Sunday 24 December 2017

वृषभ राशि वाले जातकों का कैसा रहेगा साल 2018

वृषभ राशिफल -
यह वर्ष वृषभ राशि जातकों को पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों मायनों में मिला-जुला परिणाम देने वाला है। इस साल कुछ बाधाएँ जैसे स्वास्थ्य और पारिवारिक कष्ट आपके रास्ते में आएंगी लेकिन आप अपने सकारात्मक रवैये और कड़ी मेहनत की बदौलत इनसे आसानी से उबर जाएँगे। आपके लिए गुस्से पर कंट्रोल करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि बेकार की बहस और क्रोध के कारण आप मुसीबत में पड़ सकते हैं और आर्थिक रूप से नुक़सान भी हो सकता है। कई बार मन-मुताबिक़ परिणाम नहीं मिलने के कारण आप हतोत्साहित हो सकते हैं, कार्यस्थल पर अच्छे परिणाम नहीं मिलने के कारण आप तनावग्रस्त हो सकते हैं। इस अवधि में आपके साथ धोखाधड़ी हो सकती है, आपकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी और आय के कुछ नए रास्ते बनेंगे, लेकिन आर्थिक मामलों में बेहतर प्लानिंग जरूरी है। जहाँ तक परिवार का सवाल है परिवार में ख़ुशियाँ और परिजन एक-दूसरे के साथ घुल-मिल कर रहेंगे।
वृषभ राशि के पुरुष और महिला जातक अपने जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता पाएँगे। साथ ही पार्टनर के साथ कहीं रोमांटिक जगह पर घूमने जाने की योजना बन सकते हैं और यह आप दोनों के रिश्तों के लिए अच्छा भी रहेगा। कुल मिलाकर यह साल वृषभ राशि के जातकों लिए ठीक-ठाक गुजरने वाला है। जो लोग बच्चे की चाहत रखते हैं उनकी इच्छा भगवान की कृपा से पूरी होगी। आप धार्मिक स्थलों की यात्रा पर भी जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह साल आपके लिए मिलाजिला परिणाम लेकर आ रहा है।
कॅरियर -
भविष्यफल 2018 के अनुसार कार्यस्थल पर यह साल आपके लिए अच्छा है। सफलता पाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी, क्योंकि आप भी जानते हैं कि सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता है। कार्यस्थल पर आपको सीनियर और बॉस का सहयोग प्राप्त होगा, साथ ही काम के लिए आपकी तारीफ होगी। जनवरी से मार्च की अवधि में आपकी अच्छे पद पर पदोन्नति होगी और सैलरी में भी वृद्धि होगी। वहीं दूसरी ओर इसी अवधि में विवादों से आपका नाम जुड़ सकता है और आप ऑफिस में होने वाली पॉलिटिक्स के शिकार हो सकते हैं। इसलिए आपको कार्यस्थल पर इस दौरान बेहद ही सावधान रहना होगा और सोच-समझकर कदम बढ़ाना होगा। यदि आप कोई नया कारोबार करने की सोच रहे हैं तो आपको कुछ समय इंतजार करना होगा, क्योंकि इस समय इसके लिए सही नहीं है। क्योंकि आर्थिक नुक़सान होने की ज़्यादा संभावना है।
आर्थिक स्थिति -
आर्थिक मामलों में इस साल आपको बेहद ही सतर्क रहने की दरकार है। हालाँकि अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आपको कर्ज भी लेना पड़ सकता है। आपकी आर्थिक स्थिति सितम्बर 2018 के बाद सुधरेगी, जब गुरु का स्थान परिवर्तन होगा. तब आय में वृद्धि होगी और कारोबार से लाभ प्राप्त होगा। कार्य के सिलसिले में की गई यात्राएँ फलदायक होंगी। इसके अलावा घर पर शुभ कार्यों का आयोजन होगा और आप उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। पिता का सहयोग होगा। उनकी सलाह आपकी सफलता का मूल मंत्र साबित हो सकती है, लेकिन भविष्य को लेकर आपको वित्तीय योजना बनाकर चलना होगा।
शिक्षा -
शुक्र आपका स्वामी है, इसलिए आप रचनात्मकता, जोश और उत्साह से लबरेज रहेंगे, इसलिए कला, मिडिया से जुड़े लोगो को लाभ होगा. हालाँकि अन्य क्षेत्र में परीक्षा के तनाव के कारण आपकी एकाग्रता में कमी दिखेगी। आपके लिए यही बेहतर होगा कि आप जो भी कर रहे हैं उसमें आपका पूरी तरह से समर्पण होना चाहिए, तभी आप बेहतर परिणाम प्राप्त करेंगे। अतः सभी प्रकार की चिंताओं को एक किनारे पर छोड़कर अपने लक्ष्य पर ध्यान दें। कला, मनोविज्ञान और मीडिया से जुड़े छात्र अच्छे परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं।
पारिवारिक संबंध -
इस साल आपकी पारिवारिक स्थिति औसत रहने वाली है। अतः आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना होगा। साल के मध्य अवधि आपके लिए मुश्किल भरी होगी। आपको अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए। परीक्षा में बच्चे अच्छे अंक प्राप्त करेंगे, हालाँकि इस दौरान उनके स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव भी देखने को मिल सकता है। अतः उनका ख़्याल रखें। उनके खानपान पर विशेष ध्यान दें।
प्रेम व विवाह -
आपको अपनी लव-लाइफ को तीसरे शख़्स के साथ साझा करने से बचना होगा, क्योंकि आपका करीबी ही आप दोनों के बीच गलतफहमी पैदा कर सकता है। साथ ही यदि आप प्यार के बंधन को शादी के बंधन में बाँधना चाहते हैं तो यह सबसे उपयुक्त समय है। माता-पिता का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस अवधि में आपका सामाजिक दायरा बढ़ेगा, साथ ही नए रिश्तों की ओर हाथ बढ़ाने के लिए भी यह समय शानदार है। यदि आप कुँवारे हैं और साथी की तलाश में हैं तो आपकी यह मुराद पूरी होगी।
स्वास्थ्य -
इस साल आपकी सेहत कुछ ठीक नहीं रहने वाली है। सेहत में उतार-चढ़ाव बना रहेगा, इसलिए सेहत के मामले में किसी प्रकार की कोई लापरवाही ना करें। इस साल आपको सिरदर्द, ब्लड-प्रेशर और हृदय संबंधी विकार परेशान कर सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें। मई महीने में आपको ज्यादा सतर्क रहना होगा। इस अवधि में आपकी मानसिक शांति भंग हो सकती है. लेकिन काम के साथ-साथ खानपान पर भी पूरा ध्यान दें और उचित समय पर आराम करें। मशीन के इस्तेमाल के दौरान सावधान रहें, क्योंकि जख़्मी होने की संभावना नजर आ रही है। पुरानी बीमारियों से जूझ रहे जातकों को सेहत पर विशेष ध्यान देना होगा। आप में से कुछ लोगों को अनिद्रा और पेट संबंधी दिक्क़तें हो सकती हैं। साथ ही आप मोटापे के शिकार हो सकते हैं। फल और हरी सब्जी ज्यादा खाएँ।
उपाय -
     राहु मन्त्र का जाप करें..
     सूक्ष्म जीवो को आहार दें...

