Saturday 29 August 2015

वृद्धवस्था में रोग ज्योतिष उपचार



55वें वर्ष की आयु के बाद मनुष्य का शरीर कमजोर होने लगता है तथा कई प्रकार की बीमारियों से वह ग्रस्त हो जाता है। आर्थिक और शरीर से कमजोर होने के साथ ही संतान एवं परिवार का व्यवहार उपेक्षापूर्ण हो जाता है। क्या ज्योतिष में इसका कोई समाधान है? आइए जानते हैं:कौन से ग्रहों से कौन सा रोग होता है? एवं इसका उपचार क्या है?बुढ़ापा आने के प्रथम लक्षण की शुरुआत सर के बाल सफेद होना होता है। सर के बाल सफेद होना शुरु होते हि मानना चाहिए कि शरीर कमजोर पडऩे लगा है। उसके बाद पैरों और घुटनों में दर्द तथा फिर दांतों का ढीला होना। भुख कम होना, कब्ज होना यह सब कमजोरी के प्रथम लक्षण है। इन सभी की वजह ग्रहों की दुर्बलता भी होती है। सूर्य यदि लग्न द्वितीय द्वादश भाव में स्थित होता है तो जातक के बाल जल्दी झड़ जाते हैं तथा आंखें कमजोर होकर चश्मा चढ़ जाता है। वृद्धावस्था में आंखें अत्यधिक कमजोर हो जाती है तथा आंखों के रोग मोतियाबिंद आदि होते हैं। बाल भी जल्दी झड़ जाते हैं। सूर्य के उपचार के लिए उसको जल चढ़ाना एवं सूर्य को कभी देखना नहीं चाहिए। पूर्णिमा के चंद्रमा को ज्यादा देर देखनें से आंखों के रोगों में आराम मिलता है। इसी क्रिया से मानसिक तनाव, सरदर्द, भुलने की आदत आदि रोगो ंसे भी आराम मिलता है। मंगल की दुर्बलता से रक्त विकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। यदि मंगल पष्ठम, सप्तम, अष्टम होतो पैरों और घुटनों में खिंचाव, साइटिका, नस कमजोरी पेशाब में जलन एवं रुकावट जैसे रोग उत्पन्न होते हैं। 35 वर्ष की आयु में इनमें तीव्रता आ जाती है तथा धीरे-धीरे यह उग्र रूप धारण कर लेते हैं। यही मंगल यदि चतुर्थ या दशम स्थान में हो तो किडनी, अंपेडिक्स, कमर दर्द, पेट का आपेरशन जैसे रोग का कारक होता है। मंगल के उपचार हेतु लाल रंग के खाद्य पदार्थ जैसे टमाटर, सेवफल, अनार का खाने में प्रयोग करें। नियमित रूप से। लाल रंग के वस्त्र एवं गाड़ी का रंग भी लाल रखें। शराब, मांस, गरिष्ठ पदार्थों का सेवन न करें। सहिजन का सेवन (सुजना की फली) भी लाभ देता है।राहु यदि सप्तम स्थित होता है तो गुप्त रोग, पाईल्स, भगंदर जैसे रोग होते हैं। यह बड़े कष्टदायी होते हैं। राहु के उपचार हेतु किसी गरीब को कंबल का दान करें। शनिवार को उड़द की दाल से बना हुआ, तला हुआ पदार्थ ही खाएं (दही बड़े आदि)।बुध, शुक्र, शनि भी कई रोग के जन्मदाता होते हैं। जैसे लकवा, हृदयाघात, उच्च एवं निम्न रक्तचाप परंतु इन ग्रहों पर नियंत्रण करें तो बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है।

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