Tuesday, 14 April 2015

युवा क्षमता प्रोन्नयन से नवीन सृष्टि का निर्माण


प्रोवाइजेशन अव्यवस्था, अराजकता व विपरीत परिस्थितियों का विवेकपूर्ण समाघान का तकनीक है। वास्तव में संपूर्ण जीवन एक प्रयोगशाला है तथा इंप्रोवाइजेशन मनुष्य के द्वारा विषमताओं का अविष्कृत समाधान है। भारतीय परिवेश में यह अत्यंत समीचीन संदर्भित एवं आवश्यक है, अर्वाचीन मंगलयान के निर्माण इंप्रोवाइजेशन का सटीक उदाहरण है। इसे ज्योतिषीय नजरिये से देखें तो इस वक्त जब उच्च के बृहस्पति एवं शनि हैं तो इस समय समाज को प्रोन्नयन की नितांत आवश्यकता है साथ ही यहीं वह समय है, जब प्रोन्नयन द्वारा नवीन सृष्टि का निर्माण संभव है। और इसे सीखने के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि प्रोन्नयन सीखा नहीं जाता वरन किया जाता है अत: देश को प्रोन्नयन या नवाचार की जरूरत है जिसे इसी जगह पर रहकर किया जा सकता है। युवा ही इस कर्म को पूर्ण कर सकते हैं। आज के युग में मानव जीवन, वैज्ञानिक उपलब्धियों और उन सब का दैनिक जीवन में उपयोग पर आधारित है। अत: लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं नवीन तरीके अपनाने की प्रवृत्ति और उनसे संबंधित मामलों पर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भागीदारी हेतु उन्हें सक्षम बनाना अनिवार्य हो गया है। हम अपने परम्परागत ज्ञान का ना सिर्फ संरक्षण करें बल्कि इस परम्परागत ज्ञान का प्रौधोगिकी विकास, नये रोजगारों के सृजन एवं औद्योगिकरण के क्षेत्र में उपयोग के साथ अभूतपूर्व अवसर भी प्रदान करें और उन अवसरों का फायदा उठाने के लिए मानव संसाधन को नए ढंग से विकसित करने का प्रयास करें। इंप्रोवाइजेशन ना सिर्फ आज की आवश्यकता है बल्कि आने वाली पीढिय़ों के लिए भी जरूरी होगा कि वे नए विचारों को सतत् सृजनशीलता के साथ आत्मसात कर सकें, यह सब ना सिर्फ शिक्षा के द्वारा बल्कि नवीन प्रयोग तथा उनके उपभोग से ही संभव है। बाजार के असीमित अविनियमन के कारण तथा इसके प्रतिकूल प्रभावों पर ध्यान न देने से अब तक बचे हुए भौतिक संसाधन भी अपने अंत की ओर अग्रसर हैं अगर हम अभी से स्थानीय स्तर पर मौजूद संसाधनों का सदुपयोग कर साथ ही वर्तमान में प्राप्त ऊर्जा, उत्पादन, परिवहन व्यवस्था, भोजन और पानी की व्यवस्थाओं के लिए नयी प्रौद्योगिकी तथा पद्धति के विकास पर ही ध्यान केन्द्रित करें, जिन सब का विकास संरक्षित ज्ञान आधारित तरीके के साथ नवीन प्रयोग करने से ही होगा। वर्तमान आर्थिक एवं वैश्विक संकट के दोनों पहलुओं, मुनाफा बनाने के लिए वित्तीय तथा प्रौद्योगिक नवाचार को कायम रखने तथा ठोस संसाधनों और इनसे सम्बंधित अभियांत्रिकी का दोहन करने का समाधान खोजना चाहिए, जिनका दोष हर बार रोजगार मूलक शिक्षा में कमी के कारण को दिया जाता रहा है। प्रतिस्पर्धात्मक ज्ञान, अर्थव्यवस्था का क्षेत्र है। ऐसी स्थिति जिसमे नवाचार एवं संसाधनों की सुरक्षा हेतु शोध एवं प्रौद्योगिकीय विकास की बात करना आर्थिक एवं राजनैतिक तौर