     तिल के लड्डू प्रसाद में बाटें ...

मेष राशि वाले जातकों का कैसा रहेगा साल 2018

मेष राशिफल
मेष राशि वाले जातको का यह वर्ष कई मायने में महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस दौरान इस राशि वाले जातको की जिन्दगी में कई अहम सकारात्मक बदलाव होंगे। इस साल प्लान के साथ समझदारीपूर्वक लिए गए कुछ फैसले आपकी जिन्दगी में उन्नति और सुख को और बढ़ाने वाले परिणाम देंगे. कैरियर के क्षेत्र में अपडेशन करने के योग है. इस सिलसिले में आपको घर और परिवार से कुछ दिनों के लिए दूर भी रहना पड़ सकता है। परिवार के साथ सुखःद पल बिताने का कम ही मौक़ा मिलेगा। इस साल आपके जीवन में कुछ एक घटना बहुत यादगार होगी जैसे किसी पोस्ट में सलेक्शन होना या सन्तान का जन्म अथवा पद या सैलरी में वृद्धि की संभावना नजर आ रही है। कार्य के सिलसिले में दूर की यात्रा करनी पड़ सकती है, हालाँकि इस यात्रा से आपको फायदा ही होगा। व्यस्तता और परिवर्तन के कारण आपका आहार और निद्रा प्रभावित होगा जिससे सेहत की बात करें तो शुरुआती कुछ महीनों में थोड़ी दिक्क़तों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन खान-पान पर ध्यान रखकर सेहत का ख़्याल भी रखा जा सकता है। ये जरुर है की मेष राशि के महिला और पुरुष जातकों को अपने संबंधों को लेकर गंभीर रहना होगा। एक-दूसरे के साथ ज्यादा-से-ज्यादा वक़्त गुजारने और विश्वास बढ़ाने का प्रयास करें। वैवाहिक जीवन में भी एक-दूसरे को समय देना बेहद ही आवश्यक होगा। यानी संबंधों में एक-दूसरे पर विश्वास का होना बहुत जरूरी है। साल के अंत में आप पाएँगे कि आपको कुल-मिलाकर अच्छे परिणाम मिले हैं। आपके करीबी लोगों का सहयोग और बड़े का सलाह आपके लिए वरदान साबित होंगे। घर-परिवार में किसी शुभ कार्य के आयोजन का भी योग बन रहा है। सामाजिक कार्यों में आपको शामिल होने का मौक़ा मिलेगा और इससे आपका सामाजिक दायरा भी बढ़ेगा.
कॅरिअर -
कार्यस्थल पर आपके लिए वर्ष 2018 कुछ ख़ास रहने वाला है। काम का परिवर्तन या पद वृद्धि होने के योग हैं। वहीं यदि आप नौकरी की तलाश में हैं तो आपकी यह ख़्वाहिश भी पूरी होगी। नौकरी पाने के कई बेहतरीन अवसर आपको प्राप्त होंगे। यदि आप एक कारोबारी हैं तो इस साल आपको अच्छे मुनाफे प्राप्त होंगे, हालाँकि काम पूरा होने में अपेक्षा से ज्यादा समय लग सकता है, लेकिन अंत में आप पाएँगे कि आपको अप्रत्याशित फायदा हुआ है। नौकरीपेशा और कारोबारी दोनों के लिए अवधि शानदार रहेगी।
यदि आप कला, वित्त, मीडिया, प्रिंटिंग, नाट्य, पर्यटन, संगीत या फिर सौन्दर्य उत्पाद के कारोबार से जुड़े हैं तो आपको नये अवसर प्राप्त होंगे. जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों में सतर्क रहें।
आर्थिक स्थिति -
आर्थिक मामलों में आपको इस साल आपको एक बेहतर फाइनेंशियल प्लानिंग करके चलने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि इस साल आप घर बनाने या शादी जैसे बड़े कार्य में पैसा लगाने वाले हैं. आय के नए स्रोत बनेंगे किन्तु आप पर लोन का भार भी हो सकता है. आपको कुछ शानदार फायदे भी होंगे, लेकिन इसके साथ ही ख़र्च में भी वृद्धि होगी।
शिक्षा -
छात्रों के लिए यह साल बढ़िया भी है और महत्वपूर्ण भी है। इस साल विद्यार्थियों को कई सारे शानदार अवसर भी प्राप्त होंगे। परीक्षा के परिणाम आपके पक्ष में होंगे। यदि आप एकाग्रता से पढ़ाई करते हैं तो आपको रिजल्ट्स भी अच्छे मिलेंगे। आपका रुझान कुछ नया सीखने में होगा और आपके कौशल का विकास होगा। साथ ही आपके कुछ बेहतरीन अनुभव भी होंगे जो आपकी भविष्य में मदद करेंगे। मेहनत का परिणाम प्राप्त होगा और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।
पारिवारिक संबंध -
इस साल पारिवारिक मामलों को लेकर थोड़ा तनाव रह सकता है। परिवार में गलतफहमियों और दुविधा के कारण भी आप परेशान हो सकते हैं। इसके पीछे आपकी व्यस्त दिनचर्या है। परिवार के साथ वक़्त गुजारने का समय बहुत ही कम मिलेगा। माता-पिता का पूरा सहयोग मिलेगा। इस अवधि में आपकी समझदारी बढ़ेगी और आप अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाएँगे। पैतृक संपत्ति के मामलों का निपटारा होगा। इस अवधि में रक्तचाप से पीड़ित जातकों को एहतियात बरतने की आवश्यकता है, नहीं तो परेशानी बढ़ सकती है। इस अवधि में आपको सकारात्मक रहने की जरूरत है।
प्रेम व विवाह -
पार्टनर के साथ कुछ गलतफहमी या दुरी होने की संभावना नजर आ रही है। वहीं शादीशुदा जातकों को विवाहेत्तर संबंधों से दूर रहना होगा। इस अवधि में कुछ नए रिश्ते बनेंगे और कुछ नए लोग भी आपकी मित्रमंडली में शामिल होंगे। संबंधों को बेहतर बनाने के लिए आपको मेहनत करने की जरूरत होगी। सितम्बर 2018 से लेकर नवंबर 2018 तक की अवधि आपके लिए मुश्किल भरी होगी।
स्वास्थ्य
वैदिक ज्योतिष के दृष्टिकोण से सेहत के मामले में आपके लिए यह समय बढ़िया नहीं है, इसलिए स्वास्थ्य के मामले में बरती गई कोताही आपको परेशानी में डाल सकती है। सेहत का पूरा ख़्याल रखें। वर्षा ऋतू में आपको सेहत संबंधी विकार हो सकते हैं। अतः स्वास्थ्य के मामले में आपको कुछ ज़्यादा ही ऐहतियात बरतने की दरकार है। चोट लगने की ज्यादा संभावना है। वाहन चलाते समय भी सतर्क रहना जरूरी है। यदि आपको डायबिटीज या हृदय संबंधी विकार है तो आपको बहुत ही सावधान रहना होगा। खान-पान पर भी विशेष ध्यान देना होगा। व्यायाम और अच्छी डाइट के साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर कर सकते हैं। काम की अधिकता के कारण आप तनावग्रस्त रह सकते हैं, इसलिए आपके लिए बेहतर होगा कि समय निकालकर आराम करें। आपके बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह बेहद ही जरूरी है। बदलते मौसम के कारण कुछ दिक्क़तें जैसे- सर्दी और जुकाम हो सकते हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
उपाय -
     मंगल मन्त्र का जाप करें ...
     गाय को नियमित चारा देते रहें...
     तुला दान अथवा रक्तदान करें...

