Tuesday 28 June 2016

कहीं आपको शक की बीमारी तो नहीं: जाने इसके ज्योतिषय कारण व उपाय

सामाजिक, पारिवारिक और दांपत्य जीवन में विश्वसनीयता बहुत आवश्यक है। यदि छोटी-छोटी बातों पर शक उत्पन्न हो गया तो रिश्तों में कड़वाहट और दरार पैदा हो जाती है। बात-बात पर शक करने के कारण किसी से भी नहीं बनती, कोई अपना नहीं होता या महसूस नहीं हो पाता जिसके फलस्वरूप मानसिक तनाव, अकेलापन तथा अविश्वास के कारण स्वस्थ्यगत परेशानियाॅ भी बढ़ जाती है। शक का कारण अगर हम ज्योतिषीय गणना द्वारा देखें तो शक बहुधा कमजोर मानसिकता को दर्शाता है। अतः यदि किसी का लग्नेश या तृतीयेश छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए अथवा तीसरे स्थान का स्वामी क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत हो, तो ऐसे जातक को शक करने की आदत होती है। इसी प्रकार अगर किसी के लग्न, तीसरे अथवा एकादश स्थान का स्वामी बुध होकर विपरीतकारक हो तो नाकारात्मक विचार के कारण सभी को शक की नजर से देखते है। इसी प्रकार अगर शनि द्वादशेश या तृतीयेश होकर तीसरे स्थान पर प्रभाव डालें तो ऐसे लोगों को झूठ बोलेने की आदत होती है और ऐसे लोग दूसरों पर भी शक करते हैं। इसी प्रकार अगर शनि इन स्थानों पर होकर जिस स्थान पर दृष्टि डालता है, उस स्थान से संबंधित व्यक्ति पर शक की सुई ज्यादा गहरी होती है। इस प्रकार यदि बात-बात शक हो और कई बार इस शक के कारण अपमानित महसूस कर रहे हों तो तृतीयेश को मजबूत बनाने के लिए तीसरे स्थान के ग्रह की शांति, मंत्रजाप तथा दान करना चाहिए। इसके अलावा शनि हेतु शनि के मंत्रों का जाप, काली चीजों का दान तथा जामुनिया धारण करना चाहिए।

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