Saturday 16 July 2016

ज्योतिष्य उपायों का फल

ज्योतिष में विभिन्न उपायों का फल ज्योतिष ग्रहों की दशा व गोचर के माध्यम से जीवन पर शुभाशुभ फल कथन करने में सक्षम है। लेकिन ऐसे ज्ञान का लाभ ही क्या यदि संभावित अनिष्ट का उपचार ही न हो। अनिष्ट से छुटकारा व सौभाग्य में वृद्धि के लिए ज्योतिष ग्रंथों में अनेक उपाय बताए गए हैं जो जातक की स्थिति व ग्रह दशा अनुसार चयन करने से अनिष्ट से छुटकारा दिला सकते हैं। विभिन्न प्रकार के उपायों के फल निम्न प्रकार से हैं:- – रत्न वायुमंडल से ग्रहों की ऊर्जा क¨ अवषोषित करके शरीर में प्रवेश कराने की अद्भुत शक्ति रखते हैं। रित्नों में ग्रहों की ऊर्जा सोखने की शक्ति होती है जो हमारे जीवन में परिवर्तन उत्पन्न करती है। – रुद्राक्ष सबसे शक्तिशाली प्रतिकारक यंत्र होता है जो व्यक्ति के सकारात्मक गुणों में वृद्धि करता है और हर नकारात्मक पक्ष को मिटाता है। -यंत्रों में चित्रों से सौगुनी शक्तियां होती हैं और ये हमारी रक्षा एक कवच की तरह करते हैं। – मंत्रोच्चारण हमारे अंदर स्पंदन पैदा करता है और व्यक्तित्व व बुद्धि का विकास करता है। मालाओं के प्रयोग विभिन्न मंत्रोच्चारण करने के विशेष उद्देश्य को प्राप्त करते हैं। ऋषि या द्रष्टा यह भी कहते हैं कि माला के 108 मनके हमें हर तरह की सिद्धि प्राप्त कराते हैं। – हमारी प्रतिकूल स्पंदन से रक्षा करते हैं। यह परिवर्तक व विस्तारक/वर्द्धक के रूप में विभिन्न ऊर्जाओं को जैव ऊर्जाओं में परिवर्तित करके हमारे शरीर तंत्र/शारीरिक संरचना को संतुलित व कोशिकीय, भावनात्मक, मस्तिष्कीय व आध्यात्मिक स्तर पर पुनः ऊर्जावान् बनाते हैं। रत्न रुद्राक्ष यंत्र मंत्र शंख अंगूठियों पिरामिड सिक्कों यंत्रों, रुद्राक्ष व रत्नों के लाॅकेट फेंगशुई रंग चिकित्सा यज्ञ का हमारे ऊपर रहस्यमयी प्रभाव होता है। जब रत्न हमारी अंगुली को छूता है तो हमारे अंदर अनुकूल ऊर्जा का प्रवाह करता है जिसका सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर होता है कय¨ंकि अंगुलियों की स्नायु का सीधा संबंध मानव मस्तिष्क से होता है। उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने से, भूमि व भवन के ऊर्जा क्षेत्र को बलशाली सकारात्मक जैव-ऊर्जा में परिवर्तित करता है और व्यक्ति की जैव-ऊर्जा को संपूर्ण करता है। अतः वह व्यक्ति थकान व तनाव न महसूस करते हुए अतिरिक्त ऊर्जावान होकर रोजमर्रा की जिंदगी के दबावों का डटकर सामना कर पाता है। को बतौर यंत्र जेब या तिजोरी में रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। गले में पहनने के लिए होते हैं। लाॅकेट का सकारात्मक स्पंदन हृदय चक्र को सक्रिय करता है। जब हम गले में लाॅकेट पहनते हैं तो ढाल बनकर हमारी काला जादू, बुरी आत्माओं व भूत प्रेत और ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव से रक्षा करता है। का अर्थ है वायु व जल। प्राचीनकाल से जल व वायु दो बड़ी शक्तियां मानी जाती रही हंै। यही ऊर्जा व्यक्ति के स्वास्थ्य, प्रगति व सौभाग्य के लिए ज़िम्मेदार होती हैं। फेंगशुई सामग्री हमारे वातारण में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाती है। हमारे शरीर के ऊर्जा चक्रों को संतुलित करती है और उसमें वृद्धि करती है। यह हमारे शरीर के स्वतः स्वस्थ होने की क्षमता को प्रेरित करती है। ः इससे मनोकामना पूर्ण होती है व वातावरण शुद्ध होकर स्वास्थ्यवर्धक होता है। प्राणायाम अघ्र्य