2018 वार्षिक राशिफल

वार्षिक राशिफल 2018 -

     01 जनवरी, 2018 को वैश्विक नववर्ष के रूप में मनाया जाता है, जो हिन्दू महीने के अनुसार इस बार पौष महिने शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि दिन सोमवार को होगा| डेल्ही के सूर्योदय मान से 06 बजकर 42 मिनट पर सूर्योदय, धनु लग्न और मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय चरण में शुक्ल योग और वणिज्य करण में नववर्ष का प्रवेश हो रहा है। देश-काल-परिस्थिति के अनुसार इस दिन सबको चाहिए कि वे अपने घर को साफ कर अपने अपने सम्प्रदाय के अनुसार तोरण इत्यादि लगावें, मंगल स्नान करें, अपने इष्ट देवता आचार्य, गुरू और ध्वज की पूजा करें। घर में नीम की कोमल पत्तियां और फूल लावें, गणपति का स्मरण और पूजन कर वैश्विक नववर्ष का प्रारंभ करें। ऋतु काल के पुष्पों का मिश्रण बनाकर उसमें काली मिर्च, नमक, हींग, मिश्री, जीरा और अजवाइन मिलाकर घर के सभी इस का प्राशन करें तथा वर्ष भर स्वस्थ और रोग मुक्त रह सकते हैं।
     पुरे साल को देखें तो सनातन धर्म की मान्यता अनुसार 18 मार्च 2018 से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत् 2075 प्रारंभ होगा। इस नवीन संवत्सर का नाम विरोधकृत होगा। जो रुद्रविंशतिका का 5 वां संवत्सर है। इसके स्वामी चन्द्र हैं। ज्योतिषीय गणना अनुसार ब्रह्मा, विष्णु एवं रुद्र विंशतिका के अन्तर्गत बीस-बीस संवत्सर आते हैं। इस प्रकार कुल साठ संवत्सर होते हैं। वर्ष 2018 के मंत्री मंडल में सूर्य राजा एवं शनि मंत्री होंगे। मेघेश शुक्र एवं धनेश चंद्र होंगे। विरोधकृत संवत्सर में फसलों के उत्पादन में कमी, आतंकी वारदातों में वृद्धि, वर्षा में कमी, सूखा, एवं सत्तापक्ष को मानसिक कष्ट रहेगा। अनाज मंहगा होगा। दूध एवं फलों के रस का उत्पादन बढ़ेगा। चांदी सस्ती होगी।
विक्रम संवत् 2075 के अन्तर्गत विरोधकृत संवत्सर में तीन सूर्यग्रहण एवं दो चंद्रग्रहण होंगें। तीनों सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं होंगे। शेष दो चंद्रग्रहण में से केवल एक चंद्रग्रहण भारत में दृश्य होगा, जो आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन शुक्रवार दिनांक 27 जुलाई 2018 होगा। यह खग्रास चंद्रग्रहण संपूर्ण भारत में दृश्य एवं मान्य होगा।

वर्षफल निर्णय -
     साल 2018 आपके लिए कैसा रहेगा? इस वर्ष सफलता किस राशि वाले जातक प्राप्त कर सकेंगे? किसको सम्पत्ति का सुख मिलेगा, किस राशि वाले जातक को विवाह का सुख तो किसे सन्तान का सुख मिल सकता है, किस राशी वाले जातक को मनोवांछित फल मिलेगा? इस वर्ष कामयाबी और समृद्धि पाने के किस राशि वाले को क्या क्या उपाय करना चाहिए? यदि इन प्रश्न के जवाब आप भी जानना चाहते हैं तो आप हमारा यह कार्यक्रम जरुर देखे, जिसमे आपके पुरे साल के बारे में विश्लेष्ण है....
इस साल में हम 01 जनवरी रात 00.00HRS यानि 31दिसम्बर की रात 12 बजे  का ग्रह गोचर दिल्ली के अनुसार

मिथुन राशि में चंद्र, कर्क का राहु, तुला में मंगल और गुरु, वृश्चिक में बुध, धनु में सूर्य, शुक्र और शनि तथा मकर में केतु.... हिन्दू नववर्ष के समय मंगल पहुँच जायेंगे धनु राशि में शनि के साथ और मीन राशि में विराजमान होंगे सूर्य, चन्द्र, बुध और शुक्र शेष सभी ग्रह यथावत रहेंगे...

