Tuesday, 14 April 2015

Know your ability by own self


If guru or shubh grah is favorable in lagan then person itself goes in the way of knowledge and spiritualism. If you do not have influence on this sin and self-motivation of individual learning is self-exertion. if guru was in contact with third place or budh then with voice or with their words they can get success. And if guru was in favorable with shukra then art is the key to success. And if it is favorable with moon then writing would key to success. So if guru was in good position then it is helpful in success in life. And if guru was in tenth place then father and mother can give a way to success.
If guru was in sixth, eighth, twelfth house then person will be deprived with guru.If rahu or shani like planets was in lagan then child will work with their own choice and did not obey the rules of their parents due to which child goes in wrong way and he/she completely destroys their future. In this type of situation go to intelligent astrologer and show his/her horoscope and take remedies from him.

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चरित्र और ज्योतिष

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गृह शान्ती प्रकृति द्वारा

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रणबीर कपूर




रणबीर कपूर का जन्म साठ के दशक के सुपर स्टार राज कपूर के परिवार में हुआ। कपूर परिवार ने फिल्मों में कई दशक देखें और फिल्मी इतिहास में अपने नाम की ख्याति पूरे विश्व में फैलाई। उसी परिवार में रणबीर का जन्म 28सितंबर 1982 को बॉम्बे में श्रवण नक्षत्र में हुआ। रणबीर की कुंडली के अनुसार सूर्य ने उन्हें अच्छी पर्सनालिटी दी और बनाया। मंगल एवं चंद्र ने भ्रमणशील के साथ-साथ फिल्मों में कदम जमाए। बुध जन्म के समय कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, उसने भी धनवान बनाया एवं प्रसिद्धि दिलाई। सूर्य और शुक्र के साथ में होने से रणबीर को वैसी सफलता प्राप्त होने में बाधा है जैसे उसके उम्र के अन्य युवा हैं। भाग्येश चंद्रमा जिस भाव में विराजमान है, यह आपको भाग्यशाली बनाता है। जन्म के समय शनि कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, वह आपको उच्च स्थान दिलाता है। आपका जन्म चंद्र की महादशा में हुआ है। वर्तमान में गुरू की महादशा चल रही है, जिसमें पूरे वर्ष भर गुरू की ही अंतरदशा चलेगी। वर्तमान में आपके लिए विवाह का समय चल रहा है साथ कार्य क्षेत्र में सामान्य सफलता दायी है। विशेष उल्लेखनीय कार्य जिसके लोग लंबे समय तक याद करें ऐसा करने में अभी समय है, अभी सीखने और बढने का समय है। इस वर्ष सितंबर माह कुछ खास नहीं रहेगा। अक्टूबर अच्छा रहेगा। नवंबर व दिसंबर मध्यम रहेगा। अप्रैल स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं रहेगा। मई से जून अच्छा लाभ वाला रहेगा। जुलाई मध्यम रहेगा। अगस्त ठीक रहेगा। रणबीर कपूर को पन्ना एवं पुखराज का लॉकेट धारण करना फिल्मी दुनिया में फायदेमंद साबित होगा। साथ ही उच्चतम सफलता दिलाएगा।

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दीपिका पादुकोण


फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का जन्म 5 जनवरी 1986को तुला लग्न व तुला राशि में हुआ। दीपिका का फिल्मी सफर फिल्म ओम् शांति ओम् से शुरू हुआ। दीपिका की सफलता का राज पंचमेश शनि का तृतीय दृष्टि से देखना कहा जा सकता है। लग्न का स्वामी शुक्र गुरु की राशि धनु में पराक्रम भाव में स्थित है। शुक्र, सूर्य व भाग्येश बुध के साथ है। शुक्र के साथ सूर्य व भाग्येश बुध की युति कला जगत से प्रचुर आय दर्शाती है। मंगल की उच्च दृष्टि चतुर्थ भाव पर है यही जनता के बीच प्रसिद्धि का कारण है। गुरु चतुर्थ भाव में नीच का है। गुरु पर शनि की दृष्टि से गुरु का नीच भंग हुआ। गुरु के शुभपरिणाम से ही दीपिका को खूबसूरती और गरिमा के साथ मनचाही सफलता मिली है। दीपिका की पत्रिका मांगलिक भी है। लग्न में मंगल के साथ केतु व चन्द्र का होना दाम्पत्य जीवन के लिए कष्टप्रद होता है। वर्तमान में उच्च शनि का गोचरीय भ्रमण लग्न से होने से दीपिका को नवंबर तक शानदार सफलता मिलेगी। इस दौरान कोई खुशखबरी भी मिल सकती है। पत्रिका में कालसर्प योग है जो बाधक भी बनता है। दीपिका को कालसर्प योग की शांति कराना उचित रहेगा। दीपिका के लिए सिल्वर, आसमानी रंग शुभ रहेंगे। हीरा व पन्ना पहनना शुभ फलदायी रहेगा।

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सैफ अली खान


सैफ का जन्म 16अगस्त को शुक्ल योग, श्रवण नक्षत्र में हुआ, जिसने उन्हें लोक-विख्यात बनाया। जन्म के समय सूर्य का कर्क राशि पर परिभ्रमण सैफ को उग्र स्वभाव का बनाता है। यह योग संघर्ष तो कराएगा, परंतु सफलता भी दिलाएगा। सैफ की पत्रिका के अनुसार मंगल तथा शुक्र की स्थिति आर्थिक दृष्टि से संपन्न बनाता है। साथ ही मितभाषी स्वभाव का बनाता है। शुक्र-शनि सैफ को तीव्र बुद्धि वाला बनाता है। राहु एवं केतु मानसिक एवं शारीरिक तकलीफ दे सकता है। सैफ का जन्म चन्द्र की महादशा में हुआ है। जिसका भोग्यकाल 7 वर्ष 4 माह 5 दिन रहा। वर्तमान में गुरु की महादशा चल रहा है। इसकी अवधि 21.12.2002 से 21.12.2018तक रहेगी। गुरु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा और अप्रेल के बाद चंद्रमा की अंतरदशा शुरू होगी जो 2015 साल भर रहेगी। आगामी अप्रेल माह के बाद स्वास्थ्य संबंधी कष्ट का समय होगा। सितंबर अच्छा रहेगा। अक्टूबर, नवंबर 2015 मध्यम रहेगा। दिसंबर माह सैफ के लिए लाभकारी हो सकता है। अत: उन्हें राहु की शांति कराना चाहिए। साथ ही गोमेद धारण करना चाहिए।

