Tuesday, 14 April 2015

रसोई घर




रसोई का घर में एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसका संबंध हमारे पोषण तथा स्वास्थ्य से है परन्तु यदि रसोई घर वास्तु के अनुसार बना हो तो उसकी स्थिति का प्रभाव हमारे जीवन, पोषण व स्वास्थ्य पर बहुत लाभप्रद पड़ता है। अग्निदेव दक्षिण-पूर्व के कारक है। इसलिए यदि घर के दक्षिण-पूर्वी कोने को रसोई घर के लिए प्रयोग किया जाए तो यह सबसे सर्वोत्तम दिषा है और अतिषुभकारी प्रभाव डालती है।
यदि दक्षिण-पूर्व में रसोई घर के लिए स्थान उपलब्ध न हो तो उत्तर-पष्चिम या पष्चिम दिषा को चुनना चाहिए। रसोई को चूल्हे के लिए सर्वोत्तम स्थान पूर्व में दीवार से थोड़ा हटकर होना चाहिए। चूल्हा रसोई घर के प्रवेष द्वार के बिलकुल सामने न रखा जाए। खाना पकाते समय ग ृहस्वामिनी का मुख पूर्व में होना चाहिए जिससे काम करते हुए प्रसन्नता और ताजगी का आभास होता रहे।
रसोई घर से पानी के निकास की दिषा उत्तर-पूर्व होनी चाहिए। रसोई का द्वार पूर्व, उत्तर या वायव्य कोण के पष्चिम दिषा में रखना लाभकारी होगा। सामान रखने के लिए उपयुक्त स्थान दक्षिण या पष्चिम है जिससे यह स्थान भारी होने से शुभ फल देता है।
रसोई घर बनाते समय कुछ विषेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसका निर्माण उत्तर-पूवें में न किया जाए क्योंकि इस दिषा में रसोई बनाने से मानसिक तथा नुकसान की घटनाओं में वृध्दि होती है। मानसिक तनाव के चलते दुर्घटना या नुकसान का भय बना रहता है।
दक्षिण-पष्चिम दिषा में भी रसोई का निर्माण नही करना चाहिए क्योंकि इससे पारिवारिक कलह और बीमारियों को बढ़ावा मिलता है और इसके साथ-साथ धन व्यर्थ कामों पर खर्च होता है। खिड़की या रोषनदान की व्यवस्था पूर्व या उत्तर दिषा में होनी चाहिए। रसोई में माइक्रोवेव ओवन, मिक्सर ग्राइंडर आदि को दक्षिण दिषा में रखना चाहिए। निकासी पंखे की व्यवस्था पूर्व-उत्तर या उत्तर-पष्चिम में होनी चाहिए। यदि फ्रिज को रसोई में रखना हो तो इसे उत्तर-पूर्व में रखें।

Pt.P.S Tripathi
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