दान देव दर्शन व्रत औषधि स्नान जल विसर्जन ः प्राणायाम को सर्वश्रेष्ठ तप की संज्ञा भी दी गई है। इसकी साधना से पापों का नाश होता है और ईश्वर की प्राप्ति होती है। प्राणायाम से कुंडलनी शक्ति को भी जागृत किया जा सकता है। ः मनोवांछा पूरा करने के लिए देवताओं को अघ्र्य अर्पित किया जाता है। यह प्रक्रिया सभी पूजा पद्धतियों का अभिन्न अंग है। जल ईश्वर को अत्यंत प्रिय है। इसलिए इसकी महिमा का वर्णन श्रीमद्भगवद् गीता में भी मिलता है। ः दान पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है। दान से सुख समृद्धि बढ़ती है। ः देव दर्शन अर्थात् तीर्थ स्थल की यात्रा को सभी धर्मों में शुभ माना गया है। अलग-अलग लोगों की अलग-अलग मंदिरों में आस्था होती है। इसलिए वह लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मंदिरों की यात्रा करने में विश्वास रखते हैं। ः व्रत एक अटल निश्चय है जब तक मनुष्य कोई व्रत नहीं करता तब तक उसका मन इधर-उधर भटकता है। योग साधना के अनुसार भी यम और नियम पर बल दिया जाता है और ये दोनों ही व्रत हैं। व्रत धारी के मन में यह पूर्ण निश्चय होना ही चाहिए कि यदि इससे मेरी कोई तात्कालिक हानि हो रही हो तब भी मैं अपना व्रत भंग नहीं करुंगा। ः आयुर्वेद में आयुर्वैदिक जड़ी बूटियों से किए जाने वाले औषधि स्नान से स्वास्थ्य में सुधार होता है। ः फूल, दीपक या देवी देवता की मूर्तियों को ईश्वर का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विसर्जित किया जाता है। उपाय चयन कुंडली में ग्रहों की अवस्था अनुसार किया जाता है। किसी ग्रह को प्रबल करने हेतु रत्न धारण सबसे सटीक उपाय है जबकि ग्रह की अनिष्टता को समाप्त करने के लिए मंत्र जप व रुद्राक्ष धारण करना उत्तम है। जातक एक या अनेक उपाय एक साथ कर सकता है। रत्न शुभ निर्बल ग्रहों के लिए रुद्राक्ष ग्रहों की शुभता बढ़ाने के लिए यंत्र ग्रहों का बल बढ़ाने के लिए मंत्र ग्रहों की शुभता बढ़ाने के लिए अंगूठी ग्रह बल वृद्धि के लिए पिरामिड स्थान की ऊर्जा बढ़ाने के लिए सिक्के सौभाग्य बढ़ाने के लिए लाॅकेट प्रतिकूल प्रभाव को काटने के लिए फेंगशुई वातावरण की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए रंग चिकित्सा स्वास्थ्य वर्द्धन के लिए यज्ञ मनोकामना पूरक प्राणायाम उर्जावान बनने के लिए अघ्र्य ग्रह की शुभता बढ़ाने के लिए दान सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए देव दर्शन पापों को दूर कर ग्रहों की शुभता बढ़ाने हेतु व्रत ग्रह शुभता बढ़ाने हेतु औषधि स्नान ग्रहों की ऊर्जा शरीर में पहुंचाने के लिए जल विसर्जन अशुभ ग्रहों की अशुभता कम करने के लिए उपरोक्त उपायों में से एक या अनेक उपाय करने से अनिष्टों का क्षय व सौभाग्य में वृद्धि प्राप्त कर आने वाले समय को शुभ बनाया जा सकता है। प्रत्येक प्रकार के उपाय 40 से 43 दिन में शुभ परिणाम देना शुरु कर देते हैं। इसलिए धार्मिक कृत्यों को लगातार 43 दिनों तक किए जाने की परम्परा है। यदि समस्या अधिक गंभीर हो तो इन कर्मकांडों का एक सुविधाजनक अंतराल के बाद पुनरावर्तन किया जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि रत्न, रुद्राक्ष व अन्य अमूल्य ताबीज़ 43 दिन के बाद अपना शुभ परिणाम देते हैं। इन 43 दिनों के दौरान इस विशेष ताबीज, यंत्र, रुद्राक्ष या रत्न से जुड़ी पूजा व मंत्र जप नियमित रूप से होना चाहिए।

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