Monday 13 April 2015

100 बीमारी का एक इलाज


खाना खाने से 1 घंटे बाद पानी पिएं और हमेशा स्वस्थ रहें, कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए! यही है असली सेहत का राज। अब ये भी जानना जरुरी है, हम पानी क्यों ना पीयें खाना खाने के बाद। सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात-पित्त और कफ के बिगडऩे से ही होती हैं। अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है...??? बहुत ज्यादा गहराई में जाने की जरूरत नहीं है, आप ऐसे समझें की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगडऩे के कारण होते हैं। छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगडऩे के कारण होते हैं और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगडऩे के कारण होते हैं।
हमारे हाथ की कलाई में ये वात-पित्त और कफ की तीन नाडिय़ाँ होती हैं। इस वात-पित्त और कफ के संतुलन के बिगडऩे से ही सभी रोग आते हैं। ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं। बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है। बार-बार खांसी, सर्दी, छींके आना आदि। 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं, बार-बार पेट दर्द करना, गैस बनना, खट्टी-खट्टी डकारे आना आदि। और उसके बाद बुढ़ापे में वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं जैसे घुटने दुखना, जोड़ो का दर्द आदि।
अब बात हो खान-पान की। जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि खाने के बीच में पानी पीना हमारे पाचन तंत्र के लिए अच्छा नहीं है। क्योंकि हमारे शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट। ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से। जो कुछ भी हम खाते हैं वो ही हमारे पेट की ताकत है। हमने जो कुछ भोजन के रूप में ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा का आधार बनता है। अमाशय, जिस स्थान का संस्कृत नाम है जठर। ये एक थैली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है। अब अमाशय में क्या होता है? खाना जैसे ही पहुँचता है तो तुरंत इसमें आग (अग्नि) जल जाती है। आमाशय में अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि। ये जठराग्नि खाने को पचाती है। अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया तो जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी। आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी। खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है, एक क्रिया है जिसको हम कहते हैं सडना और दूसरा है पचना। आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा, जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा। ये तभी होगा जब खाना पचेगा। क्योंकि खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डिया, मल, मूत्र, अस्थि। और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है!
हमें जिंदगी में ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट में ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए। क्योंकि महत्व की बात खाने को खाना नहीं, खाने को पचाना है।
खाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में और यही सारी बीमारियों का कारण है। तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया: ''भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है।)
इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पियें। अब आपके मन में सबाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना...??? तो 1 घंटे 48मिनट तक नहीं पीना! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट में बदलता हैं। पेस्ट में बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48मिनट का समय लगता है। उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है। (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है)। पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है। तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पियें। जो बहुत मेहनती लोग हैं (खेत में हल चलाने वाले, रिक्शा खींचने वाले, पत्थर तोडऩे वाले, उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है। खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं।

Pt.P.S Tripathi
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