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कैटरीना कैफ


कैटरीना कैफ का जन्म 16जुलाई 1984 को कुंभ चन्द्र लग्न में, हांगकांग में हुआ। कैट के जन्म के समय कला का कारक शुक्र, चतुर्थ (सुख भाव) से संबंध भी रखता है एवं नवम (भाग्य भाव) से संबंध होकर पंचम (मनोरंजन भाव) के स्वामी बुध के साथ होता हुआ, सप्तम सूर्य के साथ है, जो षष्ट (शत्रु भाव) में विराजमान है। जन्म दिन के समय शुक्र गोचर में वृषभ राशि में होकर गुरु-चन्द्र-केतु से युति कर रहा है। इस वजह से यह वर्ष फिल्मों के लिए अति लाभदायक साबित होगा। बस आगामी महीनों में उन्हें प्रत्येक कार्य में सावधानी रखना होगी। क्योंकि कैट की पत्रिका में शनि जहां उच्च का होकर नवम (भाग्य भाव) में, चन्द्र, मंगल के साथ है व जन्म के समय भी साथ-साथ ही है जो अकस्मात घटना को जन्म दे सकती हैं। कैट को पुखराज धारण करना चाहिए, जिससे आने वाला समय शानदार रहेगा।

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अमिताभ बच्चन


कवि हरिवंशराय बच्चन के पुत्र अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को कुंभ लग्न तुला नवांश तुला राशि में इलाहबाद में हुआ। किसे मालूम था कि साधारण-सा दिखने वाला एवं बैंक में क्लर्क की नौकरी करने वाला कभी फिल्मी इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराएगा। लग्न कुंभ है। यह स्थिर व पृथ्वी तत्व प्रधान लग्न है। कुंभ लग्न में केतु स्वभाव से जिद्दी भी बना देता है व आवाज में भारीपन आ जाता है। अमिताभ आवाज के दम पर ही फिल्मों में सफल भी रहे। पंचम (मनोरंजन भाव) का स्वामी नीच के शुक्र के साथ है जो भाग्य के साथ सुख भाव का भी स्वामी है। इससे नीच भंग योग बन रहा है। यह योग जीवन में उतार-चढ़ाव के बाद सफलता का मुकाम देता है। भाग्ये शुक्र के सूर्य के प्रभाव में होने से शुक्र की दशा अथवा अंतरदशा में अमिताभ के जीवन में कई प्रतिकूल हालात आए। राजनीति में असफलता के अलावा फिल्मों में भी असफलता का दौर देखा। लेकिन अमिताभ की जीवटता ने ही उन्हें कामयाब बनाया। इसका कारण पंचम (मनोरंजन भाव) का स्वामी उच्च होकर दशमेश व पराक्रमेश के साथ होना भी इसका कारण रहा। राहु की महादशा में शनि की अंतरदशा मार्च, 2013 से ही चल रही है जो मार्च, 2016तक चलेगी, लग्नेश शनि चतुर्थ स्थान में है अत: इस समय कार्य के क्षेत्र में अच्छी सफलता का योग चल रहा है किंतु पारिवारिक स्थिति तथा स्वास्थ्य कुछ चिंता का कारण दे सकता है। शनि का रत्न नीलम धारण करना चाहिए।

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सलमान


सलमान खान का जन्म 27 दिसंबर 1965 को हुआ। सलमान खान के तीसरे स्थान में राहु होने से जन्म के समय उन्हें पारिवारिक कष्टों का सामना करना पड़ा। किंतु भाग्येश मंगल के आयस्थ होने से एक उच्च सम्मान एवं आर्थिक संपन्न प्रदान करता है। कुंडली में चंद्र जिस स्थान पर विराजमान है वह हर सुख प्रदान करता है। सुंदर शरीर का साथ देता है। चंद्र जिस राशि पर स्थित है वह सलमान को कभी-कभी कानूनी परेशानी में डाल देता है। मंगल के कारण पराक्रम में एवं सुख में अद्वितीय होते हुए भी ऐश्वर्य का सुख नहीं भोग पाता। कही-कहीं उलझन में फँस जाता है। बुध की कुंडली में स्थिति सलमान को राजनीति में सफलता दिला सकती है। अपनी छवि को बनाए रखने के लिए हमेशा अपने इष्टस की आराधना करते रहना चाहिए। कुंडली में गुरु की स्थिति सुंदर शरीर के साथ आकर्षक व्यक्तित्व भी देती है। कुंडली में स्थित शनि बहुत जिददी और प्रेमी बनाता है। किंतु यही शनि चंद्रमा वैवाहिक सुख में बाधक भी है। सलमान का जन्म मंगल की महादशा में हुआ है। जिसका भोग्यकाल 4 वर्ष 8माह 20 दिन का रहा। वर्तमान में शनि की महादशा चल रही है, जिसका भोग्यकाल 17-9-2004 से 17-9-2023 तक रहेगा। शनि की महादशा में वर्तमान में चंद्रमा की अंतर्दशा एवं सितंबर से मंगल की अंतरदशा रहेगी। चंद्रमा की अंतरदशा में कानूनी विवाद के चलते विपरीत फल प्राप्त हो सकता है किंतु भाग्येश मंगल की अंतरदशा शुभ फल दायी होगी। मूंगा धारण करना चाहिए।

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आमिर खान


80 का दशक फिल्म उद्योग के लिए बेहद उलट-पुलट का दौर माना जाता है। ये दौर पुराने सितारों के क्षीण होने और नए सितारों के जन्मने का दौर था। अमिताभ बच्चन, सन्नी देओल, मिथुन चक्रवर्ती, विनोद खन्ना समेत कई सितारे जमीन पर आ गिरे। इन सितारों की फीकी चमक में एक नए सितारे ने जन्म लिया। 1 मार्च 1988को प्रदर्शित हुई कयामत से कयामत तक ने फिल्म उद्योग को आमिर खान के रूप में ऐसा सितारा दिया, जिसकी चमक आज तक बरकरार है। सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पित आमिर भारतीय बच्चों की बेहतरी के साथ सत्यवमेव जयते जैसे सामाजिक हित के साथ शिखर पर विराजमान आमिर अब बादलों को चीर कर आगे बढ़ जाना चाहते हैं। आमिर खान का जन्म 14 मार्च 1965 को कुंभ लग्न मीन के नवांश और कर्क राशि में मुंबई में हुआ। किसे मालूम था कि सामान्य प्यार में जान दे देने वाले युवा का किरदार करने वाला कभी फिल्मी इतिहास के पन्नों के साथ सामाजिक हित के कार्य में अपना नाम दर्ज कराएगा। लग्न कुंभ है और लग्र में शनि तथा तीसरे स्थान में सूर्य उन्हें हर काम में परफेक्शनिस्ट बनाता है वहीं एक जिद भी देता है, जिसके कारण उनसे निभाना बहुत आसान नहीं है। सूर्य की महादशा में राहु की अंतरदशा नवंबर, 2014 से चल रही है जो अक्टूबर, 2015 तक चलेगी, अत: इस समय कार्य के क्षेत्र में अच्छी सफलता का योग चल रहा है किंतु चतुर्थस्थ राहु के कारण पारिवारिक स्थिति तथा स्वास्थ्य संबंधी कष्ट दे सकता है। माणिक धारण करना चाहिए।

