Monday 13 April 2015

माइग्रेन कारण, लक्षण और ज्योतिष उपाय


अगर आप हर रोज सिर पकड़ कर बैठ जाते हैं, या फिर सिर के एक तरफ उठने वाले तेज दर्द से बेहाल हो उठते हैं, तो सावधान हो जाएं। अपने सिर के इस दर्द को हल्के मेंं कतई न लें, क्योंकि सिर मेंं उठने वाला यह तेज़ दर्द माइग्रेन भी हो सकता है। माइग्रेन, एक ऐसी बीमारी जिसके मरीज दुनियाभर मेंं लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हमारे देश मेंं भी इसकी तादाद बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ा कारण है भागदौड़ की जिंदगी। जो तनाव से तो भरपूर है पर उससे मुक्त होने के लिए हम कोई उपाय नहीं करते। बस यही सारी वजहें धीरे-धीरे माइग्रेन के रुप मेंं बदलने लगती हैं।
माना जाता है कि जैसे ही आप सामान्य स्थिति से एकदम तनाव भरे माहौल मेंं पहुंचते हैं तो सबसे पहले आपका सिर दर्द बढ़ता है। ब्लडप्रेशर हाई होने लगता है और लगातार ऐसी स्थितियां आपके सामने बनने लगे तो समझिए आप माइग्रेन के शिकार हो रहे हैं। सिरदर्द से हर किसी का वास्ता है। ये एक ऐसा रोग है जिसके कई कारण हो सकते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बेवजह सिरदर्द के शिकार हो गए हों। सिरदर्द का एक गंभीर रूप जो बार-बार या लगातार होता है, उसे माइग्रेन कहते हैं। माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा मेंं अधकपारी भी कहते हैं। माइग्रेन का दर्द सिर के एक ही हिस्से मेंं होता है। यह दर्द असहनीय होता है और ऐसा लगता है जैसे किसी ने सिर के एक हिस्से मेंं सुइयां चुभो दी हों। माइग्रेन का यह दर्द लगातार तीन दिन तक बना रह सकता है। इसके अलावा इस दर्द मेंं मितली, उल्टी और गैस की समस्या भी हो सकती है। दर्द बढऩे पर खतरनाक भी साबित हो सकता है। कई बार माइग्रेन ब्रेन हेमरेज या लकवे की वजह भी बन जाता है। माइग्रेन होने के कई कारण हो सकते हैं, चिकित्सकीय रूप मेंं माइग्रेन के कारणों मेंं प्रमुख रूप से हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव की समस्या होने पर माइग्रेन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा ज्यादा मात्रा मेंं एल्कोहल के सेवन से भी माइग्रेन होने की संभावना बनी रहती है। शरीर मेंं संक्रमण और किसी तरह के विषैले तत्वों के जमाव की वजह से भी माइग्रेन हो सकता है।
इसके अलावा अपनी संवेदनाओं और भावनाओं को दबाने की वजह से भी माइग्रेन होने की संभावना रहती है। माइग्रेन का कारण आनुवंशिक भी हो सकता है। माइग्रेन की यह समस्या हार्मोनल अंसुतलन की वजह से लड़कों की अपेक्षा लड़कियों मेंं ज्यादा होती है। भरपूर नींद न लेने, भूखे पेट रहने और पर्याप्त मात्रा मेंं पानी न पीने की वजह से भी माइग्रेन की शिकायत हो सकती है। यदि सर मेंं अचानक बहुत तेज़, सिर दर्द होता हो या गर्दन मेंं अकडऩ, बुखार, बेहोशी या आंख या कान मेंं दर्द होना इत्यादि की शिकायत हो तो यह एक गंभीर विकार भी हो सकता है।