Friday 24 November 2017

विपत्ति काल में रखें सद्गुण और सद्व्यवहार-

जब भी किसी का समय खराब आता है तो उसके जीवन में सद्संग तथा सद्व्यवहार दोनो कम होते हैं या समाप्त होने लगते हैं। बुरे समय का सबसे पहला असर बुद्धि पर पड़ता है और वह बुद्धि को विपरित करके भले को बुरा व बुरे को भला दिखलाने लगता है। एक सही व सामयिक निर्णय समृद्धि के शिखर पर पहुँचा सकता है तो गलत निर्णय बर्बादी के कगार पर ले जा सकता है। कुशलता का अर्थ ही सही काम, सही ढंग से, सही व्यक्तियों द्वारा, सही स्थान व सही समय पर होना है। निर्णय लेना अनिवार्य है किन्तु सही समय पर सही निर्णय लेना सक्षम व कुशल प्रबंधक का ही कार्य है। इसे हम ज्योतिषीय गणना में कालपुरूष की कुंडली द्वार उसके लग्नेष, तृतीयेष, भाग्येष और एकादषेष द्वारा देख सकते हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में ये स्थान उच्च तथा उसके स्वामी अनुकूल स्थिति में हों तो उसके निर्णय सही साबित होते हैं और अगर क्रूर ग्रहों से आक्रांत होकर पाप स्थानों पर बैठ जाये तो निर्णय गलत हो जाता है। किंतु कई बार ऐसे विपरीत बैठे ग्रह दषाओं में लिए गए निर्णय बेहद कष्टकारी साबित होते हैं, जिसे कहा जा सकता है कि विनाष काले विपरीत बुद्धि। जैसे किसी की राहु की दषा प्रारंभ हो रही हो या होने वाली हो तो वह नौकरी छोड़ने या व्यापार करने का निर्णय ले ले, जिसमें हानि की संभावना शतप्रतिषत होती है। अतः किसी को अपनो के विरोध का सामना करना पड़े तो उसे ग्रह शांति जरूर करानी चाहिए।

'स्कंद षष्ठी' विशेष, Skanda Sashti Special !! Astrology Sitare Hamare

Tuesday 31 October 2017

पंचतत्वों और सतोगुण को संतुलित कर पायें सफलता और स्वास्थ्य

जीवन दो चीजों से बना है। एक शरीर दूसरा आत्मा। शरीर पंच तत्वों से बना हैं, जो पंच महाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश) का प्रतिनिधित्व करते हैं और मूलरूप से ये सब हमारे शरीर में बराबर मात्रा में रहने चाहिए। जब इनमें थोड़ी-सी भी गड़बड़ी होती है या किसी एक तत्व में वृद्धि या त्रुटि आ जाने से दूसरे तत्वों में गड़बड़ी आती है, जिससे शरीर में रोग उत्पन्न हो जाते हैं। साथ ही आत्मा सात गुणों से बनी हैं ज्ञान, पवित्रता, प्रेम, शांति, सुख, आनंद, खुशी, शक्ति इसलिए आत्मा को सतोगुणी कहा जाता हैं। लेकिन इन सात गुणों की कमी के कारण काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार, स्वार्थ जैसी चीजे आ जाती हैं। चरक संहित के अनुसार इन्हीं तत्वों के समायोजन से स्वाद भी बनते हैं- मीठा= पृथ्वी+जल, खारा= पृथ्वी+अग्नि, खट्टा= जल+अग्नि, तीखा= वायु+अग्नि, कसैला= वायु+जल, कड़वा= वायु+आकाश।
व्यक्ति बहुत परिश्रम तो करता है लेकिन न ही पञ्च भूतो और न ही सतोगुण को संतुलित करने के लिए कोई प्रयास करता, किसी व्यक्ति में अगर ये दोनों ही असंतुलित हो तो उसे सफलता की प्राप्ति नहीं होती और ना ही वह स्वास्थ्य लाभ ले पाता है. अत: किसी व्यक्ति को सुख, स्वास्थ्य, शांति और समृधि पाने के लिए अपने जीवन में शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का कार्य करना चाहिए. इसके लिए ज्योतिष में कुंडली के ग्रहों का सहारा लिया जा सकता है. शरीर तथा आत्मा को स्वस्थ्य रखने के लिए लग्न, तीसरे और पंचम के ग्रहों के साथ ही सूर्य, चन्द्र इत्यादि ग्रहो को मजबूत करना चाहिए इसके लिए जीवन में अनुशासन रखना, लोगो की मदद करना और स्वयं को प्रसन्नचित्त रखना चाहिए. इस हेतु ईश्वर की उपासना करना अथवा ॐ नम: शिवाय का जाप करना, सूक्ष्म जीवो की सेवा करना और सत्संग, स्वाध्याय करना चाहिए.

