Wednesday 3 June 2015

शनि जयंति के व्रत तथा पूजन से पायें जीवन में खुषहाली-

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शास्त्रों के अनुसार शनि देव जी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था। इस बार सोमवती अमावस्या होने के कारण इसका महत्व और भी बढ गया है। सोमवती अमावस्या पितर दोष दुर करने के लिये अति उत्तम है। आज के दिन किसी को शनि-राहु का दोष हो तो सोमवती अमावस्या को शनिदेव की पूजा से बहुत जल्दी यह दोष समाप्त हो जाता है। आज के दिन परिवार के साथ पीपल के पेड के पास जाइये, उस ही पीपल देवता को एक जनेऊ दीजिये साथ ही दुसरा जनेऊ भगवान विष्णु जी के नाम से उसी पीपल के पेड को दीजिये, पीपल के पेड और भगवान विष्णु को नमस्कार कर प्रार्थना कीजिये, अब एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की करें दुध की बनी मिठाई अथवा बताशा को हर परिक्रमा के साथ पीपल को अर्पित करते जाईए। फिर प्रार्थना करे कि जाने अन्जाने में हुये अपराधो के लिए उनसे क्षमा मांगिये। और अपने पितरो के कल्याण के लिए प्रार्थना करें। इस वर्ष शनि जयंती का पर्व दिनांक सोमवार 18.05.15 को अमावस्या तिथि को रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में उदय होने पर मनाया जाएगा। सोमवार के दिन आमवस्या तिथि व रोहिणी नक्षत्र के मेल से बना यह अत्यंत दुर्लभ योग है, राहु से पापाक्रांत शनि के दोषो को दूर कर आपके जीवन में व्यवसायिक समृद्धि दाता होगा।

Pt.P.S Tripathi
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