Monday 13 April 2015

हनुमान जी को सिंदूर क्यों?


अद्भुत रामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें श्री रामचंद्र का राज्याभिषेक होने के पश्चात एक मंगलवार की सुबह जब हनुमानजी को भूख लगी, तो वे माता जानकी के पास कुछ कलेवा पाने के लिए पहुंचे। सीता माता की मांग में लगा सिंदूर देखकर हनुमानजी ने उनसे आश्चर्यपूर्वक पूछा- माता! मांग में आपने यह कौन-सा द्रव्य लगाया है?
इस पर सीता माता ने प्रसन्नतापूर्वक कहा- पुत्र! यह सिंदूर है, जो सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक, मंगलसूचक, सौभाग्यवर्धक है, जो स्वामी के दीर्घायु के लिए जीवनपर्यंत मांग में लगाया जाता है। इससे श्रीराम मुझ पर प्रसन्न रहते हैं।
हनुमानजी ने यह जानकर विचार किया कि जब अंगुली भर सिंदूर लगाने से स्वामी की आयु में वृद्धि होती है, तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे लगाकर स्वामी भगवान श्रीराम को अजर-अमर कर दूं। उन्होंने जैसा सोचा, वैसा ही कर दिखाया। अपने शरीर पर सिंदूर पोतकर भगवान् श्रीराम की सभा में पहुंच गए। उन्हें इस प्रकार सिंदूरी रंग में रंगा देखकर सभा में उपस्थित सभी लोग हंसे, यहां तक कि भगवान श्रीराम भी उन्हें देखकर मुस्काराए और बहुत प्रसन्न हुए। उनके सरल भाव पर मुग्ध होकर उन्होंने यह घोषणा की कि जो भक्त मंगलवार के दिन मेरे अनन्य प्रिय हनुमान को तेल-सिंदूर चढ़ाएंगे, उन्हें मेरी प्रसन्नता प्राप्त होगी और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होगी। इससे माता जानकी के वचनों पर हनुमानजी को और भी अधिक दृढ़ विश्वास हो गया।
कहा जाता है कि उसी समय से भगवान श्रीराम के प्रति हनुमानजी की अनुपम स्वामी भक्ति को याद करने के लिए उनके सारे शरीर पर चमेली के तेल में सिंदूर घोलकर लगाया जाता है। इसे अन्य स्थानों पर चोला चढ़ाना भी कहते हैं।

Pt.P.S Tripathi
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