ग्रहों को मजबूत कर पायें आत्मबल

मनुष्य का सबसे बड़ा संबल उसका आत्मविश्वास ही होता है |आत्मविश्वास वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है | आत्मविश्वास एक अद्भुत शक्ति होती है | आत्मविश्वास कम होता है तो इससे हीनभावना जागृत होती है | जिंदगी में कामयाब होने के लिए सबसे जरूरी है आत्मविश्वास | आत्म विश्वास में वह शक्ति है, जो सहस्रों विपत्तियों का सामना कर उनमें विजय प्राप्त करा सकती है | निर्धन का धन, असहाय का सहायक, अशक्त की सामर्थ्य यदि कोई है तो वह उसका आत्म- विश्वास ही हो सकता है | क्यो किसी में आत्मविश्वास कम होता है और किसी में ज्यादा | आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्णय को विकसित कैसें करें, इसे ग्रहों से जानेंगे | किसी भी जातक की कुंडली में लग्न, दूसरे, तीसरे तथा एकादश स्थान के ग्रहों से कर्म और मनोबल को जाना जा सकता है | अगर किसी जातक की कुंडली में लग्न या तीसरा स्थान विपरीतकारक अथवा प्रतिकूल हो जाए | अथवा इस स्थान पर क्रूर ग्रह हो या पाप प्रभाव में हो | जातक के जीवन में आत्मविश्वास तथा आत्मसंयम की कमी के कारण जीवन में सफलता दूर रहती है | इसी प्रकार एकादश स्थान का स्वामी क्रूर ग्रहों से पापक्रांत हो अथवा छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो | अनियमित दिनचर्या के कारण समय तथा क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते, और आत्मबल कमजोर क्र लेते हैं...
उपाय - मन के लिए मन के कारक ग्रह चंद्रमा का मंत्रजाप ॐ नम: शिवाय का जाप करें ...
-चन्द्र को अर्ध्य देकर दूध का दान करें ..
- अनुशासन रखना चाहिए..
- नावाड मन्त्र का जाप करें...
- तीसरे स्थान के ग्रह अथवा बुध के लिए पन्ना धारण करें ...

धैर्य की कमी कारण होता है कुंडली में



किसी व्यक्ति में सह्नसिलता बहुत होती है तो कई बहुत अधीर होते हैं. कोई व्यक्ति हर कार्य को सावधानी और धीरज से करता है तो कोई इतनी हडबडी में की नुकसान और दुर्घटना हो जाती है. कई बार दुर्घटना स्वयं की ही गलती से होती है या कोई सुरक्षित रहता है वहीं कई लोग चोट खाते ही रहते हैं सामान्य तौर पर इस फंडे को नहीं जाना जा सकता है कि किसी के साथ ही ऐसा क्यों होता है और किसे के साथ नहीं हो सकता? इस बात का ज्ञान ज्योतिष द्वारा लगाया जा सकता है। जब भी किसी की कुंडली में लग्न, दूसरे, तीसरे, एकादश अथवा द्वादश स्थान पर मंगल या केतु हो अथवा इन स्थानों का स्वामी मंगल होकर छठवे, आठवे या बारहवे हो जाए तो ऐसे लोगों को दुर्घटना लगने के योग बनते हैं। वहीं यदि केतु का किसी भी प्रकार से इन स्थानों पर होकर शनि से संबंध बने तो सर्जरी होने के कारण बनते हैं। अतः किसी की कुंडली में इस प्रकार दुर्घटना में शारीरिक हानि या चोट की आशंका बन रही हो तो उसे नियम से तुला दान करना चाहिए, रक्तदान करना भी अच्छा विकल्प है चोट लगने का। साथ ही मंगल की शांति हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

स्वयं मूल्यांकन करें कुंडली के ग्रहों से

प्रातः हर मनुष्य में अपने को बड़ा मानने की प्रवृत्ति सहज ही होती है और यह प्रवृत्ति बुरी भी नहीं है। किंतु अकसर अहं स्वयं को सही और दूसरो को गलत साबित करता है। आत्मसम्मान और स्वाभिमान के बीच बारीक रेखा होती है जिसमें अहंकार का कब समावेश होता है पता भी नहीं चलता। कोई कितना भी योग्य हो यदि वह अपनी योग्यता का स्वयं मूल्यांकन करता है तो आदर का पात्र नहीं बन पाता अतः बड़ा बनकर आदर का पात्र बनने हेतु अहंकार का त्याग जरूरी है। अहंकार का अतिरेक किसी जातक की कुंडली से देखा जा सकता है। यदि किसी जातक के लग्न, तीसरे, एकादश स्थान का स्वामी होकर सूर्य, शनि जैसे ग्रह छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाएं तो ऐसे जातक अहंकार के कारण रिष्तों में दूरी बना लेते हैं वहीं अगर इन स्थानों का स्वामी होकर गुरू जैसे ग्रह हों तो बड़प्पन कायम होता है। अतः यदि लोगों का आपके प्रति सच्चा आदर ना दिखाई दे और आदर का पात्र होते हुए भी आदर प्राप्त न कर पा रहें हो तो कुंडली का आकलन कराकर पता लगा लें कि कहीं जीवन में अहंकार का भाव प्रगाढ़ तो नहीं हो रहा। अथवा सूर्य की उपासना, अध्र्य देकर तथा सूक्ष्म जीवों के साथ असमर्थ की मदद कर अपने जीवन से अहंकार को कम कर जीवन में आदर तथा सम्मान प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही जगत गुरू श्री कृष्ण की पूजा करना, गुरू मंत्र का जाप करना, पीले पुष्प एवं पीले वस्त्र का दान चाहिए। बड़ो का आर्शीवाद लेने से भी अहं का नाश होता है और बड़प्पन आता है।

