सोना चाहिए।
24. पलंग के ठिक सामने दर्पण नही होना चाहिए।
25. जिन व्यक्तियों को कमर अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द हो उन्हें सफेद चैक का एक टुकड़ा अपने पलंग की दरी के नीचे रखकर सोना चाहिए। इससे शीघ्र ही दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
26. यदि अत्यधिक दर्द हो रहा हो तो हल्दी की पांच गांठे रखकर सोये।
27. यदि कोई गुप्त शत्रु परेषान कर रहा हो तो चांदी के पांच सर्प बनाकर उनकी आंखों में सुरमा लगाकर अपने पैरों के नीचे दबाकर सो जाने से शत्रु परेषान नही करेगा।
28. शत्रु से कष्ट हो रहा हो तो चांदी की मछली बनाकर अपने तकिए के नीचे रखकर सोए।
29. रात्रि में बुरे सपने आते हो तो अपने सिरहाने तांबे के पात्र में गंगाजल भरकर रख लेना चाहिए बुरे सपने नही आएंगे।
30. हार्ट अटैक के समय तुरन्त आग्नेय दिषा में लेट जाना चाहिए यानि सिर आग्नेय (पूर्व-दक्षिण) दिषा में होना चाहिए।
31. हल्के प्रकाष एवं चांदनी रात में सोने वाला व्यक्ति व्यावहारिक एवं आनन्दित रहता है।
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