Monday 13 April 2015

दो मुट्ठी अनाज की बचत


किसी गांव में एक किसान रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी, जिसमें वह अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण करता था। किसान प्रत्येक साल के लिए अनाज उगाकर उससे आसानी से अपना और अपने परिवार के लिए अनाज की व्यवस्था कर लेता था। इस बार बरसात ठीक ना होने से उसके यहां फसल कम हुई। वह फसल कम होने की वजह से चिंतित था। घर में राशन अगले ग्यारह महीने चल सके, उसके पास फसल उतना ही था। बाकी एक महीने का राशन का कहां से इंतजाम होगा। यह चिंता उसे बार-बार सता रही थी। किसान की बहू बहुत समझदार और किफायत से चलने वाली थी तथा उसका ध्यान सबकी ओर बराबर होता था। उसने लगातार अपने ससुर को परेशान होते देखा तब उसने अपने ससूर से परेशानी का कारण जानने की सोची। एक दिन उसने समय देख कर अपने ससुर से पूछा?
पिताजी मैं कई दिनों से आपको देख रही हंू, आप आजकल ठीक से भोजन भी नहीं करते और ना ही ठीक से सोते हैं। आप लगातार आजकल कुछ सोचते रहते हैं और किसी बात को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। अगर आप अपनी परेशानी को हमसे कहेंगे तो हो सकता है कि कुछ समाधान निकाल सकें। तब किसान ने अपनी चिंता का कारण बहू को बताया, कि बहु इस बार बारिश कम होने से फसल कुछ कम हुई है, जिससे मेरा अनुमान है कि ये धान पूरे साल भर तक हमारे आहार के लिए कम हो सकता है, मेरे अनुमान के अनुसार ग्यारह माह तो आराम से चल जायेगा किंतु एक माह के अनाज की व्यवस्था के लिए मैं क्या करूं। इसका हल मुझे नहीं समझ आ रहा और मैं बस इसी को लेकर परेशान हूं। किसान की बात सुनकर बहू ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह किसी बात की चिंता न करें। उस एक महीने के लिए भी अनाज का इंतजाम हो जाएगा।
जब पूरा वर्ष उनका आराम से निकल गया तब किसान ने पूछा कि आखिर ऐसा कैसे हुआ? बहू ने कहा- पिताजी जब से आपने मुझे राशन के बारे में बताया तभी से मैं जब भी रसोई के लिए अनाज निकालती उसी में से एक-दो मु_ी हर रोज वापस कोठी में डाल देती। बस उसी की वजह से बारहवें महीने का इंतजाम हो गया। ससुर बहुत खुश हुआ और बहू को शाबासी दी। कभी-कभी जीवन में बचत की आदत वक्त आने पर बहुत बड़ा लाभ देती है। जैसे किसान की बहू की किफायत ने उनके बारहवें महीने के लिए अन्न की व्यवस्था की।

Pt.P.S Tripathi
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