Sitare Hamare Saptahik Rashifal 30 October To 5 November 2017

Sunday 22 October 2017

बेस्ट आप्सन को चुनने के लिए करायें ग्रहों का आकलन

जीवन में हर मोड़ पर कई दिशाएॅ अथवा हर निर्णय के लिए कई आप्सन होते हैं। कई संभावनावों में से एक का चुनाव करना और उसके लिए अनुकूल प्रयासरत होना तथा उसमें सफल होना ही जीवन की सफलता है। जीवन में हमें ईश्वर द्वारा ‘कर्म संकेत’ मिलते हैं। कर्म संकेत यानी कुदरत आपको अपनी भाषा में कहती है कि ‘अब आप इस विषय पर, इस आयाम पर, अपने जीवन के इस पहलू पर कर्म करें।’ जैसे कोई बालक गणित में तो कमजोर होता है किंतु उसका आर्ट बहुत स्ट्रांग होता है किंतु अभिभावक चाहते हैं कि वह इंजिनियर ही बनें किंतु उसकी रूचि एक संगीतकार बनने की होती है और उसे संगीत नहीं सिखाया जाता अब उसे ना तो इंजिनियरिंग में सफलता प्राप्त होती है और ना ही वह अच्छा संगीतज्ञ बन पाता इस प्रकार वह अपने जीवन में असफल होकर हताश होता है। इसी प्रकार कई बच्चे अच्छा खेलते हैं कि माता पिता चाहते हैं कि वह पढ़ाई में ध्यान लगायें। इसी प्रकार कोई जातक अपनी नौकरी की स्थिति से असंतुष्ट होता है तो कोई पारिवारिक। इस प्रकार कहीं ना कहीं कर्म के कहीं फिल्ड या पसंद नापसंद की जानकारी के बिना किए गए कार्य में व्यक्ति हताश और असफल होता है। अस प्रकार कोई भी कर्म संकेत मिलने के बाद ही कर्म शुरू हो जाना चाहिए, तमोगुण मिटाना चाहिए। जो इंसान सही समय पर कर्म संकेत पहचान कर योग्य कर्म शुरू करता है, वही संपूर्ण सफलता, निरोगीकाया तथा समृद्धि प्राप्त करता है। सामान्यतः कर्म संकेत को पहचानना मुश्किल होता है। इसके पहचाने का एक जरिया है ज्योतिषीय ग्रह विश्लेषण। जब किसी की कुंडली में ग्रहों का स्थापन और ग्रहों के गोचर का अध्ययन किया जाता है तो उसके भविष्य में होने वाली लाभ-हानि, स्वास्थ्य, रिश्तों इत्यादि सभी के बारे में पता चलता है अतः जीवन में आगे क्या करना चाहिए? क्या नहीं करना चाहिए इसका निर्धारण करने के लिए अर्थात् कर्म संकेत जानने के लिए ग्रहों के गोचर का विश्लेषण कराना चाहिए। इसके लिए गुरू, बुध और शनि की स्थिति, उस पर राहु जैसे क्रूर ग्रहों का प्रभाव देखना चाहिए। सहीं कर्म संकेत प्राप्त करने के लिए दत्तात्रेय मंत्र का पाठ, गुरूजनों से आर्शीवाद प्राप्त करने हेतु पीले पुष्प, पीले वस्त्र एवं दाल का दान, सूक्ष्म एवं कमजोर लोगो की मदद तथा सेवा करना चाहिए।

विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए करें ज्योतिषीय समाधान

एक जैसी कठिनाइयां झेलते हुए, एक जैसे दायित्व निभाते हुए, एक जैसी वस्तुएं पसंद या नापसंद करते हुए भी कुछ लोगों में नरमी और सुगम्यता होती है, तो कुछ कठोर और असहिष्णु होते हैं। कुछ प्रफुल्लचित्त होते हैं, तो कुछ उदास रहते हैं। कुछ में आत्मविश्वास होता है, तो कुछ कायर होते हैं। कुछ सब को साथ लेकर चल सकते हैं, तो कुछ ऐसा नहीं कर पाते। इसका ज्ञान सामान्य जीवन में मनुष्य को देखकर नहीं लगाया जा सकता है किंतु किसी व्यक्ति की कुंडली में उसका तीसरा स्थान देखकर इस बात की जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि उसका व्यवहार विषेष परिस्थितियों में कैसा होगा। इसके लिए कुंडली में अगर तीसरे स्थान का स्वामी शनि होकर लग्न, तीसरे स्थान में अथवा छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो ऐसा व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में हताष हो सकता है। इसी प्रकार अगर तीसरे स्थान का स्वामी होकर गुरू तीसरे स्थान में ही हो तो ऐसे व्यक्ति को ज्ञान का अभाव हो सकता है अतः ऐसी स्थिति में उसके जीवन में निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। इसी प्रकार अगर तीसरे स्थान में राहु हो जाए तो निर्णय में यर्थायवाद की कमी होती है और ऐसे लोग जीवनभर अपनी वर्तमान परिस्थिति का आकलन किए बिना निर्णय लेकर परेषान होते रहते हैं। इसी प्रकार अन्य ग्रह योगो आकलन कर वैयक्तिक गुण का आकलन किया जा सकता है और इसके सामान्य वैदिक उपाय लेकर इन परिस्थिति से आसानी से निकला ला सकता है। इसके लिए ग्रह शांति, मंत्रजाप तथा ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। अगर बहुत ज्यादा कठिन दौर हो तो बटुक भैरव मंत्र का जाप 18 दिन तक 11 माला करें, तिल के तेल का दीपक जलाकर, जाप पूर्ण करने के उपरांत काली चिटि़यों के लिए आटा-शक्कर का भोग निकाले और मंत्रजाप पूर्ण होने पर जौ, काले तिल तथा कमलगट्टे से पंचआहुति करें, इससे परिस्थितियाॅ अनुकूल होती हैं।

