Monday 13 April 2015

राशियों के अनुसार तय करें व्यापार


किसी भी व्यक्ति के लिए आजीविका का साधन चयन करना तथा उसके बाद उस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना सिर्फ उसके प्रयास पर ही निर्भर नहीं करता है बल्कि उसके प्रयास के लिए उचित समय तथा उस समय के अनुसार सहीं दिशा में किया गया प्रयास बहुत हद तक सफलता प्राप्त करने में कारक होता है। कई बार बहुत प्रयास करने के बाद भी हानि से बचना मुश्किल हो जाता है वहीं कोई ऐसा भी होता है जिसके बिना प्रयास करने के बाद भी उसे लाभ प्राप्त होता रहता है। यह ना केवल भाग्य के बल पर होता है अपितु इसके पीछे उस जातक की कुंडली के अनुसार उसके व्यापार का प्रकार, उस व्यापार से संबंधित ग्रह एवं उस से संबंधित दिशा में किए गए व्यापार जातक को पूर्ण लाभ तथा सफलता की उचाईयों पर लेके जाता है। प्राचीन भारतीय शास्त्र अनुसार प्रत्येक ग्रह की अपनी एक दिशा तथा स्थान निर्धारित है जोकि आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भी सच साबित हुई है। माना जाता है कि प्रत्येक ग्रह की अपनी एक उॅर्जा होती है उसी के अनुरूप उसकी दिशा तथा स्थान तय करते हैं। सूर्य के लिए पूर्व दिशा निर्धारित है चूॅकि सूर्य तेजोमय तथा प्रकाश का कारक है अत: सूर्य को पूर्व दिशा तथा उच्च स्थान का स्वामी माना जाता है। अत: सरकारी सेवा, उच्च स्तरीय प्रशासनिक सेवा, विदेश सेवा, उड्डयन, ओषधि व चिकित्सा, सभी प्रकार के अनाज, लाल रंग के पदार्थ, प्लाई वुड का कार्य, सर्राफ ा, वानिकी, ऊन व ऊनी वस्त्र, पदार्थ विज्ञान, अन्तरिक्ष विज्ञान, एफोटोग्राफी फिल्मों का निर्देशन राजनीति इत्यादि सूर्य के क्षेत्र हैं। उत्तर पूर्व पर गुरू का अधिकार है चूॅकि गुरू को सकारात्मक और तेज का ग्रह माना जाता है अत: उत्तर पूर्व दिशा तथा धनु एवं मीन राशि प्रदान किया गया है। बैंकिंग, न्यायालय, पीले पदार्थ, स्वर्ण, शिक्षक, पुरोहित, शिक्षण संस्थाएं, राजनीति, पुस्तकालय, सभी प्रकार के फल, मिठाइयाँ, मोम, घी, प्रकाशन, प्रबंधन, दीवानी, वकालत इत्यादि गुरू के क्षेत्र हैं। उत्तर पर बुध का अधिकार इस उद्देश्य से दिया गया है कि बुध सक्रियता तथा रचनात्मकता का स्वामी होता है अत: उत्तर दिशा में इस प्रकार के कर्म से जीवन में रचनात्मकता तथा सक्रियता के कारण सफलता प्राप्ति में सहायता मिल सकती है। मिथुन तथा कन्या राशियों वालों के लिए उत्तर दिशा लाभदायी होती है। व्यापार, गणित, संचार क्षेत्र, मुनीमी, दलाली, आढ़त, हरे पदार्थ जैसे सब्जियां, शेयर मार्किट, लेखाकार, कम्प्यूटर, फोटोस्टेट, मुद्रण, ज्योतिष, लेखन, डाक-तार, समाचार-पत्र, दूतकर्म, टाइपिस्ट, कोरियर-सेवा, बीमा, सैलटैक्स, आयकर विभाग, सेल्स, गणित व कोमर्स के अध्यापक, हास्य-व्यंग के चित्रकार या कलाकार इत्यादि बुध के क्षेत्र है। उसी प्रकार चंद्रमा को उत्तर पश्चिम का स्वामी माना जाता है क्योंकि यह रचनात्मकता विचार ज्यादा करने का कारक होता है। कर्क राशि वाले इस क्षेत्र में ज्यादा सफल हो सकते हैं। श्वेत पदार्थ जैसे चांदी, जल से उत्पन्न