Monday 4 July 2016

जीवन धन को कैसे करें सुरक्षित- जाने कुंडली से

संसार में जितने भी धन हैं उन सबसे श्रेष्ठ जीवन- धन है। जीवन- धन के लिए ही अन्य सारे धन की उपयोगिता एवं आवश्यकता है। जीवन-धन ना रहा तो अन्य धन किसके लिए और किस काम के। जीवन-धन के सामने अन्य सारे धन तुच्छ हैं। कहा जाता है हीरा सरीखा जीवन, संसार का संपूर्ण ऐश्वर्य इसके मामने तुच्छ है। रुपये, पैसे, जमीन-जायदाद आदि जो धन माने गये हैं मनुष्य उनकी कीमत तो समझता है, परंतु जिस जीवन- धन के लिए इन धनों की आवश्यकता है उसकी कीमत नहीं समझता। बाहरी धन का एक-एक पैसा मनुष्य बहुत सोच-समझकर खर्च करता है, किन्तु जीवन-धन को बिना सोचे खर्च करता रहता है। इसे व्यर्थ ही नहीं अनर्थकारी कर्मों में लगाता रहता है। अन्य धनों की तो मनुष्य बहुत सुरक्षा करता है, परंतु जीवन- धन की सुरक्षा के लिए वह चिंतित नहीं होता। जीवन-धन को बेहतर तरीके से प्रयोग करने एवं सुरक्षित रखने के लिए व्यक्ति को अपनी कुंडली का विश्लेषण कराना चाहिए। इसमें विशेष कर लग्न, तृतीयेश, पंचमेंष, सप्तेश, भाग्येश एवं एकादशेष के ग्रह एवं इन स्थानों के ग्रह स्वामी की स्थिति यदि अनुकूल होती है तो व्यक्ति का स्वास्थ्य, मन, एकाग्रता, साथ, भाग्य एवं दैनिक जीवन के सुख-दुख अनुकूल होता है और यदि प्रतिकूल हो तो जीवन में इनसे संबंधित कष्ट आता है। जीवन में सभी सुख तथा साधन हेतु इन स्थानों में से जो स्थान अथवा ग्रह प्रतिकूल हों तो उसे अनुकूल करने हेतु ग्रह शांति कराने के लिए संबंधित ग्रह का मंत्रजाप, दान एवं हवन-पूजन कराना चाहिए।

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