शिक्षा को आजीविकापरक बनाने का ज्योतिषीय उपाय

जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही रोटी अर्थात रोजगार है, तब हम ऐसी शिक्षा को श्रेष्ठ कह सकते हैं जो इस पहले मोर्चे पर ही असफल साबित हो जाए। निःसंदेह इसका जवाब न में ही हो सकता है। इस आधार और कसौटी पर तौलें तो डिग्री प्राप्त करने से ईतर स्वावलंबन परक शिक्षा की दरकार है। जिस समय नवीन अन्वेषण का समय है। अतः शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ नया करते हुये ऐसी शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए जिससे डिग्री या ज्ञान के साथ-साथ समर्थवान बन सके...
इस वक्त की शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार का स्वरूप दिया जाए, जिससे हर मानव चाहे वह छोटा बच्चा हो, चाहे घरेलू महिला या कामकाजी कोई व्यक्ति, सभी को अपने हिस्से की सद्भावना और सहिष्णुता के साथ उसकी जरूरी आवश्यकता को आसानी से पूरा करने की योग्यता दी जा सके... इस समय हम सब को मिलकर एक नयी व्यवस्था की रचना करनी चाहिए। ये रचनात्मकता देश और दुनिया को शामिल करते हुए बड़े पैमाने पर किया जाए जिसमें सभी शामिल हों और सभी को इससे लाभ हो, बिना किसी नुकसान के, और इसके लिए सभी को इसमें शामिल होने की आवश्यता होगी। इसके लिए जब जन्मकुंडली पर नजर डालें तो तृतीयेश, पंचमेश भाग्येश, एकादशेश की स्थिति इसके साथ गुरू, सूर्य, बुध तथा शनि को अनुकूल करते हुए अनुशासन, दैनिकचर्या और नियमितता के साथ एकाग्रता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, इसके अलावा राहु जैसे काल्पनिक ग्रह जो कि आज के युग की मांग है को अनुकूल करते हुए डिग्री प्राप्त करने के अलावा व्यक्ति की रूचि और व्यक्तित्व को नजर में रखते हुए आजीविका के साधन तैयार करने का प्रयास करना चाहिए। हम सब मिलकर संकल्प करें कि ना सिर्फ सरकार बल्कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति इस दिशा में एक छोटा सा प्रयास जरूर करेगा। व्यवहारिक तथा आत्मनिर्भरता परक शिक्षा एवं बेरोजगारी को कम करने हेतु ना सिर्फ तकनीकी या स्वरोजगार की योजना अपितु ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लेते हुए एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था को आधार बनाते हुए रोटी तथा रोजगार मूलक शिक्षा को बढावा दिया जाए तो भविष्य में आने वाली पीढियों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालंब तो प्राप्त होगा ही उसके साथ मंहगाई तथा भ्रष्टाचार जैसे राक्षसों से भी निजात पाया जा सकता है।

कषाय है अस्वस्थ्य मन का कारण -जाने कुंडली से कैसे दूर करें इसे

किसी भी जातक के तीसरे स्थान से उसका मन देखा जाता है और ग्रहों में चंद्रमा को मन का कारण ग्रह माना जाता है। अगर किसी भी व्यक्ति में तीसरा स्थान और चंद्रमा विपरीतकारक हो अथवा दूषित हो अथवा पापक्रांत होकर छठवे, आठवे या बारहवे स्थान पर बैठ जाए अथवा तीसरे स्थान पर राहु, शनि जैसे ग्रह हों या चंद्रमा इन ग्रहों से अक्रांत होकर छठवे, आठवे या बारहवे स्थान पर हो जाए तो ऐसे में कषाय उपजता है और मन लगातार नाकारात्मक सोच से भरा रहता है। मानव मन की अशांति और तन की अस्वस्थता का मूलमंत्र कषाय है। कषाय से व्यक्ति का चिन्तन, वाणी और व्यवहार प्रभावित होता है परिणाम स्वरूप विविध शारीरिक, मानसिक व्याधियाँ जन्म लेती हैं। कषाय आत्मा का विकार है, व्यक्ति ंिचता, तनाव, कुण्ठा और मनोरोगों (हायपर टेंशन, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर) से ग्रस्त होता है। सुख और शांति तो जैसे कोसों दूर चले जाते हैं। इन सभी का मूल कारण कषाय है। क्रोध, मान, माया और लोभ ये चार कषाय हैं। लोभ के वशीभूत मनुष्य की आकांक्षाएँ बढ़ती जाती हैं, इनकी प्राप्ति के लिए वह माया का सहारा लेता है। आकांक्षाएं पूर्ण होने पर उसे मान होता है, उसमें कोई बाधा हो तो वह क्रोध करता है। किसी कारणवश यदि वह अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति नहीं कर पाता है तो उसे तनाव (टेंशन) होता है या हीन भावना (डिप्रेशन) से ग्रस्त हो जाता है। परिणाम स्वरूप अनेक शारीरिक एवं मानसिक रोग घर कर लेते हैं। रोग और द्वेष से उत्पन्न क्रोध, मान, माया और लोभ ये चार कषाय हैं, जो भाव और विचारों को उत्तेजित कर देते हैं। शारीरिक बीमारियाँ का मूलकारण ही मानसिक तनाव है। मनोविज्ञान भी स्वीकार करता है कि बीमारियों का असली कारण है मानसिक विकार या भावों का अशुभ होना और चार कषायों को आध्यात्मिक व्याधि कहा है। इस प्रकार कषाय ही अस्वास्थ्य, अमाया और अशांति का कारण है। कषाय को दूर करने के लिए चंद्रमा की शांति हेतु शिव पूजा करनी चाहिए, चंद्र को अध्र्य देकर, किसी योग्य को आहार कराने के उपरांत व्रत का पारण करना, ओं के मंत्र का जाप तथा दूध चावल का दान करना चाहिए। इससे कषाय दूर होता है।

दुख का विलाप ना बनायें पूजा -खुशियों का उत्सव है

जैसे हम जीवन में अच्छे पल को यादगार बनाना चाहते हैं और अपने इन बेहतरीन पल मेें उत्सव करते हैं और अपने लोगों को एकत्रित कर उत्सव मनाते हैं जैसे विवाह, बच्चे का जन्म, दिपावली या होली जैसे त्योहारो का मनाना अथवा जन्मदिन अथवा विवाह की सालगिरह का उत्सव मनाकर खास बनाते हैं और वहीं जब भी हम परेशान या कष्ट में होते हैं अथवा अपने जीवन में असफलता अथवा दुख का सामना कर रहे होते हैं तो पूजा-पाठ या तीर्थयात्रा करते हैं। किंतु कहा गया है कि दुख में सुमरन सब करें सुख में करें ना कोई, जो सुख में सुमरन करें तो दुख काहें को होई। अथार्त यदि हम जीवन में सुख तथा खुशियों में भी समस्त प्रकार की पूजा अथवा यज्ञ करें तो जीवन में कष्ट ही ना हों अतः जब भी आपके जीवन में सुख या कोई खुशियों का पल आये ंतो ईश्वर को धन्यवाद दें और अपने जीवन में कष्ट को दूर रखने हेतु विभिन्न पूजा अथवा यज्ञ करें जिसे आप अपने दुख के समय करने के प्रयोजन करते हैं। इससे आपके जीवन में कभी भी दुख का समावेश नहीं होगा। इस प्रकार आपका कोई भी खास पल हो ईश्वर को याद जरूर करें तथा पूजा करें तो दुख से हमेशा दूर रहेंगे कहा भी गया है कि विपद विस्मरणं विष्णोः सम्पन्नारायणस्मृतिः ॥
विपत्ति यथार्थ में विपत्ति नहीं है, सम्पत्ति भी सम्पत्ति नहीं। भगवान का विस्मरण होना ही विपत्ति है और सदैव उनका स्मरण बना रहे, यही सबसे बड़ी सम्पत्ति है। अतः सुख या संपत्ति के समय ईश्वर याद रहें तो विपत्ति नहीं आयेगी और ईश्वर हमेशा पास रहेंगे। इसके लिए विष्णु की पूजा करना, अन्न का दान करना तथा जरूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए।