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प्रियंका चोपड़ा


प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और मिस इंडिया रह चुकी प्रियंका चोपड़ा का जन्म 18जुलाई 1982 को वृषभ राशि में हुआ। लग्र में शुक्र व बुध राहु के साथ होने से उत्तम कदकाठी के साथ सुंदर और कला के सभी गुण मौजूद हैं। चन्द्र लग्न से पराक्रम भाव में सूर्य साहसी बनाता है। मनोरंजन भाव पंचम का स्वामी बुध, शुक्र के साथ है। प्रियंका की पत्रिका में जन्म के समय चन्द्र लग्न से पंचम भाव में शनि-मंगल की युति होने से लंबे समय तक उनका फिल्मों में बने रहना कुछ कठिन है। यादगार अभिनेत्रियों की कतार में आना भी असंभव ही है। शनि भाग्य व कर्म का स्वामी भी है। इन सब दृष्टि से देखा जाए तो दांपत्य जीवन में बाधा का सामना करना पड़ेगा।
वर्तमान में गुरु का गोचर भ्रमण मिथुन राशि से द्वितीय भाव से हो रहा है। यह गोचर आयु भाव पर स्वदृष्टि का रहने से स्वास्थ्य व आयु के मामलों में ठीक रहेगा। किंतु फिल्मी कैरियर में सफलता में बाधा दे सकता है। हीरा धारण करना विशेष लाभकारी होगा।

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रणवीर सिंह कितने कर्मठ


रणवीर सिंह का जन्म 6जुलाई 1985 को हुआ। रणवीर के जन्म के समय सूर्य मिथुन राशि पर परिभ्रमण कर रहा था जिसने रणवीर को आर्थिक सुख दिया। कुंडली में चन्द्र मंगल की स्थिति ने रणवीर को अपने कार्य के प्रति कर्मठ बनाता है। गुरु की स्थिति रणवीर को कष्ट दे सकती है। रणवीर को शुक्र भी आर्थिक, मानसिक एवं भौतिक सुख देगा। शनि सम्मान के स्थान पर पहुंचाएगा। वर्तमान में गुरु की महादशा में (3.08.2012 से) शुक्र की अन्तर्दशा चल रही है, जो 03.04.2015 तक चलेगी। रणवीर सिंह का 2015 अच्छा जाएगा। रणवीर सिंह को पन्ना धारण करना चाहिए।

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नरेंद्र मोदी-


नरेंद्र मोदी-
आपका जन्म लग्न वृश्चिक है और राशि भी वृश्चिक है। इस समय आपकी चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतरदशा चल रही है, तथा राहु के बाद गुरू की अंतरदशा जुलाई से शुरू होगी। जिससे आपका आने वाला वर्ष 2015 आपके लिए आलोचनात्मक हो सकता है। इस वर्ष में आपको स्वास्थ्य के नजरिये से मानसिक तनाव ना बढ़े इस बात के लिए सावधानी रखनी पड़ेगी। आर्थिक तौर पर यह वर्ष आपके लिए बेहतर रहेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा के नजरिये से वर्ष 2015 विवादित बयानों से भरा रहेगा। बेहतर लाभ के लिए आपको राहु की शांति कराना लाभप्रद होगा।

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डॉ. रमन सिंह-


डॉ. रमन सिंह-
आपका जन्म लग्न कर्क है। आपकी राशि तुला है। इस समय आपकी बुध की महादशा में मंगल एवं अक्टूबर से राहु की अंतरदशा चल रही है, जिससे आपका आने वाला वर्ष 2015 में आपके लिए अक्टूबर तक पारिवारिक तथा राजनैतिक उलझाव रहेगा। इस वर्ष में आपको स्वास्थ्य के नजरिये से विशेषकर पत्नी के स्वास्थ्य में सावधानी रखनी पड़ेगी। आर्थिक तौर पर यह वर्ष आपके लिए खर्च एवं परेशानी का रहेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा के नजरिये से वर्ष 2015 अक्टूबर के बाद अपने एवं अपनो से खतरा एवं कष्टकारी रहेगा। बेहतर लाभ के लिए आपको पितृ की शांति कराना तथा राहु की विधिवत शांति एवं रुद्राभिषेक कराना लाभप्रद होगा।

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ज्योतिष सलाह से जमीन-जायदाद में पैसे लगाना


प्रॉपर्टी में निवेश करने की बात आये और ज्योतिष पंडित जी को याद न करें ये नहीं हो सकता। आप सभी ज्योतिष और ग्रहों की चाल को मानते हैं या न मन कर भी कहीं न कहीं प्रभावित रहते हैं। ज्योतिष जमीन-जायदाद निवेश का एक महत्वपूर्ण अंग हैं और निवेश करना ध्यान में आते ही आज के समय में फायदे का व्यापार ज्योतिष सलाह से ही सुचारू रूप से हो सकता है और रोज अनेकों उदहारण इसे साबित करने आगे आते रहते हैं ।
प्रॉपर्टी में निवेश के ग्रह नक्षत्रों का संबंध ज्योतिष से बहुत गहरा होता है। किस व्यक्ति को प्रॉपर्टी में निवेश से फायदा होगा,इसका निर्धारण उसकी जन्मपत्री में इस व्यापार से संबंधित ग्रह व भाव के अवलोकन से हो सकता है। प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले इन ग्रहों को जान लेना जरूरी होता है।
जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से जमीन-जायदाद तथा भू-सम्पत्ति के बारे में चार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव तथा उसका स्वामी ग्रह शुुभ राशि में, शुभ ग्रह या अपने स्वामी से युत या दृष्ट हो, सी पाप ग्रह से युत या दृष्ट न हो तो, जमीन संबंधी व्यापार से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भूमि का कारक ग्रह मंगल है। अत: डली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश तथा मंगल की शुभ स्थिति से भूमि संबंधी व्यापार से फायदा होगा। भूमि के व्यापार में जमीन क्रय-विक्रय करना, प्रॉपर्टी में निवेश कर लाभ में बेचना, दलाली के रूप में काम करना तथा कॅालोनाइजर के रूप में स्कीम टकर बेचना इत्यादि शामिल है, ऐसे सभी व्यापार का उद्देेश्य आय बढ़ाकर धन कमाना होता है। अत: भूमि से संबंधित ग्रहों का शुभ संयोग कुंडली के धन (द्वितीय) तथा आय (एकादश) भाव से भी होना आवश्यक है। चतुर्थ भाव का स्वामी एवं मंगल उच्च,स्वग्रही अथवा मूल त्रिकोण का होकर शुभ युति में हो तथा धनेश, लाभेश से संबंध बनाए तो प्रॉपर्टी के कारोबार से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार चतुर्थ भाव का स्वामी धनेश, लाभेश, लग्न अथवा दशम भाव के स्वामी से राशि परिवर्तन करे तो,उस व्यक्ति को भूमि के क्रय-विक्रय से धन लाभ होता है
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अरविंद केजरीवाल और ज्योतिष


आम आदमी के अंतर्मन पर बहुत कम समय में अपना असर छोडऩे वाले पार्टी के मुखिया एवं दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राशि और लग्न दोनों वृषभ है। लग्न का चंद्रमा जहां इनके व्यक्तित्व को आकर्षक बना रहा है वहीं मित्र सूर्य के घर में बैठा बुध इन्हें बेहतर वक्तृत्व शैली भी प्रदान कर रहा है।
बुध के साथ-साथ स्वगृही सूर्य की उपस्थिति बुद्धादित्य नामक राजयोग निर्मित करते हैं तथा लाभ स्थान के राहु ने इनके लिए एक नई जगमगाती कथा लिखी। इसी राहू ने इन्हें पद और प्रतिष्ठा के काबिल बनाया।
पराक्रम भाव में आसीन मंगल जहां इन्हें पराक्रमी और पुरुषार्थी बना रहा है वहीं इन्हें जुनून भी प्रदान कर रहा है। वर्तमान में इनकी बृहस्पति की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा है जो इनके लिए लाभ के बड़े द्वार खोल रहा है।
अब एक नजर उनके जीवन पर डालें तो मंगल में केतु की दशा में उन्होंन १९८९ में आई.आई.टी. किया तथा राहु में शनि के अंतर में १९९२ में वे आई.आर.एस. में आ गए। यहां आकर उन्होंने भ्रष्टाचार देखा। २००० में राहु में शुक्र का अंतर चल रहा था, उस समय उन्होंने छुट्टी ले ली और नागरिक आंदोलन, परिवर्तन की शुरूआत की। और जब फरवरी २००६ में जब गुरू में राहु का प्रत्यंतर चल रहा था तब उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इस समय अरुणा राय और इनके प्रयास से आर.टी.आई. का कानून संसद में पास कर दिया गया। ६ फरवरी २००७ जब गुरू में शनि का अंतर चल रहा था तो लोग २००६ के लिए लोक-सेवा में सीएनएन-आईबीएन ''इस वर्ष का भारतीय "Indian Of The Year" नामित किया गया। गुरू में शुक्र का अंतर प्रारंभ हुआ जून २०१२ से, यहीं से उन्होंने अन्ना के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल के लिए बड़ा आंदोलन किया जिसे आगे चलकर अगस्त क्रान्ति का नाम दिया गया। परन्तु इस आंदोलन में बड़ी राजनैतिक पार्टियों का सहयोग नहीं मिला और यहीं पर शुक्र की अंतरदशा में ही अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत की और 'आप पार्टी की स्थापना की और दिल्ली विधान सभा में २८ सीटें जीतकर देश की राजनीति में खलबली मचा दी।
6नवंबर, 2013 से आरंभ शुक्र के अंतर में चंद्रमा के प्रत्यंतर ने अरविंद केजरीवाल के लिए सफलता के द्वार पर नए तोरन बांधे। पर, 16मार्च, 2014 से शनि का प्रत्यंतर शुभता में कुछ अशुभ रंग का समावेश भी समावेश कर रहा है। यह काल साजिशों के नए समीकरण रचता हुआ नजर आ रहा है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पांच महीने बेहतर नहीं नजर आ रहे।
बृहस्पति में शुक्र की अंतर्दशा जहां अरविंद को नई उड़ान दे रही है वहीं 28फरवरी 2015 से प्रारंभ होने वाली सूर्य की अंतर्दशा उन्हें नए पंख प्रदान करेगी। सूर्य की अंतर्दशा उन्हें जरूर बड़ा पद या हैसियत प्रदान करेगी। बड़े-बड़े दिग्गजों को बेचारा बना देने वाले अरविंद केजरीवाल आगे भी अनेक खास को आम बना देने का कौशल दिखाते रहेंगे।
3 नवंबर 2014 को शनि का वृश्चिक में प्रवेश अगले ढाई वर्षों में कभी भी अरविंद को स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है। इन पर नए-नए आरोप लगेंगे। पर, हर आरोप इन्हें नई ऊंचाई पर ले जाता नजर आएगा।
पुरुषार्थ के मंगल और नए-नए आरोपों की मदद से एक आम आदमी अरविंद केजरीवाल एक महानायक का रूप अख्तियार कर लेगा पर मार्च 2014 से अगस्त 2014 तक का काल कुछ निराशा के बीज बो सकता है।

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शिवराज सिंह चौहान-


शिवराज सिंह चौहान-
आपका जन्म लग्न वृषभ है। आपकी राशि मकर है। इस समय आपकी शनि की महादशा में शनि की अंतरदशा चल रही है, जो कि मई 2017 तक रहेगी, जिससे आपका आने वाले वर्ष 2015 भी पंचम में शनि दृष्ट राहु के कारण विवाद एवं अपयश के कारण बनते रहेंगे और लगातार किसी ना किसी कारण से परेशानी का सबब बनता रहेगा। राजनीति के साथ साथ स्वास्थ्य तथा पारिवारिक दृष्टि से भी चिंताजनक समय है। इस वर्ष में आपको स्वास्थ्य के नजरिये से चिंता, अनिद्रा तथा ब्लडप्रेशर से सावधानी रखनी पड़ेगी। आर्थिक तौर पर यह वर्ष आपके लिए खर्चे का रहेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा के नजरिये से वर्ष 2015 में स्थिति लगातार खराब होगी। राजनैतिक पद में परिवर्तन की स्थिति निर्मित होगी। विवाद से बचाव करने तथा बेहतर लाभ के लिए आपको शनि की शांति कराना लाभप्रद होगा।

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प्रेम विवाह हो पाएगा या नहीं? ज्योतषीय विश्लेषण


जब किसी लड़का और लड़की के बीच प्रेम होता है तो वे साथ-साथ जीवन बिताने की ख्वाहिश रखते हैं और विवाह करना चाहते हैं। कोई प्रेमी अपनी मंजिल पाने में सफल होता है यानी उनकी शादी उसी से होती है जिसे वे चाहते हैं और कुछ इसमे नाकामयाब होते हैं। इनमें कुछ अपनी नाकाम मोहब्बत के नाम पर अपने जीवन को भी बर्वाद कर डालते हैं। ज्योतिषशास्त्री इसके लिए ग्रह योग को जिम्मेवार मानते हैं। देखते हैं ग्रह योग कुण्डली में क्या कहते हैं।
प्रेम एक दिव्य, अलौकिक एवं वंदनीय तथा प्रफुल्लता देने वाली स्थिति है। प्रेम मनुष्य में करुणा, दुलार, स्नेह की अनुभूति देता है। फिर चाहे वह भक्त का भगवान से हो, माता का पुत्र से हो या प्रेमी और प्रेमिका का हो, सभी का अपना महत्व है। ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार ग्रहों की युति ही प्रेम को विवाह की परिणिति तक ले जाने में मददगार होती है। ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि मनुष्य का वर्तमान जीवन, चरित्र और स्वभाव पूर्व जन्मों के अर्जित कर्मों का फल होता है। इसलिए उन्ही स्त्री पुरषों का प्रेम विवाह होगा और सफल होगा जिनके गुण और स्वभाव एक दूसरे से मिलते होंगे।
कैसे होता है प्रेम विवाह? किन ग्रहों के प्रभाव से गृहत्याग करने पर मजबूर करता है और अपना सब कुछ छोड़कर प्रेम विवाह कराता है। प्रेम विवाह करने वाले लड़के व लड़कियों को एक-दूसरे को समझने के अधिक अवसर प्राप्त होते है, जिसके फलस्वरुप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसन्द-नापसन्द को अधिक कुशलता से समझ पाते हंै। प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू भावनाओं व स्नेह की प्रगाढ़ डोर से बंधे होते है। ऐसे में जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी दोनों का साथ बना रहता है। पर कभी-कभी प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू के विवाह के बाद की स्थिति इसके विपरीत होती है। इस स्थिति में दोनों का प्रेम विवाह करने का निर्णय शीघ्रता व बिना सोचे समझे हुए प्रतीत होता है। ग्रहों के कारण व्यक्ति प्रेम करता है और इन्हीं ग्रहों के प्रभाव से दिल टूटते और एक-दूसरे से छूटते भी हैं। ज्योतिष शास्त्रों में प्रेम विवाह के योगों के बारे में स्पष्ट वर्णन नहीं मिलता है, परन्तु जीवन साथी के बारे में अपने से उच्च या निम्न प्रभावों का विस्तृत विवरण जरूर मिलता है।
1) जब किसी व्यक्ति कि कुण्डली में शनि अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है।
2) इसके अलावा जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द्र लग्न से पंचम भाव में स्थित हों, तब प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
3) प्रेम विवाह के योगों में जब पंचम भाव में मंगल हो तथा पंचमेश व एकादशेश का राशि परिवर्तन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह होने के योग बनते है।
4) अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है।
5) जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हो तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है।
6) कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
7) जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक-दूसरे से दृष्टि संबन्ध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
8) जब सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हों तब विवाह का भाव बली होता है तथा व्यक्ति प्रेम विवाह कर सकता है।
9) पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है।
10) जब सप्तमेश की दृिष्ट, युति, स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हों तो, प्रेम विवाह होता है।
11) द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश कि युति हों व भाग्येश इन से दृष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है।
12) जब जन्म कुण्डली में शनि किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर वह मंगल, सप्तम भाव व सप्तमेश से संबन्ध बनाते है तो प्रेम विवाह हो सकता है। पंचम भाव का स्वामी पंचमेश शुक्र अगर सप्तम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह की प्रबल संभावना बनती है। शुक्र अगर अपने घर में मौजूद हो तब भी प्रेम विवाह का योग बनता है।
१३) शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है।
अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है और नवमांश कुण्डली में सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना बनती है। शुक्र ग्रह लग्न में मौजूद हो और साथ में लग्नेश हो तो प्रेम विवाह निश्चित समझना चाहिए। शनि और केतु पाप ग्रह कहे जाते हैं लेकिन सप्तम भाव में इनकी युति प्रेमियों के लिए शुभ संकेत होता है। राहु अगर लग्न में स्थित है तो नवमांश कुण्डली या जन्म कुण्डली में से किसी में भी सप्तमेश तथा पंचमेश का किसी प्रकार दृष्टि या युति सम्बन्ध होने पर प्रेम विवाह होता है। लग्न भाव में लग्नेश हो साथ में चन्द्रमा की युति हो अथवा सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ चन्द्रमा की युति हो तब भी प्रेम विवाह का योग बनता है। सप्तम भाव का स्वामी अगर अपने घर में है तब स्वगृही सप्तमेश प्रेम विवाह करवाता है। एकादश भाव पापी ग्रहों के प्रभाव में होता है तब प्रेमियों का मिलन नहीं होता है और पापी ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्त है तो व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ सात फेरे लेता है। प्रेम विवाह के लिए सप्तमेश व एकादशेश में परिवर्तन योग के साथ मंगल नवम या त्रिकोण में हो या फिर द्वादशेश तथा पंचमेश के मध्य राशि परिवर्तन हो तब भी शुभ और अनुकूल परिणाम मिलता है।
विवाह में संबंध-विच्छेद को रोकने के ज्योतषीय उपाय:
प्रेम विवाह करने के बाद प्रेम होने की स्थिति में भी जब छोटे-छोटे विवाद बनते हैं और विवाद के कारण कभी-कभी छोटे-छोटे विवाद तलाक का कारण भी बनते हैं। तलाक के कारण क्या-क्या हैं? ऐसा क्यों होता है? क्यों कुछ दंपत्ति अपना दांपत्य जीवन का निर्वाह ठीक ढंग से कर नहीं पाते? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका कारण जन्म पत्रिका का सप्तम स्थान होता है। कुण्डली के इस स्थान में यदि सूर्य, गुरु, राहु, मंगल, शनि जैसे ग्रह हो या इस स्थान पर इनकी दृष्टि हो तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होता है। सप्तम स्थान पर सूर्य का होना निश्चित ही तलाक का कारण है। गुरु के सप्तम होने पर विवाह तीस वर्ष की आयु के पश्चात करना उत्तम होता है। इसके पहले विवाह करने पर विवाह विच्छेद होता है या तलाक का भय बना रहता है। मंगल तथा शनि सप्तम होने पर पति-पत्नी के मध्य अवांछित विवाद होते हैं। राहु सप्तम होने पर जीवन साथी व्यभिचारी होता है। इस कारण उनके मध्य विवाद उत्पन्न होते हैं, जिनसे तलाक होने की संभावना बढ़ जाती है। अचानक उनमें कटुता व तनाव उत्पन्न हो जाता है। जो पति-पत्नी कल तक एक दूसरे के लिए पूर्ण प्रेम और सम्मान रखते थे, आज उनमें झगड़ा हो गया है। स्थिति तलाक की आ जाती है। ऐसी स्थिति में प्रेम विवाह करने के पूर्व लड़का और लड़की को विवाद के पूर्व क्रमश: अर्क और कुंभ विवाह करानी चाहिए। मंगल का व्रत करने से भी शादी में बाधा को दूर किया जा सकता है।

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सफलता की ऊंचाई के लिए ज्योतिष शास्त्र के पांच नियम


सबसे पहले देखें कि हमारे वेदों में इन पंचशीलों का कैसे उल्लेख किया गया है और इनका किस प्रकार से प्रयोग कर बेहतर जीवन किया जाए तथा जीवन में सफलता प्राप्त किया जाए। बेहतर है कि पहले व्यावहारिक पंचशीलों को व्यवहार में शामिल रखा जाए। पारंपरिक योगसाधना में शामिल पंचशीलों को सुबोध अर्थों में समझना चाहें तो उन्हें श्रमशीलता, मितव्ययिता, शिष्टता, सुव्यवस्था और सहकारिता के नाम दे सकते हैं। इसी प्रकार ज्योतिषीय विश्लेषण में किसी भी जातक की कुंडली में लग्र, तीसरा, सांतवा, भाग्येश और एकादश स्थान अर्थात यह पांच स्थान किसी भी जातक के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पंचशीलों के नाम और ज्योतिषीय अनुसार उनके विश£ेषण इस प्रकार हैं:
श्रमशीलता-
आरामतलबी की बजाए श्रम करने में बड़प्पन अनुभव करें। तत्परता और तन्मयता भरे परिश्रम से जोड़ कर दिनचर्या बनाई जाए। इसके लिए किसी भी जातक की कुंडली में उसके, उसकी दिनचर्या का भाव होता है एकादश स्थान और अगर एकादश स्थान तथा एकादशेश मजबूत तथा उच्च का हो या स्वग्रही अथवा मित्र भाव में विराजमान हो या मजबूत ग्रहों के साथ संबंध स्थापित करे तो उस व्यक्ति का स्वभाव ही नियमित होता है। साथ ही वह अपने जीवन में परिश्रम करने का नियमित रूप से आदि होता है तथा जीवन में बेहद व्यवस्थित होता है। यदि इसके विपरीत किसी जातक की कुंडली में इसके विपरीत स्थिति बने तो उसे अपने एकादश स्थान तथा एकादशेश की स्थिति को सुधार करने की जरूरत होती है, जिसके लिए पहले ज्ञात कर लें कि आपका एकादश क्या है और उस ग्रह के अनुरूप उचित उपाय आजमायें तो जीवन में दिनचर्या व्यवस्थित होगी, जिससे आपके जीवन में सफलता का पहला पायदान प्राप्त होगा।
मितव्ययता-
अमीरी के प्रदर्शन से सम्मान नहीं मिलता, ईष्या ही उपजती है। लिहाजा कम खर्च में काम चलाते हुए सादा जीवन उच्च विचार की नीति को अपनाया जाए। जरूरतमंदों की सेवा में लगाएं। इसका ज्योतिषीय रूप है कि किसी जातक का तीसरा स्थान मन का कारक होता है और व्यक्ति मन से ही बड़ा या छोटा महसूस करता है अत: यदि मन के स्थान पर शुक्र, चंद्रमा, राहु जैसे ग्रह हों तो ऐसा व्यक्ति दिखावा पसंद होता है। यदि ऐसे ग्रह का स्वामी सूर्य हो और वह विपरीत स्थान पर हो तो ऐसे व्यक्ति को आडंबर या झूठा दिखावा करने की आदत होती है। अत: ऐसी स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए किसी भी जातक को अपने तृतीय स्थान के बारे में ज्ञात कर उस स्थान को शुभ या अनुकूल बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए व्यवहार में मितव्ययता बरतने के साथ ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए उन ग्रहों की शांति तथा उचित उपाय का पालन भी करना चाहिए।
शिष्टता-
कहा जाता है कि शालीनता, ''बिना-मोल मिलती है, परन्तु उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है। शिष्टता का कारक ग्रह शनि एवं स्थान लग्र स्थान से देखा जाता है। किसी भी जातक का अगर शनि विपरीत हो तो ऐसे व्यक्ति में अहंकार की भावना बलवती होती है, जिसके कारण उसके व्यवहार में शिष्टता कम हो जाती है साथ ही उसके जिद्द के कारण व्यवहार में अतिवादी होने से अशिष्टता का पुट आ जाता है अत: व्यवहार में शालीनता का समावेश करने के लिए शिष्टता तथा उदारतापूर्ण व्यवहार के साथ शनि को शांत करना आवश्यक है।
सुव्यवस्था-
समय, श्रम, मनोयोग, जीवनक्रम, शरीर, सार्मथ्य का सुनियोजन करें। उनका समुचित लाभ उठाया सके, इस प्रकार की सुव्यवस्था जीवन में बनाये रखना चाहिए। इस व्यवस्था को बनाये रखने के लिए अपने जीवन में व्यवस्थित तरीके से सभी कार्य पूर्व निर्धारित तरीके से करना चाहिए। इस प्रकार से कार्य करने के लिए जीवन में सारे दैनिक दैनिंदन कार्य सुचारू रूप से करने के लिए किसी भी जातक का एकादश स्थान जो कि दिनचर्या का भी स्थान होता है वह उच्च एवं बलि होता है, उस व्यक्ति की दिनचर्या नियमित तथा व्यवस्थित होती है। अत: अपनी कुंडली में एकादश स्थान का स्वामी तथा एकादश स्थान को बलवान करने के लिए उस स्थान के स्वामी एवं उस स्थान पर स्थित ग्रह को बलि बनाने के लिए उस ग्रह तथा ग्रह स्वामी के लिए उचित उपाय करना चाहिए।
सहकारिता-
मिल-जुलकर काम करना। परिवार, कारोबार, लोकव्यवहार में, सामंजस्य, साथ-साथ काम करने की प्रवृत्ति बनी रहे। एकाकी और नीरसता, निराशा भरे वातावरण से बचें। जीवन में सभी प्रकार से लोगो से सामंजस्य बनाये रखने के लिए सभी लोगो के साथ व्यवहारिक तौर पर निभाने के लिए सहकारिता का व्यवहार करने के साथ किसी भी जातक को उसके सप्तम स्थान तथा सप्तमेश की स्थिति तथा सप्तम स्थान पर बैठे ग्रह की स्थिति का आकलन करने के साथ ही विपरीत ग्रह स्थित ग्रहों की शांति कराने के साथ व्यवहार में नियंत्रण करना चाहिए।
इस प्रकार पंचशील व्यवहार तथा कुंडली के प्रमुख पंचग्रहों की स्थिति तथा व्यवहारिक संतुलन बनाकर जीवन में सफलता का प्रतिशत बढाया जा सकता है।

