Monday 13 April 2015

बच्चों से सुख मिलेगा या नहीं?


कि तने बच्चे होंगे आपके? अगर यह जानना चाहते हैं कि आपके कितने बच्चे होंगे और बच्चों से आपको सुख मिलेगा या नहीं। बच्चे गुणवान होंगे या बदमाश तो यह सब आप खुद अपनी हथेली देखकर जान सकते हैं। समुद्रशास्त्र मेंं बताया गया है कि हथेली मेंं सबसे छोटी उंगली के नीचे दिखने वाली खड़ी रेखाओं को एवं अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत के पास जो भी छोटी रेखाएं होती हैं उन्हें संतान रेखा के रुप मेंं देखा जाता है। माना जाता है कि जो संतान रेखा स्पष्ट और साफ होती है वह पुत्र संतान को दर्शाता है जबकि पतली और हल्की रेखाएं कन्या संतान को दर्शाते हैं।
हस्तरेखा विज्ञान के कुछ पुस्तकों के अनुसार हल्की रेखाओं का मतलब यह भी होता है कि यह संतान शारीरिक तौर पर कमजोर हो सकता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार जिनकी हथेली मेंं बुध पर्वत अधिक उभरा हुआ और संतान रेखा स्पष्ट होती हैं उन्हें चार पुत्र और तीन कन्या संतान होने की संभावना रहती है। ऐसे व्यक्ति के बच्चे संस्कारी और गुणवान होते हैं। जिनकी हथेली मेंं शुक्र पर्वत के नीचे यानी अंगूठे के नीचे का भाग अधिक उभरा होता है उन्हें एक संतान होने की संभावना रहती है। जिनकी हथेली मेंं कोई एक संतान रेखा अधिक स्पष्ट और साफ होती हैं उन्हें अन्य संतान की अपेक्षा किसी संतान से विशेष लगाव रहता है और इनसे सुख मिलता है। भाग्य मेंं संतान सुख का प्रमाण ज्योतिष के अनुसार कई चीजों मेंं होता है जैसे कुंडली या हस्त रेखाओं मेंं। हाथ मेंं संतान रेखा भाग्य मेंं संतान सुख की एक बेहद अहम निशानी है।
कहां होती है संतान रेखा? :
संतान रेखाएं ठीक विवाह रेखा के ऊपर होती हैं। बुध पर्वत यानि छोटी अंगुली के ठीक नीचे के भाग मेंं विवाह रेखा होती है। वहीं मौजुद खड़ी रेखाएं संतान रेखा कहलाती हैं। संतान प्राप्ति के योगों को कई अन्य रेखाएं भी प्रभावित करती हैं जैसे मणिबंध रेखा, अंगुठे के नीचे पाई जाने वाली छोटी रेखा आदि।
कैसे पढ़े संतान रेखा :
संतान रेखा स्पष्ट हैं तो इसका अर्थ है संतान अच्छी और माता पिता का सम्मान करने वाली होगी।
* अस्पष्ट और टूटी रेखाएं बच्चें के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
* इसके अलावा संतान योग को मणिबंध रेखाएं भी प्रभावित करती हैं। यदि पहली मणिबंध रेखा का झुकाव कलाई की तरफ है और वह हथेली मेंं प्रविष्ट होती दिखे तो इसका अर्थ है जातक को संतान प्राप्ति मेंं दुख होंगे। हस्तरेखा के अनुसार किसी भी व्यक्ति के हाथों को देखकर उसके भूत-भविष्य और वर्तमान की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। हाथों की रेखाओं मेंं हृदय रेखा व्यक्ति की सोच, उसके दिल का हाल बताती है। इस रेखा से व्यक्ति मन की सही-सही स्थिति मालूम हो जाती है।
हथेली मेंं हृदय रेखा ही पुरुष की आंतरिक शक्ति को भी प्रदर्शित करती है। इसके जरूरी है हाथों का सही-सही अध्ययन करना। हृदय रेखा से भी संतान संबंधी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हृदय रेखा किसी के हाथों मेंं बृहस्पति क्षेत्र के मध्य से, किसी की तर्जनी अंगुली के यहां से और किसी के हाथों मेंं मध्यमा अंगुली के यहां से प्रारंभ होकर बुध क्षेत्र यानी सबसे छोटी अंगुली की ओर हथेली पार तक जाती है। यदि किसी पुरुष की हथेली मेंं हृदय रेखा समाप्ति स्थल यानी बुध क्षेत्र पर श्रंखलाकार ना हो तो व्यक्ति संतान उत्पन्न करने मेंं अक्षम होता है। ऐसे पुरुषों को संतान सुख या तो प्राप्त ही नहीं होता है या प्राप्त होता भी है तो इसमेंं काफी परेशानियां आती हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि दोनों हाथों मेंं हृदय रेखा बिना श्रंखला के दिखाई दे रही है तो ऐसे योग बनने की संभावनाएं काफी अधिक होती हैं।
अगर किसी पुरुष की हथेली मेंं संतान रेखा स्पष्ट नहीं हो तो परेशान होने की जरुरत नहीं है। ऐसे व्यक्तियों को अपनी पत्नी की हथेली मेंं संतान रेखा देखनी चाहिए। माना जाता है कि संतान रेखा पुरुषों की अपेक्षा स्त्री के हाथों मेंं अधिक स्पष्ट होती है। हाथ की संतान रेखा भाग्य मेंं संतान सुख की एक बेहद अहम निशानी है।

Pt.P.S Tripathi
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