किंतु माइग्रेन के ज्योतिष कारण भी होते हैं यदि किसी की जन्मकुंडली देखें तो उसके स्वास्थ्य की स्थिति क्या है, इसकी जानकारी ज्योतिष मेंं बहुत पहले ही जानी जा सकती है। प्राचीन समय मेंं प्रसिद्ध रोग विज्ञानी हिप्पोक्रेट्स सबसे पहले व्यक्ति की जन्मसंबंधी तालिका का अध्ययन करता था और फिर उपचार संबंधी कोई निर्णय लेता था!
कोई व्यक्ति किस रोग से पीडि़त होता है, यह इस पर निर्भर करता है कि उसके भाव या राशि का संबंध जन्म कुंडली मेंं कौन से अनिष्टकर ग्रह से किस रूप मेंं है। ऐसा इसलिए है कि प्रत्येक राशि एक या एकाधिक शारीरिक अंगों से जुड़ी होती है। इसके साथ ही प्रत्येक ग्रह वायु, अग्नि, जल या आर्द्र प्रकृति वाला कोई एक प्रभुत्वकारी गुण लिए हुए होता है। आयुर्वेद मेंं इसे वात-पित्त-कफ के रूप मेंं बताया गया है। इस तरह राशि चक्र मेंं अंकित शारीरिक अंग और प्रभुत्वकारी ग्रह की विशेषता के मेंल से यह तय होता है कि किस व्यक्ति को कौन-सी बीमारी होगी।
सिर, मस्तिष्क एवं आंखों, विशेष रूप से सर का अगला हिस्सा, आंखों से नीचे और सर के पीछे वाले हिस्से से लेकर खोपड़ी के आधार तक का हिस्सा मेष राशि द्वारा नियंत्रित होता है। यह मंगल को प्रतिबिंबित करता है जो दिमाग मेंं अग्निमय ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य, चंद्रमा या मेष का कोई अन्य उदीयमान ग्रह जिस व्यक्ति के साथ जुड़ा होगा उसके सरदर्द की संभावना अन्य लोगों की तुलना मेंं अधिक होगी।
यदि सूर्य पहले, दूसरे या बारहवें घर मेंं विघ्नपूर्ण है या मंगल बहुत कमजोर है या नीच के चंद्रमा के साथ दाहक स्थिति मेंं है तब ऐसे लोग अधकपारी सरदर्द (माइग्रेन) से पीडि़त होंगे। साथ ही यदि अनिष्टकर सूर्य या मंगल छठे घर मेंं बैठा है (व्यक्ति की जन्म कुंडली मेंं रोगों का द्योतक) तो व्यक्ति सरदर्द का शिकार होगा।
जन्मपत्री की कमजोरी और/या जन्मपत्री मेंं उच्च स्थान पर बैठे अनिष्टकर देव के कारण एक रोगकारी परिस्थिति निर्मित होती है। इससे सरदर्द की संभावना बनती है। मजबूत सूर्य और मंगल, जो कि क्रमश: प्राण क्षमता और ऊर्जा के प्रतीक हैं, सुरक्षात्मक कवच प्रदान करते हैं।
इस तरह माइग्रेन को दूर करने के चिकित्सकीय उपाय के साथ ज्योतिषीय उपाय सबसे बेहद प्रभावी उपायों मेंं से एक यह है कि सुबह उठकर सूर्य की ओर देखकर कम से कम 42 दिनों तक 3, 11, 21, 51 या 108बार ओम सूर्याय: नम: या ओम आदित्याय नम: या गायत्री मंत्र का जाप करें या सूर्य नमस्कार करें। धन्वंतरि होम और मंगल होम का आयोजन करने से भी प्रभावी तौर पर अनिष्टकर ग्रहों के प्रभाव दूर हो जाते हैं और इस प्रकार सरदर्द आपसे मीलों दूर चला जाता है। मंगलवार को सूर्योदय के समय किसी चौराहे पर जाएं और एक टुकड़ा गुड़ को दांत से दो भागों मेंं बांट कर दो अलग-अलग दिशाओं मेंं फेंक दें। 5 सप्ताह लगातार यह क्रिया करें, माईग्रेन मेंं लाभ होगा।
रविवार के दिन 325 ग्राम दूध अपने सिरहाने रख कर सोएं। सोमवार को सुबह उठकर दूध को पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें, 5 रविवार यह क्रिया करें, निश्चित लाभ होगा। माइग्रेन (आधे सिर मेंं दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों मेंं ठीक हो जाता है।

Pt.P.S Tripathi
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