Thursday 4 June 2015

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म- संतप्त दाम्पत्य जीवन -



किसी षिषु के जन्म के उपरांत सर्वप्रथम विचारणीय तथ्य होता है कि उसका जन्म कहीं मूल के नक्षत्रों में तो नहीं हुआ है। आजकल आधुनिक मत रखने वाले लोग भी सबसे पहले यह ज्ञात करते हैं कि कोई मूल का नक्षत्र तो नहीं है, उसके उपरांत अपने बच्चे का जन्म समय तथा दिनांक तय करते हैं। मूल नक्षत्र का जन्म जहाॅ जीवन में कष्ट तथा बाधा देता है उसी प्रकार से यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में भी बाधा विलंब तथा वैवाहिक सुख में कमी का कारण बनता है। ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म का अषुभ असर स्त्री तथा पुरूषों दोनों पर अषुभ फलकारी होता है। इस नक्षत्र में जन्म होने पर जातक के विवाह होने में कठिनाई होती है या विवाह के बाद पार्थक्य दोष लगता है, इस पर यदि सप्तम भाव या सप्तमेष किसी प्रकार पीडि़त हो तो कष्ट दोगुना हो जाता है। किसी व्यक्ति का ज्येष्ठा नक्षत्र हो तो उसका विवाह कभी भी घर के बड़े संतान से नहीं करना चाहिए और ना ही ज्येष्ठ मास में करना चाहिए। इस नक्षत्र में जन्में जातक को विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करते समय वर तथा वधु दोनों के नक्षत्रों की जानकारी करनी चाहिए तथा समाधान हेतु विवाह से पहले नक्षत्र के मंत्र का कम से कम 28000 जाप संपन्न कराना चाहिए तथा नक्षत्र के मंत्रों का दषांष हवन कराने के उपरांत विवाह संपन्न कराना चाहिए जिससे वैवाहिक जीवन के अनिष्टकारी प्रभाव दूर हो सके।

Pt.P.S Tripathi
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