पर मजबूत बनने के लिए जरूरी बन गया है। ये नीतियां जनता के गमनागमन तथा इसके माध्यम से प्राप्त हो सकने वाले नवीनीकरण पर आक्रामक नियंत्रण तथा ज्ञान को औपचारिक शोध एवं सामुदायिक औजार के रूप में मान्यता प्राप्त ज्ञान से सम्बद्ध कर देने से रास्ता निकाला जा सकता है। आज का युवा वर्ग देश की बढ़ती हुई बेरोजगारी से पूर्णत: वाकिफ है। जहाँ निजी क्षेत्र में वेतन बहुत कम है वहीं उच्चतर पेशेवर शिक्षा महंगी होती जा रही है साथ ही किसी प्रकार उस शिक्षा को प्राप्त करने के बावजूद भी जीवनचर्या हेतु आवश्यक संसाधन जुटाया जा सके यह कोई जरूरी नहीं। रोजगार प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। छात्रों में योग्यता व रोजगार के लिए बढ़ती हुई होड़ से परेशानी व हताशा हैं। उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है बल्कि अपने आस-पास मौजूद संसाधनों में से एक विकल्प उन उत्साही, संघर्षशील व परिश्रमी युवाओं के लिए खुला है जिनकी या तो नौकरी में रुचि नहीं है या इस प्रतियोगी युग ने अपने लिए बढिय़ा-सा रोजगार हासिल करने में स्वयं को असमर्थ महसूस करते हैं। इसमें आपको नौकरी की तलाश में दर-दर भटकना भी नहीं पड़ेगा बल्कि आप अपने स्वयं मालिक होंगे। अपनी रुचि, प्रतिभा व क्षमता के मुताबिक अपने क्षेत्र का चयन कर सकते हैं। जिसके लिए आपकी शैक्षिक व पेशेवर योग्यताएं आपके उज्जवल भविष्य की राह में मददगार साबित होंगी। क्षेत्र इतना व्यापक है कि आकाश भी छोटा पड़ जाए। स्वरोजगार का व्यापक क्षेत्र है। इसमें आप अपनी योग्यता तथा पसंद के अनुसार अपने बजट के मुताबिक क्षेत्र चुन कर अपने जैसे युवाओं के साथ मिलकर उस क्षेत्र में नवीन तकनीक तथा संसाधनों के साथ इंप्रोवाइजेशन करने की शुरू कर सकते हैं, यह इंप्रोवाइजेशन ना सिर्फ विदेश की ओर दृष्टि रखें हुए लोगो का बल्कि विभिन्न साधनों पर आश्रित युवाओं को एक दिशा देगा जो कि सिर्फ सरकारी या निजी कंपनियों में कार्यरत होने की आकांक्षा रखते हैं और पूरा जीवन जिंदगी की आपाधापी में गुजार देते हैं, उन युवाओं को अपने स्थानीय स्तर पर प्राप्त सामान्य साधन तथा उसपर नवीन तकनीक का विकास कर बदलाव लाने की आवश्यकता है, अब जब वृश्चिक के शनि हैं इस वक्त ही व्यक्ति अपने निजी जीवन तथा समाजिक जीवन में नवाचार कर सकता है तथा उच्च के कर्कगत वृहस्पति होने से उस नवाचार द्वारा सफलता पायी जा सकती है, जिससे ना सिर्फ उनका भला होगा, बल्कि देश में विकास की लहर आयेगी और जिससे ना सिर्फ स्वयं का बल्कि एक समूह के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता है और यही नवाचार या प्रोन्नयन ही देश के विकास में सहभागी होकर दिशा तथा दशा बदल सकता है और इसे करने के लिए कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है, इसे अपनी ही धरती पर किया जा सकता है, और यही देश तथा यहा के युवाओं के भविष्य को संरक्षित करेगा।

Pt.P.S Tripathi
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