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आत्मा

एक बार संत कबीर से किसी ने पूछा, ''आप दिन भर कपड़ा बुनते रहते हैं तो भगवान का स्मरण कब करते हैं? ''कबीर उस व्यक्ति को लेकर अपनी झोपड़ी से बाहर आ गए। बोले, ''यहां खड़े रहो। तुम्हारे सवाल का जवाब सीधे न देकर, मैं उसे दिखा सकता हूं। कबीर ने दिखाया कि एक औरत पानी की गागर सिर पर रखकर लौट रही थी। उसके चेहरे पर प्रसन्नता और चाल में रफ्तार थी। उमंग से भरी हुई वह नाचती हुई-सी चली जा रही थी। गागर को उसने पकड़ नहीं रखा था, फिर भी वह पूरी तरह संभली हुई थी।
कबीर ने कहा, ''उस औरत को देखो। वह जरूर कोई गीत गुनगुना रही है। शायद कोई प्रियजन घर आया होगा। वह प्यासा होगा, उसके लिए वह पानी लेकर जा रही है। मैं तुमसे जानना चाहता हूं कि उसे गागर की याद होगी या नहीं।कबीर की बात सुनकर उस व्यक्ति ने जवाब दिया,''उसे गागर की याद नहीं होती तो अब तक तो गागर नीचे ही गिर चुकी होती।
कबीर बोले, ''यह साधारण सी औरत सिर पर गागर रखकर रास्ता पार करती है। मजे से गीत गाती है, फिर भी गागर का ख्याल उसके मन में बराबर बना हुआ है। और तुम मुझे इससे भी गया गुजरा समझते हो कि मैं कपड़ा बुनता हूं और परमात्मा का स्मरण करने के लिए मुझे अलग से वक्त की जरूरत है। मेरी आत्मा हमेशा उसी में लगी रहती है। कपड़ा बुनने के काम में शरीर लगा रहता है और आत्मा प्रभु के चरणों में लीन रहती है। आत्मा हर समय प्रभु के चिंतन में डूबी रहती है। इसलिए ये हाथ भी आनंदमय होकर कपड़ा बुनते रहते हैं।

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कुंडली योगों के अनुसार करें बच्चों का पालन


बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जैसा रूप देना चाहें, दे सकते हैं। उनके अच्छे भविष्य और उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए सही परवरिश जरूरी है। अधिकतर पेरेंट्स के लिए परवरिश का अर्थ केवल अपने बच्चों की खाने-पीने, पहनने-ओढऩे और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना है। इस तरह से वे अपने दायित्व से तो मुक्त हो जाते हैं लेकिन क्या वे अपने बच्चों को अच्छी आदतें और संस्कार दे पाते हैं जिनसे वे आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बन सकें।
हर बच्चा अलग होता है। उन्हें पालने का तरीका अलग होता है। बच्चों की सही परवरिश के लिए हालात के मुताबिक परवरिश की जरूरत होती है। सवाल यह है कि बच्चे के साथ कैसे पेश आएं कि वह अनुशासन में रहे और जीवन में सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें, सभी का सम्मान करें, अपने जीवन में सदाचार बनाये रखें। अक्सर पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि हम अपने बच्चों की परवरिश किस तरह से करें तो हम आपको बताते हैं आपके बच्चे की कुंडली में क्या योग बन रहे हैं और उन योगों के अनुसार आप अपने बच्चे के कौन से गुणों को उभार सकते हैं और कौन से ऐसे दोष हैं जिन्हें सुधारने की आवश्यकता हो सकती है या उसमें बदलाव लाना होगा। कुछ ऐसे ज्योतिषीय तरीके जो आपकी मदद करेंगे आपके बच्चे को योग्य और सामथ्र्यवान बनाने के साथ सुखी और खुशहाल बनाने में। आप सबसे पहले अपने बच्चे की कुंडली किसी योग्य ज्योतिषाचार्य को दिखायें और देखें कि उसके जन्मांग में कौन-कौन से योग हैं जो उन्हें भटका सकते हैं और कौन से योग हैं जिन्हें उभारने की जरूर है। जिनमें से देखें कि कुछ योग इस प्रकार हो सकते हैं-
* कुंडली में मंगल शुक्र की युति के कारण बच्चों राह से भटकते हंै। कुंडली में शुक्र चन्द्र की युति से काल्पनिक काल्पनिक होने से पढाई में बाधा आती है तथा बच्चे बच्चियों को अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षित होते है। चंद्रमा कमजोर हो तो बच्चा बहुत भावुक होता है। ऐसे बच्चो को कुछ स्वार्थी बच्चे/बच्चियां ब्लैकमेल करते हैं।
* कुंडली में चन्द्र राहु की युति हो तो बच्चे के मन में खुराफातें उपजती हैं. चन्द्र राहु की युति होने से कई प्रकार के भ्रम आते है और उन भ्रमो से बाहर निकलना ही नही हो पाता है।
* मंगल शनि की युति हो और मंगल बहुत बली हो तो बच्चा किसी को भी हानि पहुँचाने से नहीं डरेगा। गुरु खराब हो, नीच, अस्त, वक्री हो तो बच्चा अपने माता-पिता बड़े बुजुर्ग किसी की भी इज्जत नहीं करेगा।
* पांचवें भाव, पांचवें भाव का स्वामी और चंद्रमा भावनाओं को नियंत्रित करता है, अत: ये ग्रह खराब स्थिति में हों तो आत्मनियंत्रण में कमी होती है।
लग्न, पांचवें या सातवें भाव पर उनके प्रभाव से व्यक्ति अत्यधिक भावुक होता है।
* तीसरे स्थान का स्वामी क्रूर ग्रह और मंगल साहस का कारक हैं। यदि ये ग्रह छठे, आठवे या बारहवे स्थान में हो तो अतिवादी होने से लडाई होने की संभावना बहुत होती है।
* राहु और बारहवें और आठवें भाव के स्वामी सुख के लिए मजबूत इच्छा को दर्शाता है।
* शुक्र, चंद्रमा, आठवें भाव लग्न या सातवें भाव के साथ जुड़ कर कामुक सुख के लिए मजबूत इच्छा को दर्शाता है।
* राहु, शुक्र और भावनाओं और साहस के कारकों के साथ जुड़कर प्यार के लिए जुनून दिखाता है।
* उम्र की अनदेखी, सभी सामाजिक मानदंडों अनदेखी कर कामुक सुख की इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयास करता हैं। शुक्र और सप्तम घर की कमजोरी अतिरिक्त योगदान करता हैं। पंचम की स्थिति सातवें या आठवें भाव में हो तो विपरीत सुख के लिए झुकाव देता है। प्यार और लगाव के लिए जिम्मेदार ग्रह शनि, चंद्रमा, शुक्र और मंगल ग्रह और पंचम या सप्तम या द्वादश स्थान में होने से बचपन में ही स्थिति खराब हो जाती है।
* मोह, हानि, आत्महत्याओं के लिए अष्टम भाव को देखा जाता है। मन के संतुलन के हानि के लिए 12वां भाव और बुध गृह को देखना होता है। मंगल राहु, बुध, शुक्र और चंद्रमा ग्रह की दशा और 5, 7वीं, 8वीं और 12वीं भाव के साथ संबंध हो तब होता है।
* आठवें भाव जो की वैवाहिक जीवन, विधवापन, पापों घोटालों, यौन अंग, रहस्य मामलों, अश्लील के लिए देखा जाता है।
* जब शनि और राहु की स्थिति विपरीत हो तो अनुशासन में रहना सिखाएं।
* बच्चा जब बड़ा होने लगता है तब ही से उसे नियम में रहने की आदत डालें। अभी छोटा है बाद में सीख जाएगा यह रवैया खराब है। उन्हें शुरू से अनुशासित बनाएं। कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देने लगते हैं और उनके ना समझने पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हे मारते भी हैं। यह तरीका भी गलत है। वे अभी छोटे हैं, आपका यह तरीका उन्हें जिद्दी और विद्रोही बना सकता है। यदि आपके बच्चे की कुंडली में लग्र, द्वितीय, तीसरे या एकादश स्थान में शनि हो तो आपका बच्चा शुरू से ही जिद्दी होगा, अत: ऐसी स्थिति में उसे शुरू से ही अनुशासन में रहने की आदत डाले, इसके लिए उसे प्यार से समझाते हुए अनुशासित करें एवं उसकी जिद्द हो उचित और अनुचित का भान कराते हुए भावनाओं को नियंत्रण में रखना सिखायें।
* जब तृतीयेश छठे, आठवे या बारहवे स्थान में या कू्रर ग्रहों अथवा राहु से पापाक्रांत होकर बैठा हो तो उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें।
* अब वह समय नहीं रहा जब माता-पिता ने जो कह दिया वही सही है। अब समय बदल गया है, बच्चे मुखर हो गए हैं। उनका अपना नजरिया है। माता-पिता को यह करना है कि बच्चों के साथ बॉस या हिटलर की तरह नहीं बल्कि दोस्त बनकर रहें। आपका यह तरीका बच्चों को आपके करीब लाएगा। वे आपसे खुलकर बात कर पाएगें। क्योंकि आपके बच्चे में यदि तीसरा स्थान कमजोर या नीच का होगा तो उसे कमजोर मनोबल वाला व्यक्तित्व देगा, जिससे यदि वह किसी गलत व्यक्ति के उपर भरोसा कर लें तो गलत आदतें सीख सकता है अत: इसके लिए आप अपने बच्चे के स्वयं अच्छे दोस्त बनें और उसे साकारात्मक दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित करें।
* यदि आपके बच्चे का लग्रेश और गुरू अथवा सूर्य या चंद्रमा कमजोर हो तो ऐसा जातक कमजोर आत्मविश्वास का होता है इसके लिए उसे आत्मनिर्भर बनाएं।
* बचपन से ही उन्हें अपने छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें। जैसे उन्हें डांस क्लास जाना है या जिम। फिर जब वे बड़े होंगे तो उन्हें सब्जेक्ट लेने में आसानी होगी। आपके इस तरीके से बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा और वे भविष्य में चुनौतियों का सामना डट कर, कर पाएंगे। ऐसे बच्चों को उसके छोटे-छोटे निर्णय लेने में सहयोग करें किंतु निर्णय उसे स्वयं करने दें साथ ही ये शिक्षा भी दें कि क्या गलत है और क्या उनके लिए सही। इसके लिए उन्हें ग्रहों की शांति तथा मंत्रों के जाप का सहारा लेने की आदत डाले और सही गलत का फैसला स्वयं करने दें।
* यदि आपके बच्चे के एकादश एवं द्वादश स्थान का स्वामी विपरीत या नीच को हो तो गलत बातों पर टोकें।
* बढ़ती उम्र के साथ-साथ बच्चों की बदमाशियां भी बढ़ जाती है। जैसे- मारपीट करना, गाली देना, बड़ों की बात ना मानना आदि। ऐसी गलतियों पर बचपन से ही रोक लगा देना चाहिए ताकि बाद में ना पछताना पड़े। ऐसे बच्चों की कुंडली बचपन में देखें कि क्या आपके बच्चे का तीसरा, एकादश एवं पंचम स्थान दुषित तो नहीं है, ऐसी स्थिति में इन आदतो पर बचपन से काबू करने की कोशिश करें, इसके लिए कुंडली में ग्रहों की शांति का भी उपाय अपनायें।
* यदि दूसरे स्थान का स्वामी क्रूर ग्रह होकर कमजोर हो तो बच्चों के सामने अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें।
* बच्चे नाजुक मन के होते हैं। उनके सामने बड़े जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही वे सीखेंगे। सबसे पहले खुद अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें। सोच-समझकर शब्दों का चयन करें। आपस में एक दूसरे से आदर से बात करें। धीरे-धीरे यह चीज बच्चे की बोलचाल में आ जाएगी। कुंडली में स्थित कुछ योगों से पता चल सकता है की बच्चा किस प्रकार का है और उसी के अनुसार ही बच्चे पर ध्यान देना जरुरी है।
* इसके अलावा आप अपने बच्चे को शुरूआत से ही सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर उसकी कुंडली के दोषों को दूर करने एवं गुणों को बढ़ाने के उपाय कर सकते हैं।
* मंगल-केतु के लिए बच्चे को खेलकूद में डालें, जिससे उसकी उर्जा का सही उपयोग होगा, जिससे उसमें लडऩे-झगडने की नौबत नहीं आयेगी और उसकी उर्जा का सदुपयोग होगा।
* बच्चों की कुंडली में यदि लग्र के दूसरे, तीसरे या पंचम स्थान में शुक्र, चंद्रमा या राहु हो तो इस तरह के योग में उसे संगीत, डांस, पेंटिंग आदि किसी कला में डाले, जिससे भटकाव की संभावना कम होगी।
* यदि आपके बच्चे की कुंडली में गुरू विपरीत स्थान में हो तो उसे बड़ों का आदर करना सिखाएं, अपने बुजुर्गों का आदर करने से गुरु ग्रह मजबूत होगा।
जीवन में अनुशासन बनाये रखने एवं सही मार्ग पर बने रहने के लिए भगवान हनुमान और गणेश की पूजा, हनुमान चालीसा का पाठ तथा ध्यान करने की आदत डालें।
इस प्रकार बचपन से ही बच्चों की सही परवरिश में यदि जन्म कुंडली का सहारा लिया जाकर उसके ग्रहों के दोषों के अनुरूप प्रयास किया जाए तो आपका बच्चा ना केवल एक अच्छा नागरिक बनेगा अपितु सफलता की हर उचाई को भी छू लेगा।

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