पदार्थ, डेयरी उद्योग, कोल्ड ड्रिंक्स, मिनरल वाटर, आइस क्रीम, आचार, चटनी-मुरब्बे, नेवी, जल आपूर्ति विभाग, नहरी एवं सिंचाई विभाग, नमक, चावल, चीनी, पुष्प सज्जा, मशरूम, नर्सिंग, यात्राएं, मत्स्य से सम्बंधित क्षेत्र, सब्जियां, लांड्री, आयात-निर्यात, मोती, आयुर्वेदिक औषधियां, कथा-कविता लेखन इत्यादि चंद्रमा के क्षेत्र हैं। शनि को पश्चिम दिशा का अधिकार है क्योंकि शनि ग्रह को नाकारात्मक तथा धीमा ग्रह माना जाता है। पश्चिम दिशा तथा कमजोर लोग के साथ मकर तथा कुंभ राशि वाले सफल होते हैं। नौकरी, मजदूरी, ठेकेदारी, लोहे का कार्य, मैकेनिकल, इंजिनियर, चमड़े का काम, कोयला, पेट्रोल, प्लास्टिक व रबर उद्योग, काले पदार्थ, स्पेयर पाट्र्स, पत्थर, चिप्स, श्रम, समाज कल्याण विभाग, प्रेस, टायर उद्योग, पलम्बर, मोटा अनाज, कुकिंग गैस, घडिय़ों का काम, कबाड़ी का काम, भवन निर्माण सामग्री इत्यादि शनि के कार्य हैं। दक्षिण दिशा में मंगल का अधिकार है चूंकि मंगल उग्र तथा दाह देने वाला ग्रह माना जाता है अत: मेष तथा वृश्चिक राशि वाले दक्षिण दिशा में क्रूर तथा भारी कार्य में सफल बनते हैं। धातुओं से सम्बंधित कार्य क्षेत्र, सेना, पुलिस, चोरी, बिजली का कार्य, विद्युत्-विभाग, इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रोनिक, इंजीनियर, लाल रंग के पदार्थ जैसे जमीन का क्रय-विक्रय, बेकरी, कैटरिंग, हलवाई, इंटों का भ_ा, रक्षा विभाग, खनिज पदार्थ, बर्तनों का कार्य, वकालत, शस्त्र निर्माण, बॉडी बिल्डिंग, साहसिक खेल, ब्लड बैंक, फायर ब्रिगेड, आतिशबाजी, रसायन शास्त्र, होटल एवं रेस्तरां, फास्ट-फूड, जूआ, मिटटी के बर्तन व खिलोने, शल्य चिकित्सक इत्यादि से संबंधित मंगल का कार्य है। उसी प्रकार दक्षिण पश्चिम दिशा को राहु का कारक माना जाता है क्योंकि रहस्य और नाकारात्मक प्रभाव राहु से आता है। इलेक्ट्रानिक तथा लिंक से हटकर कार्य करने में राहु से प्रभावित कुंडली ज्यादा सक्षम होती है। दक्षिण-पूर्व पर शुक्र का राज है क्योंकि उष्ण और तेजयुक्त माना जाता है अत: दक्षिण-पूर्व दिशा तथा सुख तथा भोग के साधन एवं वृषभ तुला राशि वाले उन्नति प्राप्त करते हैं। चांदी के जेवर या अन्य पदार्थ अगरबत्ती व धूप, श्वेत पदार्थ, कला क्षेत्र, अभिनय, टूरिज्म, वाहन, दूध-दही, चावल, शराब, श्रृंगार के साधन, गिफ्ट हॉउस, चाय-कोफी, गारमेंट्स, इत्र, ड्रेस-डिजायनिंग, मनोरंजन के साधन, फिल्म उद्योग, वीडियो पार्लर, मैरिज ब्यूरो, इंटीरियर, डेकोरेशन, हीरे के आभूषण, पालतू पशुओं का व्यापार या चिकित्सा, चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ, मैरिज पैलेस एवं विवाह में काम आने वाले सभी कार्य व पदार्थ इत्यादि शुक्र के कार्य हैं। साथ ही उत्तर पूर्व पर केतु का अधिकार काल्पनिक तथा तेज के कारण प्रदान किया गया है। अत: यदि जीवन में अपनी राशि एवं दिशा के अनुरूप व्यवसाय या कार्य का चयन किया जाय तो परिणाम साकारात्मक हो सकता है।

Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500

Feel Free to ask any questions in

No comments: