Saturday 23 May 2015

एक ही कतार के दरवाजे उचित या अनुचित

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वास्तु शास्त्र मुख्यत: दो ऊर्जाओं पर केंद्रित है। पहला सूर्य किरणों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा और दूसरा पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति से प्राप्त ऊर्जा। सूर्य ऊर्जा पूर्व दिशा से सूर्य के उगते समय प्राप्त होती है और चुंबकीय ऊर्जा उत्तर दिशा से प्राप्त होती है। इन दोनों दिशाओं के विपरीत की ऊर्जा ऋणात्मक ऊर्जा होती है अत: सकारात्मक ऊर्जा की दिशा में मकान का दरवाजा या खिड़की खोली जाए और नकारात्मक दिशा बंद रखी जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, शांति प्राप्त की जा सकती है।




वास्तुशास्त्र मेंं, सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश एवं नकारात्मक ऊर्जा के निर्गम के लिए दरवाजा और खिड़की किसी भी घर के लिए महत्वपूर्ण हैं। जीवन में सुख और संतुष्टि के साथ समृद्धि बढ़ाने के लिए वास्तु के अनुसार घर मेंं रखी हर चीज का अपना अलग प्रभाव होता है। साथ ही घर के कमरे, खिड़की और दरवाजे आदि भी अच्छा-बुरा प्रभाव छोड़ते हैं।
घर का मुख्य दरवाजा सही स्थिति मेंं हो तो परिवार के सभी सदस्यों को इसका फायदा मिलता है। सभी के कार्य समय पर पूर्ण होते हैं और पारिवारिक तालमेल बना रहता है। कुछ लोगों के घरों मेंं मुख्य दरवाजे के अतिरिक्त अन्य दरवाजे भी होते हैं जहां से घर मेंं प्रवेश किया जा सकता है। वास्तु के अनुसार ऐसे दरवाजों से किसी व्यक्ति के घर मेंं प्रवेश नहींं करना चाहिए। घर मेंं प्रवेश हमेशा मुख्य दरवाजे से ही किया जाना चाहिए। ऐसा होने पर सकारात्मक विचारों का संचार होता है और हमारे बुरे विचार दूर हो जाते हैं। साथ ही जो लोग मुख्य द्वार के अतिरिक्त किसी और द्वार से घर मेंं प्रवेश करते हैं उनकी आर्थिक उन्नति होने मेंं काफी परेशानियां रहती हैं। संतान की वृद्धि उस घर मेंं नहींं होती तथा सदा परेशानी बनी रहती है। यदि किसी परिवार मेंं आर्थिक, मानसिक, शारीरिक या अन्य किसी प्रकार की परेशानियां चल रही हो और उसके घर मेंं एक कतार मेंं तीन या तीन से अधिक दरवाजे लगे हों तो वास्तुविद् उन्हें बहुत अशुभ बताते हुए एक दरवाजा कतार से हटाने की सलाह देते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि, वास्तुशास्त्र के किसी भी प्राचीन ग्रन्थ मेंं एक कतार मेंं तीन या तीन से अधिक दरवाजे से होने वाले अशुभ प्रभाव के बारे मेंं किसी प्रकार का कोई उल्लेख नहींं है, बल्कि इसके विपरीत भारत के ही कई प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिरों और महलों मेंं तीन या तीन से अधिक दरवाजे एक कतार मेंं देखने को मिलते हैं, जैसे - तिरुपति बालाजी, वृहदेश्वर मंदिर तंजावूर, एकाम्बरनाथ मंदिर कांचीपुरम्, मीनाक्षी मंदिर मदुरै, ज्योतिर्लिंग रामेंश्वरम् मंदिर, और तो और दक्षिण भारत के श्रीरंगम् स्थित चार किलोमीटर क्षेत्र मेंं फैला श्रीरंगनाथ स्वामी मंदिर मेंं तो सात दरवाजे एक कतार मेंं है, जिसका दक्षिण दिशा स्थित मुख्यद्वार 236फीट ऊँचा है।
किसी घर मेंं जब तीन या तीन से अधिक दरवाजे एक कतार मेंं होते हैं तो सामान्यत: पहला दरवाजा मुख्यद्वार और आखिरी वाला दरवाजा घर का पिछला दरवाजा होता है। यदि कोई भवन भारतीय वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के अनुकूल बना हो तो तीन या तीन से अधिक दरवाजे एक कतार मेंं रखे जा सकते हैं और यह पूर्णत: शुभ होकर परिवार मेंं सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं, जैसे किसी भी भवन का मुख्यद्वार पूर्व मेंं हो तो अंतिम द्वार पश्चिम मेंं होगा।
यदि मुख्यद्वार पश्चिम मेंं हो तो अंतिम द्वार पूर्व मेंं होगा। इसी प्रकार उत्तर दिशा मेंं मुख्यद्वार हो तो दक्षिण दिशा मेंं अंतिम द्वार होगा और यदि दक्षिण दिशा मेंं मुख्य द्वार हो तो अंतिम द्वार उत्तर दिशा मेंं होगा। ऐसी स्थिति मेंं एक कतार मेंं होने के कारण पूर्व आग्नेय का अंतिम दरवाजा पश्चिम नैऋत्य मेंं होता है और उत्तर वायव्य का अंतिम दरवाजा दक्षिण नैऋत्य मेंं होता है। इसी प्रकार मुख्यद्वार दक्षिण दिशा मेंं दक्षिण नैऋत्य मेंं रखा जाता है ताकि पिछला द्वार उत्तर वायव्य मेंं खुले और पश्चिम दिशा मेंं पश्चिम नैऋत्य मेंं रखा जाता है ताकि पिछला द्वार पूर्व आग्नेय मेंं खुले। दोषपूर्ण स्थान पर लगा एक ही दरवाजा अशुभ होता है और यदि एक ही कतार मेंं तीन या तीन से अधिक दरवाजे लगे हो और मुख्यद्वार के साथ-साथ अंतिम दरवाजा भी घर के पिछले भाग मेंं दोषपूर्ण स्थान पर खुलता हो तो यह स्थिति अत्यन्त दुखदायी एवं घातक होती है, किन्तु भारत के कुछ विद्वान् वास्तुविदों ने बिना किसी शोध के यह भ्राँति फैला दी है कि, किसी भी स्थिति मेंं चाहे वह स्थिति शुभ हो या अशुभ एक कतार मेंं तीन या तीन से अधिक द्वार शुभ नहींं होते हैं और एक द्वार कतार से हटाने से यह दोष दूर हो जाता है। घर के पूर्व आग्नेय मेंं द्वार होने पर घर मेंं कलह और चोरी से नुकसान होता है। यदि इसी के साथ वहाँ रेम्प, गड्ढा या ढलान हो तो घर का मालिक या मालकिन पाप कर्म करते हुए मानसिक दु:ख से पीडि़त रहते हैं।
पश्चिम नैऋत्य मेंं चारदीवारी या घर का द्वार हो तो घर के पुरुष बदनामी जेल, एक्सीडेंट या खुदकुशी के शिकार होते हैं। हार्ट अटैक, आपरेशन, एक्सिडेन्ट, हत्या, लकवा या किसी प्रकार की जालिम मौत से मरते हैं। यह द्वार शत्रु स्थान का है। यदि इसी के साथ यहाँ किसी भी प्रकार की रेम्प, नीचाईयाँ, भूमिगत पानी का स्रोत हो तो उस घर मेंं किसी पुरुष सदस्य की आत्महत्या या दुर्घटना से मृत्यु हो सकती है। अर्थात् परिवार के पुरुष सदस्य के साथ अनहोनी होती है।
उत्तरी वायव्य का प्रवेशद्वार दु:खदायी, कलहकारी, बैर भाव, मुकदमेबाजी व बदनामी लाने वाला रहता है। इसी के साथ यदि यहां रैंम्प, गड्ढा हो तो शत्रु की संख्या मेंं वृद्धि, स्त्री को कष्ट, घर मेंं मानसिक अशांति रहती है। दक्षिण नैऋत्य मेंं घर या कम्पाउण्ड वाल का द्वार हो तो उस घर की महिलाएँ गम्भीर बीमारियों की शिकार होती है।
यहाँ किसी भी प्रकार का भूमिगत पानी का स्रोत होगा तो आत्महत्या या दुर्घटना से मृत्यु हो सकती है या किसी प्रकार की अनहोनी का शिकार होती है। अनुभव मेंं आया है कि, जिस घर मेंं डाका पड़ता है, उस घर के दरवाजे सब एक कतार मेंं होते हैं। मुख्यद्वार उत्तर वायव्य मेंं होकर सबसे पीछे का बाहर पडऩे वाला दरवाजा अगर दक्षिण नैऋत्य मेंं हो या पूर्व आग्नेय से पश्चिम नैऋत्य मेंं एक कतार के दरवाजे हों तो वहाँ डाका पड़ सकता है। यदि इन दरवाजों के दोष के साथ-साथ पूर्व आग्नेय और पश्चिम नैऋत्य दोनों तरफ नीचाई हो तो डाके के दौरान हिंसा होती है और किसी पुरुष सदस्यों की हत्या तक हो सकती है और यदि उत्तर वायव्य और दक्षिण नैऋत्य मेंं यह स्थिति बने तो डाके के दौरान स्त्रियों के साथ दुराचार होता है साथ ही उनकी हत्या होने की सम्भावना होती है। ऐसी स्थिति मेंं कोई एक दरवाजा हटाने से इस दोष का निवारण जरूर हो जाता है, चाहे वह बीच का ही दरवाजा क्यों ना हो।
रसोई मेंं एक खिड़की ऐसी बनवाएं जो पूर्व दिशा को ओर खुलती हो, ताकि सूर्य की प्रात:कालीन किरणें रसोई घर मेंं प्रवेश कर सके। ऐसा होने पर हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु नष्ट हो सकते हैं। नमी, सीलन आदि भी समाप्त हो सकती है।
1. यदि आपके घर का दरवाजा दक्षिण दिशा की ओर है तो आप इसे गहरे महरून, पेल यलो या वर्मिलियन रेड के शेड से रंग सकते है। इन सभी कलर शेड के कलर बाजार मेंं आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
2. मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा की ओर है तो छह छड़ वाली धातु की बनी विंड चाइम लगानी चाहिए। विंड चाइम की खनखनाहट से मुख्य दरवाजे के आसपास के बुरे प्रभाव दूर हो सकते हैं। यहां बताए जा रहे वास्तु के सभी आइटम्स बाजार मेंं आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
3. पश्चिम की ओर मुख वाले दरवाजे के लिए प्लॉट या यहां तक कि बालकनी के उत्तर-पूर्व क्षेत्र मेंं तुलसी का पौधा नकारात्मक प्रभावों को भी सकारात्मकता प्रदान कर सकता है। इसी तरह चमेंली की बेल भी सुगंध से प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने का काम करती है।
4. दरवाजों के दोनों ओर काफी सारे हरे और लम्बे स्वस्थ पौधे लगाए जा सकते हैं जो गलत दिशा मेंं बने दरवाजे के दुष्प्रभावों को दूर करने का काम करेंगे।
5. मुख्य दरवाजे कोई पवित्र चिह्न लगाएं, जैसे ऊँ, श्रीगणेश, स्वस्तिक, शुभ-लाभ आदि। ऐसा करने पर घर पर सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और बुरी नजर से घर की रक्षा होती है।
6. मुख्य द्वार का मुख पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर है तो दरवाजे के अंदर बाएं ओर जल पात्र को पानी और फूल की पंखुडय़िों से भरकर रखें। इससे दिशा को सकारात्मक रुख देने मेंं मदद मिलेगी। वैसे वास्तु के हिसाब से पूर्व दिशा पवित्र समझी जाती है।
7. उत्तर दिशा के दरवाजे के लिए सफेद, पेल ब्लू कलर बेहतर होते हैं।
8. मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा की ओर मुख वाला हो तो सूर्यास्त के वक्त दुष्प्रभावों को रोकने के लिए द्वार के समीप क्रिस्टल ग्लास रखें।




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