Tuesday 14 April 2015

बैठक कक्ष


फ्लैट की आग्नेय, नैऋत्य अथवा दक्षिण दिषा को छोड़कर बैठक कक्ष को यथासंभव ईषान, पूर्व, उत्तर अथवा वायव्य दिषा में बनाना हितकर रहता है।
सोफा-सेट, दीवान, चारपाईयां आदि दक्षिण या पष्चिमी दीवारों के सहारे व्यवस्थित करनी चाहिए। बैठक कक्ष का ईषान कोना सदैव खाली रखना चाहिए। इसको पूर्णतया खाली रखते हुए अधिक से अधिक मिट्टी के सजावटी फूलदान रखने चाहिए जिनमें पानी भरा रहें। इन फूलदानों में मनीप्लांट रखना श्रेयस्कर होता है। सुन्दर फूलदान कमरे के वायव्य, उत्तर या पूर्व दिषा में भी रखें जा सकते है।
फ्लैट के किसी भी कमरे में अथवा कमरे के बाहर गमले में कैक्टस नही लगाना चाहिए। इसकी अपेक्षा गुलाब, क्रोटन, पाम, मनीप्लांट या फर्न आदि को बड़े तथा सुन्दर फुलदानों में लगाना अच्छा रहता है। बैठक कक्ष के ईषान, उत्तर या पूर्व दिषा में लटकाने वाले गमले नही लगाने चाहिए। ये कमरे के पष्चिम दिषा में लगाए जा सकते है। यदि टी.वी. को कमरे के वायव्य कोने में लगाया गया तो वह सदैव खुला रहेगा। शो-केस, धातु निर्मित दिखावटी सामान, जानवरों के माॅडल (आकृतिया) आदि दक्षिण या पष्चिम दिषा में रखने चाहिए। तिपाई चैकोर अथवा आयताकार होनी चाहिए यह गोल अथवा कटे हुए कोनो वाली नही होनी चाहिए।
यदि बैठक कक्ष में पलंग (बिछौना) रखना हो तो इसे दक्षिण या पष्चिम में रखना चाहिए। शयन के समय पांव दक्षिण की ओर कभी नही होने चाहिए।


Pt.P.S Tripathi
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