लगाव और समर्पण है मानव को ईश्वरीय देन

मानवीय शक्तियों में प्रेम को सबसे बड़ी शक्ति माना गया है। प्रेम में मनुष्य का जीवन बदल देने की शक्ति होती है। प्रेम के प्रसाद से मनुष्य की निर्बलता और दरिद्रता, शक्तिमत्ता और सम्पन्नता में बदल जाती है। किसी भी कठोर से कठोर और हृदयहीन व्यक्ति को भी लगाव और समर्पण से बदला जा सकता है। प्रेम मनुष्य जीवन का सर्वश्रेष्ठ वरदान माना गया है। किसी व्यक्ति को लगाव या समर्पण प्राप्त हो तो वह सफल संतुष्ट होता है फिर चाहे जैसी भी परिस्थिति हो, हॅसकर सभी परेशानियों से निजात पाना आसान होता है अगर अपने लोग विश्वास करते हों, लगाव रखते हों और रिश्तों में समर्पण हो तो जीवन सुखमय हो जाता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में बारह भाव बारह प्रकार के रिश्तों को दर्शाता है तो वहीं जिस भी भाव अथवा रिश्तों से लगाव अथवा समर्पण देखना हो तो उस स्थान को देखना चाहिए। कुंडली के विश्लेषण से...किसी जातक की कुंडली में अगर किसी भी स्थान का स्वामी अपने स्थान छठवे आठवे या बारहवे स्थान पर हो तो उसे स्थान से संबंधित प्रेम की प्राप्ति नहीं होती क्योंकि किसी वस्तु या व्यक्ति से सुख तथा आनंद की प्राप्ति ही प्रेम है। इसलिए जैसे किसी की कुंडली में दसम स्थान का स्वामी लग्न या भाग्य स्थान से अनुकूल संबंध ना बनाये तो उस व्यक्ति को अपने पिता, बाॅस, कार्य तथा अवसर की अनुकूल प्राप्तियाॅ नहीं होगी जिससे उसे सुख तथा आनंद नहीं प्राप्त होगा अतः यदि दसमेश छठवे, आठवे या बारहवे स्थान पर हो जाए या क्रूर ग्रहों से पापक्रांत हो तो उसे पिता का प्रेम प्राप्त नहीं होगा तथा कार्य का सुख भी प्राप्त नहीं होगा। इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति का पंचमेश या सप्तमेश प्रतिकूल हो तो उसे पार्टनर का प्रेम, लगाव और समर्पण प्राप्त होने में बाधा आयेगी। इस प्रकार सुख तथा आनंद की प्राप्ति ही प्रेम है और यदि इसे संपूर्ण तौर पर प्राप्त करना चाहते हैं तो अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर पता करें कि आपके जीवन में किस प्रकार के सुख या प्रेम की कमी है और उस प्रेम को प्राप्त करने के लिए उससे संबंधित ग्रह की शांति जिसमें ग्रह दान, मंत्रजाप तथा रत्न धारण करना चाहिए।

Ahankar ko kaise dur karen ? अहंकार को कैसे दूर करें ? !! Astrology Sita...

Tuesday 17 October 2017

मातामह श्राद्ध

मातामह श्राद्ध अपने आप में एक ऐसा श्राद्ध है जो एक पुत्री द्वारा अपने पिता को व एक नाती द्वारा अपने नाना को तर्पण किया जाता है। इस श्राद्ध को सुख शांति का प्रतीक माना जाता है। पिता के जीवित होने पर भी नाना का श्राद्ध किया जा सकता है.
श्राद्ध विधि -
गरुड़ पुराण के अनुसार इस श्राद्ध के दिन दोपहर के समय पूजा शुरु करनी चाहिए। अग्निकुंड में अग्नि जलाकर या उपला जलाकर हवन करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण या योग्य पंडित की सहायता से मंत्रोच्चारण करने चाहिए। पूजा के बाद जल से तर्पण करना चाहिए। इसके बाद गाय, काले कुत्ते और कौए के लिए ग्रास (उनका हिस्सा) निकाल देना चाहिए। इन्हें भोजन देते समय अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए और मन ही मन उनसे निवेदन करना चाहिए कि आप आएं और यह श्राद्ध ग्रहण करें। पशुओं को भोजन देने के बाद तिल, जौ, कुशा, तुलसी के पत्ते, मिठाई और अन्य पकवान ब्राह्मण को परोस कर उन्हें भोजन कराना चाहिए। भोज कराने के बाद ब्राह्मण को दान अवश्य देना चाहिए।
पितरों का श्राद्ध अगर गया या गंगा नदी के किनारे किया जाए तो सर्वोत्तम होता है। ऐसा ना होने पर जातक घर पर भी श्राद्ध कर सकते हैं। पितृ पक्ष के दौरान जिस दिन पूर्वजों की मृत्यु की तिथि हो उस दिन व्रत करना चाहिए। इस दिन खीर और अन्य कई पकवान बनाने चाहिए। मान्यता है कि जो व्यक्ति नियमपूर्वक श्राद्ध करता है वह पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है। पितृ श्राद्ध पक्ष में किए गए दान और श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं और जातक को सदैव स्वस्थ, समृद्ध और खुशहाल होने का आशीर्वाद देते हैं।